Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तए णं से कामदेवे सभणोवासए तेणं देवेणं हत्थिरूवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ, तए णं से देवे हत्थिरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ त्ता दोच्चपि तच्चपि कामदेवं समणोवासयं एवं व०-हंभो कामदेवा! तहेव जाव सोवि विहरइ, तए णं से देवे हत्थिरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ त्ता आसुरूत्ते० कामदेवं समणोवासयं सोण्डाए गेण्हेए त्ता उ8 वेहासं उव्विहइ त्ता तिक्खेहिं दंतमुसलेहिं पडिच्छइ त्ता अहेरणितलंसि तिक्खुत्तो पाएसु लोलेइ, तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेज २१। तए णं से देवे हथिरुवे कामदेवं समणोवासयं जाहे नो संचाएइ जाव सणियं सणियं पच्चोसकाइ त्ता पोसहसालाओ पडिणिक्खभइ त्ता दिव्वं हत्थिरूवं विपजहइ ना गं महं दिव्वं सम्परूवं विउव्वइ, उग्गविसं चण्डविसं घोरविसं महाकायं मसीमूसाकालगं नयणविसरोसपुण्णं अञ्जणपुञ्जनिगरप्पासं रत्तच्छं लोहियलोयणं जमलजुयलचञ्चलजीह धरणीयलवेणिभूयं उक्कडफुडकुडिलजडिलककसवियडफडाडोवकरणदच्छं लोहागरधम्ममाणधमधमेन्तधोसं अणागलियतिव्वचण्डरोस) सप्परूवं विउव्वइ त्ता जेणेव पोसहसाला जेणेष कामदेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ त्ता कामदेवं समणोवासयं एवं व०-हंभो कामदेवा समणोवासया! जावन भासि बोले अजेय अहं सरसरस्स कायं दुरुहामि ता पच्छिमेणं भाएणं तिक्खुत्तो गीवं वेडेमित्ता तिक्खाहिं विसपरिगयाहिं दाढाहिं उरंसि चेव निकुडेभि जहाणं तुझं अदृदुहवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविजसि, तए णं से || कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं सप्परवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ, सोवि दोच्चपि तच्चपि भणइ कामदेवोवि जाव || ॥उपासकदशांग सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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