Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसगस्स महाविभाणस्स उत्तरपुरस्थिमेणं अरुणे विभाणे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ्णं अत्थेगइयाणं|| देवाणं चत्तारि पलिओवभाई ठिई ५०, तत्थ णं आणन्दस्सवि देवस्स चत्तारि पलिओवभाई ठिई ५०, आणन्दे गं भन्ते! देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएण० अणन्तरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उवजिहिइ?, गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ, निक्खेवो । १७॥ आणन्दज्झयणं १॥ जइ णं भन्ते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सम्पत्तेणं सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं पढमस्स अझयणस्स अयमढे पं० दोच्चस्सणं भन्ते! अन्झ्यणस्स के अटे पं०?, एवं खलु जम्बू! जेणं कालेणं० चम्पा नामं नयरी होत्था पुण्णभद्दे चेइए जियसत्तू राया कामदेवे गाहावई भद्दा भारिया छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ छ वुड्डिपउत्ताओ छ वुवित्थरपउत्ताओ छव्वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं समोसरणं जहा आणन्दो तहा निग्गओ तहेव सावयधम्म पडिवज्जइ सा चेव वत्तव्वया जाव जेट्टपुत्तं मित्तनाइ० आपुच्छिता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता जहा आणन्दो जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णतिं उवसम्पजित्ताणं विहरइ।१८। तए णं तस्स कामदेवस्स समणोवासगस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे मायी मिच्छादिट्ठी अन्तियं पाउब्भूए, तए णं से देवे एगं महं पिसायरुवं विउव्वइ तस्स णं देवस्स पिसायरुवस्स इमे एयारुवे वण्णावासे पं०, सीसं से गोकिलअसंठाणसंठियं (विगयकप्पयनिभं, वियडकोप्परनिभं पा० ) सालिभसेल्लसरिसा से केसा कविला तेएणं दिप्यमणा उट्टियाभल्लसंठाणसंठियं ॥ उपासकदशांगं सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65