Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
भगवओ महावीरस्स अन्तेवासी आणन्दे नाम समणोवासए पोसहसालाए अपच्छिम जाव अणवकङ्खमाणे विहरइ, तए णं तस्स गोयमस्स बरजणस्स अन्तिए एयं अटुं सोच्चा निसम्म अयमेयारुवे अझथिए० तं गच्छामि णं आणन्दं समणोवासयं पासामि एवं सम्मेहेइ त्ताजणेव कोलाए सन्निवेसे जेणेव आणन्दे समणोवासए जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, तए णं से आणन्दे समणोवासए भगवं गोयमं एजमाणं पासइ त्ता हट्ट जाव हिया भगवं गोयमं वन्दइ नमसइ त्ता एवं क्यासी एवं खलु भन्ते! अहं इमेणं उरालेणं जाव धमणिसन्तए जाए नो संचाएमि देवाणुप्पियस्स अन्तियं पाउभवित्ताणं तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाए अभिवन्दित्तए तुब् णं भन्ते! इच्छाकारेणं अणभिओयेणं इओ चेव एह जाणं देवाणुप्पियाणं तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाएसु वन्दामि नमसामि, तणणं से भगवं गोयमे जेणेव आणन्दे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ।१५। तणणं से आणंदे समणोवासए भगवओ गोयमस्स तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाएसु वन्दइ नमसइ त्ता एवं वयासी अस्थि णं भन्ते! गिहणो गिहम-झावसन्तस्स ओहिनाणे समुष्पजइ?, हन्ता अस्थि, जइ णं भन्ते! गिहिणो जाव समुप्पजइ एवं खलु भन्ते! ममवि गिहिणो गिहमझावसन्तस्स ओहिनाणे समुष्पन्ने, पुरच्छिमेणं लवणसमुद्दे पञ्चजोयणसयाई जाव लोलुयच्चुयं नरयं जाणामि पासामि, तए णं से भगवं गोयमे आणन्दं समणोवासयं एवं व्यासी अस्थिणं आणन्दा! गिहिणो जाव समुपज्जइ, नो चेव णं एअ महालये तं णं तुम आणन्दा! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव तवोकम्म पडिवजाहि, तए णं से आणन्दे समणोवासए भगवं गोयमं एवं व्यासी अस्थि णं भन्ते! जिणवयणे सन्ताणं तच्चाणं तहियाणं सब्भूयाणं भावाणं आलोइज्जइ जाव ॥ उपासकदशांग सूत्र।
| पू. सागरजी म. संशोधित ||
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65