Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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पडिवजाहि १८ तए णं सा सिवानन्दा भारिया आणन्देणं सभणोवासएणं एवं वुत्ता सभाणा हतुहा कोडुम्बियपुरिसे सदावेइ त्ता एवं|| वयासी खिय्यामेव लहुकरण जाव पज्जुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे सिवानन्दाए तीसे य महइ जाव धम्मं कहेइ (प्र० धम्मकहा), तए णंसा सिवानन्दा समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ट जाव गिहिधम्म पडिवजइत्ता तमेव धम्मियं जाणण्यवरं दूरूहइ त्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया।९। भन्ते! ति भगवं गोयमे सभणं भगवं महावीरं वन्दइ | नमंसइ त्ता एवं व्यासी-पहू णं भन्ते! आणन्दे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुण्डे जाव पव्वइत्तए? नो तिणढे समढे, गोयमा! आणन्दे णं सभणोवासए बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणिहिइ त्ता जाव सोहम्मे कप्पे अरूणे विमाणे देवत्ताए उववजिहिइ, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिईं पं०, सत्य णं आणन्दस्सवि समणोवासगस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई ५०, तए णं समणे भगवं महावीर अन्नया कयाई बहिया जाव विहर३।१०।तए णं से आणन्दे समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरइ, तएशंसा सिवानन्दा भारिया समणोवासिया जाया जाव पडिलाभमाणी विहरइ।११।तए णं तस्स आणन्दस्स समणोवासगस्स उच्चावरहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अपाणं भावमाणस्स चोहस्स संवच्छराई वइक्छन्दाई पण्णरसमस संवच्छरस्सअन्तरा वट्टमाणस्सअन्नया कयाई पुब्वरत्तावरत्तकालसमयंसिधम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारुवे अझथिए चिन्तिए पत्थिए मणोगए सङ्कथ्ये समुष्पजित्था एवं खलु अहं वाणियगामे नयरे बहूणं राईसर जाव सयस्सविय णं कुडुम्बस्स जाव
| पू. सागरजी म. संशोधित
॥ उपासकदशांग सूत्र।
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