Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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आधारे, तं एएणं विक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पजिताणं विहरित्तए, त सेयं खलु ममं कल्लं जाव जलन्ते विलं असणं० जहा पूरणो जाव जेटुपुत्तं कुडुम्बे ठवेत्ता तं मित्त जाव जेहपुत्तं च आपुच्छित्ता कोलाए सन्निवेसे नायकुलंसि पोसहसालं पडिलेहिता सणणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्यत्तिं उवसम्पजिताणं विहरित्तए, एवं सम्मेहेइ त्ता कलं० विउलं तहेव जिमियभुत्तुत्तरागए तं मित्त जाव विउलेणं पुष्फ० सकारेइ सम्माणेइ त्ता तस्सेव मित्त जाव पुरओ) जेट्टपुत्तं सदावेइत्ता एवं क्यासी एवं खलु पुत्ता! अहं वाणियगामे बहूणं राईसर जहां चिन्तियं जाव विहरित्तए, तं सेयं खलु ममं इदाणिं तुभं सयस कुडुम्बस्स आलम्ब० ठवेत्ता जाव विहरित्तए, तए णं जेट्टपुत्ते आणन्दस्स समणोवासगस्स तहत्ति एयभट्ट विणएणं पडिसुणेइ, तए णं से आणन्दे समणोवासए तस्सेव मित्त जाव पुरओ जेद्वपुत्तं कुडुम्बे ठवेइ त्ता एवं वयासी मा णं देवाणुपिया! तुब् | अजप्पभिई केई मम बहूसु कजेसु जाव पुच्छउ वा पडिपुच्छउ वा ममं उठाए असणं वा० उवक्खडेउ वा उवकरेउ वा, तए णं से आणन्दे समणोवासए जेटुपुत्तं मित्तनाइ० आपुच्छइ त्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खणइत्ता वाणियगामं नयरं मझमझेणं निग्गच्छइ त्ता जेणेव कोलाए सन्निवेसे जेणेव नायकुले जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता पोसहसालं पमज्जइ त्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ त्ता दब्भसंथारयं संथरइ त्ता दब्भसंथारयं दुरूहइ त्ता पोसहसालाए पोसहिए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ । १२॥ तए णं से आणंदे समणोवासए उवासगपडिमाओ उक्सभ्यजित्ताणं विहरइ, ॥उपासकदशांगं सूत्र
पू. सागरजी म. संशोधित
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