Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 597
________________ वियाहपण्णत्तिसुत्तं [स० २५ उ०४ ४४. नेरतिया णं० पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मपएसोगाढा जाव सिय कलियोगपएसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा वि जाव कलियोगपएसोगाढा वि। ४५. एवं एगिदिय-सिद्धवजा सव्वे वि। । ४६. सिद्धा एगिदिया य जहा जीवा। [सु. ४७-५४. जीव-चउवीसइदंडय-सिद्धेसु एगत्त-पुहत्तेहिं ठिई पडुच्च जुम्म भेयपरूवणं] ४७. जीवे णं भंते ! किं कडजुम्मसमयद्वितीए० पुच्छा। गोयमा ! कडजुम्मसमयहितीए, नो तेयोग०, नो दावर०, नो कलियोगसमयद्वितीये । ४८. नेरइए णं भंते !० पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयद्वितीय जाव सिय कलियोगसमयट्टितीए। ४९. एवं जाव वेमागिए। ५०. सिद्धे जहा जीवे । ५१. जीवा णं भंते !० पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेण वि विहाणादेसेण १५ वि कडजुम्मसमयद्वितीया, नो तेयोग०, नो दावर०, नो कलिओग० । ५२. नेरइया णं० पुच्छा। गोयमा ! ओषादेसेणं सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोगसमयद्वितीया; विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयद्वितीया वि जाव कलियोगसमयद्वितीया वि । ५३. एवं जाव वेमाणिया। ५४. सिद्धा जहा जीवा। [सु. ५५-६१. जीव-चउवीसइदंडएमु एगत्त-पुहत्तेहिं वण्णाइभावं पडुच्च जुम्मभेयपरूवणं] ५५. जीवे णं भंते! कालवण्णपज्जवेहिं किं कडजुम्मे० पुच्छा। गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च नो कडजुम्मे जाव नो कलियोगे; सरीरपएसे पडुच्च २५ सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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