Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text ________________
१०५०
वियाहपण्णत्तिसुत्तं [स० २५ उ०७ ८६. एवं अहक्खायसंजयस्स वि।
८७. एवं छेदोवट्ठावणिए वि। हेडिल्लेसु तिसु वि समं छट्ठाणपडिए, उवरिलेसु दोसु तहेव हीणे।
८८. जहा छेदोवट्ठावणिए तहा परिहारविसुद्धिए वि। ५ ८९. सुहुमसंपरागसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स परट्ठाण० पुच्छा। गोयमा ! नो हीणे, नो तुल्ले, अब्भहिए-अणंतगुणमब्भहिए ।
९०. एवं छेदोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिएसु वि समं सट्ठाणे सिय हीणे, नो तुल्ले, सिय अब्भहिए। जदि हीणे अणंतगुणहीणे। अह अब्भहिए अणंतगुणमब्भहिए।
९१. सुहमसंपरायसंजयस्स अहक्खायसंजयस्स य परट्ठाण० पुच्छा। गोयमा ! हीणे, नो तुले, नो अब्भहिए; अणंतगुणहीणे ।
९२. अहक्खाते हेट्ठिलाणं चउण्ह वि नो हीणे, नो तुल्ले, अब्भहिएअणंतगुणमब्भहिए। सट्ठाणे नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए।
___९३. एएसि णं भंते ! सामाइय-छेदोवद्यावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहुम१५ संपराय-अहक्खायसंजयाणं जहन्नुक्कोसगाणं चरित्तपजवाणं कयरे कयरेहिंतो जाव
विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सामाइयसंजयस्स छेदोवठ्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला सव्वत्थोवा, परिहारविसुद्धियसंजयस्स जहन्नगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा, तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जवा
अणंतगुणा। सामाइयसंजयस्स छेओवट्ठावणियसंजयस्स य, एएसि णं उक्कोसगा २० चरित्तपन्जवा दोण्ह वि तुल्ला अणंतगुणा। सुहुमसंपरायसंजयस्स जहन्नगा
चरित्तपजवा अणंतगुणा, तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा। अहक्खायसंजयस्स अजहन्नमणुक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा। [दारं १५]।
[सु. ९४-९६. सोलसमं जोगदारं-पंचविहसंजएसु जोगपरूवणं]
९४. सामाइयसंजए णं भंते! किं सजोगी होजा, अजोगी होज्जा ? २५ गोयमा ! सजोगी जहा पुलाए (उ० ६ सु० ११७)।
९५. एवं जाव सुहुमसंपरायसंजए। . ९६. अहक्खाए जहा सिणाए। (उ० ६ सु० १२०) [दारं १६]।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679