Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 662
________________ सु० १५१-७६] संजयभेएसु २९-३२ काल-अंतर-समुग्घाय-खेतदाराई १०५७ [सु. १६४-७०. तीसइमं अंतरदारं-पंचविहसंजएसु एगत्त-पुहत्तेणं कालंतरपरूवणं] १६४. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतर होइ १ गोयमा ! जहन्नेणं० जहा पुलागस्स (उ० ६ सु० २०७)। १६५. एवं जाव अहक्खायसंजयस्स। १६६. सामाइयसंजयाणं भंते ! • पुच्छा। गोयमा ! नत्थंतरं । १६७. छेदोवट्ठावणियाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं तेवढ़ि वाससहस्साई, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ। १६८. परिहारविसुद्धियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहन्नेणं चउरासीति वाससहस्साई, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ। १६९. सुहुमसंपरागाणं जहा नियंठाणं (उ० ६ सु० २१३)। १७०. अहक्खायाणं जहा सामाइयसंजयाणं। [दारं ३०]। [सु. १७१-७५. इगतीसइमं समुग्धायदारं-पंचविहसंजएसु समुग्घायपरूवणं] १७१. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! कति समुग्धाया पन्नत्ता १ गोयमा ! १५ छ समुग्घाया पन्नत्ता, जहा कसायकुसीलस्स (उ०६ सु० २१८)। १७२. एवं छेदोवट्ठावणियस्स वि। १७३. परिहारविसुद्धियस्स जहा पुलागस्स (उ० ६ सु० २१५)। , १७४. सुहुमसंपरायस्स जहा नियंठस्स (उ० ६ सु० २१९)। १७५. अहक्खातस्स जहा सिणायस्स (उ० ६ सु. २२०)। २० [दारं ३१]। [सु. १७६-७८. बत्तीसइमं खेत्तदारं-पंचविहसंजएसु ओगाहणाखेत्तपरूवणं] . १७६. सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स किं संखेजतिभागे होजा, १. क्खायसंजयाणं ला ४॥ . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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