Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 660
________________ १०५५ सु० १२९-५०] संजयभेएसु २४-२८ उपसंपजहणाइदारपंचगं १३८. एवं जाव सुहुमसंपराए। १३९. अहक्खाए जहा सिणाए (उ० ६ सु० १८०)। [दारं २६] । [सु. १४०-४३. सत्तावीसइमं भवदारं-पंचविहसंजएसु भवग्गणपरूवणं] १४०. सामाइयसंजए णं भंते ! कति भवग्गहणाइं होज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं एकं, उक्कोसेणं अट्ठ। . १४१. एवं छेदोवट्ठावणिए वि। १४२. परिहारविसुद्धिए० पुच्छा। गोयमा ! जहन्नेणं एकं, उक्कोसेणं तिन्नि। १४३. एवं जाव अहक्खाते। [दारं २७]। [सु. १४४-५३. अट्ठावीसइमं आगरिसदारं-पंचविहसंजएमु . १० एगभवग्गहणिय-नाणाभवग्गहणियआगरिसपरूषणं] १४४. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! एगभवग्गहणिया केवतिया आगरिसा पन्नत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं० जहा बउसस्स (उ० ६ सु० १८८)। १४५. छेदोवट्ठावणियस्स० पुच्छा। गोयमा ! जहन्नेणं एको, उक्कोसेणं वीसपुहत्तं। - १४६. परिहारविसुद्धियस्स० पुच्छा। गोयमा ! जहन्नेणं एक्को, उक्कोसेणं तिन्नि। १४७. सुहुमसंपरायस्स० पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं एको, उक्कोसेणं चत्वारि। १४८. अहक्खायस्स० पुच्छा। गोयमा ! जहन्नेणं एको, उक्कोसेणं २० 'दोनि। १४९. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! नाणाभवग्गहणिया केवतिया आगरिसा पत्नत्ता १ गोयमा ! जहा बउसे (उ० ६ सु० १९३)। १५०. छेदोवट्ठावणियस्स० पुच्छा। गोयमा ! जहन्नेणं दोन्नि, उक्कोसेणं उवरि नवण्हं सयाणं अंतोसहस्सस्स। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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