Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 654
________________ १०४९ सु० ६३-८५] संजयमेएसु १४-१५ संजम-निकासदाराई ७६. एवं जाव परिहारविसुद्धियस्स। ७७. सुहमसंपरायसंजयस्स० पुच्छा। गोयमा ! असंखेजा अंतोमुहुत्तिया संजमठाणा पन्नत्ता। ७८. अहक्खायसंजयस्स० पुच्छा। गोयमा ! एगे अजहन्नमणुक्कोसए संजमठाणे। ७९. एएसि णं भंते ! सामाइय-छेदोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहुमसंपराय-अहक्खायसंजयाणं संजमठाणाणं कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे अहक्खायसंजयस्स एगे अजहन्नमणुकोसए संजमट्ठाणे, सुहुमसंपरागसंजयस्स अंतोमुहुत्तिया संजमठाणा असंखेज्जगुणा, परिहारविसुद्धियसंजयस्स संजमठाणा असंखेजगुणा, सामाइयसंजयस्स छेदोवट्ठावणियसंजयस्स १० य एएसि णं संजमठाणा दोण्ह वि तुल्ला असंखेज्जगुणा। [दारं १४] । [सु. ८०-९३. पणरसमं निकासदारं-पंचविहसंजएसु चरित्तपञ्जवपरूवणाह] [सु. ८०-८१. पंचविहसंजएसु अणंतचरित्तपजवपरूवणं] ८०. सामाइयसंजतस्स णं भंते ! केवतिया चरित्तपन्जवा पन्नत्ता ? गोयमा ! अणंता चरित्तपन्जवा पन्नत्ता । ८१. एवं जाव अहक्खायसंजयस्स। [सु. ८२-९२. पंचविहसंजएसु सट्ठाण-परट्ठाणचरित्तपजवेहिं हीण-तुल्ल-अब्भहियपरूवणं] ८२. सामाइयसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स सट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे, तुल्ले, अब्भहिए ? गोयमा ! सिय हीणे०, छट्ठाणवडिए। २० ८३. सामाइयसंजए णं भते! छेदोवट्ठावणियसंजयस्स पराठाणसन्निगासेणं चरित्तपजवेहिं० पुच्छा। गोयमा ! सिय हीणे०, छट्ठाणवडिए। ८४. एवं परिहारविसुद्धियस्स वि। ८५. सामाइयसंजए णं भंते! सुहुमसंपरायसंजयस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवे० पुच्छा। गोयमा ! हीणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए; अणंतगुणहीणे। २५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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