Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सु० १४५-७०] परमाणुपोग्गलाईसु ओगाहणाइ पडुश्च जुम्मभेयपरूवणं १००३ । देसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोय०, नो दावर०, नो कलियोग०; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा, णो तेयोग०, नो दावर०, कलियोगपएसोगाढा।
१६०. दुपएसिया णं० पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोग०, नो दावर०, नो कलिओग०; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोगपएसोगाढा, दावरजुम्मपएसोगाढा वि, कलियोगपएसोगाढा वि।
१६१. तिपएसिया णं० पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोय० नो दावर०, नो कलि०, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा, तेयोगपएसोगाढा वि, दावरजुम्मपएसोगाढा वि, कलियोगपएसोगाढा वि।
१६२. चउपएसिया णं० पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपए. सोगाढा, नो तेयोग०, नो दावर०, नो कलिओग०; विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसो- १० गाढा वि जाव कलियोगपएसोगाढा वि । • १६३. एवं जाव अणंतपएसिया।
१६४. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं कडजुम्मसमयद्वितीए० पुच्छा । गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयद्वितीए जाव सिय कलियोगसमयद्वितीए ।
१६५. एवं जाव अणंतपएसिए।
१६६. परमाणुपोग्गला णं भंते! किं कडजुम्मसमयद्वितीया० पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोगसमयद्वितीया; विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयद्वितीया वि जाव कलियोगसमयद्वितीया वि।
१६७. एवं जाव अणंतपएसिया।
१६८. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालवण्णपज्जवेहिं किं कडजुम्मे, २० तेयोगे० १ जहा ठितीए वत्तव्वया एवं वण्णेसु वि सव्वेसु, गंधेसु वि।
१६९. एवं चेव रसेसु वि जाव महुरो रसो ति।
१७०. अणंतपएसिएं णं भंते ! खंधे कक्खडफासपज्जवेहिं किं कडजुम्मे० पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे। १. "इह कर्कशादिस्पर्शाधिकारे यद् अनन्तप्रदेशिकस्यैव स्कन्धस्य ग्रहणं तत् तस्यैव बादरस्य कर्कशादिस्पर्शचतुष्टयं भवति, न तु परमाण्वादेरित्यभिप्रायेणेति। अत एवाह-सीओसिणनिद्धलुक्खा जहा वन्न (सू० १७३) त्ति एतत्पर्यवाधिकारे परमाण्वादयोऽपि वाच्या इति भावः" अवृ०॥
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