Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सु० ६-१८] नियंठभेएसु २-३ वेय-रागदाराई
१०१९ पुरिसनपुंसगवेयए होन्जा १। गोयमा ! नो इथिवेयए होज्जा, पुरिसवेयए होज्जा, पुरिसंनपुंसगवेयए वा होजा। . .
१२. [१] बउसे णं भंते ! किं सवेयए होजा, अवेयए होज्जा ? गोयमा ! सवेदए होज्जा, नो अवेदए होजा।
[२] जइ सवेयए होजा किं इत्थिवेयए होजा, पुरिसवेयए होजा, ५ पुरिसनपुंसगवेयए होज्जा ? गोयमा! इत्थिवेदए वा होज्जा, पुरिसवेयए वा होजा, पुरिसनपुंसगवेयए वा होजा।
१३. एवं पडिसेवणाकुसीले वि।
१४. [१] कसायकुसीले णं भंते! किं सवेयए० पुच्छा। गोयमा ! सवेयए वा होजा, अवेयए वा होजा।
[२] जइ अवेयए कि उवसंतवेयए, खीणवेयए होज्जा ? गोयमा ! उवसंतवेयए वा, खीणवेयए वा होज्जा।
[३] जति सवेयए होजा किं इत्थिवेदए होजा० पुच्छा। गोयमा ! तिसु वि जहा बउसो।
१५. [१] णियंठे णं भंते! किं सवेयए० पुच्छा। गोयमा ! नो सवेयए १५ होजा, अवेदए होजा।
[२] जइ अवेयए होजा कि उवसंत० पुच्छा । गोयमा ! उवसंतवेयए वा होज्जा, खीणवेयए वा होज्जा।
१६. सिणाए णं भंते ! किं सवेयए होजा० १ जहा नियंठे तहा सिणाए वि, नवरं नो उवसंतवेयए होज्जा, खीणवेयए होज्जा । [दारं २]। २० [सु. १७-२०. तइयं रागदारं-पंचविहनियंठेसु सरागत्त-चीयरागत्तपरूवणं]
१७. पुलाए णं मंते ! किं सरागे होजा, वीयरागे होजा ? गोयमा ! सरागे होजा, नो वीयरागे होजा।
१८. एवं जाव कसायकुसीले ।
१. "पुरिसनपुंसगवेयए ति पुरुषः सन् यो नपुंसकवेदको वर्द्धितकत्वादिभावेन भवत्यसौ पुरुषनपुंसकवेदकः, न स्वरूपेण नपुंसकवेदक इति यावत्" अवृ०॥
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