Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सु० १-१६] पढमे पण्णवणदारे संजयभेया, तेसु २-३ वेद-रागदाराइं १०४३
[सु. ७-११. पंचविहसंजयसरूवपरूवणं] ७. सामाइयम्मि उ कए चाउज्जामं अणुत्तरं धम्मं ।
तिविहेण फासयंतो सामाइयसंजयो स खलु ॥१॥ ८. छेत्तूण ये परियागं पोराणं जो ठवेइ अप्पाणं ।
धम्मम्मि पंचजामे छेदोवट्ठावणो स खलु ॥२॥ ९. परिहरति जो विसुद्धं तु पंचजामं अणुत्तरं धम्म ।
तिविहेण फासयंतो परिहारियसंजयो स खलु ॥३॥ १०. लोभाणुं वेदेंतो जो खलु उवसामओ व खवओ वा।
सो सुहुमसंपराओ अहखाया ऊणओ किंचि ॥ ४॥ ११. उवसंते खीणम्मि व जो खलु कम्मम्मि मोहणिजम्मि। १० छउमत्थो व जिणो वा अहखाओ संजओ स खलु ॥५॥
[दारं १]। [सु. १२-१५. विइयं ददारं-पंचविहसंजएसु इत्थिवेदाइवेदपरूवणं]
१२. सामाइयसंजये णं भंते ! किं सवेयए होजा, अवेयए होजा? गोयमा! सवेयए वा होजा, अवेयए वा होजा। जति सवेयए एवं जहा १५ कसायकुसीले (उ०६ सु० १४) तहेव निरवसेसं ।
१३. एवं छेदोवठ्ठावणियसंजए वि। १४. परिहारविसुद्धियसंजओ जहा पुलाओ (उ०६ सु० ११)।
१५. सुहुमसंपरायसंजओ अहक्खायसंजओ य जहा नियंठो (उ०६ सु० १५)। [दारं २]। [सु. १६-१८. तइयं रागदारं-पंचविहसंजएसु सरागत्त-धीवरागत्तपरूवणं]
१६. सामाइयसंजए णं भंते! किं सरागे होजा, वीयरागे होजा ? गोयमा! सरागे होजा, नो वीयरागे होज्जा।
२०
१. तिविहेणं फासंतो ला ४॥ २. तु ला १ मु०॥ ३. लोहमणु वेययंतो ला ४ । लोभाणु वेययंतो मु०॥
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