Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text ________________
१०४०
वियाहपण्णत्तिसुत्तं [सं० २५ उ०६ २१९. नियंठस्स गं० पुच्छा । गोयमा ! नत्थि एको वि।
२२०. सिणायस्स० पुच्छा। गोयमा ! एगे केवलिसमुग्घाते पन्नत्ते। [दारं ३१]। [सु २२१-२३. बत्तीसइमं खेत्तदारं-पंचविहनियंठे
ओगाहणाखेत्तपरूवणं] २२१. पुलाए णं भंते ! लोगस्स किं संखेजतिभागे होजा, असंखेन्जतिभागे होजा, संखेजेसु भागेसु होजा, असंखेजेसु भागेसु होजा, सव्वलोए होजा १ गोयमा ! नो संखेजतिभागे होजा, असंखेजइभागे होज्जा, नो संखेजेसु
भागेसु होजा, नो असंखेज्जेसु भागेसु होजा, नो सव्वलोए होजा । १० २२२. एवं जाव नियंठे।
२२३. सिणाए णं भंते !० पुच्छा। गोयमा ! नो संखेजतिभागे होजा, असंखेजतिभागे होज्जा, नो संखेजेसु भागेसु होजा, असंखेजेसु भागेसु होजा, सव्वलोए वा होजा। [दारं ३२]।
[सु. २२४. तेत्तीसइमं फुसणादारं-पंचविहनियंठेसु खेत्तफुसणापरूषणं] १५ २२४. पुलाए णं भंते! लोगस्स किं संखेजतिमागं फुसति, असंखे
जतिमागं फुसइ० १. एवं जहा ओगाहणा भणिया तहा फुसणा वि भाणियव्वा जाव सिणाये। [दारं ३३]। [सु. २२५-२८. चोत्तीसइमं भावदारं-पंचविहनियंठेसु ओषसमियाइभाव
परूवणं] २२५. पुलाए णं भंते ! कयरम्मि भावे होजा १ गोयमा ! खयोवसमिए भावे होज्जा।
२२६. एवं जाव कसायकुसीले।
२२७. नियंठे० पुच्छा। गोयमा ! ओवसमिए वा खइए वा भावे होजा। १. “स्पर्शना क्षेत्रवत् , नवरं क्षेत्रम् अवगाढमात्रम् , स्पर्शना तु अवगाढस्य तत्पार्श्ववर्तिनश्चेति विशेषः" अव०॥ २. खतिए जे० ला १॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679