Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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श्री रिखबचन्दजी सा. के तीन सुपुत्र हैं—१. श्री शान्तिलालजी, २. श्री उत्तमचन्दजी और ३. श्री कैलाशचन्दजी । एक सुपुत्री चपलाकंबर बाई हैं ।
प्रायः देखा गया है कि संसार में दुर्जनों की अपेक्षां सत्पुरुष-सज्जन अल्पजीवी होते हैं। श्री रिखबचन्दजी सा. पर भी यह नियम घटित हुआ। आप ४३ वर्ष की अल्प आयु में ही स्वर्गवासी हो गए। हृदयगति रुक जाने से आपका अवसान हो गया।
आपने अपनी अल्प आयु में भी समाज की महत्त्वपूर्ण सेवा की। अनेकानेक संस्थाओं को दान दिया । जो भी आपके द्वार पर आता, निराश होकर नहीं लौटता था ।
आप स्व. पूज्य स्वामीजी श्रीव्रजलालजी महाराज तथा स्व. युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी महाराज के परम निष्ठावान् भक्त थे । आगम प्रकाशन के महान् भगीरथ कार्य में भी आप श्री का सहकार मिलता रहा । प्रस्तुत आगम के प्रकाशन में विशिष्ट सहयोग आपसे प्राप्त हुआ है।
चेन्नई का आपका पता
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एस. रिखबचन्द एण्ड सन्स,
रामानुज अय्यर स्ट्रीट, साउकार पेट, चेन्नई - ६००
०७९
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ज्ञानचन्द विनायकिया - मंत्री
श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राज.)