Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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अपरिभूए रिउव्वेय जाव सुपरिनिहिए यावि होत्या, तए णं से बहुले माहणे कत्तियचाउम्भासियपाडिवगंसि विउलेणं मध्यसंजुत्तेणं| परमण्णेणं भाहणे आयामेत्था, तए णं अहं गोयमा! चउत्थमासक्खमणपारणगंसि तंतुवायसालाओ पडिनिक्खमामि ना णालंद बाहिरियं मझमझेणं निगच्छामि त्ता जेणेव कोल्लाए संनिवेसे तेणेव उवागच्छामि त्ता कुल्लाए सत्रिवेसे उच्चनीय जाव अडमाणस्स बहुलस्स माहणस्स गिहं अणुप्पविद्वे तए णं से बहुले माहणे मम एजमाणं तहेव जाव ममं विउलेणं मध्यसंजुत्तेणं परमन्त्रेणं पडिलाभेस्सामीति तुट्टे सेसं जहा विजयस्स जाव बहुले माहणे २, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं तंतुवायसालाए अपासमाणे रायगिहे नगरे सब्भितरबाहिरियाए ममं सव्वओ समंता भग्गणगवेसणं करेति ममं कथवि सुतिं वा खुतिं वा पवत्तिं वा अलभमाणे जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छइ साडियाओ य पा(भं पा०) डियाओ य कुंडियाओ य पाहणाओ य चित्तफलगं च माहणं आयामेति त्ता सउत्तरोढे मुंडं कारेति त्ता तंतुवायसालाओ पडिनिक्खमति त्ता णालंदं बाहिरियं मझूमझेणं निग्गच्छइ त्ता जेणेव कोल्लागसन्निवेसे तेणेव उवागच्छइ, तए णं तस्स कोल्लागस्स संनिवेसस्स बहिया २ बहुजणो अन्नमनस्स एवमाइक्खति जाव परूवेति धन्ने णं देवाणुप्पिया! बहुले माहणे तं चेव जाव जीवियफले बहुलस्स माहणस्स २, तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स बहुजणस्स अंतियं एयमढे सोच्चानिसम्म अयमेयारूवे अब्भस्थिए जावसमुप्पजित्था जारिसिया णं ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवओ महावीरस्स इड्ढी जुत्ती जसे बले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमन्त्रागए नो खलु अस्थि तारिसिया | ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित ।।
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