Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobetirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पुढवीसिलापट्टओ, तस्स णं सालकोढगस्स चेइयस्स अदूरसामंते एत्थणं महेगे मालुयाकच्छए यावि होत्था किण्हे किण्होभासे जाव|| निकुंरबभूए पत्तिए पुष्फिए फलिए हरियगरेरिजमाणे सिरीए अतीव २ उसोभेमाणे चिट्ठति, तत्थ् णं मेंढियगामे नगरे रेवती नाम गाहावइणी परिवसति अड्ढा जाव अपरिभूया, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कदायि पुव्वाणुपुब्दि चरमाणे जाव जेणेव भेढियगामे नगरे जेणेव साण(ल)कोटे चेइए जाव परिसा पडिगया, तए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स सरीरगंसि विपुले रोगायंके | पाउब्भूए उज्जले जाव दुरहियासे पित्तजरपरिगयसरीरे दाहवक्लीए यावि विहरति, अवियाई लोहियवच्चाइपि पकरेइ, चाउव्वत्रं वागरेति एवं खलु समणे भ० महा० गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं अनाइटे समाणे अंतो छण्हं भासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवकंतीए छउम्त्थे चेव कालं करेस्सति, तेणं कालेणं० सभणस्स भग० महा० अंतेवासी सीहे नाम अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए मालुयाकच्छगस्स अदूरसामंते छटुंछटेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढे बाहर जाव विहरति, तए णं तस्स सीहस्स अणगारस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे जाव समुपज्जित्था एवं खलु ममं धम्मायरियस धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवओ महावीरस्सा सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउब्भूए उज्जले जाव छउमत्थे चेव कालं करिस्सति, वदिस्संति यणं अन्नतिथिया छउम्त्थे चेव कालगए, इमेणं एयारूवेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे आयावणभूमीओ पच्चोरूभइ त्ता जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवा० त्ता मालुयाकच्छगं अंतो २ अणुपविसइ त्ता महया २ सद्देणं कुहुकुहुस्स परून्ने, अजोत्ति समणे भगवं महावीरे समणे निग्गंथे ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283