Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 278
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | ते नियमं एगिंदियदेसा य अणिंदियदेसा य अहवा एगिंदियदेसा य अनिंदिय० बेंदियस्स य देसे अहवा एगिंदियदेसा य अणिंदियदेसा य बेंदियाण य देसा, एवं मज्झिल्लविरहिओ जाव पंचिंदि०, जे जीवप्पएसा ते नियमं एगिंदियम्पएसा य अणिदियम्पएसा य अहवा एगिंदियम्पएसा य अणिंदियम्पएसा य बेंदियम्पदेसा य अहवा एगिंदियम्पएसा य अनिंदियम्पएसा य बेइंदियाण य पएसा, एवं आदिल्लविरहिओ जाव पंचिंदियाणं, अजीवा जहा दसमसए तमाए तहेव निरवसेसं, लोगस्स णं भंते ! हेट्ठिल्ले चरिमंते किं जीवा०?, पुच्छा, गोयमा! नो जीवा जीवदेसावि जाव अजीवप्पएसावि, जे जीवदेसा ते नियमं एगिंदियदेसा अहवा एगिंदियदेसा य बेइंदियस्स देसे अहवा एगिंदियदेसा य बेंदियाण य देसा एवं मज्झिल्लविरहिओ जाव अणिदियाणं पदेसा आइल्लविरहिया सव्वेसिं जहा पुरच्छिभिल्ले चरिमंते तहेव, अजीवा जहेव उवरिल्ले चरिमंते तहेव, इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते किं जीवा०?, गोयमा ! नो जीवा एवं जहेव लोगस्स तहेव चत्तारिवि चरिमंता जाव उत्तरिल्ले, उवरिल्ले तहेव जहा दसमसए विमला दिसा तहेव निरवसेसं, हेट्ठिल्ले चरिमंते तहेव नवरं देसे पंचिंदिएसु तियभंगो सेसं तं चेव, एवं जहा रयणप्पभाए चत्तारि चरमंता भणिया एवं सक्करम्पभाए वि, उवरिमहेट्ठिल्ला जहा रयणप्पभाए हेट्ठिल्ले, एवं अहेसत्तमाए, एवं सोहम्मस्सवि जाव अच्चुयस्स, गेवेज्जविमाणाणं एवं चेव, नवरं उवरिमहे द्विल्लेसु चरमंतेसु देसेसु पंचिंदियाणवि मज्झिल्लविरहिओ चेव सेसं तहेव, एवं जहा गेवेज्जविमाणा तहा अणुत्तरविमाणावि ईसिप भारावि । ५८४) परमाणुपोग्गले णं भंते! लोगस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरिमंताओ पच्चच्छिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ २६७ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 276 277 278 279 280 281 282 283