Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 267
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassa garsuri Gyanmandir जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति?, गोयमा! से जहानामए केई पुरिसे जुने जराजज्जरियदेहे सिढिलत्यावलितरंगसंपिणद्धगते पविरलपरिसडियदंतसेढी उहाभिहए आउरे झुझिए पिवासिए दुब्बले किलते एगं महं कोसंबगंडियं सुकं जडिलं गंठिलं चिक्कणं वाइद्धं अपत्तियं मुंडेण परसुणा अवकभेजा, तए णं से पुरिसे महंताई २ सद्दाई करेइ नो महंताई २ दलाई अवदालेइ, एवामेव गोयमा! नेरइयाणं पावाई कम्माई गाढीकयाई चिक्कणीकयाई एवं जहा छट्ठसए जाव नो महापजवसाणा भवंति, से जहानामए केई पुरिसे अहिकरणिं आउडेमाणे महया जाव नो महापज्जवसाणा भवंति, से जहानामए केई पुरिसे तरुणे बलवं जाव मेहावी निउणसियोवगए एगं महं सामलिगंडियं उल अजडिलं अगंठिलं अचिक्कणं अवाइद्धं सपत्तियं तिक्खेण परसुणा अक्कमेजा, एणं से पुरिसे नो महंताई २ सदाई करेति महंताई २ दलाई अवदालेति, एवामेव गोयमा! सभणाणं निग्गंथाणं अहाबादराई कम्माई सिढिलीक्याई णिद्वियाई जाव खिय्यामेव परिविद्धत्थाई भवंति जावतियं० सावतियं जाव महापज्जवसाणा भवंति, से जहा वा केई पुरिसे सुक्क तणहत्थगं जायतेयंसि पक्खिवेजा एवं जहा छट्ठसए तहा अयोकडिल्लेऽवि जाव महा५० भवंति, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ जावतियं| अनइलायए समणे निग्गंथे कम्मं नि० तं चेव जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति सेवं भंते! सेव भंते! जाव विहर३ १५७३॥श० १६ ३०४॥ तेणं काले० उल्लुयतीरे नामं नगरे होत्था वनओ, एगजंबूए चेइए वनओ, तेणं कालेणं० साभी समोसढे जाव परिसा पज्जुवासति, ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal Use Only

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