Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 256
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||तओऽणंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चपि मच्छेसु उववजिहिति, तत्थविणं सत्यवझे जाव किच्चा छट्ठीए तमाए पुढवीए उक्कोसकालद्विइयंसि|| नरगंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति, से णं तओहिंतो जावउव्वट्टित्ता इस्थियासु उववजिहिति, तत्थविणं सत्थवझे दाह जाव दोच्चपि छट्ठीए तमाए पुढवीए उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता दोच्चंपि इत्थियासु उवव०, तत्थविणं सत्थवझे जावकिच्चा पंचमाए धूमप्यभाए पुढवीए उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता उरएसु उववजिहिति, तत्यवि णं सत्थवझे जाव किच्चा दोच्चपि पंचमाए जाव उव्वहित्ता दोच्चंपि उरएसु उववजिहिति जाव किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालद्वितीयंसि जाव उव्वट्टिता सीहेसु उववजिहिति|| तत्थवि णं सत्थवझे तहेव जाव किच्चा दोच्चपि चउत्थीए पंक जाव उव्वट्टित्ता दोच्चंपि सीहेसु उवव० जाव किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए उकासकाल जाव उव्वट्टित्ता पक्खीसु उवव० तत्थविणं सत्यवझे जाव किच्चा दोच्चिपि तच्चाए वालुय जाव उव्वट्टित्ता दोच्चंपि पक्खीसु उवव० जाव किच्चा दोच्चाए सकरप्पभाए जाव उव्वट्टित्ता सरिसवेसु उवव० तत्थविणं सत्थ जाव किच्चा दोच्चंपि दोच्चाए सक्करप्यभाए जाव उव्वट्टित्ता दोच्चिंपि सरिसवेसु उवव० जाव किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालद्वितीयंसि नगंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति जाव उव्वट्टित्ता सण्णीसु उवव० तत्थविणं सत्थवझे जाव किच्चा असत्रीसु उववजिहिति, तत्थवि णं सत्थवझे जाव किच्चा दोच्चंपिइमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पलिओवमस्स असंखेजइभागद्वितीयंसिणगंसि नेइयत्ताए उववजिहिति, सेणंतओ जाव उव्वट्टित्ता जाई इमाईखहयरविहाणाई भवंति,०-चम्मपक्खीणंलोमपक्कीणं समुम्गपक्खीणं विययपक्खीणं,तेस | ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ । पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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