Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 259
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एवं विजुकुमारेसु, एवं अग्गिकुमारवज जाव दाहिणिल्लेसु थणियकुमारेसु, सेणं तओ जाव उव्वट्टित्ता माणुस्सं विगह लभिहिति जाव विराहियसामन्ने जोइसिएसु देवेसु उववजिहिति, सेणं तओ अणंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विगह लभिहिति जाव विराहियसामने कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवताए उववजिहिति,से गंतओहिंतो अणंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति केवलं बोहिं बुझिहिति, तत्थवि णं अविराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे देवत्ताए उववजिहिति, से णं तओ चइत्ता/ माणुस्सं विगह लभिहिति, तत्थवि णं अविराहियसामने कालभासे कालं किच्चा सणंकुमारे कप्पे देवत्ताए उववजिहिति, से गं तओहितो एवं जहा सणंकुमारे तहा बंभलोए महासुक्के आणए आरणे, से णं तओ जाव अविराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा सवठ्ठसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववजिहिति, से णं तओहितो अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे जाइं इमाई कुलाई भवंति तं०अड्ढाई जाव अपरिभूयाई, तहप्पगारेसु कुलेसु पुत्तत्ताए पच्चायाहिति, एवं जहर उववाइए दढप्पइन्नवत्तव्वया सच्चेव वत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पजिहिति, तए णं से दढप्पइन्ने केवली अपणो तीअद्धं आभोएहिइ त्ता समणे निगंथे सद्दावेहिति त्ता एवं वदिहिइ एवं खलु अहं अजो! इओ चिरातीयाए अद्धाए गोसाले नामं मंखलिपुत्ते होत्था समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए तम्मूलगंचणं अहं अजो! अणादीयं अणवदग्गंदीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारंअणुपरियट्टिए, तंमा णं अज्जो! तुझं केयि भवतु आयरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए आयरिययउवझायाणं अयसकारए अवन्नकारए अकित्तिकारए, माणं |॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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