Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 257
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता २ तत्थेव २ भुज्जो २ पच्चायाहिति, सव्वत्थवि णं सत्थवझे दाहवक्तीए, कालभासे कालं किच्चा।। जाई इमाई भुयपरिसप्पविहाणाई भवंति, तं०-'गोहाणं नउलाणं जहा पत्रवणापए जाव जाहगाणं तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो सेसंजहा/ खहचाणं जाव किच्चा जाई इमाई उत्परिसप्पविहाणाई भवंति, तं०-अहीणं अयगराणं आसालियाणं महोरगाणं, तेसु अणेगसयसह जावकिच्चा जाई इमाई चउप्पदविहाणाई भवंति, तं०-एगखुराणं दुखुराणं गंडीपदाणं सणहपदाणं, तेसु अणेगसयसहस्स जाव किच्चा जाई इमाई जलयरविहाणाई भवंति तं० मच्छाणं कच्छभाणं जाव सुसुमाराणं, तेसु अणेगसयसह जाव किच्चा जाई इमाई चरिदियविहाणाइं भवंति,०-अंधियाणं पोत्तियाणं जहा पत्रवणापदे जाव गोमयकीडाणं, तेसु अणेगसयसह जाव किच्चा जाई इमाई तेइंदियविहाणाई भवंति, तं०-उवचियाणं जाव हथिसोंडाणं, तेसु अणेग जाव किच्चा जाई इमाई बेइंदियविहाणाई भवंति तं० पुलाकिमियाणं जाव समुद्दलिक्खाणं, तेसु अणेगसय जाव किच्चा जाई इमाई वणस्सइविहाणाई भवंति, तं०-रुक्खाणं गुच्छाणं जाव कुहणाणं, तेसु अणेगसय जाव पच्चाजाइस्सइ, उस्सनं च णं कडुयरुक्खेसुकडुयवल्लीसु, सव्वत्थविणं सत्यवझे जाव किच्चा जाई इमाई वाउचाइयविहाणाई भवंति, तं०-पाईणवायाणंजावसुद्धवायाणं, तेसुअणेगसयसहस्स जाव किच्चा जाई इमाई तेउवाइयविहाणाई| भवंति, तं०-इंगालाणं जाव सूरकंतमणिनिस्सियाणं, तेसु अणेगसयसह जाव किच्चा जाई इमाई आउकाइयविहाणाई भवंति, तं० उस्साणं जाव खातोदगाणं, तेसु अणेगसयसह जाव पच्चायातिस्सइ, उस्सण्णं च णं खारोदएसु खातोदएसु, सव्वत्थविणं सत्थवझे ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥ २४६/ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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