Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 246
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वदह नो खलु देवाणुप्पिया! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए, एसणं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते सभणधायए जाव छउत्थे चेव कालगए, समणे भगवं महावीर जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ, महया अणिड्ढीअसक्कारसमुदएणं ममं सरीरगस्स नीहरणं करेजाह, एवं वदित्ता कालगए । ५५५। तए णं आजीविया थे। गोसालं मंखलिपुत्तं कालगयं जाणित्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स दुवाराई पिहेंति त्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स बहुमझदेसभाए सावत्थिं नगारि आलिहंति त्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं वामे पादे सुंबेणं बंधति त्ता तिक्खुत्तो मुहे उद्बुहंति त्ता सावत्थीए नगरीए सिंग्घाडगजावपहेसु आकट्ठिविकढ़ि करमाणा णीयं २ सद्देणं उग्धोसेमाणा २ एवं वयासी नो खलु देवाणुप्पिया! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए, एसणं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणधायए जाव छउभत्थे चेव कालगए, सम० भ० महा० जिणे जिणप्प जाव विहरइ, एवं सवहपडिमोक्खणगं करेंति त्ता दोच्चंपि पूयासकारथिरीकरणट्टयाए गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स वामाओ पादाओ सुंबं मुयंति त्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स दुवारवयाइं अवगुणंति त्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं सुरभिणा गंधोदएणं ण्हाणेति तं चेव जाव महया इड्ढिसकारसमुदएणं गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगस्स नीहरणं करेंति १५५६। तए णं सम० भ० ५० अन्नया कदाई सावत्थीओ नगरीओ कोट्टयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमति त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ, तेणं कालेणं० मेंढियगामे नाम नगरं होत्था वनओ, तस्सणं मेंढियगामस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थणं सालकोट्ठए नामं चेइए होत्था वनओ जाव || ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ २३५ | पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283