Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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||य खामेति त्ता आलोइयपडिईते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिभसूरियजावआणयपाणयारणकथ्ये वीईवइत्ता अच्चुए||
कप्पे देवत्ताए उववने, तत्थ् णं अत्यंगतियाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाई ठिती पं०, तत्थ् णं सुनक्खत्तस्सवि देवस्स बावीसं सागरोवमाई सेसं जहा सव्वाणुभूतिस्स जाव अंतं काहिति ।५५८ एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नाम मंखलिपुत्ते सेणं भंते! गोसाले मंखलिपुत्ते कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने?, एवं खलु गोयमा! ममं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नाम मंखलिपुत्ते समणधायए जाव छउमत्थे चेव कालमासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिम जाव अच्चुए कप्पे देवत्ताए०, तत्थ्णं अत्थेग० देवाणं बावीसंसा० ठिती पं० तत्थ णं गोसालस्सवि देवस्स बावीसंसा० ठिती पं०, सेणं भंते! गोसाले देवे ताओ देवलोगाओ आउ० जाव कहिं उववजिहिति?, गोयमा! इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे विंझगिरिपायभूले पुंडेसु जणवएसु सयदुवारे नगरे संभुतिस्स रनो भदाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए पच्चाबाहिति, से णं तत्व मवण्हं मा० बहु५० जाव वीतिवंताणं जाव सुरूवे दारए पयाहिति, जं रयणिं च णं से दारए जाइहिति तं स्यणिं च णं सयदुवारे नगरे सब्भितरबाहिरिए भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वासिहिति, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एकारसमे दिवसे वीतिकंते जाव संपत्ते बारसाहे दिवसे अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिष्फन नामधेज काहिंति जम्हा णं अहं इमंसि बारगसि जायंसि समाणंसि सयदुवारे नगरे सब्भितरबाहिरिए जाव रयणवासे वुढे तं होउ णं अहं इमस्स दारगस्स नामधे महापउमे २, नए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज करेहिति महापउमोत्ति, तए णं तं I ॥श्रीभगवती सूत्र ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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