Book Title: Adhyatmik Hariyali
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Narpatsinh Lodha

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उपरोक्त चन्द उदाहरण स्पष्ट करते हैं कि हरियाली साहित्य गागर में सागर की तरह है । अतः हम जितना ही अधिक इसकी गहराई में गोता हम लगायेंगे, उतने ही अधिक मोती इसके भू-गर्भ से निकाल कर बुद्धिमान एवं तर्कशील बन सकेंगे । इस दृष्टि से इस अनमोल साहित्य की सेवा करते हुए इसे उजागर करने का जो पुनीत कार्य पन्यास जी श्री घरणेन्द्रसागर जी महाराज ने किया है । वे हमारे साधुवाद के पात्र हैं । जोधपुर दिनांक २१-२-८८ मेरा मंतव्य है कि प्रस्तुत पुस्तिका समस्त जिज्ञासु पाठकों के के लिये जीवनोपयोगी प्रमाणित होगी तथा उससे प्रेरित होकर विद्वान संपादक इसी प्रकार के साहित्य का आगे भी प्रकाशन करवाने की चेष्टा व प्रयास कर समाज को लाभान्वित करेंगे । इसी शुभ आशा के साथ । 355 hupre Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 15 डॉ० अमृतलाल गांधी प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, विश्वविद्यालय जोधपुर (राज०) (०) डि For Private And Personal Use Only St क

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