Book Title: Adhyatmik Hariyali
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Narpatsinh Lodha

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -प्राक्कथन :Har अध्यात्म मानव का वास्तविक मार्गदर्शक है। इस के बिना जीवन अधूरा है, भटकाव वाला है। परन्तु अध्यात्म में रुचि पैदा कैसे हो? जीवन के दैनिक व्यवहार में मनुष्य के समक्ष समय-समय पर अनेक समस्याएँ आती है । क्यों आती हैं, और उनके प्रति सजग कैसे रहा जा सकता है ? समस्याएँ ही रूपान्तरण में सुख-दुःख का कारण बन जाती हैं। सुख-दुःख में भटकने के कारण जीवात्मा को सही रास्ता नहीं मिल पाता, इसीलिए अध्यात्म का महत्व है, जो प्राणी को सही मार्ग दिखा कर जीवात्मा को अग्र-गति प्रदान करने में समर्थ है। ज्ञान की प्राप्ति होकर मोक्ष का अधिकार सम्भव है। इस दृष्टिकोण से इस पुस्तिका में प्रस्तुत साहित्य का महत्व है। इधर-उधर बिखरा हुआ साहित्य, जो जन-साधारण को साधारणतया उपलब्ध न था, इकठ्ठा किया गया है। हिन्दी अनुवाद ने चार चाँद लगा दिए हैं। इस प्रकार जनसाधारण के लिए समझना सुलभ हो गया है। इस महत्वपूर्ण साहित्य के प्रकाशन हेतु संग्रहकर्ती पन्यास श्री धरणेन्द्रसागरजी महाराज के प्रति जन-साधारण आभारी रहेगा। शिव रोड़, रातानाडा, गोविन्द नारायण मौहणोत जोधपुर(राज.) एडवोकेट दिनांक 29-2-88 For Private And Personal use only

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87