Book Title: Adhyatmik Hariyali
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Narpatsinh Lodha

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir :- आशीर्वचन - संगीत की मधुरता प्राणी मात्र को आनन्द प्रदान करती है। शास्त्रीय संगीत के रसपूर्ण गीत आत्म-विभोरता के लिये प्रभावशाली होते हैं उसी तरह जीवन में मनोरंजन हेतु साहित्य भी अपना एक विशेष स्थान रखता है। - विश्व में विविध प्रकार का साहित्य विद्यमान हैं। उसमें 'हरियाली-हीयाली साहित्य भी अति सुन्दर सिन्धु-सागर के समान है जिसमें अनेक अनमोल मोती पडे हैं उसको सही रुप में डुबकी लगाने वाले अनायास ही वे प्राप्त करते हैं। इस हरियाली-हीयाली प्राचीन साहित्य का सर्जन गुजराती और राजस्थानी इत्यादि भाषा में गूढार्थ गद्य रुपे कृत्ताओं ने अति सुन्दर और मनोरंजक किया है । जो व्यक्ति इस पद्य के गूढार्थ पर अपनी बुद्धि को सही रुप में लगायगे और विचार-विमर्श करेंगे, वे ब्रह्मरुपी उत्तम सुख का सुन्दर अनुभव करेंगे। इस पुस्तिका में प्राचीन हरियाली-हीयाली साहित्य का संग्रह करके सम्पादन कार्य विद्वान पन्यास प्रवर श्री धरणेन्द्र सागरजी ने किया है, वह बहुत ही प्रशंसनीय है। गांव-पोस्ट-चान्दराई जिला-जालोर (राज.) दिनांक १-३-८८ -प्राचार्य विजय सुशील सूरी For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87