Book Title: Adhyatmik Hariyali
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Narpatsinh Lodha

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Page 74
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चेतन चेतो चतुर चबोला: चबोले जे नर खोजे: - हरियाली * हे चेतन ! चतुर वाक्य की शिक्षा को समझो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चतुर की चतुराई से जो मूर्ख है वह अपनी नासमझी के कारण रूष्ट होता है । मूरख वाते हइडुं रीके: चार मुर्ख मिलें और उनकी बातों से जिसका मन प्रसन्न हो । तेहने शी शबाशी दीजे ॥ १० ॥ : उस मूर्ख को पडित किस प्रकार धन्यवाद दे ? मूर्ख है ! गधा है । क्या इस प्रकार धन्यवाद दे ? अतः मूर्ख के समक्ष शास्त्र वाचन शस्त्र जैसा है । अत: जो व्यक्ति चतुर हो उसे समझ जाना चाहिये । पाये खोटे मेहेल चलावे: आत्मा मनुष्य भव प्राप्त करके भी सम्यक्त्व की नींव के बिना चरण सित्तरी रुपी चित्रशाला महल चुनावे तो चरित्र महल सुशोभित न हो । थंभ मलो बे माल जडावे: दान, शील, तप, भाव रुपी चार थंभे मजबूत नहीं कमजोर हैं तब उनके ऊपर व्रत रुपी महल कैसे बनेगा ? वाघनी बोडे बार मुकावे : परमाधामी रुपी बाघ सामने खड़े हैं, फिर व्रती के द्वार खुले रखें वे मूर्ख हैं । For Private And Personal Use Only

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