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:- आशीर्वचन -
संगीत की मधुरता प्राणी मात्र को आनन्द प्रदान करती है। शास्त्रीय संगीत के रसपूर्ण गीत आत्म-विभोरता के लिये प्रभावशाली होते हैं उसी तरह जीवन में मनोरंजन हेतु साहित्य भी अपना एक विशेष स्थान रखता है।
- विश्व में विविध प्रकार का साहित्य विद्यमान हैं। उसमें 'हरियाली-हीयाली साहित्य भी अति सुन्दर सिन्धु-सागर के समान है जिसमें अनेक अनमोल मोती पडे हैं उसको सही रुप में डुबकी लगाने वाले अनायास ही वे प्राप्त करते हैं।
इस हरियाली-हीयाली प्राचीन साहित्य का सर्जन गुजराती और राजस्थानी इत्यादि भाषा में गूढार्थ गद्य रुपे कृत्ताओं ने अति सुन्दर और मनोरंजक किया है । जो व्यक्ति इस पद्य के गूढार्थ पर अपनी बुद्धि को सही रुप में लगायगे और विचार-विमर्श करेंगे, वे ब्रह्मरुपी उत्तम सुख का सुन्दर अनुभव करेंगे।
इस पुस्तिका में प्राचीन हरियाली-हीयाली साहित्य का संग्रह करके सम्पादन कार्य विद्वान पन्यास प्रवर श्री धरणेन्द्र सागरजी ने किया है, वह बहुत ही प्रशंसनीय है।
गांव-पोस्ट-चान्दराई जिला-जालोर (राज.) दिनांक १-३-८८
-प्राचार्य विजय सुशील सूरी
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