Book Title: Adhyatmagyan Praveshika
Author(s): Atmanandji Maharaj
Publisher: Shrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba

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Page 6
________________ मंगल भाव साधकोंको प्राथमिक तत्त्वज्ञान होनेमें उपकारी इस लघु-पुस्तिकाका लाभ हिन्दी भाषी जनताको मिले इसलिए उसके हिन्दी अनुवादमें प्रेम-परिश्रम करनेवाले संस्थाके युवा कार्यकर श्री हरनीशभाई शाह और उसको आद्योपान्त देखकर योग्य परिमार्जन करके छपाई आदिमें सहयोग देनेवाले पं. श्री बाबूलालजी जैन - दोनों धन्यवादके पात्र हैं । इति शुभम् मंगलम् । आत्मानंद समर्पण अध्यात्मविद्या में प्रवेश करानेवाली इस रचनाका आत्मलक्षपूर्वक अनुवाद करनेमें प्रेरणास्प, कार्यकी सम्पन्नतामें जिनकी प्रेरणासे चित्तस्मृति पर विविध भाव उत्पन्न होकर अवर्णनीय आनन्दका अनुभव हुआ ऐसे, और हर श्वासकी डोर जिनके हाथोंमें हो ऐसे अध्यात्मयोगी पूज्य संतश्री आत्मानन्दजीके करकमलोंमें इस अनुवादको समर्पित करके आनन्द - शान्तिका अनुभव करता हुआ.... - आत्मप्रिय Jain Education International For Private & Personal Use Only Jain Equcation International For Private & Personal Use www.jainelibrary.org

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