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१०.
समाधिमरण प्र. १ः समाधिमरणका क्या अर्थ है ? उ. १ : आत्मज्ञानादिको प्रगट करना उसका नाम बोधि और
प्राप्त किये हुए आत्मज्ञानादिको आत्मजागृतिपूर्वक पुरुषार्थ द्वारा मृत्युके समय भवांतरमें साथ ले जाना उसे
समाधिमरण कहते हैं। प्र. २ : समाधिमरण किसको होता है ? उ. २ : सच्चा समाधिमरण केवल ज्ञानीपुरुषको ही हो सकता है। प्र. ३ : मुमुक्षको प्रभुस्मरणपूर्वक जो मरण होता है वह
समाधिमरण है या नहीं ? उ. ३ : ऐसे मरणको सुगतिमरण कहते हैं । वह मुमुक्षु साधना
के संस्कार साथमें ले जाता है, परन्तु आत्मज्ञानादि प्रगट ही नहीं हुए हैं तो उन्हे अन्य भवमें कैसे साथमें ले जाय? अतः मुमुक्षुको सुगतिमरण होता है ऐसा परमार्थसे
जानना। प्र. ४ : समाधिमरणके कितने प्रकार हैं ? उ. ४ : पूर्वाचार्योंने मुख्य १७ प्रकारके मरण कहे हैं, उन्हे संक्षेपमें
विचारनेसे निम्नलिखित पाँच प्रकार माने गये हैं : (अ) पंडित-पंडित मरण : परमात्मा (अरिहंत) को
होता है।
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