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समाधिमरण
निर्णय करे तब मुमुक्षु शुद्ध मनसे स्नेह, वैर, संग और परिग्रहका त्याग करे और इसके लिए सभी स्वजनमित्रादिको सच्चे मनसे क्षमा देवे और अपने सर्व दोषों और अपराधोंकी क्षमा मांगे। ___ यदि मुनिजनोंका समागम हो सके तो घरका त्याग करके, साधुसमागममें रहे और उपचारसे महाव्रतोंको अंगीकार करे । उतनी शक्ति और संयोग न हो तो घरमें रहकर एक नियत स्थान ग्रहण करके प्रथम मात्र दूध, बादमें केवल पानी और अंतमें चारों प्रकारके आहारका त्याग करे ।
___ अपनी संपत्तिमेंसे कुछ नियत अंशको धर्मकार्योंमें उपयोग करनेका आदेश दे । शेष संपत्तिका स्वजनपरिवारमें विवेकपूर्वक दान करे । पंच-परमगुरु (परमात्मा और सद्गुरु)का स्मरण करके उनका शरण ग्रहण करे और स्वजनोंसे कहे कि जब मैं प्रभुनामका रटना बंद कर, तब आप मुझे परमात्माकी वाणी सुनाना ।
धीरजसे, दृढतासे, सहनशीलतासे और वीरतासे धीरे धीरे शरीर बिल्कुल कृश होनेपर वह महापुरुष इस शरीरको छोड़कर भवांतरको प्राप्त होता है ।
इस प्रकार शांतभाव सहित, आत्मा-परमात्माके स्मरणपूर्वक देह छोड़नेकी सामान्य विधि है, विशेष
सत्शास्त्रोंसे जाननी *। * भगवती-आराधना, भगवतीसूत्र, रत्नकरंडश्रावकाचार, मृत्युमहोत्सव आदि ।
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