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प्र. १ :
उ. १ :
प्र. २ : तपके कितने प्रकार हैं ?
उ. २ :
प्र. ३ :
उ. ३ :
तप और उसकी आराधना
तप किसे कहते हैं ?
इच्छाका निरोध करनेको तप कहते हैं ।
प्र. ४ :
उ. ४ :
तपके बारह प्रकार हैं। छह प्रकारके बाह्य तप और छह प्रकारके अंतर तप ।
बाह्य तप कौन-कौन से है ?
उपवास, ऊणोदरी (भूखसे कम खाना) वृत्तिका संक्षेप, रसका त्याग, एकांतस्थानसेवन और कायक्लेश ।
अंतरतप कौन-कौनसे हैं ?
प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्त्य (रोगी साधर्मीओंकी सेवाशुश्रूषा) स्वाध्याय, ध्यान और व्युत्सर्ग (ममताका त्याग )। प्र. ५ : किस तपके प्रति विशेष लक्ष देना चाहिए ?
उ. ५ :
सभी प्रकारके तप अंगीकार करने योग्य हैं, परन्तु स्वाध्यायरूपी तपमें प्रवर्तन करनेसे सबसे अधिक लाभ है और कष्ट बिल्कुल कम है । इस तपमें उद्यमशील होनेसे आत्माका, बंधका, मोक्षमार्गका, मोक्षका, भक्ष्यअभक्ष्यका, एवं त्यागने योग्य, अंगीकार करने योग्य और जानने योग्य तत्त्वोंका ज्ञान होता है, जिससे मोक्षमार्गमें अच्छी तरहसे प्रवर्तन हो सकता है ।
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