Book Title: Adhyatmagyan Praveshika
Author(s): Atmanandji Maharaj
Publisher: Shrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba

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Page 19
________________ १२ अध्यात्मज्ञान-प्रवेशिका उ. ५ : दाताके मुख्य सात लक्षण हैं : १ श्रद्धान, २ संतोष, ३ भक्ति, ४ विज्ञान, ५ अलुब्धता, ६ क्षमा और ७ शक्ति । प्र. ६ : दान किसको देना चाहिए ? उ. ६ : दान सुपात्रको देना चाहिए । प्र. ७ : सुपात्र किसे समझना ? उ. ७ : ज्ञान और सयमकी आराधनामें उद्यमी आत्माओंको सुपात्र समझना । प्र. ८ : सुपात्रको दान किस तरहसे. देना चाहिए ? उ. ८ : अंतरमें भक्तिभाव सहित, विनयपूर्वक, ज्ञान और संयमकी आराधनाकी वृद्धि हो ऐसी योग्य वस्तुओंका दान देना चाहिए। प्र. ९: सुपात्र न मिले तो दान देना चाहिए या नहीं ? उ. ९ : सुपात्र न मिले तो भी करुणासे दान अवश्य देना ही चाहिए । गरीबको, भूखेको, प्यासेको या अन्य दुःखोंसे पीड़ितोंको प्रीतिपूर्वक दान देना उसे करुणादान या अनुकंपादान कहते हैं। प्र. १० : सबसे श्रेष्ठ दान कौनसा है ? उ. १० : सबसे श्रेष्ठ दान ज्ञानदान है, जिसको कभी विद्यादान या धर्मदान भी कहा जाता है । प्र. ११ : वह क्यों श्रेष्ठ है ? उ. ११ : अन्य दानोंसे जगतके जीवोंको थोड़े समयके लिए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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