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- इधर वस्तुपाल तेजपाल इसी ही यत्नमें थे कि-अपना
आषा राज्य देकर भी सामन्तपाल वगैरहको भीमसिंहसे पृथक जरूर करना उनकी आशा सफल हुई, साम-दाम-दण्डमेद-जिस किसीभी नीतिसे कार्य सिद्ध होसका उन्होंने किया, आखीर एकदिन उनके उस उद्यमका यह फल आया कि सामन्तपाल आदि ३ ही भाई भीमसिंहको छोडकर वीरधव. लके पास आगये, राजाने उनको बडे बडे गाम इनाम दिये। भीमसिंहसे फिर लडाई शुरु हुई, भीमसिंहकी हार हुई। मद्रेश्वरकी फतहमें राजाको ७ क्रोड सोनामोहरें-दशहजार घोडे मिले। ___ अब चारों ओर वीरधवलकी विजयपताका फरकने लगी, दिशा दिशासे हाथी घोडे गाम मणि माणिक सोना रुपया वगैरहकी भेटें आने लगी, तमाम राजा वीरधवलकी आज्ञाको मान देने लगे। __ गोधरेका राजा धुंधल पहले गुजरातके महीपतियोंको भलीभांति मान देता था, परंतु अब कुछ अरसेसे पराङ्मुख हुआ बैठा था, राजा वीरधवलने उसको परास्त करनेके लिये अपनी फौज देकर तेजपालको भेजा।
धुंधलको क्रोध आया कि यह बकाल वणिक मुझपर हथियार चलायेगा? मेरा सामना यह करेगा ? हुआ भी ऐसाही कि धुंधलके सिंहनादको सुनकर वीरधवलके वीर योद्धे संग्रामके मैदानको छोडकर भाग चले । तेजपालने सायंकाल सबको बुलाकर इनाम बांटा और उन्हे उत्साहित किया ।
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