________________
६९
गरीके विषयमें कर्नल टाड साहिब लिखते हैं कि इसका चित्र तय्यार करनेमें लेखिनी थक जाती है और अत्यन्त परिश्रमकरनेवाले चित्रकारकी कलमकोभी महान् श्रम पडेगा. गुजरातके प्रसिद्ध इतिहास रासमालाके कर्ता फार्बस साहबने विमलशाह और वस्तुपाल तेजपालके मन्दिरोंके विषयमें लिखा है कि इन मन्दिरोंकी खदाइके काममें स्वाभाविक निर्जीव पदार्थों के चित्र बनाये है इतनाही नहीं किन्तु सांसारिक जीवनके दृश्य न्यौपार तथा नौकाशास्त्रसम्बन्धी विषय एवं रण खेतके युद्धोंके चित्रभी खुदे हुए हैं । इन मन्दिरोंकी छत्तोंमें जैनधर्मकी अनेक कथाओंके चित्रभी खुदे हुए हैं यह मन्दिरभी विमलशाहके मन्दिरकीसी बनावटका है इसमें मुख्य मन्दिर उसके आगे गुंबजदार सभामंडप और उनके अगलबगलपर छोटे २ जिनालय तथा पीछेकी ओर हस्तिशाला है । इस मन्दिरमें मुख्यमूर्ति नेमिनाथकी है
और छोटे २ जिनालयोंमें अनेक मूर्तियां हैं। यहांपर दो बडे बडे शिलालेख हैं, जिनमेंसे एक धोलकाके राणा वीरधवलके पुरोहित तथा कीर्तिकौमुदी सुरथोत्सव आदिकाव्योंके रचयिता प्रसिद्ध कवि सोमेश्वरका रचाहुआ है। उसमें वस्तुपाल
१ कर्नल टॉड साहबके विलायत पहुंचनेके पीछे मिसिज विलियम हंटर ब्लैर नामकी एक मैमने अपना तय्यार किया हुआ वस्तुपाल तेजपालके मंदिरके गुंबजका चित्र टॉड साहबको दिया, जिसपर उनको इतना हर्ष हुआ और उस मैम साहबाकी इतनी कदर की, कि उन्होंने 'ट्रेबल्स इन वेस्टर्न इन्डिया' नामक पुस्तक उसीको अर्पण करदी, और उसे कहा कि 'तुम आबू गई इतना ही नहीं, किन्तु आबूको इङ्गलैंड में ले आई हो,' भऔर वही सुन्दर चित्र उन्होंने अपनी उक्त पुस्तकके प्रारंभ में दिया है.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com