________________
नाथ नेमिनाथ और आदिनाथके मन्दिर आते हैं जिनमें आदिनाथका मन्दिर जो चौमुख है मुख्य और प्रसिद्ध है यह दो मंजिला बना है और इसके नीये तथा ऊपरकी मंजिलोंमें चार चार पीतलकी बनीहुई बडी बडी मूर्तियां हैं। यहांके लोग इस स्थानको नवंता जोध कहते हैं। दूसरी मंजिलकी छतपर चढनेसे सारे आबु तथा आबूकी तलहटीके दूरदूरके गांवोंका सुंदर दृश्य नजर आता है । इन मन्दिरोंमें पीतलकी १४ मूर्तियां हैं जिनका तोल १४४४ मन होना जैनोंमें माना जाता है । इनमें सबसे पुरानी मूर्ति मेवाडके महाराणा कुंभकर्ण (कुंभा)के समय वि० सं० १५१८ ( ई० स० १४६१) में बनी थी। यहांसे कुछ ऊपर सावन भादवा नामक दो जलाशय हैं जिनमें सालभरतक जल रहता है और पर्वतके शिखरके पास अचलगढ, नामका टूटाहुआ किला है जो मेवाडके महाराणा कुंभकर्ण (कुंभो)ने वि० सं० १५०९ (ई० स० १४५२) में बनवाया था यहांसे कुछ नीचेकी ओर पहाडको काटकर बनाईहुई दो मंजिलवाली गुंफा है जिसके नीचेके हिस्सेमें दो तीन कमरेभी बने हुए हैं लोग इस स्थानको पुराणप्रसिद्ध सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्रका निवासस्थान बतलाते हैं। यहां पहिले साधुभी रहते होंगे क्योंकि उनकी दो धूनियां यहांपर हैं।
चितोड के किलेपर कि महाराणा कुंभकर्णके वनवायेगये किसीस्थम्भकी प्रशस्तिमें अचलदुर्ग बनवाना लिखा है परंतु लोगोंका मानना यह है कि यहांका किला परमारोंने बनायाथा । संभव है किं कुंभानेपरमारोंके बनाये हुये किलेका जीर्णोद्धार करवाया हो.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com