Book Title: Aagam Manjusha 40 Mulsuttam Mool 01 Aavassay Nijjuttisah
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 9
________________ ॥२७० ॥ सामाइयाइया वा वयजीवणिकायभावणा पढम। एसो धम्मोवाओ जिणेहिं सरेहिं उबइवो ॥१॥ उसमस्स पुवलक्ख पुर्षगूणमजियस्स तं चेव । चउरंगूर्ण लक्ख पुणो पुणो जाव सुविहित्ति ॥२॥ पणवीसं तु सहस्सा पुषाण सीयलस्स परियाओ। लक्खाई इकबीर्स सिर्जसजिणस्स वासाणं ॥३॥ चउपर्ण पण्णारस तत्तो अट्ठमाई लक्खाई। अड्ढाइजाई तओ वाससहस्साई पणवीसं ॥४॥ तेवीसं च सहस्सा सयाणि अद्वमाणि य हवंति। इगवीसं च सहस्सा वाससऊणा यपणपण्णा ॥५॥ अट्ठमा सहस्सा अड्ढाइजाय सत्त य सयाई। सयरी विचत्तवासा दिक्खाकालो जिणिंदाणं ॥६॥ उसमस्स कुमार पुत्राणं वीसई सयसहस्सा। तेवट्ठी रजमी अणुपालेऊण णिक्संतो॥७॥ अजियस्स कुमारर्स अट्ठारस पुषसयसहस्साई। तेवण्णं रजमी पुर्वर्ग चेव बोदव्यं ॥८॥ पण्णरस सयसहस्सा कुमारवासो य संभवजिणस्स। चोयालीसं रजे चउरंग व बोदव्यं ॥९॥ अद्धत्तेरस लक्खा पुवाणऽमिणंदणे कुमारतं। छत्तीसा अदं चिय अटुंगा चेव रजमि ॥२८०॥ सुमइस कुमारतं हवंति दस पुवसयसहस्साई। अउणातीस रजे वारस अंगा य बोव्वा ॥१॥ पउमस्स कुमार पुत्राण. ऽदट्ठमा सयसहस्सा । अदं च एगवीसा सोलस अंगा य रजमि ॥२॥ पुच्चसयसहस्साई पंच सुपासे कुमारचासो उ। चउदस पुण रमी वीसं अंगा य बोद्धब्बा ॥३॥ अड्ढाइजा लक्खा कुमारवासो ससिप्पहे होइ। अदं छ चिय रजे चउवीसंगा य बोदव्या ॥४॥ पण्णं पुव्वसहस्सा कुमारवासो उ पुष्पदंतस्स। तावइयं रजमी अट्ठावीसं च पुव्वंगा॥५॥ पणवीससहस्साई पुव्वाणं सीयले कुमारत्तं। ताबइयं परियाओ पण्णासं चेवरजमि ॥६॥ वासाण कुमारत्तं इगवीसं लक्ख हुंति सिजसे। तावइयं परिआओ चायालीसं च रजंमि ॥७॥ गिहवासे अट्ठारस बासाणं सयसहस्स निजमेणं। चउपण्ण सयसहस्सा परियाओ होइ वासुपुजे ॥८॥ पण्णरस सयसहस्सा कुमारवासो य तीसई रज्जे। पग्णरस सयसहस्सा परियाओ होइ विमलस्स ॥९॥ अट्ठमलक्खाइं वासाणमणंतई कुमारते। तावइयं परियाओ रजमी हुंति पण्णरस ॥२९० ॥ धम्मस्स कुमारत्तं वासाणऽड्ढाइआई लक्खाई। तावइयं परियाओ रज्जे पुण ९ति पंचेव ॥१॥ संतिस्स कुमार मंडलिअचकिपरिआअ चउसुंपि। पत्तेयं पत्तेयं वाससहस्साई पणवीसं ॥२॥ एमेव य कुंथुस्सवि चाउसुवि ठाणेसु हुँति पत्तेयं । तेवीससहस्साई बरिसाण. ऽट्ठमसया य ॥३॥ एमेव अरजिणिदस्स चउसुवि ठाणेसु हुँति पत्तेयं । इगवीससहस्साई बासाणं हुति णायचा ॥ ४॥ मजिस्सवि वाससयं गिहवासे सेसयं तु परियाओ । चउपण्ण सहस्साई नव चेव सयाई पुण्णाई॥५॥ अट्ठमा सहस्सा कुमारवासो उ सुधयजिणस्स। तावइयं परियाओ पणरससहस्स रजमि ॥६॥ नमिणो कुमारवासो वाससहस्साई दुण्णि अर्द च। तावइयं परियाओ पंच सहस्साई रज्जमि ॥७॥ तिण्णेव य वाससया कुमारवासो अरिट्टनेमिस्स। सत्त य वाससयाई सामण्णे होइ परियाओ ॥८॥ पासस्स कुमारत्तं तीसं परियाओ सत्तरी होइ। तीसा य बद्धमाणे बायालीसा उ परिआओ॥९॥ उसमस्स पुबलवं पुर्वगुणमजिअस्स तं चेव । चउरंगूणं लक्खं पुणो पुणो जाच सुविहित्ति ॥३००॥ सेसाणं परियाओं कुमारवासेण सहियओ भणिओ। पत्तेयंपि य पुचं सीसाणमणुग्गहवाए ॥१॥छउमस्थकालमित्तो सोहेउं सेसओ उ जिणकालो। सच्चाउअंपि इत्तो उसमाईणं निसामेह ॥२॥ चउरासीइ विसत्तरि सट्ठी पण्णासमेव लक्खाई चत्ता तीसा वीसा दस दो एगं च पुधाणं ॥३॥ चउरासीइ पावत्तरी य सट्ठी य होइ वासाणं। तीसा य दस य एगं च एवमेए सयसहस्सा ॥४॥ SIपंचाणउह सहस्सा चउरासीई य पंचवण्णा या तीसा य दस य एर्ग सयं च वायत्तरी चेव ॥५॥ निव्वाणर्मतकिरिआ सा चउदसमेण पदमनाहस्स। उद्वेणं ॥६॥ अट्ठावयचंपुजितपावासम्मेअसेलसिहरेसुं। उसम वासुपूज नेमी वीरो सेसा य सिद्धिगया ॥७॥ एगो भयवं! वीरो तित्तीसाएँ सह निशुओ पासो। छत्तीसहिएहिं पंचहिंसएहिं नेमी उ सिद्धिगओ॥८॥ पंचहिं समणसएहिं माली संती उ नवसएहिं तु। अट्ठसएणं धम्मो सएहिं छहि वासुपूजजिणो॥९॥ सत्तसहस्साणंतइजिणस्स विमलस्स छस्सह. स्साई। पंचसयाई सुपासे पउमाभे तिष्णि अट्ठसया ॥३१०॥ दसहिं सहस्सेहिं उप्सभो सेसा उ सहस्सपरिखुडा सिदा। कालाइ जं न भणियं पढमणुओगाउ तं गेयं ॥१॥इवेवमाइ सव्वं जिणाण पढमाणुओगओ णेयं । ठाणासुण्णत्वं पुण भणियं पगयं अओ वुच्छ ॥२॥ उसमजिणसमुट्ठाण उद्यवाणं जं तओ मरीइस्स। सामाइअस्स एसो जं पुवं निग्गमोऽहिगओ ॥३॥ चित्तबहुलट्ठमीए चाउहिं सहस्सेहिं सो उ अवरोहे। सीआसुदसणाए सिद्धत्ववर्णमि छट्टेणं ॥४॥ चउरो साहस्सीओ लोअं काऊण अप्पणा चेव । जं एस जहा काही तं तह अम्हेऽपि काहामो ॥५॥ उसभो वरवसभगई चित्तृणमभिग्गह परमघोरं । बोसट्टचत्तदेहो विहरइ गामाणुगामं तु ॥६॥णवि ताव जणो जाणइ का भिक्खा ? केरिसा व भिक्खयरा। ते भिक्खमलभमाणा वणमझे तावसा जाया ॥३१॥ मू०॥ नमिविनमीणं जायण नागिंदो विजदाण वेअड्ढे । उत्तरदाहिणसेढी सट्ठी पण्णास नगराई॥७॥ भगवं अदीणमणसो संवच्छरमणसिओ विहरमाणो । कण्णाहिं निमंतिजइ वत्याभरणासणेहिं च ॥८॥ संवच्छरेण भिक्खा लद्धा उसमेण लोगनाहेण । सेसेहिं बीयदिवसे लदाउ पढमभिक्खाओ ॥९॥ उसमस्स उ पारणए इक्सुरसो आसि लोगनाहस्स । सेसाणं परमणं अमयरसरसोवमं आसी ॥३२०॥ पुढेच अहोदाणं दिवाणि य आहयाणि तुराणि। देवा य संनिवइआ वसुहारा ११८२आवश्यक सनियु- सूक्तिक मूलसूत्र, नियुक्ति मुनि दीपरत्नसागर

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