Book Title: Aagam Manjusha 40 Mulsuttam Mool 01 Aavassay Nijjuttisah
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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॥७॥ पणवीसा परिसुद्ध किनकम्मं जो पउंजइ गुरुणं । सो पावइ निवाणं अचिरेण विमाणवासं वा ॥८॥ अणाढियं च थदं च, पविद्धं परिपिडियं । टोलगई अंकुसं चेव, तहा कच्छ-18 भरिंगियं ॥९॥ मच्छुननं मणसा पउ8 नह य वेइयाबद। भयसा चेव भयंतं, मित्ती गारवकारणा ॥१२२०॥ तेणियं पडिणियं चेव, रुटुं तजियमेव य। सदं च हीलियं चेव, तहा विपलिउंचियं ॥१॥ दिट्ठमदिटुं च नहा, र्सिगं च करमोअणं । आलिट्ठमणालिटुं. ऊणं उत्तरचूलियं ॥२॥ मूयं च ढढ्ढरं चेब, चूडलिं च अपच्छिमं । बत्तीसदोसपरिसुद्धं, किइकम्मं पउंजई ॥३॥ कितिकम्मपि करितो न होइ किइकम्मनिजराभागी। चत्नीसामनयरंसाहू ठाणं विराहिंतो॥श बत्तीसदोसपरिसुदं किइकम्मं जो पउंजइ गरुणं।सो पावह निव्वाणं अचिरेण विमाणवास वा ॥५॥ आवस्सएसु जह जह कुणइ पयत्तं अहीणमहरितं । तिविहकरणोवउत्तो तह तह से निजरा होइ ॥६॥ विणओक्यार माणस्स भंजणा पूयणा गुरुजणस्स। तित्थयराण य आणा सुअधम्माराहणाऽकिरिया ॥ ७॥ विणओ सासणे मूलं, विणीओ संजओ भवे। विणयाओ विप्पमुक्कस्स, कओ धम्मो कम्मो नवो ? ॥८॥ जम्हा विणयइ कम्मं अट्ठविहं चाउरंतमुक्खाए। तम्हा उ वयंति विऊ विणउत्ति विलीणसंसारा ॥१॥ इच्छामि खमासमणो ! वंदिउंजावणिजाए निसीहियाए अणुजाणह मे मिउम्गहं निसीहि, अहो.कायं. काय.संफासं खमणिजो भे किलामो अप्पकिलंताणंबहुसुभेण भे दिवसो वडकतो? जत्ता भे? जवणिज्जं च भे.? खामेमि खमासमणो ! देवसियं वइक्कम, आवस्सियाए पडिकमामि खमासमणाणं देवसि. आए आसायणाए तित्तीसऽण्णयराए जंकिंचिमिच्छाए मणदुक्कडाए वयदुकड़ाए कायदुकडाए कोहाएमाणाए मायाए लोभाए सबकालियाए सबमिच्छोवयाराए सबधम्माइक्कमणाए
कओ तस्स खमासमणो ! पडिकमामि निन्दामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि सूत्रम् | इच्छा य अणुनवणा अबाबाहं च जत्त जवणा या अवराहखामणावि य छट्ठाणा इंति वंदणए ॥१२३०॥ नाम ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो खल इच्छाए णिक्खेवो छविहो होइ॥१॥ नाम ठवणा दचिए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो उ अणुण्णाए णिक्खेवो छविहो होइ ॥२॥णाम ठवणा दविए खित्ते काले नहेव भावे य। एसो उ उग्गहस्सा णिक्खेवो छविहो होइ ॥३॥ बाहिरखि मि ठिओ अणुन्नवित्ता मिउग्गहं फासे। उम्गहखेत्तं पविसे जाव सिरेणं फुसइ पाए॥४॥ अबाचाहं दुविहं दवे भावे य जत्त जवणा य। अवराहखामणाविय सविस्थरस्थं विभासिजा ॥ ५॥ छंदे. णऽणुजाणामि तहत्ति तुझपि बहई एवं। अहमवि खामेमि तुमे वयणाई वंदणरिहस्स ॥ ६॥ तेणवि पडिच्छियवं गारवरहिएण सुदहियएण। किइकम्मकारगस्सा संवेग संजणतेणं 10 आवत्ताइसु जुगर्व इह भणिओ कायवायवावारो। दुहेगया व(न) किरिया जओ निसिद्धो अउ अजुतो ॥८॥ भिन्नविसयं निसिद्ध किरियाद्गमेगया ण एगंमि । जोगनिगस्सवि भंगियसुत्ते किरिया जओ भणिया ॥९॥ सीसो पढमपवेसे वंदिउमावस्सिआए पडिकमिउं । बितियपवेसंमि पुणो वंदद किं? चालणा अहवा ॥१२४०॥ जह दूओ रायाणं णमिउं
कजं निवेइउं पच्छा । यीसजिओवि वंदिय गच्छइ साहुवि एमेव ॥१॥ एवं किइकम्मविहिं जुंजंता चरणकरणमुव(मा)उत्ता। साह खवंनि कम्म अणेगभवसंचियमणतं ॥२॥ वंदAणनिजुत्ती। पडिकमर्ण पडिकमओ पडिकमिययं च आणुपवीए।तीए पचप्पन्ने अणागए चेव कालंमि ॥३॥ जीवो उ पडिकमओ असहाणं पावकम्मजोगाणं ।
जे ते ण पडिकमे साहू ॥४॥ पढिकमणं पडियरणा परिहरणा वारणा नियत्ती य। निंदा गरिहा सोही पडिकमणं अट्ठा होइ ॥५॥णामं ठपणा दविए खिने काले तहेव भावे य। एसो पडिकमणस्सा णिक्खेवो छविहो होइ ॥ ६॥ णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो पडियरणाए णिक्खेवो छविहो होइ॥७॥णामं ठवणा दविए परिरय परिहार वजणाए य। अणुगह भावे य तहा अट्ठविहा होइ परिहरणा ॥८॥णामं ठवणा दविए खिने काले तहेव भावे य। एसो उ वारणाए णिक्खेवो छविहो होइ ॥ ९॥णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो उ नियत्तीए णिक्खेवो छविहो होइ ॥१२५०॥णामं ठवणा दविए खित्ते काले नहेव भावे य। एसो खल निंदाए णिक्खेयो छविहो होइ॥१॥नामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो खलु गरिहाए णिक्खेवो छत्रिहो होइ ॥२॥ नामं ठवणा दविए खिने काले नहेब भावे य। एसो खल मुदीए निक्खेयो छविहो होइ ॥३॥ अदाणे पासाए दुद्धकाय विसभोयण तलाए। दो कमाओ पइमारिया य वत्थे य अगए य॥४॥ जइ फुडा कणियारया चूयय ! अहिमासयंमि पुटुंमि । तुह न खमं फुले जइ पचंता करिति हमराई ॥५॥ तरियवा य पइण्णा मरियत्वं वा समरि समत्थेणं। असरिसजण उडावा नहु सहियचा कुलप्पसएणं ॥ ६॥ आलोयणमालंचण वियडीकरणं च भाव. सोही या आलोइयंमि आराहणा अणालोइए भयणा ॥७॥ सपडिकमणो धम्मो पुरिमस्स य पच्छिमस्स य जिणस्स। मज्झिमयाण जिणाणं कारणजाए पडिकमणं ॥८॥ जो जाहे आवन्नी (जइ) साहू अन्नयरयमि ठाणमि । सो ताहे पडिकमई मज्झिमयाणं जिणवराणं ॥९॥ बावीसं तित्थयरा सामाइयसंजमं उवइसंति । छेउवठावणयं पुण वयन्ति उसभो य वीरो य॥१२६० ॥ पडिकमणं देसिय राइयं च इत्तरियमावकहियं च। पक्खिय चाउम्मासिय संवच्छर उत्तिमढे य॥१॥ पंच य महत्वयाई राईछट्ठाई चाउजामो य। भत्तपरिण्णा य तहा दुण्डंपिय आवकहियाई ॥२॥ उच्चारे पासवणे खेले सिंघाणए पडिकमणं । आभोगमणाभोगे सहसकारे पडिकमणं ॥३॥ मिच्छत्नपडिक्कमणं तहेव अस्संजमे य पडिकमणं । (३०१) १२०४ आवश्यक सनियु-सूक्तिकं मूलसूत्र, नियुति+ rtreer- ३ ..........
मुनि दीपरनसागर
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