Book Title: Aagam Manjusha 40 Mulsuttam Mool 01 Aavassay Nijjuttisah
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [४०] आवस्सयं- निज्जुत्तिसहिया * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com.M.Ed. Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *श्रीआवश्यकसूत्रं (सनियुक्तिकम् ) आभिणियोहियनाणं सुयनाणं चेव ओहिनाणं च। तह मणपज्जवनाणं केवलनाणं च पञ्चमयं ॥१॥ उग्गह ईहाऽवाओ य धारणा ""Vएव हुँति चत्तारि। आमिणिबोहिअनाणस्स भेयवत्थू समासेणं ॥२॥ अत्याणं ओगहणम्मि उम्गहो तह पियारणे ईहा। ववसा. यन्मि अवाओ धरणमि य धारण विति ॥ ३॥ उग्गह इक समयं ईहाऽवाया मुहुत्तमबं(मंत) तु। कालमसंखं संखं च धारणा होइ नायबा ॥४॥ पुढे सुणेइ सई रूवं पुण पासई अप? तु। गंधं रसं च फासं च बबपुढे वियागरे ॥५॥ भासासमसेढीओ सह जं सुणइ मीसयं सुणई। वीसेढी पुण सई सुणेइ नियमा पराघाए ॥ ६ ॥ गिण्हइ य काइएणं निसरइ तह वाइएण जोएण। एगंतरं च गिण्हइ निसिरइ एगंतरं चेव ॥ ७॥ तिविहम्मि सरीरंमि उ जीवपएसा हवंति जीवस्स । जेहि उ गिण्हइ गहर्ण तो भासइ भासओ भासं ॥८॥ ओरालिय वेउ बिय आहारउ गेण्हई मुयइ भास। सच सचामोसं मोसं च असचमोसं च ॥ ९॥ कइहिं समएहिं लोगो भासाएँ निरन्तरं तु होइ फुडो ?। लोगस्स य कइभाए कइभाओ होइ भासाए? R ॥१०॥ चउहि समयेहि लोगो भासाएँ निरंतरं तु होइ फुडो। लोगस्स य चरिमंते चरिमंतो होइ भासाए ॥१॥ ईहा अपोह वीमंसा, मग्गणा य गवेसणा। सण्णा सई मई पण्णा, सर्व Ta आभिणिदोहियं ॥२॥ संतपयपरूवणया दवपमाणं च खित्त फुसणा य। कालो अंतर भागो भाव अप्पाबहुं चेव ॥३॥ गई इंदिए य काए जोए वेए कसाय लेसासु । सम्मत्त नाण दसण संजय उवओग आहारे ॥४॥ भासग परित्त पजत मुहुमे सण्णी य होइ भव चरिमे। आभिणिबोहिअनाणं मग्गिजइ एसु ठाणेसु (चू० एएहिं तु पदेहिं संतपदे होति वक्खाणं प्र० पुषपडिवाए वा मग्गिजइ एसु ठाणेसु)॥५॥ आभिणियोहियनाणे अट्ठावीसइ वन्ति पयडीओ। सुयणाणे पयडीओ वित्थरओ आवि वोच्छामि ॥६॥ पत्तेयमक्खराई अखरसंजोग जत्तिया लोए। एवइया पयडीओ सुयनाणे होति नायवा ॥ ७॥ कत्तो मे वण्णेउं सत्ती सुयनाणसवपयडीओ ?। चउदसविहनिक्लेवं सुयनाणे आवि वोच्छामि ॥८॥ अक्खर सण्णी सम्मं साईयं खलु सपजवसिअंच। गमियं अंगपविटै सत्तवि एए सपडिवक्खा ॥९॥ ऊससियं नीससि निच्छूढं खासिनं च छीयं च। णीसिं (संघियमणुसारं अणक्खरं छेलियाईअं॥२०॥ आगमसत्थरगहणं जं बुद्धिगुणेहिं अडहिं दिढ़। बिति सुयणाणलंभं तं पुत्रविसारया धीरा ॥१॥ सुस्सूसइ पडिपुच्छइ सुणेइ गिण्हइ य ईहए वावि । तत्तो अबोहए वा धारेइ करेइ वा सम्म ॥२॥ मुअं हुंकारं वा बाढक्कार पडिपुच्छ वीमंसा । तत्तो पसंगपारायणं च परिणि? सत्तमए ॥३॥ सुत्तत्यो खलु पढमो बीओ निज्जुत्तिमीसओ भणिओ। तइओ य निरवसेसो एस विही भणिअ अणुओगे॥४॥ संखाईआओ खलु ओहीनाणस्स सवपयडीओ। काउइ भवपचइया खओक्समिआओ काओवि ॥५॥ कत्तो मे वण्णेउं सत्ती ओहिस्स सवपयडीओ ?। चउदसविहनिक्खेवं इड्ढीपत्ते य चोच्छामि ॥६॥ ओही खित्तपरिमाणे, संठाणे आणुगामिए। अवट्टिए चले विश्वमन्द पडिवाउप्पयाइय॥७॥ नाणदंसणविन्भंगे, देसे खित्ते गई इअ। इइढिपत्ताणुओगे य, एमेआ पडिवत्तिओ ॥८॥ नाम ठवणा दबिए खित्ते काले भवे य भावे य। एसो खलु ओहिस्सा निक्खेवो होइ सत्तविहो ॥९॥ जावइया तिसमयाहारगस्स सुहुमस्स पणगजीवस्स। ओगाहणा जहण्णा ओहीखित्तं जहण्णं तु ॥३०॥ सबबहुअगणिजीवा निरन्तरं जत्तियं भरिजंसु। खित्तं सवदिसागं परमोही खित्त निहिट्ठो ॥१॥ अंगुलमावलियाणं भागमसंखिज दोसु संखिज्जा। अंगुलमावलिअंतो आवलिआ अंगुलपहत्तं ॥२॥ हत्थंमि महत्तन्तो दिवसंतोगा जोयण दिवसपुहुत्तं पक्खंतो पण्णवीसा उ ॥३॥ भरहमि अदमासो जंबूदीवंमि साहिओ मासो। वासं च मणुअलोए वासपुहुत्तं च रुयगंमि ॥४॥ संखिज्जमि उ काले दीवसमुदावि हुँति संखिज्जा। कालंमि असंखिजे दीवसमुद्दा उ भइयवा ॥५॥ काले चउण्ह बुड्ढी कालो भइयबु खित्तवुड्ढीए। बुड्ढीइ दवपजव भइयत्रा खित्तकाला उ॥६॥ सुहुमो य होइ कालो तत्तो मुहुमयरं हवइ खित्तं। अंगुलसेदीमित्ते ओसप्पिणीओ असंखेजा ॥७॥ तेआभासादवाण अन्तरा इत्थ लहइ पट्ठवओ। गुरुलहुअअगुरुलहु तंपिअ तेणेव निट्ठाइ॥८॥ ओरालविवाहारतेअभासाऽऽणपाणमणकम्मे। अह दववग्गणाणं कमो विवजासो खित्ते॥९॥ कम्मोवरिं धुवेयर सुण्णेयरवाणा अर्णताओ। चउ धुवऽणंत तणुवमाणा य मीसो तहाऽचित्तो ॥४०॥ ओरालिअवेउविजआहारगतेज गुरुलहू दया। कम्मगमणभासाई एआई अगुरुलहुआई ॥१॥ संखिज मणोदधे भागो लोगपलियस्स बोडशो। संखिज कम्मदवे लोए थोवृणगं पलियं ॥२॥ तेयाकम्मसरीरे तेआदचे अ भासदवे अ । बोद्धश्चमसंखिजा दीवसमुद्दा य कालो अ॥३॥ एगपएसोगादं परमोही लहइ कम्मगसरीरं । लहइ य अगुरुयलघुअं तेयसरीरे भवपुहुत्तं ॥४॥ परमोहि असंखिजा लोगमित्ता समा असंखिजा। रुवगर्य लहइ सवं खित्तोवमिअं अगणिजीचा ॥५॥ आहारतेयलंभो उक्कोसेणं तिरिक्खजो णीसु । गाउय जहण्णमोही नरएसु उ जोयणुकोसो ॥६॥चत्तारि गाउयाई अधुढाई तिगाउयं चेव । अड्ढाइजा दुण्णि य दिवड्दमेगं च नरएम् ॥७॥ (अधुटाईयाई जहण्णयं (२९४) ११७ आवश्यक सनिय-सातक मलमुत्र Ranamgaoमाम htriHITEHRUITalentdearenाजEONLIMI - letöflur मुनि दीपरत्नसागर 4430 Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ***** ** अदगाउयंताई। जं गाउअंति भणिअं तंपिअ उक्कोसगजहण्णं ॥ प्र०१)। सक्कीसाणा पढम दुचं च सर्णकुमारमाहिंदा। तचं च बंभलंतग सुक्कसहस्सारय चउत्थीं ॥ ८॥ आणयपाणयकप्पे देवा पासंति पंचमि पुढवीं । तं चेव आरणचुय ओहिन्नाणेण पासंति ॥९॥ छट्टि हिटिममज्झिमगेविजा सत्तमि च उबरिला । संभिण्णलोगनालिं पासंति अणुत्तरा देवा ॥५०॥ एएसिमसंखिजा तिरियं दीवा य सागरा वा बहुअअरं उवरिमगा उड्ढं सग(चस प्र०)कप्पथभाई ॥१॥ संखेजजोयणा खल देवाणं अद्धसागरे ऊणे। तेण परमसंखेज्जा जहण्णयं पंचवीसं तु ॥२॥ उक्कोसो मणुएसुं मणुस्सतिरिएसु य जहण्णो य। उक्कोस लोगमित्तो पडिवाइ परं अपडिवाई ॥३॥ थिबुयायार जहण्णो वट्टो उकोसमायओ किंची। अजहण्णमणुकासा य खित्तआ गसंठाणा ॥४॥तप्पागार पलग पडग झाडार मुइंग पुष्फ जवे । तिरियमणएसु आही नाणाविहसंठिओ भणिओ॥५॥ अणगामिओ उ ओही नेरहयाण तहेव देवाणं । अणुगामी अणणुगामी मीसो य मणुस्सतेरिच्छे ॥ ६॥ खित्तस्स अवट्ठाणं तित्तीसं सागरा उ कालेणं । दो भिण्णमुहुनो पज्जवलंभे य सत्तट्ठ ॥ ७॥ अद्धाइ अवट्ठाणं छावट्ठी | सागरा उ कालेणं । उक्कोसगं त एवं डको समओ जहण्णेणं ॥८॥ बडढी बा हाणी वा चउबिहा होइ खित्तकालाणं । दवेस होह दविहा छविह पण पजवे होइ॥९॥ फड्डा य असं. खिजा संखेजा यावि एगजीवस्स । एकप्फडडुवओगे नियमा सव्वत्थ उवउत्तो ॥ ६० ॥ फड्डा य आणुगामी अणाणुगामी य मीसगा चेव । पडिवाइ अपडिवाई मीसो य मणुस्सते. 8 रिच्छे ॥१॥ वाहिरलंभे भजो दवे खित्ते य काल भावे य । उप्पा पडिवाओऽविय ते उभयं एगसमएणं ॥२॥ अम्भितरलडीए उ तदुभयं नस्थि एगसमएणं । उप्पा पडिवाओऽविय 2 एगयरो एगसमएणं ॥३॥ दवाओं असंखिजे संखेजे आवि पज्जवे लहइ । दो पज्जवे दुगुणिए लहइ य एगाउ दबाउ ॥४ा सागारमणागारा ओहिविभंगा जहण्णगा तुाड़ा। उवरिमगे. प्र वेजेसु उ परेण ओही असंखिजो ॥५॥णेरइयदेवतित्थंकरा य ओहिस्सऽवाहिरा हुंति । पासंति सबओ खलु सेसा देसेण पासंति ॥६॥ संखिजमसंखिज्जो पुरिसमचाहाइ खित्तओ ओही। संबदमसंबद्धो लोगमलोगे य संवदो ॥७॥ गइ नेरइयाईया हिट्ठा जह बपिणया तहेव इहं। इड्ढी एसा वणिजइत्ति तो सेसियाओऽपि ॥८॥ आमोसहि विप्पोसहि खेलोसहि जाइमोसही चेव । संभिन्नसोउज्जुमई सवोसहि चेव बोद्धवो ॥९॥ चारण आसीविस केवली य मणनाणिणो य पुत्रधरा । अरहंत चक्वट्टी बलदेवा वासुदेवा य ॥ ७० ॥ सोलस रायसहस्सा सवबलेणं तु संकलनिवद्धं । अंउंति वासुदेवं अगडतडंमी ठियं संतं ॥१॥ चित्तूण संकलं सो वामगहत्येण अंछमाणाणं । अँजिज विलिपिंज व महुमहणं ते न चायति ॥२॥ दोन सोला बत्तीसा सबबलेणं तु संकलनिवदं । अंछंति चकवहि अगडतडंमी ठियं संत ॥३॥ चित्तूण संकलं सो वामगहत्येण अंछमाणाणं । जिज विलिंपिज व चकहरं ते न चायति ॥४॥ जं केसवस्स उ बलं तं दुगुणं होइ चकवहिस्स। तत्तो बला बलवगा अपरिमियवला जिणवरिंदा ॥५॥ मणपजवनाणं पुण गणमणपरिचिन्तियत्थपायडणं । माणुसखित्तनिवद्धं गुणपचइयं चरित्तवओ॥६॥ अह सबदवपरिणामभावविषणत्तिकारणमणतं । सासयमप्पडिवाइ एगविहं केवलं नाणं ॥ ७॥ केवलणाणेणऽत्थे जाउं जे तस्थ पण्णवणजोगे । ते भासह तित्थयरो वयजोग सुयं हवइ सेसं ॥८॥ इत्थं पुण अहिगारो सुयनाणेणं जओ सुएणं तु । सेसाणमप्पणोऽविअ अणुओग पईवदिट्ठन्तो ॥९॥ पेढिया समत्ता । तित्थयरे भगवंते अणुत्तरपरक्कमे अमियनाणी। तिण्णे सुगइगइगए सिद्धिपहपदेसए बंदे ॥८०॥ वदामि महाभाग महामुणिं महायसं महावीरं । अमरनररायमहिनं तित्थयरमिमस्स तित्थस्स ॥१॥ इक्कारसवि गणहरे पवायए पवयणस्स बंदामि । सर्व गणहरवंसं वायगवंसं पवयर्ण च ॥२॥ ते वंदिऊण सिरसा अस्थपुरत्तस्स तेहिं कहियस्स । सुयनाणस्स भगवओ निजुति कित्तहस्सामि | ॥३॥ आवस्सगस्स दसकालिअस्स तह उत्तरज्झमायारे । सूयगडे निजुत्ति वुच्छामि तहा दसाणं च ॥४॥ कप्पस्स य निजुर्ति ववहारस्सेव परमणिउणस्स । सूरिअपण्णत्तीए बुच्छं। इसिभासिआणं च ॥५॥ एतेसिं निजुर्ति वुच्छामि अहं जिणोवएसेणं । आहरणहेउकारणपयनिवहामिण समासेणं ॥६॥ सामाइयनिजुत्तिं वुच्छ उवएसियं गुरुजणेणं । आयरियपरंपरएण आगयं आणुपुत्रीए॥७॥णिजुत्ता ते अत्था जं बदा तेण होइ निजुत्ती (अहवा सुयपरिवाडी सुओबयेसोऽयं विशेषा०)। तहवि य इच्छावेद विभासिउँ सुत्तपरिवाडी॥८॥ तवनियमनाणरुक्खं आरुढो केवली अमियनाणी। तो मुयइ नाणवुहिँ भवियजणविबोहणट्ठाए ॥९॥ तं बुद्धिमएण पडेण गणहरा गिव्हिडं निरवसेसं। तित्ययरभासियाई गंयंति नओपवयणट्ठा ॥९०॥ पितुं च सुहं सुहगुण(गह)णधारणा दाउ पुच्छिउँ चेव । एएहिं कारणेहिं जीयंति कयं गणहरेहिं ॥१॥अत्यं भासइ अरहा सुत्तं गंथंति गणहरा निउणं । सासणस्स हियटाए तओ मुत्तं (तित्थं) पवत्तइ ॥२॥ सामाइयमाईयं सुयनाणं जाव बिन्दुसाराओ। तस्सवि सारो चरणं सारो चरणस्स निवाणं ॥ ३॥ सुअनाणमिवि जीवी वटुंतो सोन पाउणइ मोक्खं । जो तवसंजममइए जोए न चएइ वोढुं जे ॥४॥ जह छेयलद्धनिजामओवि वाणियगइच्छियं भूमि । वाएण विणा पोओ न चएइ महण्णवं तरिउं ॥५॥ तह नाणलवनिजा मओऽवि सिद्धिवसहिं न पाउणइ। निउणोवि जीवपोओ तवसंजममारुअविहूणो॥६॥ संसारसागराओ उन्बुड्डो मा पुणो निबुड्डिज्जा। चरणगुणविष्पहीणो बुड्डङ सुबहुंपि जाणतो -११७७ आवश्यक सनियु- मूक्तिक मूलमूत्र - मिटित मुनि दीपरत्नसागर * 4. Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥७॥ सुबहुँपि मुयमहीयं किं काही चरणविष्पहीण(मुक)स्स । अंधस्स जह पलित्ता दीवसयसहस्सकोडीवि ॥ ८॥ अप्पंपि सुषमहीयं पयासयं होइ चरणजुत्तस्सा इकोवि जह पईवो सचक्सुअस्स प्पयासेइ ॥९॥जहा खरो चंदणभारवाही, भारस्स भागी नहु चंदणस्स। एवं खु नाणी चरणेण हीणो, नाणस्स भागी नहु सोग्गईए॥१००॥ हयं नाणं कियाहीणं, हया अन्नाणओ किया। पांसतो पंगुलो दड्ढो, धावमाणो अ अंधओ॥१॥ संजोगसिद्धीइ फलं वयंति, न हुएगचक्केण रहो पयाइ। अंधो य पंगू य वणे समिच्चा, ते संपउत्ता नगरं ।।। पविट्ठा ॥२॥णाणं पयासगं सोहओ तवो संजमो य गुत्तिकरो। तिण्हंपि समाजोगे मोक्खो जिणसासणे मणिओ ॥३॥ भावे खओक्समिए दुवालसंगपि होइ सुयनाणं। केवलियनाणलंभो नऽनत्य खए कसायाणं ॥४॥ अट्ठण्डं पयडीणं उक्कोसठिईइ वट्टमाणो उ। जीवो न लहइ सामाइयं पउण्डंपि एगयरं ॥५॥ सत्तण्हं पयडीणं अभितरओ उ कोडिकोडीए। काऊण सागराणं जइ लहइ चउण्हमण्णयरं ॥६॥ पल्लय गिरिसरिउवला पिवीलिया पुरिस पह जरग्गहिया। कुद्दव जल वत्थाणि य सामाइयलाभदिट्ठन्ता ॥७॥ पदमियाण उदए नियमा संजोयणा कसायाणं । सम्मइंसणलंभं भवसिद्धीयाविन लहंति ॥८॥ बिइयकसायाणुदए अपचक्खाणनामधेजाणं। सम्मईसणलंमं विरयाचिरई न उ लहति ॥९॥ तइयकसायाणुदए पचक्खाणावरणनामधिजाणं । देसिकदेसविरई चरित्तलंभं न उ लहति ॥११०॥ मूलगुणाणं लंभं न लहइ मूलगुणघाइणं उदए। संजलणाणं उदए न लहइ चरणं अहक्खायं ॥१॥ सत्वेऽविअ अइयारा संजलणाणं तु उदयओ हुँति । मूलच्छिज पुण होइ बारसण्हं कसायाणं ॥२॥ वारसविहे कसाए खइए उवसामिए व जोगेहिं । लम्भइ चरित्तलंभो तस्स विसेसा इमे पंच ॥३॥ सामाइयं च पदम छेओवट्ठावणं भवे वीयं । परिहारविसुद्धीयं सुहुमं तह संपरायं च॥४॥ तत्तो य अहक्खायं खायं सबंमि जीवलोमि। जं चरिऊण सुविहिआ वचंतऽयरामरं ठाणं ॥५॥ अण दंस नपुंसित्थी वेयच्छकं च पुरुसवेयं च। दो दो एगन्तरिए सरिस सरिस उवसमेह ॥ ६॥ लोभाणु वेअंतो जो खलु उवसामओ व खवगो वा। सो सुहमसंपराओ अहखाया ऊपओ किंची ॥७॥ उवसामं उवणीआ गुणमहया जिणचरित्तसरिसंपि। पडिवायंति कसाया किं पुण सेसे सरागत्थे ? ॥८॥ जइ उवसंतकसाओ लहइ अणंतं पुणोऽवि पडिवायं । ण हु मे वीससियवं थेवे य(वि) कसायसेसंमि ॥९॥ अण यो वण थोवं अम्गीथोवं कसाय योवं चाण हु मे वीससियावं येपि हुतं पहुं होई ॥१२०॥ अण मिच्छ मीस सम्मं अट्ठ नपुंसित्थी वेयछकं च। पुंवेयं च खचेड़ कोहाईए य संजलणे ॥१॥ गइ आणुपुधि दो दो जाईनामं च जाव चाउरिंदी। आयावं उजोयं थावरनामं च सुहुमंच ॥२॥ साहारणमपजत्तं निहानिहं च पयलपयलं च। थीणं खवेइ ताहे अवसेस जं च अट्टण्हं ॥३॥ वीसमिऊण नियंठो दोहि उ समएहिं केवले सेसे । पढमे निहं पयलं नामस्स इमाउ पयडीओ ॥४॥ देवगइआणुपुची बिउवि संघयण पढमवजाई। अन्नयरं संठाणं तित्थयसहारनामं च ॥५॥ चरमे नाणावरणं पंचविहं ईसणं चउवियप्पं। पंचविहमंतराय खबइत्ता केवली होइ॥६॥ संभिण्णं पासंतो लोगमलोगं च सवओ सत्रं । तं नस्थि जंन पासइ भूयं भवं भविसं च ॥७॥ जिणपवयणउप्पत्ती पवयणएगट्ठिया विभागो य। दारविही य नयविही वक्वाणविही य अणुओगो ॥८॥ एगट्ठियाणि तिष्णि उ पवयण मुत्तं तहेव अत्यो । इकिकस्स य इत्तो नामा एगडिआ पंच ॥९॥ सुयधम्म तित्य मग्गो पावयणं पक्यणं च एगट्ठा। सुत्तं तंतं गंथो पाढो सत्यं च एगट्ठा ॥१३०॥ अणुओगो य नियोगो भास विभासा य बत्तिय चेव। अणुओगस्स उएए नामा एमट्ठिा पंच॥१॥णामं ठवणा दविए खित्ते नकाले य वयण भावे । एसो अणुओगस्स उणिक्खेवो होइ सत्तविहो ॥२७ वच्छग गोणी सुज्जा सझाए चेव बहिरउल्लायो। गामिडए यषयणे सत्तेव य हुँति भावमि ॥३॥ साव गभजा सत्तवइए अकुंकणगदारए नउले। कमलामेला संबस्स साहसं सेणिए कोवो॥४॥ कढे पुत्थे चित्ते सिरिघरिए पुंड देसिए चेव। भासग विभासए या बत्तीकरणे अ आहरणाS ॥५॥ गोणी चंदणकंथा चेडीओ सावए बहिर गोहे। टंकणओ ववहारो पडिवक्खो आयरियसीसे ॥ ६॥ कस्स न होही वेसो अणम्भुवमओ अ निरुवगारी अ । अप्पच्छंदमईओ पट्ठि. अओ गंतुकामो अ॥७॥ विणओणएहिं कयपंजली(पंजलिउडे)हिं उंदमणुअत्तमाणेहि। आराहिओ गुरुजणो सुर्य बहुविहं लहुं देह ॥ ८॥ सेलघण कुडग चालिणि परिपूणग हंस महिस मेसे अ। मसग जलूग बिराली जाहग गो भेरि आभीरी ॥९॥ उद्देसे निदेसे निग्गमे खित्त काल पुरिसे आकारण पश्य लक्षण नए समोआरणाऽणुमए ॥१४०॥ किं कइविह कस्स कहि केसु कहं केचिरं हवा कालं। कइ संतरमविरहि भवागरिस कोसण निरुत्ती ॥१॥ नाम ठवणा दविए खेते काले समास उदेसे । उद्देसुरेसंमि अभावमि अहोइ अट्ठमओ ॥२॥ एमेव य निदेसो अट्ठविहो सोऽवि होहणायचो। अविसेसिअमुद्देसो बिसेसिओ होइ निसो॥३॥ विपि णेगमणओ णिरेसं (दिङ)संगहो य ववहारो। निदेसगमजसो उ. मयसरित्यं च सहस्स॥नाम ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे। एसो उ निग्गमस्सा णिक्खेवो उचिहो होइ॥५॥ पंथं किर देसित्ता साइणं अडविविप्पणवाणं। सम्मत्तप ढमलंभो बोदो बदमाणस्स ॥६॥ अवरविदेहे गामस्स चिंतओ रायदावणगमणं । साहू भिक्खनिमित्तं सत्या हीणे तहिं पासे ॥१॥ भाष्यं । दाणऽन पंचनः गं अणुकंप गुरूक११७८ आवश्यक सनिर्यु- सूक्तिकं मूलसूत्र -निर्धान मुनि दीपरत्नसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हण सम्मत्तं। सोहम्मे उववण्णो पलियाउ मुसुरो महिड्ढीओ ॥२॥ भाष्य। लघृण य सम्मत्तं अणुकंपाए उसो सुविहियाणं । भासुरवरवोंदिधरो देवो वेमाणिओ जाओ॥७॥ चइऊण देवलोगा इह चेव य भारहमि वासंमि। इक्खागकुले जाओ उसमसुअसुओ मरीइत्ति ॥८॥ इक्खागकुले जाओ इक्खागकुलस्स होइ उप्पत्ती । कुलगरवंसेऽईए भरहस्स सुओ मरीइनि॥९॥ ओसप्पिणी इमीसे तइयाएं समाए पच्छिमे भागे। पलिओवमट्ठभाए सेसंमि उ कुलगरुप्पत्ती ॥१५०॥ अद्धभरहमज्झिले तियभागे गङ्गसिंधुमामि । इत्थ बहुमज्झदेसे उप्पण्णा कुल्लगरा सत्त ॥१॥ पुषभवजम्मनामं पमाण संघयणमेव संठाणं । वषिणत्थियाउ भागा भवणोचाओ य णीई य ॥२॥ अवरविदेहे दो वणिय वयंसा माइ उज्जए चेव । काल. गया इह मरहे हत्थी मणुओ अ आयाया ॥३॥ बटुं सिणेहकरणं गयमाहणं च नामणिप्फत्ती। परिहाणि गेहि कलहो सामत्थण विनवण हत्ति ॥४॥ पढमित्य विमलवाहण चक्युम जसमं चउत्थमभिचन्दे । तत्तो अ पसेणइए मरुदेवे चेव नाभी य॥५॥णव धणुसया य पढमो अट्ठ य सत्तऽवसत्तमाई च। उबेव अदछट्ठा पंच सया पण्णवीसं तु॥६॥ बजरिसहसंघयणा समचउरंसा य हुँति संठाणे। वर्णपि य वुच्छामि पत्तेयं जस्स जो आसी ॥७॥ चक्सुम जसमं च पसेणइ एए पिअंगुवण्णाभा। अभिचंदो ससिगोरो निम्मलकणगप्पभा सेसा ॥८॥ चंदजस चंदकंता सुरूव पडिरूव चक्खुकंता य। सिरिकता मरुदेवी कुलगरपत्तीण नामाई ॥९॥ संघयणं संठाणं उच्चत्तं चेव कुलगरेहिं समं । वण्णेण एगवपणा सघाउ पियंगुवण्णाओ॥१६०॥ पलिओवमदसभागो पढमस्साउं तओ असंखिजा। ते आणुपुधि हीणा पुवा नाभिस्स संखेजा ॥१॥ जं चेव आउयं कुलगराण तं चेव होइ तासिपि। जं पढमगस्स आउं तावइयं चेव हस्थिस्स ॥२॥ जं जस्स आउयं खलु तं दस भागे समं विभइऊणं। मजिझालऽढविभागे कुलगरकालं वियाणाहि ॥३॥ पढमो य कुमारत्ते भागो चरमो य युइढभावंमि। ते पयणुपिजदोसा सन्चे देवेसु उववण्णा ॥४॥ दो चेव सुवण्णेसुं उदहिकुमारेसु हुंति दो चेव । दो दीवकुमारेसुं एगो नागेसु उववण्णो ॥५॥ हत्थी छ. चित्धीओ नागकुमारेसु हुँति उववण्णा। एगा सिद्धि पत्ता मरुदेवी नाभिणो पत्ती॥६॥ हकारे मकारे धिकारे चेव दंडनीईओ। वुच्छं तासिं विसेसं जहकर्म आणुपुषीए ॥७॥ पढमबियाणं पढमा तइयचउत्थाण अभिनवा बीया। पंचम छहस्स य सत्तमस्स तइया अभिनवा उ॥८॥ सेसा उ दंडनीई माणवगनिहीउ होति भरहस्स। उसभस्स गिहावासे असकओ आसि आहारो॥९॥ परिभासणा उ पढमा मंडलिवंधमि होइ बीया उ। चारग छविछेआई भरहस्स चउचिहा नीई॥३॥ भाष्यं । नाभी विणीयभूमी मरुदेवी उत्तरा य साढा य। राया य वइरणाहो विमाणसवट्ठसिद्धाओ॥१७॥धणसत्थवाह घोसण जइगमण अडवि वासठाणं च। बहु बोलीणे वासे चिंता घयदाणमासि तया ॥१॥ उत्तरकुरु सोहम्मे महाविदेहे महब्बलो राया। ईसाणे ललियंगो महाविदेहे वइरजंघो॥१॥(पक्षिप्ता) उत्तरकुरु सोहम्मे विदेहि तेगिच्छियस्स तत्व सुओ। रायसुयसेट्टिऽमचासस्थाहसुया वयंसासे ॥२॥ विजसुअस्स य गेहे किमिकुट्ठोवदुअं जई दटुं। विति य ते विजसुयं करेहि एअस्स तेगिच्छं ॥३॥ तिल तेगिच्छसुओ कंबलगं चंदणं च वाणियओ। दाउं अभिणिक्खतो तेणेव भवेण अंतगडो॥४॥ साहुं तिगिच्छिऊणं सामण्णं देवलोगगमणं च। पुंडरगिणिए उ चुया तओ सुया बहरसेणस्स ॥५॥ पढमित्य वइरणाभो बाहु सुबाहू य पीढ महपीढे। तेसिं पिआ तित्थअरो णिक्खंता तेऽवि तत्थेव ॥६॥ पढमो चउदसपुत्री सेसा इकारसंगविउ चउरो। बीओ वेयावचं किइकम्मं तइअओ कासी ॥७॥ भोगफलं बाहुबलं पसंसणा जिट्ठ इयर अचियत्तं। पढमो तित्थयरत्तं वीसहि ठाणेहि कासीय ॥८॥ अरिहंत सिद्ध पवयण गुरु थेर बहुस्सुए तवस्सीसुं। वच्छलया एएसिं अभिक्खनाणोवओगे य॥९॥दसण विणए आवस्सए य सीलबए निरइआरो। खणलव तव चियाए वेयावच्चे समाही य ॥१८०॥अप्पुवनाणगहणे सुयभत्ती पवयणे पभावणया। एएहिं कारणेहिं तित्थयरत्तं लहइ जीवो॥१॥ पुरिमेण पच्छिमेण य एए सवेऽवि फासिया ठाणा। मज्झिमएहिं जिणेहिं एक दो तिण्णि सवे वा ॥२॥ तं च कहं बेइजइ? अगिलाए धम्मदेसणाईहिं। बज्झइ तं तु भगवओ तइयभवोसकइत्तार्ण ॥३॥ नियमा मणुयगईए इत्थी पुरिसेयरो य मुहलेसो। आसेवियबहुलेहिं वीसाए अण्णयरएहिं ॥४॥ उववाओ सबढे सवेसि पढमओ चुओ उसभो। रिक्खेण असाढाहिं असाढबहुले चउत्थीए ॥५॥ जम्मणे नाम वुड्ढी अ, जाईए सरणे इअ। वीवाहे अ अवचे अभिसेए रजसंगहे ॥६॥ चित्तबहुलट्ठमीए जाओ उसभो असाढणक्वत्ते। जम्मणमहो असो यचो जाव घोसणयं ॥ ७॥ संवह मेह आयंसगा य भिंगार तालियंटा य । चामर जोई रक्खं करेंति एयं कुमारीओ ॥८॥ देसूणगं च वरिसं सक्कागमणं च वंसठवणा य। आहारमंगुलीए ठवंति देवा मणुण्णं तु ॥९॥सको वंसट्ठवणे इक्सु अगू तेण हुंति इक्खागा । जं च जहा जंमि वए जोगं कासीय तं सव्यं ॥१९०॥ अह वड्ढइ सो भयवं दियलोयचुओ अणोवमसिरीओ। देवगणसंपरिखुडो नंदाइ सुमंगलासहिओ॥१॥असिअसिरओ सुनयणो बिंबुट्टो धवलदंतपंतीओ। वरपउमगभगोरो फुचुप्पलगंधनीसासो ॥२॥ जाइस्सरो अ भयवं अप्परिवडिएहिं | तिहि उ नाणेहिं । कंतीहि य बुद्धीहि य अम्भहिओ तेहि मणुएहिं ॥३॥ पढमो अकालमच्चू तहिं तालफलेण दारओ पहओ। कण्णा य कुलगरेणं सिढे गहिआ उसहपत्ती ॥४॥ भो. ११७९ आवश्यक सनियु-सूक्तिक मूलसूत्र, नियुiि मुनि दीपरत्नसागर श्री 27- 44 1 -- Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ A] गसमत्यं नाउं वरकर्म तस्स कासि देविंदो। दुहं वरमहिलाणं बहुकम्मं कासि देवीओ॥५॥छप्पुषसयसहस्सा पुषि जायस्स जिणवरिवस्स। तो भरहवंभिसुंदरिखाहुबली चेव जायाई | ॥६॥ देवीसुमंगलाए भरहो बंभी य मिहुणयं जायं। देवीइ सुनंदाए बाहुबली सुंदरी चेव ॥ ४॥ मूल भाष्यं । अउणापण्णं जुअले पुत्ताण सुमंगला पुणो पसवे । नीईणमइक्कमणे | निवेअणं उसमसामिस्स ॥७॥राया करेइ दंड सिढे ते चिंति अम्हवि स होउ। मम्गह य कुलगरं सो अबेइ उसभो य मे राया ॥८॥ आभोएउं सको उवागओ तस्स कुणइ अभिसेज। मउडाइअलंकारं नरिंदजोगं च से कुणइ ॥९॥ भिसिणीपत्तेहिअरे उदयं पित्तुं छुहंति पाएसु। साहु विणीआ पुरिसा विणीअनपरी अह निविट्ठा ॥२००॥ आसा हत्थी गावो गहियाई रजसंगहनिमित्तं। चित्तूण एवमाई चउविहं संगहं कुणइ ॥१॥ उग्गा भोगा रायण्ण खत्तिा संगहो भवे चउहा। आरक्खि गुरु वयंसा सेसा जे खत्तिा ते उ॥२॥ आहारे सिप्प कम्मे अ, मामणा अविभूसणा। लेहे गणिए अरुवे अ, लक्खणे माण पोअए ॥३॥ ववहारे नीइ जुद्धे अ, ईसत्ये अउवासणा। तिगिच्छा अस्थसत्ये अ, बंधे पाए अमारणा ॥४॥ जण्णसब समवाए, मंगले कोउगे इअ। वत्थे गंधे अ मळे अ, अलंकारे तहेव य॥५॥ चोलोवणय विवाहे अ, दत्तिया मडयपूयणा। झावणा थूम सद्दे य, छेलावणय पुच्छणा ॥६॥ आसी अ कंदहारा मूलाहारा य पत्तहारा य। पुष्फफलभोइणोऽविअ जइआ किर कुलगरो उसभो॥५॥ मू। आसी अ इक्खुभोई इक्खागा तेण खत्तिआ हुंति । सणसत्तरसं धणं आमं ओमं च भुंजीआ॥६॥ मू० ओमंडपाहारंता अजीरमाणमि ते जिणमुर्विति । हत्थेहिं घंसिऊणं आहारेहत्ति ते भणिआ ॥७॥ मू०। आसी अ पाणिघंसी तिम्मिअतंदुलपवालपुडभोई। हत्यतलपुडाहारा जइआ किर कुलकरो उसहो ॥८॥मूघसेऊणं तिम्मण घंसणतिम्मणपवालपुडभोई । घंसणतिम्मपवाले हत्थउडे कक्खसेए य ॥९॥मू। अगणिस्स य उहाणं दुमघंसा बठ्ठ भीअ परिकहणं । पासेसुं परिछिंदह गिण्हह पागं च तो कुणह ॥१०॥ मू। पक्खेव डहणमोसहि कहणं निग्गमण हस्थिसीसंमि। पयणारंभपचित्ती ताहे कासी अ ते मणुआ ॥११॥मून पंचेव य सिप्पाई घड लोहे चित्त गंत कासवए। इकिकस्स य इत्तो वीसं वीसं भवे भेया ॥७॥ कम्मं किसिवाणिजाइ मामणा जा परिम्गहे ममया । पुष्विं देवेहि कया विभूसणा मंडणा गुरुणो ॥१२॥ भाष्यं । लेहं लिवीविहाणं जिणेण बंभीइ दाहिणकरेणं । गणिों संखाणं सुंदरीइ वामेण उवइ8 ॥ ३॥ भरहस्स रूवकम्म नराइलक्सणमहोइयं बलिणो। माणुम्माणऽवमाणप्पमाणगणिमाइ वत्थूर्ण ॥४॥ मणिआई दोराइसु पोआ तह सागरंमि वहणाई। ववहारो लेहवर्ण कजपरिच्छेदणत्थं वा ॥५॥णीई हकाराई सत्तविहा अहव सामभेआई। जुदाई बाहुजुधाइआई वट्टाइआणं वा ॥६॥ ईसत्यं धणुवेओ उवासणा मंसुकम्ममाईआ। गुरुरायाईणं वा उवासणा पजुवासणया ॥७॥ रोगहरणं ति. गिच्छा अत्यागमसत्यमत्थसत्यंति। निअलाइजमो बंधो घाओ दंडाइताडणया ॥८॥ मारणया जीववहो जण्णा नागाइआण पूआओ। इंदाइ महा पायं पइनिअया ऊसवा हुंति ॥९॥ समवाओ गोट्ठीणं गामाईणं च संपसारो वा। तह मंगलाई सत्थियसुवण्णसिद्धत्थयाईणि ॥२०॥ पुष्विं कयाई पहुणा सुरेहिं रक्खाई कोउगाई च। तह वत्थगन्धमाछालंकारा केसभूसाई (य)॥१॥ तं दठूण पवत्तोऽलंकारेउं जणोऽवि सेसोऽवि । विहिणा चूलाकम्मं चालाणं चोलयं नाम ॥२॥ उवणयणं तु कलाणं गुरुमूले साहुणो तओ धम्मं । पितुं हवंति सड्ढा केई दिक्खं पवजति ॥३॥ द? कयं विवाहं जिणस्स लोगोऽवि काउमारदो। गुरुदत्तिआ य कण्णा परिणिते तओ पायं ॥४॥ दत्ती व दाणमुसभं दितं वटुंजणमिवि पवत्त। जिणभिक्खादाणंपिय द? भिक्खा पवत्ताओ॥५॥ मडयं मयस्स देहो तं मरुदेवीह पढमसिद्धत्ति। देवेहिं पुरा महिअं झावणया अग्गिसकारो॥६॥ सो जिणदेहाईणं देवेहिं कओ चिआसु थूभाई। सहो अरुण्णसदो लोगोऽवितओ तहा पगओ॥७॥छेलावणमुक्किट्ठाइ बालकीलावर्ण च सेंटाई। इंखिणिआ(मा)इ स्यं चा पुच्छा पुण किं कह कर्ज? ॥८॥ अहव निमित्ताईणं सुहसइआइ सुह(इसु)दुक्खपुच्छा वा। इचेवमाइ पाएणु(पुष्विं उ)प्पचं उसमकालंमि ॥९॥ किंचिच्च(त्थ) भरहकाले कुलगरकालेऽवि किंचि उप्पटं। पहुणा य देसिआई सपकला. सिप्पकम्माई ॥३०॥(भाष्य) उसमचरिआहिगारे सधेसि जिणवराण सामण्णं । संवोहणाइ बुत्तुं बुच्छं पत्तेअमुसमस्स ॥८॥ संबोहण परिचाए, पत्तेयं उबहिमि य। अनलिंगे कुलिंगे य, गामायार परीसहे ॥९॥ जीवोवलंभ सुयलंभे, पचक्खाणे य संजमे। छउमत्थ तवोकर्म, उप्पाया नाण संगहे ॥२१॥ तित्थं गणो गणहरा, धम्मोवायस्स देसगा। परिआअ अंतकिरिया, कस्स केण तवेण वा ॥१॥ सवेऽवि सयंबुद्धा लोगन्तिअमोहिआ य जीएण(न्ति)। सन्वेसिं परिचाओ संवच्छरियं महादाणं ॥२॥ रज्जाइचाओऽविय पत्तेअं को व कत्तिसमग्गो। को कस्सुवही? को वाऽणुण्णाओ केण सीसाणं? ॥३॥ सारस्सयमाइचा बण्ही वरुणा य गहतोया य। तुसिआ अव्याबाहा अम्गिचा चेव रिट्ठा य ॥४॥ एए देवनिकाया भयवं बोहिंति जिणवरिंदं तु । सव्वजगजीवहिअं भयवं ! तित्थं पवत्तेहि ॥५॥ संवच्छरेण होही अभिणिक्खमणं तु जिणवरिंदाणं। तो अस्थसंपयाणं पबत्तए पुष्वसूरंमि ॥६॥एगा हिरण्णकोडी अद्वैव अणूणगा सयसहस्सा। सूरोदयमाईअं दिजद्द जा पायरासीओ ॥७॥ सिंघाडगतिगचउकचचरचउमुहमहापहपहेसुं । दारेसु पुरवराणं रत्थामुहमज्झयारेसु ॥८॥ वरवरिआ घोसिज्जइ किमिच्छिों दिजए बहुविही। सुरअसुरदेवदाणवनरिंदमहिआण निक्खमणे ॥९॥ तिष्णेव य कोडिसया अट्ठासीई च हुंति कोडीओ। असिई च (२९५) ११८० आवश्यक सनियु- सूक्तिक मूलसूत्रे Trian मुनि दीपरत्नसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सयसहस्सा एवं संवच्छरे दिष्णं ॥ २२० ॥ वरवरिया समत्ता वीरं अरिट्ठनेमिं पास महिं च वासुपूजं च। एए मुत्तूण जिणे अवसेसा आसि रायाणो ॥ १ ॥ रायकुलेसुऽवि जाया विसुद्धव॑से खतिजकुले न य इच्छिआभिसेआ कुमारवासंमि पद्मइआ ॥ २ ॥ संती कुंथू अ अरो अरिहंता चेव चकवट्टी अ अवसेसा तित्थयरा मंडलिआ आसि रायाणो ॥ ३ ॥ एगो भगवं वीरो पासो मही अ तिहिं तिहिं सएहिं । भयवं च (पि) वासुपुजो छहि पुरिससएहि निक्खतो ॥ ४ ॥ उग्गाणं भोगाणं राइण्णाणं च वत्तिआणं च । चउहिं सहस्सेहिं उसहो सेसा उ सहस्सपरिवारा ॥ ५॥ बीरो अरिनेमी पासो मही अ वासुपुजो अ। पढमवए पवइआ सेसा पुण पच्छिमवयंमि ॥ ६ ॥ सवेऽवि एगदूसेण निम्गया जिणवरा चउडीसं । न य नाम अण्णलिंगे नो गिहिलिंगे कुलिंगे वा ॥ ७॥ सुमईऽत्य निबभत्तेण निग्गओ वासुपुज चउत्येणं । पासो महीविज अट्टमेण सेसा उ छद्वेणं ॥ ८ | उसमो अ विणीआए बारवईए अरिट्ठवरनेमी। अवसेसा तित्ययरा निक्खता जम्मभूमीसुं ॥ ९ ॥ उस भो सिद्धत्यवर्णमि वासुपूज्यो विहारगेहमि धम्मो अ बप्पगाए नीलगुहाए अ मुणिनामा ॥ २३० ॥ आसमपयंमि पासो वीरजिनिंदो अनायसंडंमि। अवसेसा निक्ता सहसंबवणंमि उज्जाणे ॥ १ ॥ पासो अरिनेमी सिजंसो सुमइ महिनामो अ। पुण्हे निक्खता सेसा पुण पच्छिमहंमि ॥ २ ॥ गामायारा विसया निसेविज ते कुमारवज्जेहिं। गामागराइएस व केसु विहारो भवे कस्स ? ॥ ३ ॥ मगहारायगिहाइसु मुणओ खित्तारिएस विहरिंसु । उसभो नेमी पासो वीरो य अणारिएपि ॥ ४॥ उदिआ परीसहा सिं पराइआ ते य जिणवरिंदेहिं नव जीवाइपयत्थे उवलभिऊणं च निक्खता ॥ ५ ॥ पढमस्स बारसंग सेसाणिकारसंग सुयलंभो। पंच जमा पढमंति जिणाण सेसाण चत्तारि ॥ ६ ॥ पञ्चक्खाणमिणं संजमो य पढमंतिमाण दुबिगप्पो सेसाणं सामइओ सत्तरसंगो ज सबेसिं ॥ ७ ॥ वाससहस्सं वारस चउदस अट्ठार वीस वरिसाई। मासा छनव तिष्णिय चउ तिग दुगमिक्कग दुगं च ॥ ८ ॥ तिग दुगमिकग सोलस वासा तिष्णि य तहेवऽहोरतं मासिकारस नवगं चउपण्ण दिणाई चुलसीई ॥ ९ ॥ तह बारस वासाई जिणाण छउमत्थकालपरिमाणं । उग्गं च तवोकम्मं विसेसओ बद्धमाणस्स ॥ २४० ॥ फग्गुणबहुलिकारसि उत्तरसाढाहि नाणमुसभस्स पोसिक्कारसि सुद्धे रोहिणिजोएण अजिजस्स ॥ १ ॥ कत्तिअबहुले पंचमि मिगसिरजोगेण संभवजिणस्स पोसे सुद्धचउद्दसि अभीइ अभिनंदणजिणस्स ॥ २ ॥ चित्ते सुद्धिकारसि महाहिं सुमइस्स नाणमुप्पण्णं चित्तस्स पुण्णिमाए पउमाभजिणस्स चित्ताहिं ॥ ३ ॥ फग्गुणबहुले छुट्टी विसाहजोगे सुपासनामस्स फम्गुणबहुले सत्तमि अणुराह ससिप्पहजिणस्स ॥ ४ ॥ कत्तिअसुदे तइया मूले सुविहिस्स पुप्फ दंतस्स । पोसे बहुलचउदसि पुडासाढाहिं सीअल (जिण) स्स ॥ ५ ॥ पण्णरसि माहबहुले सिर्जसजिणस्स सवणजोएण। सयभिसय वासुपुजे बीयाए माहसुद्धस्स ॥ ६ ॥ पोसस्स सुद्धछट्टी उत्तरभद्दवय विमलनामस्स वइसाहबहुलचउदसि रेवइजोएणडणं तस्स ॥ ७ ॥ पोसस्स पुण्णिमाए नाणं धम्मस्स पुस्सजोएण पोसस्स सुदनवमी भरणीजोगेण संतिस्स ॥ ८॥ चित्तस्स सुद्धतइआ कित्तिअजोगेण नाण कुंयुस्स। कत्तिअसुदे बारसि अरस्स नाणं तु रेवइहिं ॥ ९ ॥ मग्गसिरसुद्धइकारसीह महिस्स अस्सिणीजोगे। फग्गुणबहुले बारसि सवणेणं सुच्चयजिणस्स ॥ २५० ॥ मगसिरसुद्धिकारसि अस्सिणिजोगेण नमिजिनिंदस्स। आसोअमावसाए नेमिजिनिंदस्स चित्ताहिं ॥ १ ॥ चित्ते बहुलवउत्थी विसाहजोएण पासनामस्स । वइसाइसुद्धवसमी हत्थुत्तरजोगि वीरस्स ॥ २ ॥ तेवीसाए नाणं उप्पण्णं जिणवराण पुचण्हे। वीरस्स पच्छिमण्हे पमाणपत्ताए चरिमाए ॥ ३ ॥ उसभस्स पुरिमताले वीरस्सुजुवालिआनईतीरे । साण केवलाई जेसुजाणे पद्मइआ ॥ ४ ॥ अद्रुमभतंतंमी पासोसहमहिरिनेमीणं । वसुपुज्जस्स चउत्थेण छट्टभत्तेण सेसाणं ॥ ५ ॥ चुलसीइं च सहस्सा एगं च दुवे य तिष्णि लक्खाई। तिष्णि य वीसहिआई तीसहिआई च तिष्णेव ॥ ६ ॥ तिष्णि य अड्ढाइजा दुवे य एगं च सयसहस्साई चुलसीइं च सहस्सा बिसत्तरि अट्ठसद्धिं च ॥ ७॥ छावहिं चउसहिं बावडिं सद्विमेव पण्णासं । चत्ता तीसा वीसा अट्ठारस सोलस सहस्सा ॥ ८ ॥ चउदस य सहस्साइं जिणाण जइसीससंगहपमाणं अज्जासंगहमाणं उसभाईणं अओ वुच्छं ॥ ९ ॥ तिष्णेव य लक्खा तिणिय तीसा य तिन्नि छत्तीसा। तीसा य छच्च पंच य तीसा चउरो य वीसा य ॥ २६०॥ चत्तारि अ तीसाई तिण्णि य असिआई तिन्हमेत्तो य वीमुत्तरं छ अहिअं तिसइस्सहियं च लक्खं च ॥ १ ॥ लक्खं अट्ठसयाणि य बावद्विसहस्स चउसयसमग्गा एगट्टी उच्च सया सद्विसहस्सा सया छच्च ॥ २ ॥ सहि पणपण्ण पण्णेगचत्त चत्ता तहऽट्टतीसं च। छत्तीसं च सहस्सा अजाणं संगहो एसो ॥ ३ ॥ पढमाणुओगसिद्धो पत्तेअं सावयाइआणंपि। नेओ सङ्घजिणाणं सीसाण परिग्गहो (संगहो) कमसो ॥ ४ ॥ तित्यं चाउवष्णो संघो सो पढमए समोसरणे । उप्पण्णी अ जिणाणं वीरजिविंदस्स बीयंमि ॥ ५ ॥ चुलसीई पंचनउई विउत्तरं सोलसुत्तर सयं च सत्तहियं पणनउई तेणउई असीई य ॥ ६ ॥ इक्कासीई छावत्तरी य छावट्ठि सत्तवण्णा य पण्णा तेयालीसा छत्तीसा चेव पणतीसा ॥ ७ ॥ तित्तीस अट्ठवीसा अट्ठारस चैव तहय सत्तरस इकारस दस नवर्ग गणाण माणं जिनिंदाणं ॥ ८ ॥ एकारस उ गहरा जिणस्स वीरस्स सेसयाणं तु जावइया जस्स गणा तावइया गणहरा तस्स ॥ ९ ॥ धम्मोवाओ पवयणमहवा पुवाई देसगा तस्स सङ्घजिणाण गणहरा चउदसपुत्री व जे जस्स १९८१ आवश्यकं सनिर्यु- सूचिकं मूलसूत्रं नियुदित! मुनि दीपरत्नसागर Sandal De Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥२७० ॥ सामाइयाइया वा वयजीवणिकायभावणा पढम। एसो धम्मोवाओ जिणेहिं सरेहिं उबइवो ॥१॥ उसमस्स पुवलक्ख पुर्षगूणमजियस्स तं चेव । चउरंगूर्ण लक्ख पुणो पुणो जाव सुविहित्ति ॥२॥ पणवीसं तु सहस्सा पुषाण सीयलस्स परियाओ। लक्खाई इकबीर्स सिर्जसजिणस्स वासाणं ॥३॥ चउपर्ण पण्णारस तत्तो अट्ठमाई लक्खाई। अड्ढाइजाई तओ वाससहस्साई पणवीसं ॥४॥ तेवीसं च सहस्सा सयाणि अद्वमाणि य हवंति। इगवीसं च सहस्सा वाससऊणा यपणपण्णा ॥५॥ अट्ठमा सहस्सा अड्ढाइजाय सत्त य सयाई। सयरी विचत्तवासा दिक्खाकालो जिणिंदाणं ॥६॥ उसमस्स कुमार पुत्राणं वीसई सयसहस्सा। तेवट्ठी रजमी अणुपालेऊण णिक्संतो॥७॥ अजियस्स कुमारर्स अट्ठारस पुषसयसहस्साई। तेवण्णं रजमी पुर्वर्ग चेव बोदव्यं ॥८॥ पण्णरस सयसहस्सा कुमारवासो य संभवजिणस्स। चोयालीसं रजे चउरंग व बोदव्यं ॥९॥ अद्धत्तेरस लक्खा पुवाणऽमिणंदणे कुमारतं। छत्तीसा अदं चिय अटुंगा चेव रजमि ॥२८०॥ सुमइस कुमारतं हवंति दस पुवसयसहस्साई। अउणातीस रजे वारस अंगा य बोव्वा ॥१॥ पउमस्स कुमार पुत्राण. ऽदट्ठमा सयसहस्सा । अदं च एगवीसा सोलस अंगा य रजमि ॥२॥ पुच्चसयसहस्साई पंच सुपासे कुमारचासो उ। चउदस पुण रमी वीसं अंगा य बोद्धब्बा ॥३॥ अड्ढाइजा लक्खा कुमारवासो ससिप्पहे होइ। अदं छ चिय रजे चउवीसंगा य बोदव्या ॥४॥ पण्णं पुव्वसहस्सा कुमारवासो उ पुष्पदंतस्स। तावइयं रजमी अट्ठावीसं च पुव्वंगा॥५॥ पणवीससहस्साई पुव्वाणं सीयले कुमारत्तं। ताबइयं परियाओ पण्णासं चेवरजमि ॥६॥ वासाण कुमारत्तं इगवीसं लक्ख हुंति सिजसे। तावइयं परिआओ चायालीसं च रजंमि ॥७॥ गिहवासे अट्ठारस बासाणं सयसहस्स निजमेणं। चउपण्ण सयसहस्सा परियाओ होइ वासुपुजे ॥८॥ पण्णरस सयसहस्सा कुमारवासो य तीसई रज्जे। पग्णरस सयसहस्सा परियाओ होइ विमलस्स ॥९॥ अट्ठमलक्खाइं वासाणमणंतई कुमारते। तावइयं परियाओ रजमी हुंति पण्णरस ॥२९० ॥ धम्मस्स कुमारत्तं वासाणऽड्ढाइआई लक्खाई। तावइयं परियाओ रज्जे पुण ९ति पंचेव ॥१॥ संतिस्स कुमार मंडलिअचकिपरिआअ चउसुंपि। पत्तेयं पत्तेयं वाससहस्साई पणवीसं ॥२॥ एमेव य कुंथुस्सवि चाउसुवि ठाणेसु हुँति पत्तेयं । तेवीससहस्साई बरिसाण. ऽट्ठमसया य ॥३॥ एमेव अरजिणिदस्स चउसुवि ठाणेसु हुँति पत्तेयं । इगवीससहस्साई बासाणं हुति णायचा ॥ ४॥ मजिस्सवि वाससयं गिहवासे सेसयं तु परियाओ । चउपण्ण सहस्साई नव चेव सयाई पुण्णाई॥५॥ अट्ठमा सहस्सा कुमारवासो उ सुधयजिणस्स। तावइयं परियाओ पणरससहस्स रजमि ॥६॥ नमिणो कुमारवासो वाससहस्साई दुण्णि अर्द च। तावइयं परियाओ पंच सहस्साई रज्जमि ॥७॥ तिण्णेव य वाससया कुमारवासो अरिट्टनेमिस्स। सत्त य वाससयाई सामण्णे होइ परियाओ ॥८॥ पासस्स कुमारत्तं तीसं परियाओ सत्तरी होइ। तीसा य बद्धमाणे बायालीसा उ परिआओ॥९॥ उसमस्स पुबलवं पुर्वगुणमजिअस्स तं चेव । चउरंगूणं लक्खं पुणो पुणो जाच सुविहित्ति ॥३००॥ सेसाणं परियाओं कुमारवासेण सहियओ भणिओ। पत्तेयंपि य पुचं सीसाणमणुग्गहवाए ॥१॥छउमस्थकालमित्तो सोहेउं सेसओ उ जिणकालो। सच्चाउअंपि इत्तो उसमाईणं निसामेह ॥२॥ चउरासीइ विसत्तरि सट्ठी पण्णासमेव लक्खाई चत्ता तीसा वीसा दस दो एगं च पुधाणं ॥३॥ चउरासीइ पावत्तरी य सट्ठी य होइ वासाणं। तीसा य दस य एगं च एवमेए सयसहस्सा ॥४॥ SIपंचाणउह सहस्सा चउरासीई य पंचवण्णा या तीसा य दस य एर्ग सयं च वायत्तरी चेव ॥५॥ निव्वाणर्मतकिरिआ सा चउदसमेण पदमनाहस्स। उद्वेणं ॥६॥ अट्ठावयचंपुजितपावासम्मेअसेलसिहरेसुं। उसम वासुपूज नेमी वीरो सेसा य सिद्धिगया ॥७॥ एगो भयवं! वीरो तित्तीसाएँ सह निशुओ पासो। छत्तीसहिएहिं पंचहिंसएहिं नेमी उ सिद्धिगओ॥८॥ पंचहिं समणसएहिं माली संती उ नवसएहिं तु। अट्ठसएणं धम्मो सएहिं छहि वासुपूजजिणो॥९॥ सत्तसहस्साणंतइजिणस्स विमलस्स छस्सह. स्साई। पंचसयाई सुपासे पउमाभे तिष्णि अट्ठसया ॥३१०॥ दसहिं सहस्सेहिं उप्सभो सेसा उ सहस्सपरिखुडा सिदा। कालाइ जं न भणियं पढमणुओगाउ तं गेयं ॥१॥इवेवमाइ सव्वं जिणाण पढमाणुओगओ णेयं । ठाणासुण्णत्वं पुण भणियं पगयं अओ वुच्छ ॥२॥ उसमजिणसमुट्ठाण उद्यवाणं जं तओ मरीइस्स। सामाइअस्स एसो जं पुवं निग्गमोऽहिगओ ॥३॥ चित्तबहुलट्ठमीए चाउहिं सहस्सेहिं सो उ अवरोहे। सीआसुदसणाए सिद्धत्ववर्णमि छट्टेणं ॥४॥ चउरो साहस्सीओ लोअं काऊण अप्पणा चेव । जं एस जहा काही तं तह अम्हेऽपि काहामो ॥५॥ उसभो वरवसभगई चित्तृणमभिग्गह परमघोरं । बोसट्टचत्तदेहो विहरइ गामाणुगामं तु ॥६॥णवि ताव जणो जाणइ का भिक्खा ? केरिसा व भिक्खयरा। ते भिक्खमलभमाणा वणमझे तावसा जाया ॥३१॥ मू०॥ नमिविनमीणं जायण नागिंदो विजदाण वेअड्ढे । उत्तरदाहिणसेढी सट्ठी पण्णास नगराई॥७॥ भगवं अदीणमणसो संवच्छरमणसिओ विहरमाणो । कण्णाहिं निमंतिजइ वत्याभरणासणेहिं च ॥८॥ संवच्छरेण भिक्खा लद्धा उसमेण लोगनाहेण । सेसेहिं बीयदिवसे लदाउ पढमभिक्खाओ ॥९॥ उसमस्स उ पारणए इक्सुरसो आसि लोगनाहस्स । सेसाणं परमणं अमयरसरसोवमं आसी ॥३२०॥ पुढेच अहोदाणं दिवाणि य आहयाणि तुराणि। देवा य संनिवइआ वसुहारा ११८२आवश्यक सनियु- सूक्तिक मूलसूत्र, नियुक्ति मुनि दीपरत्नसागर Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चेव बुट्टा य ॥१॥ गयउर सिर्जसिक्सुरसदाण वसुहार पीढ गुरुपूआ । तक्लसिलायलगमणे पाहुबलिनिवेअणं चेव ॥२॥ हत्विणउरं असोजमा सावत्थी तहय चेव साके। विजयपुर बंभवलयं पाडलिसंड पउमसंडं ॥३॥ सेयपुरं रिद्वपुरं सिद्धत्थपुरं महापुरं चेव। धण्णकड बद्धमाणं सोमणसं मंदिरं चेव ॥४॥ चकपुरं रायपुर मिहिला रायगिहमेव बोदई। वीरपुरं बारबई कोअगडं कोलयम्गामो॥५॥ एएमु पढमभिक्खा लदाओ जिणवरेहिं सोहिं। दिण्णाउ जेहिं पढम तेसिं नामाणि वोच्छामि ॥६॥ सिजंस बभदत्ते सुरेंददत्ते य इंददत्ते य । पउमे य सोमदेवे महिंद वह सोमदत्ते य ॥ ७॥ पुस्से पुणवसू पुणनंद सुनंदे जए य विजए या तत्तो य धम्मसीहे सुमित्त तह बग्घसीहे य ॥८॥ अपराजिय विस्ससेणे वीसइमे होइ बंभदत्ते य। दिपणे वरदिपणे पुण धण्णे बहुले य बोदले॥९॥ एए कयंजलिउडा भत्तीचहुमाणसुक्कलेसागा। तकालपहट्ठमणा पडिला सुं जिणवरिंदे ॥३३०॥ सोहिंपि जिणेहिं जहिअं लदाउ पढमभिक्खाओ। तहिअं वसुहाराओ बुट्टाओ पुष्फबुट्टीओ ॥१॥ अदत्तेरसकोडी उक्कोसा तत्य होइ वसुहारा। अद्धत्तेरसलक्खा जहण्णिा होइ बसुहारा ॥२॥ सवेसिपि जि. णाणं जेहिं दिण्णाउ पढमभिक्खाओ। ते पयणुपिजदोसा दिववरपरकमा जाया ॥३॥ केई तेणेव भवेण निघुया सबकम्मउम्मुका। अग्ने (केई) तइयभवणं सिजिझस्संती जिणसगासे ॥४॥ कहई सब्विड्ढीए पूएऽहमदछै धम्मचकं तु। विहरइ सहस्समेगं छउमत्थो भारहे वासे ॥५॥चहलीअडंबइडा जोणगविसओ सुवण्णभूमी या आहिंडिया भगवया उसमेण तवं चरतेण ॥६॥ बहली य जोणगा पल्ह्गा य जे भगवया समणुसिट्ठा।अन्ना य मिच्छजाई ते तइया भदया जाया ॥७॥तित्थयराणं पढमो उसभरिसी(सिरी)विहरिओ निरुवसम्मो। अ रो अग्गयभूमी जिणवरस्स ॥८॥ छउमत्यो परियाओ वाससहस्सं तओ परिमताले। णग्गोहस्स य हेडा उप्पणं केवलं नाणं ॥९॥ फग्गणबहले एकारसीइ अह अट्टमेण - भत्तेणं। उप्पण्णंमि अणंते महव्वया पंच पण्णवए ॥३४०॥ उप्पण्णमि अणते नाणे जरमरणविप्पमुक्कस्स। तो देवदाणविंदा करिति महिमं जिणिंदस्त ॥१॥ उजाणपुरिमताले पुरीइ विणियाइ तत्य नाणवरं । चकुप्पायो य भरहे निवेयणं चेव दोहंपि॥२॥तायमि पूइए चक पूइयं पूयणारिहो ताओ। इहलोइयं तु चकं परलोयसुहाचहो ताओ ॥३॥ सह मरुदेवाइ निगओ कहर्ण पव्वज उसभसेणस्स। बंभीमरीइदिक्खा सुंदरी ओरोह सुअदिक्खा ॥४॥ पंच य पुत्तसयाई भरहस्स य सत्त ननुअसयाई। सयराह पव्वइया तंमि कुमारा समोसरणे ॥५॥ भवणवइवाणमंतरजोइसवासी विमाणवासी य। सबिड्ढीइ सपरिसा कासी नाणुप्पयामहिमं ॥ ६॥ दतॄण कीरमाणिं महिमं देवेहि खत्तिओ मरिई। सम्मत्तलबबुद्धी धम्म सो. ऊण पाइओ॥७॥ मागहमाई विजयो सुंदरि पत्रज बारसऽभिसेओ। आणवण भाउगाणं समुसरणे पुच्छ दिटुंतो ॥८॥ बाहुबलिकोवकरणं निवेयणं चकि देवया कहण । नाहम्मेणं जुज्को दिक्खा पडिमा पइण्णा य ॥९॥ पढमं दिट्टीजुद्ध वायाजुदं तहेव वाहाहिं। मुट्ठीहि य दंडेहि यसबत्यवि जिप्पए भरहो॥३२॥ भा०ासो एव जिप्पमाणो बिहुरो अह नरवई विचिं. तेइ। किं ममि एस चक्की? जह दाणिं दुबलो अयं ॥३३॥ संवच्छरेण धूर्य अमूढलक्खो उ पेसए अरिहा । हत्थीओ ओवरत्ति य वुत्ते चिंता पए नाणं ॥३४॥ उप्पण्णनाणरयणो तिष्णपइण्णो जिणस्स पामूले। गंतुं तिथं नमिउं केवलिपरिसाइ आसीणो ॥३५॥ काऊण एगछत्तं भरहोऽविअ भुंजए विउलभोए। मरिईवि सामिपासे बिहरइ नवसंजमसमग्गो ॥३६॥ सामाइअमाईअं इक्कारसमाउ जाव अंगाउ । उजुत्तो भत्तिगतो अहिजिओ सो गुरुसगासे॥३॥ अह अण्णया कयाई (मरीई) गिम्हे उण्हेण परिगयसरीरो। अण्हाणएण चइओ इमं कुलिंगं विचिंतेइ ॥३५०॥ मेरुगिरीसमभारे न समत्योऽहं मुहुत्तमवि वोढुं । सामण्णए गुणे गुणरहिओ संसारमणुकखी ॥१॥ एवमणुचितंतस्स तस्स निअगा मई समुप्पण्णा। लदो मए उवाओ जाया मे सासया बुद्धी ॥२॥ समणा तिदंडविरया भगवंतो निहुअसंकुइजअंगा। अजिईदियदंडस्स उ होउ तिदंडं महं पिंधं ॥३॥ लोइंदिअमुंडा संजया उ अहयं सुरेण ससिहो य। थूलगपाणिवहाओ वेरमणं मे सया होउ॥४॥ निकिंचणा य समणा अकिंचणा मज्झ किंचणं होउ। सीलसुगंधा समणा अहयं सीलेण दुग्गंधो ॥५॥ ववगयमोहा समणा मोहच्छण्णस्स छत्तय होउ। अणुवाहणा य समणा मा तु उचाहणा होन्तु ॥६॥ मुकंबरा यसमणा निरंवरा मझधाउरत्ताई। इंतुय मे पत्याई अरिहो मि कसायकलसमई ॥७॥ वजंतिऽवजभीरू बहुजीवसमाउलं जलारंभ। होउ मम परिमिएणं जलेण व्हार्ण च पिवणं च ॥८॥ एवं सो रुदअमई निअगमहविगप्पियं इमं लिंग। तद्धितहेउसुजुत्तं पारिखजं पयतेइ ॥९॥ अह तं पागडरूवं वळू पुच्छेइ बहुजणो धम्म । कहा जईणं तो सो विआलणे तस्स परिकहणा ॥३६०॥ धम्मकहाअक्सित्ते उपविए देइ भगवओ सीसे। गामनगराइयाई विहरर सो सामिणा सद्धिं ॥१॥ समुसरण भत्त उग्गह अंगुलि झय सक साक्या अहिया। जेआ बड्ढइ कागिणि लंछण अणुसजणा अट्ठ॥२॥राया आइयजसो महाजसे अइबले य बलभदे । बलविरिए कत्तविरिए जलविरिए दंडपिरिए य॥३॥ एएहिं अद्धभरहं सवलं भुत्तं सिरेण धरिओ या पवरो जिणिंदमउडो सेसेहिं न चाइओ बोढुं ॥४॥ अस्सावगपडिसेहो | छट्टे छढे य मासि अणुओगो। कालेण य मिच्छत्तं जिणंतरे साहुवोच्छेओ ॥५॥ दाणं च माहणाणं वेए कासी अपुच्छ निवाणं । कुंडा थूम जिणहरे कविलो भरहस्स दिक्खा य॥६॥ ११८३आवश्यक सनियु- सूक्तिकं मूलसूत्र, forgiri मुनि दीपरत्नसागर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (मूलदारगाहा) पुणरवि य समोसरणे पुच्छीय जिणं तु चक्किणो भरहे। अप्पुट्ठो य दसारे तित्थयरो को इहं भरहे ? ॥ ७ ॥ जिणचकिदसाराणं वण्ण पमाणाई नामगोताई। आऊ पुर माइपियरो परियाय गहं च साहीय ॥ ८॥ जारिसया लोयगुरू भरहे वासंमि केवली तुभे। एरिसया कइ अने ताया हो हिंति नित्थयरा ? ॥३८॥ भा० अह भगइ जिणवरिंदो भरहे वास मि जारिसो अह एसिया तेवीसं अण्णे होहिंनि तित्थयरा ॥ ९ ॥ होही अजिओ संभव अभिनंदण सुमइ सुप्पभ सुपासो। सति पुष्पदंन सीअल सिजो बापूजी य ॥ ३७६ ॥ विमलमनइ धम्मो संती कुंथू अरो य माडी य मुनिसुइय नमि नेमी पासो तह वहमाणो य ॥ १ ॥ अह भणइ नरवरिंदो भरहे वासंमि जारिसी उ अहं नारिसया कइ अण्णे ताया! होहिंति रायाणो ? ॥ २ ॥ अह भणइ जिनवरिंदो जारिसओ नं नरिदसलो एरिसया एकारस अण्णे होहिनि रायाणो ॥ ३ ॥ होही सगरो मघवं सर्णकुमारो य रायसल संती कुंथू य अरो होइ भूभो य कोरो ॥ ४ ॥ णवमो य महापउमो हरिसेणो चेव रायसद्द्द्लो। जयनामो य नरवई वारसमो भदत्तो य ॥ ५॥ होहिति वासुदेवा नव अण्णे नीलपी अकोसिजा । हलमुसलच कजोही सतालगरुडज्झया दो दो ॥ ३९॥ भा० तिविट्ट् य दिवि सयंभु पुरिमुत्तमे पुरिससीहै। तह पुरिसपुंडरीए दने नारायणे कण्हे ॥ ४० ॥ अयले विजए भद्दे. सुप्पभे य सुदंसणे आणंदे णंदणे पउमे रामे आवि अपच्छिमे ॥ १॥ आसग्गीवे तारय मेरय महुकेढवे निशुंभे य बलि पहराए तह रावणे य नवमे जरासिंधू ॥ २ ॥ एए खलु पडिसन् कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं स य चक्कजोही सवे य ह्या सचकेहिं ॥ ४३ ॥ भा० । पउमाभवासुपूजा रत्ता ससिपुष्पदंत ससिगोरा सुइयनेमी काला पासो मही पियंगाभा ॥ ६ ॥ वरकणगतचित्रगोरा सोलस नित्यंकरा मुणेयवा। एसो बण्णविभागो चडवीसाए जिणवराणं ॥ ७॥ पंचे अद्धपंचम बनारऽदुङ तह निगं चैव । अढाइला दृष्णि य दिवढमेगं धणुसयं च ॥ ८ ॥ नउई असीइ सत्तरि सट्ठी पण्णास होइ नायवा पणयाल चत्त पणतीस तीसा पणवीस वीसा य ॥ ९५ ॥ पण्णरस दस घणूणि य नव पासो सत्तरयणिओ वीरो नामा पुवृत्ता खलु निन्थ यराणं मुणेया ॥ ३८० ॥ मुणिसुखओ य अरिहा अरिनेमी य गोअमसगुत्ता। सेसा तित्थयरा खलु कासवगुत्ता मुणेया ॥ १॥ इक्स्वागभूमि उज्झा सावत्थी विणिअ कोसलपुरं च । कोसंबी वाणारसि चंद्राणण तहय काकं (ई) दी ॥ २ ॥ भद्दिलपुर सीहपुरं चंपा कंपिल उज्झ रयणपुरं तिष्णेव गयपुरंमी मिहिला तह चेव रायगिहं ॥ ३ ॥ मिहिला सोरिअनयरं वाणारसि नह य होइ कुंडपुरं । उसभाईण जिणाणं जम्मणभूमी जहासंखं ॥ ४ ॥ मरुदेवि विजय सेणा सिद्धस्था मंगला मुसीमा य पुहवी लक्खण सामा नंदा विण्डु जया रामा ॥ ५ ॥ सुजसा मुश्य अइरा, सिरी देवी पभावई पउमावई य बप्पा य, सिव बम्मा तिसला इअ ॥ ६ ॥ नाभी जिअसत्तू या. जियारी संवरे इअ मेहे घरे पड्डे य, महसेणे य खत्तिए ॥ ७ ॥ सुग्गी दढरहे विह. वपूजे य खनिए कयवम्मा सीहसेणे य, भाणू विससेणे इअ ॥ ८॥ सूरे सुदंसणे कुंभे सुमित विजए समुदविजए य राया य अम्ससेणे सिद्धत्थेऽविय खनिए ॥ ९ ॥ सोऽचि गया मुक्खं जाइजरामरणबंधणविमुक्का । तित्थयरा भगवंतो सासयसुक्खं निराबाहं ॥ ३९० ॥ सवेऽवि एगवण्णा निम्मलकणगप्पभा मुणेयवा । छक्खंडभरहसामी तेसि पमाणं अओ बुच्छं ॥ १ ॥ पंचसय अपंचम बायालीसा य अणुअं च इगयाल धणुस्सदं च चउत्थे पंचमे चत्ता ॥ २ ॥ पणतीसा तीसा पुण अट्ठावीसा य बीस घणूणि । पण्णरस बारसेव य अपच्छिमो सत्त य घणूणि ॥ ३ ॥ कासवगुत्ता सत्रे चउदसरयणाहिया समक्खाया। देविंदबंदिएहिं जिणेहिं जिअरागदोसेहिं ॥ ४ ॥ चउरासीई बावतरी अ पुत्राण सयसहस्साई पंच य तिष्णि अ एगं च सयसहस्सा उ वासाणं ॥ ५ ॥ पंचाणउड सहस्सा चउरासीई अ अद्धतेसट्टी तीसा व दस य निष्णि अ अपच्छिमे सन वाससया ॥ ६ ॥ जम्मण विणीअ उज्झा सावत्थी पंच हत्थिणपुरंमि वाणारसि कंपिल्ले रायगिहे व कंपि ॥ ७॥ सुमंगला जसवई मदा सहदेवि अडर सिरि देवी तारा जाला मेरा य वप्पमा तह य चुलणी अ॥ ८ ॥ उसमे सुमित्तविज समुद्रविजए अ अस्ससेणे अ तह बीससेण सूरे सुदंसणे कन्नविरिए अ ॥ ९ ॥ पउमुत्तरे महाहरि विजए राया तब बंभे य। ओसप्पिणी इमीसे पियनामा चक्कवट्टीणं ॥ ४०० ॥ अहेब गया मोक्खं सुभुमो वंभो य सत्तमि पुढविं । मघवं सर्णकुमारो सर्णकुमारं गया कप्पं ॥ १ ॥ दण्णेण वासुदेवा सबै नीला बलाय मुक्लिया एएसिं देहमाणं वृच्छामि अहाणुपुच्चीए ॥ २ ॥ पढमो घणूणऽसीई सत्तरि सही अ पण्ण पणयाला अउणत्तीसं च धणू छब्बीसा सोलस दसेव ||३|| बलदेववासुदेवा अद्वेव हवंति गोयमसगुत्ता। नारायणपमा पुर्ण कासवगुत्ता मुणेयता ॥ ४ ॥ चउरासीइ बिसन्तरि सट्ठी तीसा य दस य लक्खाई। पण्णट्टि सहस्साई छप्पण्णा बारलेगं च ॥ ५ ॥ पंचासीई पण्णत्तरीय पण्णडि पंचवाय सत्तरस सयसहस्सा पंचमए आउयं होइ ॥ ६ ॥ पंचासीइ सहस्सा पण्णड़ी तह य चैव पण्णरस वारस सयाई आउं बलदेवाणं जहासंखं ॥ ७॥ पोयण बारवद्दत्तिग अस्सपुरं तह य होइ चकपुरं । वाणारसि रायगिहं अपच्छिमो जाउ महुराए ॥ ८ ॥ मिगावई उमा चेव पुहवी सीआय अम्मया लच्छीवई सेसमई गई देवई इय ॥ ९ ॥ मंद सुभदा सुप्पभ सुदंसणा विजय वैजयंती य तह य जयंती अपराजिया य तह रोहिणी चेव ॥ ४१० ॥ हवइ पयावर बंभो रुदो सोमो सिवो महसिवो य अग्मिसिहे य दसरहे नवमे भणिएव वसुदेवे ॥ १ ॥ परियाओ पहजाऽभावाओ नत्थि वासुदेवाणं होइ बलाणं सो पुण पढमऽणुओगाउ गायत्री ॥ २ ॥ एगो य सत्तमीए पंच य छट्टीए पंचमी एगो एगो य चउत्थीए (२९६) १९८४ आवश्यक सनिर्यु- मूक्तिकं मूलसूत्र, नि 1 1 मुनि दीपरत्नसागर Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कहो पुन तपपुटपीए ॥३॥ अईतगडा रामा एगो पुन बमोगकप्पमि। उववतु तो चहउँ सिज्मिस्सइ भारहे वासे ॥४॥ अणिप्राणकडा रामा सोऽविय केसवा निआणकडा। हा उदंगामी रामा केसब सो अहोगामी ५॥ उसमो बरक्समगई ततिअसमापच्छिमंमि कालंमि। उप्पणो पढमजिणो भरहपिया भारहे वासे प०२॥ पण्णासालक्खेहि कोडीणं साग राण उसमाओ। उप्पामो अजिअजिणो ततिओ तीसाएं लक्लेहिं ॥३॥ जिणवसहसंभवाओ दसहि उ लक्खेहि अयस्कोडीणं । अभिनंदणो उ भगवं एमकालेण उप्पणो ॥४॥अ. मिजंदणाउ मुमती नवहिं उ लक्सहिं अयरकोडीणं । उप्पण्णो मुहपणो सुप्पभनामस्स वोच्छामि ॥५॥णउईय सहस्सेहिं कोडीणं सागराण पुण्णाण । सुमइजिणाओ पाउमो एवनिकालेण उप्पणो ॥६॥ पउमप्पहनामाओ नवहिं सहस्सेहिं अयरकोडीणं। कालेणेवइएणं सुपासनामो समुप्पण्णो ॥ ७॥ कोडीसएहिं नवहिं उसुपासनामा जिणो समुप्पण्णो। चं. दप्पमो पमाए पभासयंतो उ तेलोकं ॥८॥णउईए कोडीहिं ससीउ सुविही जिणो समुप्पण्णो। सुविहिजिणाओ नवहि उ कोडीहिं सीयलो जाओ ॥९॥ सीयलजिणाउ भगवं! | सिजसो सागराण कोडीए। सागरसयऊणाए चरिसेहिं तहा इमेहिं च ॥१०॥ छत्रीसाएँ सहस्सेहिं चेव छासट्ठीसयसहस्सेहिं । एतेहिं ऊणिया खलु कोडी मम्मिलिआ होइ ॥१॥ चउ पण्णा अयराणं सिजंसाओ जिणो उवासुपूजोबासुपूजाओ विमलो तीसहिं अयरेहिं उप्पण्णो ॥२॥ विमलजिणा उप्पण्णो नवहिं उ अपरेहिऽर्णतइजिणोऽवि। चउसागरनामे(माणे) हिम अर्णतईतो जिणो धम्मो ॥३॥ धम्मजिणाओ संती तीहि उ तिचउभागपलियऊणेहिं । अपरेहि समुप्पण्णो पलियबेणं तु कुंथुजिणो॥४॥ पलियचउम्भाएणं कोडिसहस्सूणएण वासार्ण। कुंथओ अरणामो कोडिसहस्सेण मलिजिणो ॥ ५॥ मल्लिजिणाओ मुणिसुधओ य चउपण्णवासलक्खेहिं । सुण्यनामाउ नमी लक्खेहि छहिं उ उप्पण्णो ॥ ६॥ पंचहिं लक्खेहि तओ अरिहनेमी जिणो समुप्पणी। तेसीइसहस्सेहिं सएहिं अदट्ठमेहिं च ॥७॥ नेमीओ पासजिणो पासजिणाओ य होइ वीरजिणो। अढाइजसएहिं गएहिं चरमो समुप्पण्णो ॥८॥ उसमे भरहो अजिए सगरो मघवं सणकुमारो य । धम्मस्स य संतिस्स य जिणंतरे चक्कवहिदुर्ग ॥ ६॥ संती कुंथू अ अरो अरहंता चेव चकवट्ठी य । अरमाहीअंतरे ऊ हवा मुभूमो य कोखो ॥७॥ मुणिसुपए नर्मिमि अति दुवे पउमनामहरिसेणा। नमिनेमिसु जयनामो अरिट्ठपासंतरे बंभो ॥८॥ पंचऽरहते वंदति केसवा पंच आणुपुछीए। सिर्जस तिविट्ठाईधम्मपुरिससीहपेरंता ॥९॥ अरमतिअंतरे दुण्णि केसवा पुरिसपुंडरिअदत्ता। मुणिसुबयनमिअंतरि नारायण कण्हु नेमिमि ॥४२०॥ चकिदुग हरिपणगं पणगं चकीण केसवो चक्की । केसव चकी केसब तुचकि केसी अचकी अ॥१॥अह भणइ नरवरिंदो ताय ! इमीसित्तिआइ परिसाए। अण्णोऽवि कोऽवि होही भरहे वासंमि तित्थयरो ?॥४४॥मानन्ध मरी. ईनामा आइपरिवायगो उसमनत्ता । समायझाणजुत्तो एगते झायइ महप्पा ॥२॥ तं दाएद जिणिंदो एवं नरिंदेण पुच्छिओ संतो। धम्मवरचकवही अपच्छिमो वीरनामुत्ति ॥३॥ आइगरु दसाराणं तिविठ्ठ नामेण पोअणाहिबई । पिअमित्तचकवट्टी मूआइ विदेहवासंमि ॥ ४॥ तं वयणं सोऊणं राया अंचियतणूहसरीरो। अभिवंदिऊण पिअरं मरीइमभिवंदओ जाइ॥५॥ सो विणएण उवगओ काऊण पयाहिणं च तिक्खुत्तो। वंदह अभित्थुणतो इमाहिं महुराहिं बम्गृहि ॥ ६ ॥ लाहा हु ते सुलद्धा जं सि तुमं धम्मचकवट्टीणं । होहिसि दसच. उदसमो अपच्छिमो वीरनामुत्ति ॥ आणवि ते पारिव्यजं वंदामि अहं इमं व ते जम्मं । जं होहिसि तित्थयरो अपच्छिमो तेण वंदामि ॥८॥ एवण्हं थोऊणं काऊण पयाहिणं च तिक्खुनो। आपुच्छिऊण पिअरं विणीअणगरि अह पविट्ठो॥९॥ तवयणं सोऊणं तिवई अप्फोडिऊण तिक्खुत्तो। अन्भहिअजायहरिसो तत्थ मरीई इमं भणइ ॥४३०॥ जइ वासुदेव पढमो मूआइ विदेहि चकवहितं (ही य)। चरमो तित्थयरार्ण होउ अलं इत्तिकं मम ॥१॥ अहयं च दसाराणं पिआ य मे चक्कवहिवंसस्स । अजो तित्थयराणं अहो कुलं उत्तम मजा ॥२॥ अह भगवं भवमहणो पुथाणमणूणगं सयसहस्सं । अणुपुधिचिहरिऊर्ण पत्तो अट्ठावयं सेलं ॥३॥ अट्ठावयंमि सेले चउदसभत्तेण सो महरिसीणं । दसहि सहस्सेहि समं निशाणमणुत्तरं पत्नो ॥४॥ निशाणं चिहगागिई जिणस्स इक्वाग सेसयाणं च। सकहा थूम जिणहरे जायग तेणाऽऽहिअग्गित्ति ॥५॥ थूभसय भाउगाणं चउवीसं चेच जिणहरे कासी। सजिणाणं पडिमा वण्णपमाणेहिं निअएहिं ॥४५॥ मा०। आयंसघरपवेसो भरहे पडणं च अंगुलीयस्स । सेसाणं उम्मुअणं संवेगो नाण दिक्खा य॥६॥ पुच्छंताण कहेइ उवहिए देइ साहुणो सीसे। गेलनि अपडिअरणं कविला ! इत्यपि इहयपि ॥आ दुभासिएण इक्केण मरीई दुक्खसायरं पत्तो। भमित्रो कोडाकोडिं सागरसरिनामधेजाणं ॥८॥ तम्मूलं संसारो नीआगोतं च कासि तिवइंमि । अपटिकतो बभे कविलो अंतदिओ कहए॥९॥ इक्खागेसु मरीई चउरासीई य बंभलोगमि। कोसिउ कुल्लागंमी असीइमाउं च संसारो ॥४४०॥ थूणाइ पूसमित्तो आउं बावत्तरिं च सोहम्मे। चइय अग्गिजोओ चोचट्ठीसाणकप्पमि ॥१॥ मंदरे(दिरए) अग्गिभूई छप्पण्णा उ सणकुमारंमि। सेयवि भारदाओ चोयालीसं च माहिदे ॥२॥ संसरिय थावरो रायगिहे चउतीस अमलोगम्।ि उस्मुवि पारिख ममिओ तत्तो य संसारे ॥३॥ रायगिहि विस्सनंदी विसाहभूई व तस्स जुक्राया। जुबरणो विस्सभूई विसाहनंदी य इयरस्स ॥४॥ ११८५आवश्यकं सनियु- मूक्तिक मूलसूत्र, nिglor मुनि दीपरनसागर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ E रायगिह विस्मभूई विसाहभूइसुअ खत्तिए कोडी। वाससहस्सं दिक्खा संभूयजइस्स पासंमि ॥५॥ गोत्तासिउ महुराए सनिआणो मासिएण भत्तेणं । महसुके उववण्णो तओ चुओ पोयणपुरंमि ॥६॥ पुनो पयावइस्सा मिश्रावईदेविकृच्छिसंभूओ। नामेण तिक्तृित्ती आई आसी दसाराणं॥७॥ चुलसीइमप्पइट्टे सीहो नरएम तिरियमणुएम। पियमित्त चकवट्टी मूयाइ विदेहि चुलसीई॥८॥ पुत्तो धर्णजयस्सा पुहिल परियाउ कोडि सबढे। णंदण छत्तग्गाए पणवीसाउं सयसहस्सा ॥९॥ पत्रज पुहिले सयसहस्स सम्वत्थ मासभत्तेणं । पुष्फुत्तरि उववण्णो तओ चुओ माहणकुलंमि ॥ ४५ ॥ अरिहंतसिद्धपवयण ॥१॥ सण॥२॥ अप्पुव०॥ ३ ॥ पुरिमेण ॥ ४ ॥तं च कह ॥ ५॥ नियमा० ॥६॥माहणकुंडग्गामे कोडालसगुनमाहणो अस्थि। तस्स घरे उववष्णो देवाणंदाइ कुच्छिंसि ॥७॥ सुमिणमवहारऽभिग्गह जम्मणमभिसेय बुद्दिढ सरणं च। मेसण विवाहऽयचे दाणं संबोह निक्षमणे ॥४५८॥ गय वसह सीह अभिसेय दाम ससि दिणयरं झये कुम्भं । पउमसर सागर विमाणभवण स्यणुबय सिहिं च ॥४६॥ एए चउदस सुमिणे पासइ सा माहणी सुहपसुत्ना । जं स्यणि उववण्णो कुच्छिंसि महायसो वीरो ॥ ७॥ अह दिवसे बासीई वसइ तहिं माहणीइ कुञ्छिसि । चिंता सोहम्मवई साहरिउं जे जिणं कालो ॥ ८॥ अरहंत चकवडी बलदेवा चेव वासुदेवा या एए उत्तमपुरिसा न हु तुच्छकुलेसु जायंति ॥९॥ उम्गकुलभोगखत्तिअकुलेसु इक्खागनायकोरवे । हरिवंसे य विसाले आयंति तहिं पुरिससीहा ॥६०॥ अह भणइ णेगमेसि देविंदो एस इत्य तित्थयरो। लोगुत्तमो महप्पा उबवण्णो माहणकुलंमि ॥१॥ खत्तिअकुंडग्गामे सिद्धत्थो नाम खत्तिओ अस्थि। सिद्धत्थभा. रिआए साहर तिसलाइ कुच्छिसि ॥२॥ बादंति भाणिऊणं वासारत्तस्स पंचमे पक्खे । साहरइ पुञ्चरते हत्थुत्तर तेरसीदिवसे ॥३॥ गयगाहा ॥४॥ एए चोइस सुमिणे पासइ सा माहणी पडिनिअत्ते। जं रयणी अवहरिओ कुच्छी महायसो वीरो॥५॥ गय० ॥६॥ एए चोइस सुमिणे पासइ सा तिसलया सुहपमुत्ता। जं स्यणि साहरिओ कुच्छिसि महायसो वीरो ॥७॥ तिहिं नाणेहिं समग्गो देवीतिसलाइ सो य कुच्छिसि । अह वसइ सण्णिगन्भो छम्मासे अद्धमासं च ॥ ८॥ अह सत्तमंमि मासे गम्भत्यो चेवऽभिग्गहं गिण्हे । नाहं समणो होहं अम्मापिअरंमि जीवंते ॥९॥दोहं वरमहिलाणं गब्भे वसिऊण गम्भसुकुमालो। नवमासे पडिपुण्णे सत्त य दिवसे समइरेगे ॥६०॥ अह चित्तसुद्धपक्खस्स तेरसीपुव्वरनकालंमि। हत्युत्तराहिं जाओ कुण्डम्गामे महावीरो ॥१॥ आभरणरयणवासं वुटुं तित्थंकरमि जायंमि । सको अ देवराया उवागओ आगया निहओ॥२॥ तुट्टाओ देवीओ देवा आणंदिआ सपरिसागा। भयवंमि वद्धमाणे तेलुकसुहावहे जाए ॥३॥ भवणवइवाणमंतरजोइसवासी विमाणवासी अ। सव्विड्डीए सपरिसा चाउम्विहा आगया देवा ॥४॥ देवेहि संपरिखुडो देविंदो गिहिऊण तित्ययरं । नेऊणं मंदरगिरि अभिसेअंतस्थ कासी॥५॥ काऊण य अभिसेअं देविंदो देवदाणवेहिं समं। जणणीइ समप्पित्ता जम्मणमहिमं च कासीअ ॥६॥ खोमं कुंडलजुअलं सिरिदामं चेव देइ सको से। मणिकणगरयणवासं उवच्छभे जंभगा देवा ॥७॥ वेसमणवयणसंचोइआ उ ते तिरिअजंभगा देवा। कोडिग्गसो हिरण्णं रयणाणि अतत्य उवणिति ॥८॥ अह बढइ सो भयवं दिअलोअचुओ अणोवमसिरीओ। दासीदासपरिखुडो परिकिण्णो पीढमद्देहिं ॥९॥ असिअसिरओ सुनयणो ॥७०॥ जाईसरो यमयवं॥१॥ अह ऊणअट्ठवासस्स भगवओ सुखराण मज्झमि। संतगृणुकित्तणयं करेइ सको सुहम्माए ॥२॥ वालो अबालभावो अबालपरकमो महावीरो। न हु सकइ मेसेउं अमरेहिं सईदएहिपि ॥३॥ तं वयणं सोऊणं अह एगु सुरो असहहंतो उ। एइ जिणसण्णिगासं तुरियं सो भेसणहाए॥४॥ सप्पं च तरुवरंमी काउं तिंदूसएण डिंभं च। पिट्ठी मुट्ठीइ हो बंदिय वीरं पडिनियत्तो ॥५॥ अह तं अम्मापियरो जाणित्ता अहियअट्ठवासं तु । कयकोउअलंकारं लेहायरियस्स उवणिंति ॥६॥ सक्को य तस्समक्खं भगवंतं आसणे निवेसित्ता। सहस्स लक्वर्ण पुच्छ वागरणं अवयवा इंदं ॥ ७॥ उम्मुकबालभावो कमेण अह जोधणं अणुप्पत्तो। भोगसमस्थं जाउं अम्मापियरो उ वीरस्स ॥८॥ तिहिरिक्खंमि पसत्ये महन्तसामन्त. कुलपसूयाए। कारंति पाणिगहणं जसोअवररायकण्णाए ॥९॥ पंचविहे माणुस्से भोगे मुंजितु सह जसोआए। तेयसिरिंच सुरुवं जणेइ पिअदसणं धूयं ॥ ८॥ भाका हत्युत्तरजोएणं मि खत्तिओ जचो। कजारिसहसंघयणो भविअजणविबोहओ वीरो ॥९॥ सो देवपरिग्गहिओ तीसं वासाई वसई गिहवासे। अम्मापिइहिं भयवं देवत्तगएहिं पपइओ॥४६॥ संवच्छरेण ॥८१॥ भा०। एगा हिरण्ण ॥२॥ सिंघाडय० ॥३॥ वस्वरिआ० ॥४॥ तिष्णेच य० ॥ ५॥ सारस्सयमाइचा ॥६॥ एए देवनिकाया०॥ ७॥ एवं अभियुर्वतो बुद्धो बुद्धारविंदसरिसमुहो। लोगंतिगदेवेहि कुंडग्गामे महावीरो ॥८॥ मणपरिणामो य कओ अभिनिक्खमणमि जिणवरिंदेण। देवेहि य देवीहि य समंतओ उच्छयं गयणं ॥९॥ भवणवइवाणमंतरजोइसवासी विमाणवासी या धरणियले गयणयले विजुजोओ को खिप्पं ॥९०॥ जाव य कुंडग्गामो जाव य देवाण भवणआवासा। देवेहिं देवीहि य अविरहियं संचरंतेहिं ॥१॥चन्दपभा य सीया उवणीया जम्ममरणमुक्कस्स । आसत्तमाजदामा जलयथलयदिशकुसुमेहि ॥२॥ पंचासइ आयामा धणूणि विच्छिण्ण पण्णवीसं तु । छत्तीसइम. ११८६ आवश्यक सनियु- मूक्तिक मूलसूत्र, farasini मुनि दीपरत्नसागर Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ B/विद्धा सीया चंदप्पभा भणिया ॥३॥सीयाइ मज्मयारे दिवं मणिकणगरयणचिंचइयं। सीहासणं महरिहं सपायवीढं जिणवरस्स ॥४॥ आलइयमालमउडो भासुरचोदी पलंबवण मायो। सेययवत्यनियत्यो जस्स य मोठं सयसहस्सं ॥५॥छट्टेणं भत्तेणं अज्झवसाणेण सोहणेण जिणो। लेसाहिं विसुज्मंतो आरुहई उत्तमं सीयं ॥ ६॥ सीहासणे निसण्णो सकी। साणा य दोहि पासेहिं । वीयंति चामरेहिं मणिकणग(स्यण) विचित्तदंडेहिं ॥ ७॥ पुष्विं उक्खित्ता माणुसेहिं साहट्ठरोमकूवेहिं । पच्छा वहंति सीअं असुरिंदसुरिंदनागिंदा ॥ ८॥ चल. चवलभूसणधरा सच्छंदविउविआभरणधारी। देविंददाणविंदा वहति सी जिणिंदस्स ॥९॥ कुसुमाणि पंचवण्णाणि मुशता दुंदुही य ताडता। देवगणा य पहट्ठा समंतओ उच्छयं गयणं ॥१०॥ वणसंडोत्र कुसुमिओ पउमसरोवा जहा सरयकाले । सोहइ कुसुमभरेणं इय गगणयलं सुरगणेहिं ॥१॥ सिद्धत्यवणंव जहा असणवर्ण सणवणं असोगवर्ण । चूअवर्णव कुसुमियं इय गयणयलं सुरगणेहिं ॥२॥ अयसिवणं व कुसुमियं कणिआरवणं व चंपयवर्ण वा । तिलयवणं व कुसुमियं इय गयणतलं सुरगणेहिं ॥३॥ वरपडहभेरिझहरिदुदुहिसंखसहिएहिं तुरेहि। धरणियले गयणयले तूरनिनाओ परमरम्मो॥४॥ एवं सदेवमणुआसुराएँ परिसाए परिबुडो भयवं। अमिथुवंतों गिराहिं संपत्तो नायसंडवणं ॥ ५॥ उजाणं संपत्तो ओमभई उत्तमाउ सीयाओ। सयमेव कुणइ लोयं सक्को सि पडिच्छए केसे ॥६॥ जिणवरमणुण्णवित्ता अंजणघणरुयगविमलसंकासा। केसा खणेण नीआ खीरसरिसनामय उदहिं ॥७॥ दिवो य मणुसघोसो तूरनिनाओ य सक्कवयणेणं । खिप्पामेव निलुको जाहे पडिवज्जइ चरितं ॥८॥ काऊण नमोक्कारं सिद्धाणमभिग्गहं तु सो गिण्हे । सर्व मेऽकरणिज पार्वति चरितमारूदो॥९॥ तिहिं नाणेहि समग्गा तित्थयरा जाव हुँति गिहवासे। पडिवण्णंमि चरित्ते च उनाणी जाव छउमत्था ॥११०॥ बहिआ य णायसंडे आपुच्छित्ताण नायए सव्वे। दिवसे मुहुत्तसेसे कुमा(कम्मा०)रगामं समणुपत्तो॥११॥भाप्यं । गोवनिमित्तं सकस्स आगमो वागरेइ देविंदो। कोला(जग)बहुले छट्ठस्स पारणे पयस वसुहारा॥४६१॥ बीया वरवरिया। दुइजंतग पिउणो वयंस तिवा अभिग्गहा पंच। अचियत्तुग्गहिन वसण णिचं वोस? मोणेणं ॥२॥ पाणीपत्तं गिहिवंदणं च तओं वद्धमाण वेगवई।धणदेव सूलपाणिदसम्म वासऽट्ठिअग्गामे ॥३॥ रोहा य सत्त वेयण थुइ दस मुमिणुप्पलऽदमासे य। मोराए सकारं सको अच्छंदए कुविओ॥४॥ भीमऽहास हत्थी पिसाय नागे य वेदणा सत्त। सिरकण्णनासदन्ते नहऽ. च्छि पिट्ठीय सत्तमिआ ॥११२॥ भाष्यं। तालपिसायं दो कोइला य दामदुगमेव गोवग्गं । सर सागर सूरते मन्दर मुविणुप्पले चेव ॥११३॥ मोहे य झाण पवयण धम्मे संघे य देवलोए ॥ मोरागसण्णिवेसे वाहिं सिद्धत्थ तीतमाईणि । साहइ जणस्स अच्छंद पओसो छेअणे सको॥१०१९ ॥तणछेयंगुलि कम्मार : | वीरघोसे महिसिंदु दसपलिअं। बिइइंदसम्म ऊरण बयरीए दाहिणकरुडे ॥४६५॥ तइअमवच्चं भज्जा कहिही नाहं तओ पिउवयंसोदाहिणवायालसुवष्णवालगा कंटए वत्थं॥६॥ उत्तर- वाचालंतरवणसंडे चंडकोसिओ सप्पो। न डहे चिंता सरणं जोइस कोवा उ जाओऽहं ॥७॥ उत्तरवायाला नागसेण खीरेण भोयर्ण दिवा । सेयवियाय पएसी पंचरहे निज(यय)रायाणो ॥८॥ सुरहिपुर सिद्धजत्तो गंगा कोसिअ विऊ य खेमिलओ। नाग सुदाढे सीहे कंबलसंबला य जिणमहिमा ॥९॥ महुराए जिणदासो आहीर विवाह गोण उववासो। भंडीर मित्त अबच्चे भत्ते णागोहि आगमणं ॥ ४७०॥ वीरवरस्स भगवओ नावारूढस्स कासि उवसगं। मिच्छादिट्ठिपरद्धं कंबलसंवला समुत्तारे ॥१॥थूणाइ बहिं पूसो लक्षणमभंतरं च देविंदो। राय. गिहि तंतुसाला मासक्खमणं च गोसालो ॥२॥ मंखलि मंख सुभद्दा सरवण गोबहुलमेव गोसालो। विजयाणंदसुणंदे भोअण खजे य कामगुणे ॥३॥ कुहाग बहुल पायस दिवा गोसाल दट्ट पक्वजा। बाहिं सुवण्णखलए पायसथाली नियइगणं ॥४॥ बंभणगामे नंदोषनंद उवणंद तेय पचढे । चंपा दुमासखमणे वासावासं मुणी खमइ ॥५॥ कालाए सुण्णगारे सीहो विज्जुमइ गोहिदासी य। खंदो दन्तिलियाए पत्तालग सुण्णगारंमि ॥६॥ मुणिचंद कुमाराए कूवणय चंपरमणिजउजाणे । चोराय चारि अगडे सोमजयंती उवसमेन्ति ॥७॥ पिट्ठीचंपा वासं तत्थ चउम्मासिएण खमणेणं । कयंगल देउलवरिसे दरिदयेरा य गोसालो ॥ ८॥ सावत्थी सिरिभद्दा निदू पिउदत्त पयस सिवदत्ते। दारऽगणी नखवाला हलिह पडिमाऽगणीपहिया ॥९॥ तत्तो य गंगलाए डिंभ मुणी अच्छिकड्ढणं चेव। आवत्ते मुहतासे मुणिओत्ति अ बाहि बलदेवो ॥४८०॥ चोरा मंडव भोज गोसालो बण तेय झामणया। मेहो य कालहत्थी कलंबुयाए उ उवसग्गा ॥१॥ लादेसु य उवसग्गा घोरा पुण्णकलसा य दो तेणा। वजहया सक्केणं भहिय वासासु चउमासं ॥२॥ कयलिसमागम भोयण मंखलि दहिकर भगवओ पडिमा। जंबूसंडे गोट्ठीय भोयणं भगवओ पडिमा ॥३॥ तंबाएँ नंदिसेणा पडिमा आरक्खि बहण भय डहणं। कूविय चारिय मोक्खे विजय पगम्भा य पत्तेयं ॥४॥ तेणेहिं पहे गहिओ गोसालो माउलोत्ति वाहणया । भगवं वेसालीए कम्मार घणेण देविंदो ॥ ५॥ गामाग बिहेलगजक्ख तावसी उक्समावसाण थुई। छद्रुण सालिसीसे विसझमाणस्स लोगोही॥६॥ पुणरवि भदिअनगरे तवं विचित्तं च छट्ठवासंमि। मगहाएँ निरुवसम्मं मुणि उउबद्धमि विहरित्था॥७॥ आलभिआए वासं कुडगे तह देउले पराहु| ११८७आवश्यक सनियु- सूक्तिकै मूलसूत्रं, नियुnि मुनि दीपरत्नसागर Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सो। मरण देउल सारिय मुहमूले दोसुवि मुणित्ति ॥८॥ बहुसालगसालवणे कडपूअण पडिम विग्षणोक्समे। लोहग्गलमि चारिय जिअसत्तू उप्पले मोक्खो ॥९॥ तत्तो य पुरिमताले वग्गुर ईसाण अपए पडिमा। मलीजिणायण पडिमा उग्णाए वसि बहुगोट्ठी ॥४९०॥ गोभूमि वजलाढे गोवकोवे य पंसि जिणुवसमे। रायगिहऽहमवासा (स तु) बजभूमी बहुवसम्गा ॥१॥ अनिअयवासं सिदत्यपुर तिलयंच पुच्छ निष्फत्ती । उपाडेड अणजो गोसालो वास बहुलाए ॥२॥ मगहा गोचरगामो गोसंखी वेसियाण पाणामा । कम्मग्गामाया. वण गोसाले गोषण पउद्वे॥३॥ सालीए पडिम डिंभमुणिउत्ति तत्थ गणराया। पूएइ संखनामो (संखो गणराय पिउपयंसो उ । गंडइया तरपण) चित्तो नावाएं भगिणिसुत्रो ॥४॥ वाणियगामायावण आनंदो ओहि परीसहसहित्ति। सावत्थीए वासं चित्ततको साणुलढि पहिं ॥५॥ पडिमा भह महामह सबओभह पदमिआ चउरो। अट्ठ य वीसाऽऽणंदे बहूलिय तह उज्झिए विधा ॥ ६ ॥ बढभूमीए पहिला पेढालं नाम होइ उजाणं (दढभूमी बहुमेच्छा पेढालग्गाममागओ भगर्व चू०)। पोलासचेइयम्मी ठिएगराई महापडिम ॥ ७॥ सको य देवराया सभागओ भणइ हरिसिजओ क्यणं । तिषिणवि लोग समत्या जिणवीरमर्ण न चालेडं ॥ ८॥ सोहम्मकप्पवासी देवो सकस्स सो अमरिसेणं। सामाणि संगमओ बेइ सुरिंदै पडिनिविद्वो ॥ ९ ॥ तेलोकं असमत्यंति पेह एतस्स चालणं काउं । अजेच पासह इमं मम वसगं भट्ठजोगतवं ॥ ५० ॥ अह आगओ तुरंतो देखो सकस्स सो अमरिसेणं। कासी य हउवसर्ग मिच्छदिछी पडिनिविट्ठो॥१॥ धूली पिवीलिआओ उहंसा चेव तह व उल्होला। विच्छ्य नउल्ला सप्पा य मूसगा चेव अट्ठमगा ॥२॥हत्थी हस्थिणिआओ पिसायए घोररूव बग्यो यारो घेरीइ मुत्रो आगच्छइ पक्षणोय तहा ॥३॥ खरवाय कलंकलिया, कालचकं तहेव या पाभाइय उक्सग्गे, वीसइमो हो। अणुलोमो॥४॥ सामाणियदेविहिंद देवो दावेइ सो विमाणगओ। भणइ य बरेह महरिसि! निष्फत्ती सरगमोक्खाणं ॥५॥ उवयमइविण्णाणो ताहे वीरं बहुं पसाहे। ओहीए नि: जमाइ सायद उजीवहियमेव ॥ ६॥ वालुयपंथे तेणा माउलपारणग तत्थ काणच्छी। ततो सुभोम अंजलि सुच्छित्ताए य विडरूव ॥ ७॥ मलए पिसाबरूवं सिवरूर्व हत्थिसीसए चेव। ओहसणं पडिमाए मसाण सको जवणपुच्छा ॥८॥ तोसलि कुसीसरुवं संघिच्छेओ इमोति बझो य। मोएड इंदजालिउ तत्थ महाभूइलो नामं ॥९॥ मोसलि संधि सुमागह मोएई रडिओ पिउवयंसो। तोसलि य सत्तरज़वाबत्ती तोसली मोक्खो ॥५१०॥ सिद्धत्यपुरे तेणेत्ति कोसिओ आसवाणिओ मोक्खो। वयगाम हिंडणेसण विइयदिणे बेइ उपसंतो॥१॥ वह हिंडह न करेमि किंचि इच्छा न किंचि वत्तयो। तत्येव वच्छवाली थेरी परमच वसुहारा ॥२॥ छम्मासे अणुबद्धं देवो कासीय सो उ उवसम्गं । दठूण वयम्गामे बंदिय वीर पडिनियत्तो ॥३॥ देवो ठिओ महिड्ढी वरमंदरचूलियाइ सिहरंमि । परिवारिउ सुरवहहिं आउंमी सागरे सेसे ॥४॥ आलभियाएँ हरि बिजु जिणस्स भत्तीइ बंदओ एइ। भगवं पियपुच्छा जियउवसरिगति येवमवसेसं ॥५॥ हरिसह सेयवियाए सावत्थी संदपडिम सको य। ओयरिङ पडिमाए लोगो आउदिओ वंदे ॥६॥ कोसंबी चंदसुरोयरणं वाणारसीयसको उ। रायगिहे ईसाणो महिला जणओ य धरणो य॥७॥ वेसालि भूयणंदो चमरुप्पाओ य सुंसुमारपुरे। भोगपुरि सिंदकंदग माहिंदो खत्तिओ कणति ॥८॥ वारण सणंकमारे नंदीगामे पिउसहा वंदे। मंढियगामे गोवो वित्तासणयं च देविंदो ॥९॥ कोसंबीएँ सयाणि अभिग्गहो पोसबहुलपाडिबई। चाउम्मास मिगावइ विजयसुगुत्तो य नंदा य ॥५२०॥ तचावाई चंपा दहिवाहण वसुमई विजयनामा। घणवह मूला लोयण संपुल दाणे य पवजा ॥१॥ तत्तो सुमंगलाए सर्णकुमार सुछेत्त एइ माहिंदो। पालग बाइलवणिए अमंगलं अप्पणो असिणा ॥२॥ चंपा वासावासं जक्खिंदे साइदत्तपुच्छा य । वागरण दुहपएसण पचक्खाणे य दुविहे उ॥३॥ जंभियगामे नाणस्स उप्पया वागरेइ देविंदो। मिडियगामे चमरो वंदण पियपुच्छणं कुणइ ॥४॥ छम्माणि गोव कडसलपवेसणं मज्झिमाएं पावाए । खरो विजो सिद्धत्व वाणियओ नीहराबेइ ॥५॥ जंभिय बहि उजुवालिय तीर वियावत्त सामसाल. अहे । छद्रेणुक्कुडुयस्स उ उप्पणं केवलं नाणं ॥६॥ उवसरमा समत्ता। जो य तपो अणुचिण्णो वीरवरेणं महाणुभावेणं । छउमत्यकालियाए अहम कित्तइस्सामि ॥७॥नव किर चाउम्मासे छफिर दोमासिया उवासीय । बारस य मासियाई बावत्तरि अदमासाई ॥८॥ एग किर छम्मासं दो किर तेमासिए उवासीय। अड्ढाइजाइ दुवे दो चेव दिवढमासाई ॥९॥ भई च महाभई पडिमं तत्तो य सवओभई । दो चत्तारि दसेव य दिवसे ठासीय अणुबद्धं ॥५३०॥ गोयरमभिग्गहजुयं खमणं छम्मासियं च कासीय। पंचदिवसेहि ऊर्ण अब. हिओ वच्छनयरीए॥१॥ दस दोय किर महप्पा ठाइ मुणी एगराइए पडिमे। अट्ठमभत्तेण जई एकेकं चरमराईयं ॥२॥ दो चेव य उद्सए अउणातीसे उवासिया भगवं। न कयाइ निचभत्तं चउत्यभत्तं च से आसि ॥३॥पारस वासे अहिए छहुँ भत्तं जहण्णर्य आसि। सर्च च तवोकम्मं अपाणयं असि वीरस्स ॥४॥ तिणि सए दिवसाणं अउणावणं तु पारणाकालो। उकडयनिसेजाणं ठियपडिमाणं सए पहए॥५॥ पाजाए पढर्म दिवसं एत्थं तु पक्खिवित्ताणं। संकलियमि उ संते जं लवं तं निसामेह ॥ ६॥ बारस चेव य बासा मासा छच्चेव अक्षमासो या वीरवरस्स भगवओ एसो छउमत्यपरियाओ॥७॥ एवं तवोगुणरओ अणुपुत्वेणं मुणी विहरमाणो। घोरं परीसहच, अहियासित्ता महावीरो ॥८॥(२९७) 1 ११८८आवश्यक सनियु- मूक्तिक मूलसूत्र Argin गुनि दीपरनसागर Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 उप्पण्णंम अनंते नमि य छाउमत्थिए नाणे राईए संपत्तो महसेणवर्णमि उज्जाणे ॥ ९ ॥ अमरनररायमहिओ पत्तो धम्मवरचक्कवट्टित्तं बीयंपि समोसरणं पावाए मज्झिमाए उ ॥ ५४० ॥ तत्थ किल सोमिलजत्ति माहणो तस्स दिक्लकालंमि पउरा जणजाणवया समागया जन्नवाडंमि ॥ १ ॥ एगंते य विवित्ते उत्तरपासंमि जनवाडस्स तो देवदाणविंदा करेंति महिमं जिविस्स ॥ २ ॥ भवणवइवाणमंतर जोइसवासी विमाणवासी य। सञ्चिड्डीए सपरिसा कासी नाणुप्पयामहिमं ॥ ११५ ॥ भा० । समुसरणे केवइय रूप पुच्छ वागरण सोयपरिणामे । दाणं च देवमाले मलाणयणे उवरि तित्थं ॥ ३ ॥ जत्य अपुडोसरणं जन्य व देवो महिदिओ एइ वाउदयपुप्फबद्दलपागारतियं च अभिओोगो ॥ ४ ॥ मणिकणगरयणचित्तं भूमीभागं समंतओ सुरभिं । आजोअणंतरेणं करेंति देवा विचित्तं तु ॥ ५॥ वेंटद्वाई सुरभिं जलथलयं दिवकुसुमणीहारिं पइरंति समंतेणं दसवणं कुसुमवासं ॥ ६ ॥ मणिकणगरयणचिते चउ. दिसिं तोरणे विउति सच्छत्तसालभंजियमयस्यचिघठाणे ॥ ७॥ तिचि य पागारवरे रयणविश्चित्ते तहिं सुरगणिंदा मणिकंचणकविसीसगविभूसिए ते बिउवेंति ॥ ८ ॥ अनंतर मज्झ बहि विमाणजोइसभवणाहिवकया । पागारा तिष्णि भवे रयणे कणगे य रथए । ९ ॥ मणिरयणमयाविय कविसीसा सहरयणिया दारा सवरयणामयश्चिय पडागधयतोरणविचित्ता ॥ ५५० ॥ ततो य समंतेणं कालागरुकुंदुरुकमी सेणं। गंधेण मणहरेणं धृवघडीओ विउर्धेति ॥ १ ॥ उक्कुद्विसीहणायं कलयलसद्देण सइओ सो तित्थगरपायमूले करेंति देवा णिवयमाणा ॥ २ ॥ चेइदुम पेढ छंदय आसण छत्तं च चामराओ य जं चऽण्णं करणिजं करेंति तं वाणमंतरिया ॥ ३ ॥ साहारणओसरणे एवं जस्थिद्धिमं तु ओसरह एक्कु चिय तं सर्व करेइ भयणा उ इयरेसिं ॥ ४ ॥ सूरोदय पच्छिमाए ओगाहन्तीएँ पुइज एई दोहिं पउमेहिं पाया मग्गेण य होन्ति सतने ॥ ५॥ आयाहिण पुत्रमहो तिदिसि पडिरूवगा उ देवकया। जगणी अण्णो वा दाहिणपुढे अदूरंमि ॥ ६ ॥ जे ते देवेहिं कथा तिदिसिं पडिरूवगा जिणवरस्स । तेसिंपि तप्पभावा तयाणुरूवं हवइ रुवं ॥ ७॥ तित्थाइसेससंजय देवी वैमाणियाण समणीओ। भवणवइवाणमंतरजोइसियाणं च देवीओ ॥ ८ ॥ केवलिणो तिउण जिणं तित्थपणामं च मग्गओ तस्स मणमादीवि णमंता वयंति सद्वाणसद्वाणं ॥ ९ ॥ भवणवई जोइ सिया बोद्धवा वाणमंतरसुरा य वैमाणिया य मणुया पयाहिणं जं च निस्साए ॥ ५६० ॥ संजयवेमाणित्यी संजइ पुत्रेण पविसिउं वीरं काउं पयाहिणं पुचदक्खिणे ठंति दिसिभागे ॥ ११६ ॥ भा० । जोइसियभवणवंत रदेवीओ दक्खिणेण पविसंति । चिद्वंति दक्खिणावरदिसिंमि तिगुणं जिणं काउं ॥ ७॥ अवरेण भवणवासीवंतरजोइससुरा य अइगंतुं । अवरुत्तरदिसिभागे ठंति जिणं तो नमसित्ता ॥ ८॥ समहिंदा कप्पसुरा राया णरणारिओ उदीर्णणं पविसित्ता पुव्युत्तरदिसीएँ चिडंति पंजलिआ ॥ ११९॥ भा० ॥ एकेकीय दिसाए तिगं तिगं होइ समिवि तु । आदिचरमे विमिस्सा थी पुरिसा सेस पत्तेयं ॥ १ ॥ एतं महिड्डियं पणिक्यंति ठियमवि वयंति पणमंता। णवि जंतणा ण विकहा ण परोप्पर मच्छरो ण भयं ॥२॥ विइयंमि होंति तिरिया तइए पागारमन्तरे जाणा । पागारजढे तिरियाऽवि होंति पत्तेय मिस्सा वा ॥ ३ ॥ सर्व्वं च देखविरतिं सम्मं घेच्छति व होंति कहणाउ इहरा अमूढलक्खो न कहेइ भविस्सइ ण तं च ॥ ४ ॥ मणुए चउण्हण्णयरं तिरिए तिष्णि व दुवे व पडिवजे। जइ नत्थि नियमसोचिय सुरेसु सम्मत्तपडिवत्ती ||५|| तित्थपणामं काउं कहेइ साहारणेण सदेणं सचेसिं सण्णीणं जोयणणीहारिणा भगवं ॥ ६ ॥ तप्पुचिया अरया पूइयपूता य विणयकम्मं च कयकिञ्चोऽवि जह कह कहए णमए तहा तित्थं ॥ ७ ॥ जन्य अपुडोसरणं न दिद्वपुषं व जेण समणेणं। बारसहिं जोयहि सो एइ अणागमे लहुया ॥ ८॥ सङ्घसुरा जइ रूवं अंगुट्ठपमाणयं विउब्वेजा। जिणपायगुहं पर ण सोहए तं जहिंगालो ॥ ९ ॥ गणहर आहार अणुत्तरा य जाव वण चकि वासु बला। मण्डलिया ता हीणा छट्टाणगया भवे सेसा ॥ ५७० ॥ संघयणरूवसंठाणवण्णगइसत्तसारउस्सासा। एमाइऽणुत्तराई हवंति नामोदया तस्स ॥ १ ॥ पगडीणं अण्णासिवि पसउदया अणुत्तरा होति । खयउवसमेऽविय तहा खयम्मि अविगप्पमाहंसु ॥ २ ॥ अस्सायमाइयाओ जाविय असुद्धा हवंति पगडीओ। बिरसलबोब्ब पए ण होंति ता असुहया तस्स ॥ ३ ॥ धम्मोदएण रूवं करैति रूवस्तिणोऽवि जइ धम्मं । गिज्झवओ य सुरूवो पसंसिमो तेण रूवं तु ॥ ४ ॥ कालेण असंखेणवि संखातीताण संसईणं तु । मा संसयवोच्छित्ती न होज कमषागरणदोसा ॥ ५ ॥ सव्वत्य अविसमत्तं रिद्धिविसेसो अकालहरणं च सव्वष्णुपञ्चओऽविय अर्थितगुणभूतिओ जुगवं ॥ ६ ॥ वासोदयस्स व जहा वण्णादी होंति भायणविसेसा । सव्वेसिंपि समासा जिणभासा परिणमे एवं ॥ ७ ॥ साहारणासवसे तदुवओगो उ गाहगगिराए। न य निब्विजइ सोया किढिवाणियदासिआहरणा ॥ ८ ॥ सव्वाउयंपि सोया खवेज जइ दु सययं जिणो कहए। सीउन्हखुप्पिवासापरिस्समभए अविगणेंतो ॥ ९ ॥ वित्ती उ सुवण्णस्सा बारस अद्धं च सयसहस्साइं । तावइयं चिय कोडी पीतीदाणं तु चक्कीणं ॥ ५८० ॥ एयं चैव पमाणं णवरं रययं तु केसवा दिंति मंडलियाण सहस्सा पीईदाणं सयसहस्सा ॥ १ ॥ मत्तिविहवाणुरूवं अण्णेऽविय देति इम्भमाईया सोऊण जिणागमणं निउत्तमणिओइए वा ॥ २ ॥ देवाणुयत्ति भत्ती पूया थिरकरण सत्तअणुकंपा । साओदय दाणगुणा पभावणा चैव तित्यस्स ॥ ३ ॥ राया व रायऽमचो तस्सऽसई देइ पुरजणो वाऽवि । दुब्बलिखंडियबलिछ - १९८९ आवश्यक सनिर्यु- सूक्तिकं मूलसूत्रं नियुक्ति मुनि दीपरत्नसागर Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डियतंदुलाणाढगं कलमा ॥ ४ ॥ भाइयपुणाणियाणं अखंडफुडियाण फलगसरियाणं । कीरइ चली सुराविय तत्थेव छुहति गंधाई ॥५॥ बलिपविसणसमकालं पुषहारण ठाति परिकह - गा। निगुणं पुरओ पाडण तस्सऽदं अवडिय देवा ॥६॥ अद्धऽद्धं अहिवइणो अक्सेस हबइ पागयजणस्स। सवामयप्पसमणी कुप्पइ णऽष्णो य छम्मासे ॥७॥ खेयविणोओ सीसगण - दीवणा पचओ उभयओऽवि। सीसायरियकमोऽपिय गणहरकणे गुणा होति ॥८॥राओवणीयसीहासणे निविट्ठो व पायवीदंमि। जिट्ठो अनयरो वा गणहारी कहइबीआए॥९॥ संखाईएऽवि भवे साइज वा परो उ पुच्छिजा। ण यणं अणाइसेसी वियाणई एस छउमत्यो ॥५९॥ तं दिव देवघोसं सोऊणं माणुसा तहिं तुट्ठा। अहाँ जण्णिएण जटुं देवा किर आगया इहई ॥१॥एकारसवि गणहरा सबै उण्णयविसालकुलवंसा। पावाएं मज्झिमाए समोसढा जनवाडम्मि ॥२॥ पढमित्य इंदभूई बिदओ उण होइ अग्गिभूइनि। तइए य बाउमई तओ वियते सुहम्मे य ॥३॥ मंडियमोरियपुत्ते अकंपिए चेव अयलभाया य। मेयजे य पभासे गणहरा होति वीरस्स ॥४॥ जंकारण णिक्समणं योच्छं एएसि आणुपुत्रीए। तित्थं च सुहम्माओ णिवचा गणहरा सेसा ॥५॥ जीवे कम्मे तज्जीव भूय तारिसय बंधमोक्खे य। देवा णेरहए या पुण्णे परलोय णेवाणे ॥६॥ पंचण्हं पंच सया अबुट्ठ सया य होति दुण्ह गणा। दोण्हं तु जुयलयाणं तिसओ तिसओ भवे गच्छो ॥ ७॥ सोऊण कीरमाणी महिमं देवेहिं जिणवरिंदस्स । अह एइ अहम्माणी अमरिसिओ इंदभूइति ॥८॥ आभट्ठोय जिणेणं जाइजरामरणविष्पमुक्केणं । णामेण य गोतेण य सबसवदरिसीणं ॥९॥ कि मनि अस्थि जीवो उआहु नस्थित्ति संसओ तुझं। वेयगयाण य अत्थं न याणसी तेसिमो अत्थो A॥६००॥ छिपणमि संसयंमी जिणेण जरमरणविष्पमुक्केणं सो समणो पाइओ पंचहिं सह खंडियसएहिं॥१॥ तं पब्वइयं सोउं वितिओ आगच्छई अमरिसेणं । वचामि णमाणेमी पराजिणित्ताण तं समणं ॥२॥ आभट्ठो ॥३॥ किं मण्णि अस्थि कम्मं उदाहु णस्थित्ति संसओ तुज्झ । वेयपयाण य अत्थं ण जाणसी तेसिमो अत्थो॥४॥ ठिणंमि०॥५॥ ते पाइए सोउं तइओ आगच्छई जिणसगासं। वचामि ण बंदामी वंदित्ता पज्जुवासामि ॥६॥ आभट्ठो ॥७॥ तजीवतस्सरीरंति संसओ णवि य पुच्छसे किंचि। वेयपयाण य अर्थ ण जाणसी तेसिमो अत्यो॥८॥ छिण्णंमि०॥९॥ ते पञ्चइए सोउं वियत्तों आगच्छई जिणसगासं । वचामि ण बंदामी वंदित्ता पज्जुवासामि ॥६१०॥ आभट्ठो० ॥१॥ किं मण्णि पंच भूया अस्थि नस्थित्ति संसओ तुझं। वेयपयाण य अत्यं ण जाणसी तेसिमो अत्यो ॥२॥ छिण्णंमि० ॥३॥ ते पञ्चइए सोउं सुहमो० ॥४॥ आभट्ठो ॥५॥ किं मण्णि जारिसो V इह भवंमि सो तारिसो परभवेऽवि ?। वेयपयाण य अत्यं ण जाणसी तेसिमो अत्यो ॥६॥ छिपकमि०॥७॥ ते पवइए सोउं मंडिओं ॥८॥ आभट्टो ॥९॥ किं मन्त्रि बंधमोक्खा अस्थि ण अस्थिति संसओ तुज्झ । वेयपयाण य अर्थ ण याणसी तेसिमो अत्थो ॥६२०॥ छिण्णमी० ॥१॥ ने पव्वइए सोउं मोरिओं ॥२॥ आभट्ठो ॥३॥ किं मन्नसि संति देवा उयाहु नस्थित्ति संसओ तुज्झ। वेयपयाण य अत्थं न याणसी तेसिमो अत्थो ॥४॥ छिन्नमि० अदुहहिं सह खंडियसएहिं ॥५॥ ते पव्वइए सोउं अकंपिओ०॥६॥ आभट्ठो० ॥आकि मन्ने नेरइया० ॥८॥ छिण्णंमि० तीहि उ सह खंडियसएहिं ॥९॥ ते पव्वइए सोउं अयलभाया ॥६३०॥ आभट्ठो॥१॥ किं मनि पुष्णपावं० ॥२॥ छिग्णमि तीहि उसह खंडियसएहिं ॥३॥ ते पव्वइए सोउं मेयजो ॥४॥ आभट्ठो०॥५॥ किं मण्णे परलोगो॥६॥ छिण्णमितीहि उ सह खंडियसएहिं ॥ ७॥ ते पच्वइए सोउं पभासों आगच्छर्ड जिणसगासं। वच्चामि ण वंदामी बंदित्ता पज्जुवासामि ॥८॥ आभट्ठो य जिणेण जाइजरामरणविप्पमुकेणं । नामेण य गोत्तेण य सघण्णूसबदरिसीण ॥९॥ किं मण्णे निशाणं ॥६४०॥ छिण्णंमि संसयंमी जिणेण जरमरणविप्पमुकेणं । सो समणो पदइओ तीहि उ सह खंडियसएहिं ॥१॥ समोसरणं समत्तं ॥ खेले काले जम्मे गोत्तमगारछउमत्यपरियाए। | मगहा गोबरगामे जाया तिपणेच गोयमसगोत्ता। कोत्तागसचिवेसे जाओ विअत्तो सहम्मो य॥३॥ मोरीयसनिवेसे दो भायर मं. डिमोरिया जाया। अयलो य कोसलाए मिहिलाएं अकपिओ जाओ॥४॥ तुंगीयसनिवेसे मेयजो वच्छभूमिए जाओ। भगवंपिय प्पभासो रायगिहे गणहरो जाओ ॥५॥ जेट्ठा कत्तिय साई सवणो हत्युत्तरा महाओ य। रोहिणि उत्तरसादा मिगसिर तह अस्सिणी पृसो॥६॥ वसुभूई धणमित्ते धम्मिल धणदेव मोरिए चेय। देवे वस् य दत्ते बले य पियरो गणहराणं | ॥७॥ पुहवि य वारणि महिल, विजयदेवा तहा जयंती या गंदा य वरुणदेवा, अइभद्दा य मायरो ॥ ८॥ तिण्णि य गोयमगोत्ता भारदाअग्गिवेसवासिट्ठा । कासवगोयमहारिय कोडिण्णदुर्ग च गोत्ताई ॥९॥ पण्णा छायालीसा बायाला होइ पण्ण पण्णा अ। तेवण्ण पंचसट्ठी अडयालीसा य छायाला ॥६५०॥ छत्तीसा सोलसर्ग अगावासो भवे गणहराणं । छउमत्ययपरियागं अहम कित्तइस्सामि ॥१॥ तीसा बारस दसगं बारस बायाल चउदस दुर्ग चा नवर्ग वारस दस अट्टगं च छउमत्थपरियाओ॥२॥ छउमत्थप्परियार्ग अगारवासं च वोगसित्ताणं । समाउयस्स सेसं जिणपरियागं वियाणाहि ॥३॥ वारस सोलस अट्ठारसेव२ अद्वेव। सोलस सोले तह एकवीस चोइस य सोल सोले य॥४॥पाणउई पउहत्तरि सत्तरि ११९० आवश्यक सनियु- मूक्तिक मूलसूत्र, forgiart मुनि दीपरत्नसागर Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तत्तो भवे असीई य। एवं च सयं तत्तो तेसीई पंचणउई य ॥ ५॥ अट्टत्तरिं च वासा तत्तो बावन्तरिं च वासाई बावट्ठी चत्ता खलु सवगणहराउयं एयं ॥ ६ ॥ स य माहणा जच्चा, स अज्झावया विऊ। सङ्खे दुवालसंगी य, सवे चोदसपुत्रिणो ॥ ७॥ परिणिडया गणहरा जीवंते णायए णव जणा उ इंदभूई सुहम्मो य रायगिहे निहुए वीरे ॥ ८ ॥ मासं पाओवगया स. वेऽविय सवलद्धिसंपण्णा । क्लरिसहसंघयणा समचउरंसा य संठाणा ॥ ९ ॥ दवे अद्ध अहाउय उनकमे देस कालकाले य। तह य पमाणे वण्णे भावे पगयं तु भावेणं ॥ ६६० ॥ चेयणमचेयणस्स व दवस ठिई उ जा चउवियप्पा सा होइ दशकालो अड्वा दवियं तु तं चैव ॥ १ ॥ गइ सिद्धा भवियाया अभविय पोग्गल अणागयदा य तीयद तिमि काया जीवाजीवट्टिई चउहा ॥ २॥ समयाऽऽवलिय मुहुत्ता दिवसमहोरत पक्ख मासा य। संवच्छर युग पलिया सागर ओसप्पि परियट्टा ॥ ३ ॥ नेरइयतिरियमणुयादेवाण अहाउयं तु जं जेण । निश्वनियमण्णभवे पार्लेति अहाउकालो सो ॥ ४ ॥ दुविहोबकमकालो सामायारी अहाउयं चैव सामायारी तिविहा आहे दसहा पयविभागे ॥ ५ ॥ ओहनिजुत्ती एत्थ पएसे भाणियथा । इच्छा मिच्छा तहाकारो, आवसिया य निसीहिया। आपुच्छणा य पढिपुच्छा, छंदणा ये नियंतणा ॥ ६ ॥ उवसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा उ। एएसिं तु पयाणं पत्तेय परूवणं वोच्छं ॥ ७॥ जइ अग्भत्वेज परं कारणजाए करेज से कोई तत्यवि इच्छाकारो न कप्पइ बलाभिओगो उ ॥८॥ अन्भत्यिजइ (अच्भुवगयंमि) नजइ अब्भत्थे ण वट्टइ परो उ । अणिगृहियबलविरिएण साहुणा ताव होय ॥९॥ जइ हुज तस्स अणलो कज्जस्स वियाणती ण वा वार्ण। गिलाणा (गेलना) इहि व हुज्जा वियावडो कारणेहिं सो ॥ ६७० ॥ राइणियं वज्जेत्ता इच्छाकारं करेइ सेसाणं एवं मज्जनं कर्ज तुम्भे उ करेह इच्छाए ॥ १ ॥ अहवाऽवि विणार्सेतं अन्मत्यंतं च अण्ण दद्रूणं। अण्णो कोइ भणेजा तं साहुं णिज्जरट्टीओ ॥ २ ॥ अहह्यं तुब्भं एवं करेमि कर्ज तु इच्छकारेण । तत्यऽवि सो इच्छं से करेइ मज्जायमूलियं ॥ ३ ॥ अहवा सयं करेन्तं किंची अण्णस्स वावि दद्रूणं तस्सवि करेज इच्छं मज्झपि इमं करेहित्ति ॥ ४ ॥ तत्थवि सो इच्छं से करेइ दीवेइ कारणं वाऽवि । इहरा अणुग्गहत्यं काय साहुणो किचं ॥ ५ ॥ अहवा णाणाईर्ण अट्ठाए जइ करेज किञ्चाणं । वेयावचं किंची तत्थवि तेसिं भवे इच्छा ॥ ६ ॥ आणायलाभिओगो णिग्गंयाणं ण कप्पई काउं इच्छा पउंजिया सेहे राईणिए (य) तहा ॥ ७ ॥ जह जबबाहलाणं आसाणं जणवएस जायाणं सयमेव खलिणगहणं अह वावि बलाभिओगेणं ॥ ८ ॥ पुरिसज्जाएऽवि तहा विणीयविजयंमि नत्थि अभिओगो सेसंमि उ अभिओगो जणवयजाए जहा आसे ॥ ९ ॥ अन्मत्थणाएँ मरुओ वानरओ चेव होइ दितो गुरुकरणे सयमेव उ वाणियगा दुष्णि दिता ॥ ६८० ॥ संजमजोए अम्भुट्टियस्स सदाऍ काउकामस्स । लाभो चैव तवस्सिस्स होइ अदीणमणसस्स ॥१॥ संजमजोए अच्भुद्वियस्स जंकिंचि वितमायरियं मिच्छा एवंति वियाणिऊण मिच्छत्ति काययं ॥ २ ॥ जइ य पडिकमियां अवस्स काऊण पावयं कम्मं तं चैव न कायव्वं तो होइ पए पडिकंतो ॥ ३ ॥ जं दुक्कडंति मिच्छा तं भुजो कारण अपूरेंतो। तिबिहेण पडितो तस्स खलु दुकडं मिच्छा ॥ ४ ॥ जं दुकडंति मिच्छा तं चैव निसेवाए पुणो पावं पञ्चक्खमुसाबाई मायानियडीपसंगो य ॥ ५ ॥ मित्ति मिउमदवत्ते छत्ति य दोसाण छायणे होइ। मित्ति य मेराऍ ठिओ दुत्ति दुर्गुछामि अप्पाणं ॥ ६ ॥ कति कडं मे पावं इति य डेवेमि तं उवसमेणं। एसो मिच्छावुकडपयक्खरत्यो समासेणं ॥ ७॥ कप्पाकप्पे परिणिट्टियस्स ठाणेसु पंचसु ठियस्स संजमतवड्ढगस्स उ अविकप्पेणं तहाकारो ॥ ८॥ वायणपडिसुणणाए उबएसे मुत्तअत्थकहलाए। अवितहमेयंति तहा पडिसुणणाए तहक्कारो ॥ ९ ॥ जस्स य इच्छाकारो मिच्छाकारो य परिचिया दोऽवि । तइओ य तहक्कारो न दुइभा सोग्गई तस्स ॥ ६९० ॥ आवस्सियं च णितो जं च अतो निसीहियं कुणइ एवं इच्छं नाउं गणिवर! तुब्भंतिए णिउणं ॥ १ ॥ आवस्सियं च णिंतो जं च अहंतो णिसीहियं कुणइ वंजणमेयं तु दुहा अत्थो पुण होइ सो चैव ॥ २ ॥ एगम्गस्स पसंतस्स न होंति इरियाइया गुणा होंति । गंतव्वमवस्सं कारणमि आवस्सिया होइ ॥ ३ ॥ आवस्सिया उ आवस्सएहिं सव्वेहिं जुत्तजोगिस्स । मणत्रयकायगुतिदियस्स आवस्सिया होइ ॥ ४ ॥ सेजं ठाणं च जहिं चेएइ तहिं निसीहिया होइ। जम्हा तत्य निसिद्धो तेणं तु निसीहिया होइ ॥ ५ ॥ सेज्जं ठाणं च जदा चेतेति तया निसीहिया हो। जम्हा तदा निसेहो निसेहमइया य सा जेणं ॥ ६ ॥ आवस्सियं च णितो जं च अहंतो निसीहियं कुणइ सेज्जाणिसीहियाए णिसीहियाअभिमुहो होइ ॥ १२० ॥ भाष्यं । जो होइ निसिद्धप्पा निसीहिया तस्स भावओ होइ। अणिसिद्धस्स निसीहिय केवलमेतं हवइ सदो ॥ १ ॥ आवस्सयंमि जुत्तो नियमणिसिद्धोत्ति होइ नायव्वो । अहवाऽवि णिसिद्धप्पा नियमा वस्सए जुत्तो ॥ १२२ ॥ भाव्यं । आपुच्छणा उ कज्ञे पुण्वनिसिद्धेण होइ पडिपुच्छा। पुव्वगहिएण छंदण णिमंतणा होयऽगहिएणं ॥ ७॥ उवसंपया य तिविहा णाणे तह दंसणे चरित्ते य। दंसणणाणे तिविहा दुविहा य चरितअट्ठाए ॥ ८ ॥ वत्तणा संघणा चैव, गहणे सुत्तत्थतदुभए। वैयावचे य स्वमणे, काले आवकहाइ य ॥ ९ ॥ संदिट्ठो संदिहस्स चेव संपज्जई उ एमाई। चउभंगो एयं पुण पढमो भंगो हवइ सुद्धो ॥ ७०० ॥ अधिरस्स पुण्बगहियस्स वत्तणा जं इहं थिरीकरणं तस्सेव पएसंतरणट्ठस्सऽणुसंघणा घडणा ॥ १ ॥ णं पढ ११९१ आवश्यक सनिर्यु- सूक्तिकं मूलसूत्रं नियुक्ति 1 मुनि दीपरत्नसागर Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्ते अत्ये ततुमए पेप। अत्यग्गहणमि पाय एस विही होइ णायव्वो ॥२॥मजण णिसेज अक्खा कितिकम्मुस्सग वंदर्ण जेटे। भासंतो होइ जेट्ठो नो परियाएण तो वंदे ॥३॥ ठार्य (ण) पमजिऊणं दोण्णि निसिजाउ होंति कायव्या। एगा गुरुणो मणिया चितिया पुण होति अक्खाणं ॥४॥ दो घेच मत्तगाई खेले तह काइयाएँ पीयं तु। जावइया य सुणेती सोऽपि य ते तु वंदति ॥५॥ सो काउस्सगं करेंति सो पुणोऽपि वदति। णासण्णे णाइदूरे गुरुवयणपडिच्छगा होति ॥६॥ णिहाविगहापरिवजिएहिं गुत्तेहिं पंजलिउडेहिं । भत्तिबहु. माणपुर उपउत्तेहिं सुणेय ॥ ७॥ अभिकखतेहिं सुहासियाई वयणाई अस्थसाराई। विम्हियमुहेहिं हरिसागएहिं हरिसं जर्णतेहिं ॥ ८॥ गुरुपरिओसगएणं गुरुभत्तीए तहेव विणएण। इच्छियमुत्तत्थाणं खिप्पं पारं समुवयंति ॥९॥ वक्खाणसमत्तीए जोगं काऊण काइयाईणं । वदति तओ जेहूँ अण्णे पुर्व चिय भणति ॥७१०॥ चोएति जइ हु जिट्टो कहिंचि सुत्तत्यधारणाविगलो। वक्खाणलदिहीणो निरत्ययं वंदणं तमि ॥१॥ अह वयपरिआएहिं लहुगोऽबिहुभासओ इहं जेहो। रायणियवंदणे पुण तस्सवि आसायणा भंते !॥२॥ जइवि वयमाइएहिं लहुओ सुत्तत्यधारणापडुओ। वक्खाणलदिमंतो (जो) सो चिय इह घेप्पई जेडो॥३॥ आसायणावि णेवं पडुब जिणवयणभासयं (ण) जम्हा। बंदणयं राइणिए तेण गुणेगंपि सो चेव ॥४॥न वो एत्य पमाणं न य परियाओऽवि णिच्छयमएणं। ववहारओ उ जु(नि)जइ उभयनयमयं पुण पमाणं ॥५॥ निच्छयओ दुग्नेयं को भावे कम्मि वहई | समणो ? । ववहारओ उ की जो पुरठिओ चरितमि ॥६॥ववहारोऽवि हु बलवं जं उउमत्यपि वंदई अरहा। जा होइ अणाभिण्णो जाणतो धम्मयं एवं॥१२३॥ एत्थ उ जिणवय-M णाओ सुत्तासायणबहुत्तदोसाओ। भासंतजेट्ठगस्स उ कायचं होइ किइकम्मं ॥७॥ दुविहा य चरितंमी वेयावच्चे तहेव खमणे य। णियगच्छा अण्णमि य सीयणदोसाइणा होति | ॥८॥इत्तरियाइविभासा वेयावच्चे तहेव खमणे य। अविगिट्ठ विगिटुंमि अगणिणो गच्छस्स पुच्छाए ॥९॥ उवसंपनो जं कारणं तु तं कारणं अपरेंतो। अहवा समाणियम्मी सारणया वा विसग्गो वा ॥ ७२०॥ इत्तरियंपिन कप्पइ अविदिषं खलु परोग्गहाईसुं। चिडित्तु निसीइत्तु व तइयवयरक्खणडाए ॥१॥ एवं सामायारी कहिया दसहा समासओ एसा। संजमतवड्ढयाणं निर्णयाणं महरिसीणं ॥२॥ एवं सामायारि जुजंता चरणकरणमाउत्ता। साहू खर्वति कम अणेगभवसंचियमणतं ॥३॥ अजाव रणकरणमाउत्ता। साह खर्वति कम्म अणेगभवसंचियमणतं ॥३॥ अजझवसाण निमित्ते आहारे वेयणा परापाए। फासे आणापाणू सत्तविहं झिजए आउं॥४॥ दंडकससत्थरज्जू अम्गी उदगपडणं विसं वाला। सीउण्हं अरह भयं सुहा पिवासा य वाही य ॥५॥ मुत्तपुरीसनिरोहे जिण्णाजिण्णे य भोयणे बहुसो। घंसणघोलणपीलण आउस्स उवकमा एए॥६॥ निघूमर्ग च गामं महिलायूमं च सुग्णय बटुं। णीयं च कागा ओलेन्ति जाया भिक्सुस्स हरहरा ॥७॥ निम्म-5 च्छियं महुं पायडो खजगावणो सुण्णो । जायंगणे पसुत्ता पउत्थवइया य मत्ता य॥८॥ कालेण कओ कालो अम्हं सज्झायदेसकालंमि। तो तेण हओ कालो अकालि कालं करेंतेणं ॥९॥ दुविहो पमाणकालो दिवसपमाणं च होइ राई अ। चउपोरिसिओ दिवसो राती चउपोरिसी चेव ।। ७३०॥ पंचण्हं वण्णार्ण जो खलु वण्णेण कालओ वष्णो । सो होइ वण्णकालो | वणिजह जो व जं कालं ॥१॥सादीसपज्जवसिओ चउभंगविभागभावणा एत्थं। ओदइयादीयाणं तं जाणसु भावकालं तु ॥२॥ एत्थं पुण अहिगारो पमाणकालेण होइ नायो। खेत्तंमि कंमि काले विभासियं जिणवरिंदेणं ? ॥३॥ वइसाहमुखएकारसीएँ पुषण्हदेसकालंमि। महसेणवणुज्जाणे अणंतर परंपर सेसं ॥४॥ खइयंमि वट्टमाणस्स निग्गयं भयवओ जिणिंदस्स। भावे खओवसमियंमि वट्टमाणेहिं तं गहियं ॥५॥ दशामिलावचिंधे वेए धम्मत्यभोगभावे य। भावपुरिसो उ जीवो भावे पगयं तु भावेणं ॥६॥ णिक्खेवों कारणंमी चउशिहो दुविहु होइ दर्षमि। तवमण्णदब्वे अहवावि णिमित्तनेमित्ती ॥ ७॥ समवाइअसमवाई छब्विह कत्ता य कम्म करणं च। तत्तो य संपयाणापयाण तह संनिहाणे य ॥८॥ दुविहं च होइ भावे अपसत्य पसत्यर्ग च अपसत्यं । संसारस्सेगविहं दुविहं तिविहं च नायब्वं ॥ ९॥ अस्संजमो य एको अण्णाणं अविरई य दुविहं तु। अण्णाणं मिच्छत्तं च अविरती चेव तिविहं तु ॥७४०॥ होइ पसत्थं मोक्खस्स कारणं एगदुविहतिविहं वा। तं चेव य विवरीय अहिगार पसत्थएणेत्यं ॥१॥ तित्थयरो किं कारण मासइ सामाइयं तु अज्झयणं ।। तित्थयरणामगोतं कम्मं मे (से) वेइयव्वति ॥२॥तंच कहं वेइजह? अगिलाए धम्मदेसणाईहिं। वज्झइ तं तु भगवओ तइयभवोसकइत्ताणं ॥३॥णियमा मणुयगतीए इत्थी पुरिसेयरोन सुहलेसो। आसेवियाहुलेहिं वीसाए अण्णयरएहिं॥४॥ गोयममाई सामाइयं तु किं कारणं निसामिन्ति । णाणस्स तं तु सुंदरमंगुलभावाण उपलद्धी ॥५॥ होइ पवित्ति मतव पावकम्मअगहणं । कम्मविवेगो यतहा कारणमसरीस्या चेव ॥६॥ कम्मविवेगा असरीरया य असरीरया अणाचाहा। होअणबाहनिमित्तं अवेयणमणाउलो निर(क)ओ HLIGIनिरुयत्ताए अयलो अयलत्ताए य सासओ होहा सासयभावमुक्गा अवाबाह सुह लहर।।८॥ बाह सुह लहइ ॥८॥ पचयणिक्खेवो खल दमी तत्तमासगाईओ। भावंमि ओहिमाई तिविहो पगयं तु भावेणं ॥९॥ केवलणाणित्ति अहं अरहा सामाइयं परिकहेह। तेसिपि पचओ खलु सव्वण्णू तो निसामिति ॥ ७५०॥नाम ठवणा दपिए सरिसे सामण्णलक्खणाऽऽगारे।गहरागह णाणती निमित्त उपाय विगमे य॥१॥ पीरिय भावे य तहा लक्षणमेयं समासओ भणियं। अहवावि भावलक्षण चढविहं सरहणमाई ॥२॥सदहण जाणणा खलु विरती (२९८) ११९२आवश्यकं सनियु- सूक्तिक मूलसूत्रं , Trian मुनि दीपरत्नसागर Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीसा य लक्खणं कहए। तेऽपि णिसामिनि नहा पाउलक्खणसंजुयं चेव ॥३॥णेगमसंगहववहारुज्जुमुए चेव होइ बोदवे। सद य समभिरूढ़े एवंभूए य मूलणया ॥४॥णेगेहिं माणेहिं मिणइनी णेगमस्स कत्ती। सेसाणपि णयाणं लक्खणमिणमो सुणह वोच्छं ॥५॥ संगहियपिडियत्यं संगहवयणं समासओ ति। वह पिणिपिछयत्वं ववहारो सबवेमुं ॥६॥ पचुप्पण्णग्गाही उज्जुमुओ नयविही मुणेयचो। इच्छद विसेसियतरं पचुप्पण्णं णओ सदो॥७॥ वत्यूओ संकमणं होइ अवत्यू णए समभिरुडे। बंजणमत्यतदुभयं एवंभूओ विसेसेइ ॥८॥ एकेको य सयविहो सत्त णयसया हवंति एमेव । अण्णोऽवि य आएसो पंचेव सया नयाणं तु ॥ ९॥ एएहिं दिट्ठिवाए परूवणा सुत्तअत्थकहणा या इह पुण अणम्भुवगमो अहिगारो तिहि उ ओस ॥७६०॥णस्थि णएहिं बिहूर्ण सुतं अत्यो व जिणमए किंचि । आसज उ सोयारं गए णविसारओ या ॥१॥ मूढनइयं सुयं कालियं तु ण णया समोयरंति इहं। अपुहुने समोयारो नत्षि पुरते समोयारो॥२॥ जावंति अजवारा अपुडुत्तं कालियाणुओगस्स। तेणारेण पुरतं कालियमुन दिद्विवाए य॥३॥ तुंबवणसंनिवेसाउ निग्गयं पिउसगासमालीणं । छम्मासियं छसु जयं माऊय समशियं वंदे ॥४॥ जो गुज्मएहिं वालो णिमंतिजो भोयणेण वासंते। गेच्छा विणीयविणओ तं वइररिसिं णमंसामि ॥५॥ उजेणीए जो जंभगेहि आणक्खिऊण युयमहिओ। अक्खीणमहाणसियं सीहगिरिपसंसिर्य वंदे ॥६॥ जस्स अणुनाए वायगत्तणे दसपुरंमि नयरंमि। देवेहिं कया महिमा पयाणुसार नमंसामि ॥ ७॥ जो कमाइ धणेण य निमंतिओ जुरणमि गिहवाणा । नयरम्मि कुसुमनामे तं वइररिसिं नमसामि ॥८॥ जेणुदरिया विजा आगासगमा महापरिवाओ। वंदामि 7 अजवर अपच्छिमो जो सुबहार्ण ॥९॥ भणइ अ आहिंडिजा जंबुद्दीर्व इमाइ विजाए। गंतुंच माणुसनर्ग विजाए मए विजा। अप्पिढिया उ मणुआ होहिंति अओ परं अग्ने ॥१॥ माहेसरीउ सेसा पुरिअं नीआ हुआसणगिहाओ। गयणयलमइवइत्ता वइरेण महाणुभागेण ॥२॥ अपुहुने अणुओगो चत्तारि दुवार भासई एगो। पुहयाणुओगकरणे ते अत्य तओ उ खुच्छिन्ना ॥३॥ देविंदवंदिएहिं महाणुभागेहिं रक्खिअजेहिं । जुगमासज विभत्तो अणुओगो तो कओ चउहा ॥४॥ माया य कहसोमा पिआ य नामेण सोमदेवृत्ति। भाया य फग्गुरक्खिय तोसलिपुत्ता य आयरिया॥५॥ निजवण भहगुत्ते वीसुं पढणं च तस्स पुव्वगर्य। पव्याविओ य भाया रक्खिअखवणेहिं जणओ य ॥६॥ कालियसुर्य च इसिभासियाई तइओ य सूरपण्णत्ती। सब्बो य दिहिवाओ चउत्थओ होइ अणुओगो॥१२४॥भा०ा जं च महाकप्पमुयं जाणि य सेसाणि ठेयसुत्नाणि। चरणकरणाणुओगोत्ति कालियत्ये उवगयाई ॥७॥ बहुरय पएस अव्वत्त समुच्छ दुग तिग अबद्धिया चेव । सत्तेए णिहगा खल तित्थंमि उ बदमाणस्स ॥८॥ बहुस्य जमालिपभवा जीवपएसा य तीसगुत्ताओ। अब्वत्ताऽऽसाढाओ सामुच्छेयाऽऽसमित्ताओ॥९॥ गंगाओ दोकिरिया छलुगा तेरासियाण उत्पत्ती। थेरा य गोट्ठमाहिल पुट्ठमबद्धं परू. विति ॥ ७८०॥ सावत्थी उसमपुर सेयविया मिहिल उगातीरं। पुरिमंतरंजि दसपुर रहवीरपुरं च नगराई ॥१॥ चोहस सोलस वासा चोइस वीसुत्तरा य दोण्णि सया। अट्ठावीसा य दुवे पंचेव सया उ चोयाला ॥२॥ पंचसया चुलसीया छच्चेव सया णवोत्तरा होति। णाणुप्पत्तीय दुवे उप्पण्णा णित्रुए सेसा ॥३॥ चोइस वासाणि तया जिणेण उप्पाडियस्स णाणस्स। तो बहुरयाण दिट्ठी सावत्थीए समुप्पण्णा ॥१२५॥ भाष्यं। जेट्ठा सुदंसण जमालिऽणोज सावस्थि तेंदुगुजाणे। पंचसया य सहस्सं ढंकेण जमालि मोचूणं ॥६॥ सोलस वासाणि तया जिणेण उप्पाडियस्स णाणस्स। जीवपएसियदिट्ठी उसमपुरमी समुप्पण्णा ॥७॥ रायगिहे गुणसिलए वसु चोदसपुधितीसगुत्ताओ। आमलकप्पा णयरी मित्तसिरी कूरपिउडाइ ॥८॥ चोदा दोवाससया तइया सिदि गयस्स वीरस्स। अत्तयाण दिट्ठी सेयवियाए समुप्पन्ना ॥९॥ सेयवि पोलासाढे जोगे तदिवसहिययसूले य। सोहंमि णलिणिगुम्मे रायगिहे मुरियचलभहे ॥१३०॥ वीसा दोवाससया तइया सिद्धिं गयस्स वीरस्स। सामुच्छेइयदिट्ठी मिहिलपुरीए समुप्पण्णा ॥१॥ मिहिलाए लच्छिघरे महगिरि कोडिण्ण आसमिते य। उणियाणुप्पवाए रायगिहे खंडरक्खा य ॥२॥ अट्ठावीसा दो वाससया तइया सिद्धिं गयस्स वीरस्स। दोकिरियाणं दिट्टी उड्गतीरे समुप्पण्णा ॥३॥ णइखेडजणवाग महगिरि धणगुत्त अजगंगे ला तइया सिदि गयस्स वीरस्स। पुरिमंतरंजियाए तेरासियदिट्ठी उववण्णा ॥५॥ पुरिमंतरंजि भूयगृह चलसिरि सिरिगुत्त रोहगुत्ते या परिवाय पोट्टसाले घोसण पडिसेहणा वाए॥६॥ विच्छ्य सप्पे मसग मिई वराही य कागि पोआई। एयाहिं विजाहिं सो उ परिवायओ कुसलो ॥ ७॥ मोरी नउलि बिराली सीही वग्धी य उलुगि ओवाई। एयाओ विजाओ गेण्ह परिवायमहणीओ ॥८॥ सिरिगुत्तेणऽवि छलुगो छम्मास विकढिऊण वायजिओ। आहरण कुनियावण चोयालसएण पुच्छाणं ॥९॥वाए पराजिओ सो निविसओ कारिओ नरिंदेणं। घोसावियं च णगरे जयइ जिणो बदमाणोनि ॥१४०॥ पंचसया चुलसीया तइया सिदि गयस्स वीरस्स। अन्वद्धियाण दिट्ठी दसपुरनयरे समुप्पण्णा ॥१॥ दसपुरनगरुच्छुघरे अजरक्खिय पूसमित्ततियगं च। गोट्ठामाहिल नवमट्ठमेमु पुच्छा य विसस्स ॥२॥ पुट्ठो जहा अबदो कंचुइणं ११९३ आवश्यकं सनियु- सूक्तिक मूलसूत्रं, afgarn मुनि दीपरत्नसागर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कंचुओ समोइ। एवं पुहमपर्व जीवं कम्मं समजेइ ॥३॥ पचक्रवाण सेयं अपरिमाणेण होइ काया। जेसिं तु परीमाण तंदुई आससा होइ ॥४॥ छवाससयाई नयुसराई तइया सिविं गयस्स वीरस्स। तो बोडियाण विट्ठी रहवीरपरे समुप्पण्णा ॥ ५॥ रहवीरपुरै नयरं दीवगमुजाणमजकण्हे य। सिवभास्वहिम्मि य पुच्छा थेराण कहणा य॥६॥ ऊहाए पण्णतं बोडियसिवभहउत्तराहिं जमा मिच्छादसणमिणमो रहवीरपुरे समुप्पण्णं ॥७॥बोडियसिवभईओबोडियलिंगस्स होइ उपपत्ती।कोडिण्णकोहवीरा परंपराफासमुप्पणा॥१८॥भाष्यं । एवं एए कहिया ओसप्पिणीए उ निण्हया सत्त। वीरवरस्स परयणे सेसाणं पवयणे णस्थि॥७८४ामोत्तूणमेसिमिकं सेसाणं जावजीविया दिट्ठी। एकेकस्स य एत्तो दो दो दोसा मुणेयवा ॥५॥ सत्तेया दिट्ठीओ जाइजरामरणगम्भवसहीणं। मूलं संसारस्स उ भवंति निग्गंथरूवेणं ॥६॥ पवयणनीहूयाणं जं तेसिं कारियं जहिं जत्थ। भज परिहरणाए मूले तह उत्तरगुणे य ॥७॥ मिच्छादिट्ठीआणं जं तेसिं कारियं जहिं जत्थ। सपि तयं सुर्द मूले तह उत्तरगुणे य ॥८॥ तवसंजमो अणुमओ निग्गंध पवयणं च ववहारो। सदुजुसुयाणं पुण निशाणं संजमी चेत्र ॥९॥ आया खलु सामइयं पच्चक्खायंतओ हवइ आया। तं खलु पच्चक्खार्ण आवाए सबदवाणं ॥७९०॥ सावजजोगविरओ, तिगुत्तो छ संजओ। उवउत्तो जयमाणो, आया सामाइयं होइ॥१४९॥ भाष्यं। पढमम्मि सजीवा विइए चरिमेय सवदवाई। सेसा महव्वया खलु तदेकदेसेण दव्वाणं ॥१॥ जीवो गुणपडिवन्नो णयस्स दव्वट्ठियस्स सामइय। सो चेव पजवणयट्ठियस्स जीवस्स एस गुणो॥२॥ उप्पजति वयंति अ परिणम्मति अगुणा ण दवाई। दवप्पभवा य गुणा ण गुणप्पभवाई दवाई ॥३॥ जं जं जे जे भावे परिणमइ पओगवीससा दई । तं तह जाणेइ जिणो अपजवे जाणणा णत्यि ॥४.५॥ सामाइयं च विविहं सम्मत्त सुयं तहा चरित्तं च । दुविहं चेव चरितं अगारमणगारियं चेव ॥ ६ ॥ अजायणपि य तिविहं मुत्ते अत्ये य तदुभए चेव । सेसेसुवि अजायणेसु होइ एसेव निजुत्ती ॥१५०॥ भाष्यं । जस्स सामाणिओ अप्पा, संजमे नियमे तवे। तस्स सामाइयं होइइइ केवलिभासियं ॥ ७॥ जो समो सबभूएम, तसेसु थावरेसु । तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं ॥ ८॥सावजजोगप्परिवजणट्ठा, सामाइयं केवलियं पसत्य। गिहत्यधम्मा परमंति णचा, कुज्जा बुहो आयहियं परत्थं ॥९॥ सर्वति भाणिऊणं विरई खलु जस्स सधिया णत्थि। सो सञ्चविरइवाई चुकद देसं च सर्व च ॥८००॥ सामाइयमि उ कए समणो इव सावओ हवइ जम्हा। एएण कारणेणं पहुसो सामाइयं कुजा ॥१॥ जीवो पमायपहुलो बहुसोवि अ बहुविहेसु अत्थेसुं। एएण कारणेणं पहुसो सामाइयं कुज्जा ॥२॥ जो णवि वहद रागे णवि दोसे दोण्ह मज्झयारंमि । सो होइ उ मज्झत्थो सेसा सवे अमजमत्था ॥३॥ खित्तदिसाकालगइभवियसपिणऊसासदिट्ठिमाहारे। पज्जत्तसुत्तजम्मठितिवेयसण्णाकसायाऊ ॥४॥णाणे जोगुवओगे सरीरसंठाणसंघयणमाणे। लेसा परिणामे वेयणा समुग्धायकम्मे अ॥५॥ णिचिट्ठणमुघडे आसवकरणे तहा अलंकारे। सयणासणठाणत्थे चकम्मंते अकिं कहियं ? ॥ ६॥ सम्मसुआणं लंभो उड्ढं च अहे अतिरिअलोए अ। विरई मणुस्सलोए विरयाविरई अ तिरिएK ॥७॥ पुवपडिवनगा पुण तीसुवि लोएसु निअमओ तिण्हं । चरणस्स दोसु निअमा भयणिज्जा उड्ढलोगंमि ॥८॥ नाम ठवणा दबिए खेत्त दिसा तावखेत्त पनवए । सत्तमिया भावदिसा परूवणा तस्स कायब्वा (सा होयट्ठारसविहा उ)॥ ९ ॥ पुब्वाईआसु महादिसासु पडि. बजमाणओ होइ। पुवपडिवाओ पुण अन्नयरीए दिसाए उ ॥८१०॥ सम्मत्तस्स सुयस्स य पडिवत्ती छबिहमि कालंमि। विरई विरयाविरई पडिवनइ दोसु तिसु वाचि ॥१॥ चउमुवि गतीमु णियमा सम्मत्तमयस्स होइ पडिवत्ती। मणुएसु होइ विरती विरयाविरईय तिरिएK ॥२॥ भवसिद्धिओ उ जीवो पडिवजइ सो चउण्हमण्णयरं । पडिसेहो पुण अस्सअणि मीसए सण्णि पडिबजे ॥३॥ ऊसासगणीसासगमीसग पडिसेह दुविह पडिवण्णो। दिट्ठीइ दो णया खलु ववहारो निच्छओ चेव ॥४॥आहारओ उ जीवो पडिवजह सो चउण्हम ब्णयर । एमेव य पजत्तो सम्मत्तसुए सिया इयरो॥५॥णिदाएं भावोऽपि य जागरमाणो चउण्हमण्णयरं। अंडयपोयजराउय तिग तिग चउरो भवे कमसो ॥६॥ उक्कोसयद्वितीए पडिवजंते य णस्थि पडिवण्णो। अजहण्णमणुकोसे पडिवजते य पडिवण्णे ॥ ७॥ चउरोऽवि तिविहवेदे चउसुवि सण्णासु होइ पडिवत्ती। हेटा जहा कसाएसु वण्णिायं तह य इहयपि ॥८॥ संखिजाऊ चउरो भयणा सम्मसुयऽसखवासाणं। ओहेण विभागेण य नाणी पडिवजई चउरो ॥९॥ चउरोऽवि तिविहजोगे उवओगदुगंमि चउर पडिबजे। ओरालिए चाउक सम्मसुय विउव्विए भयणा ॥८२०॥ सबेसुवि संठाणेसु लहइ एमेव सत्रसंघयणे। उक्कोसजहणं वजिऊण माणं लहे मणुओ ॥ १॥ सम्मत्तसुर्य सञ्चासु लहइ सुद्धासु तिसु य चारित्र्त। पुष्पडिवण्णगो पुण अण्णयरीए उ लेसाए ॥२॥बईते परिणामे पडिवजइ सो चउण्हमण्णयर। एमेवऽवद्वियंमिचि हायति न किंचि पडिवजे ॥३॥ दुविहाएँ वेयणाए पढिवजइ सो चउण्हमण्णयर। असमोहओऽवि एमेव पुत्रपडिवणए भयणा ॥४॥ दोण य भावेण य निविड्दतो चउण्हमण्णयर। नरएसु अणुबडे दुर्ग चउर्फ सिया उ उबहे ॥५॥ तिरिएसु अणबहे तिगं चउर्फ सिया उ उनहे। मणएम अणुब चउरो ति दुर्ग तु उबहे ॥६॥ देवेसु अणुबडे दुर्ग चउकं सिया उ उपहे। उपहमाणओ पुण सोऽपि न किंचि पडिवजे ॥७॥ ११९४ आवश्यक सनिर्यु- सूक्तिकं मूलसूत्र, rglari मुनि दीपरत्नसागर Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णीसवमाणो जीवो पडिवजइ सो चउण्हमण्णयरं। पुवपटिवण्णओ पुण सिय आसवओ व णीसवओ॥८॥ उम्मुकमणुम्मुके उम्मचंते य केसऽलंकारे। पडिवजेजऽनयर सयणाईसुपि एमेव ॥९॥ सव्वगयं सम्मन्नं सुए चरिते ण पज्जवा सके। देसविरई पड़चा दोण्हवि पडिसेहर्ण कुजा ॥८३०॥ माणुस्स खेत जाई कुल रूवारोग्गमाउयं बुद्धी। सवणोग्गह सदा संजमो य लोगंमि दुलहाई ॥१॥ चोङग पासग धण्णे जूए रयणे य सुमिण चक्के या चम्म जुगे परमाणू दस दिट्ठन्ता मणुयलंभे ॥२॥ पुवंते होज जुर्ग अवरंते तस्स होज समिला उ। जुग. छिड्डेमि पवेसो इय संसइओ मणुयलंभो ॥३॥ जह समिला पन्भट्ठा सागरसलिले अणोरपारंमि। पविसेज जुग्गछिड्ड कहवि भमंती भमंतमि ॥४॥ सा चंडवायवीचीपणुलिया अवि लभेज युगछिड्ड। ण य माणुसाउ भट्ठो जीवो पडिमाणुसं लहइ ॥५॥ इय दुल्लहलंभ माणुसत्तणं पाविऊण जो जीवो । ण कुणइ पारत्तहियं सो सोयइ संकमणकाले ॥ ६॥ जह वारिमझाडूढो गयवरो मच्छउब्ब गलगहिओ। वग्गुरपडिउब्व मओ संवट्टइओ जह व पक्खी ॥७॥ सो सोयइ मच्चुजरासमोच्छुओ तुरियणिहपक्खित्तो।तायारमविदंतो कम्मभरपणो. लिओ जीवो ॥८॥ काऊणमणेगाई जम्ममरणपरियट्टणसयाई। दुक्खेण माणुसत्तं जइ लहइ जहिच्छियं जीवो ॥९॥ तह दुल्लहलंभं विजुलयाचंचलं च माणुसत्तं। लट्टण जो पमायह सो कापुरिसो न सप्पुरिसो ॥ ८४०॥ आलस्स मोहऽवण्णा थंभा कोहा पमाय किवणता। भय सोगा अण्णाणा वक्वेव कुतूहला रमणा ॥१॥ एतेहिं कारणेहिं लघृण सुदुलहंपि माणुस्स। ण लहइ सुई हियकरि संसारुत्तारणिं जीवो ॥२॥ जाणाऽऽवरणपहरणे जुड़े कुसलत्तणं च णीती य। दक्खत्तं ववसाओ सरीरमारोग्गया चेव ॥३॥ दिढे सुएऽणुभूए कम्माण खए कए उवसमे य। मणवयणकायजोगे य पसत्थे लब्भए वोही ॥४॥ अणुकंपऽकामणिज्जरवालतवे दाणविणयविभंगे । संयोगविप्पओगे वसणूसवइढिसक्कारे ॥५॥ वेज्जे मेंठे तह इंदणाग कयउण्ण पुष्फसालसुए। सिव दुमहुवणिभाउयाहीरदसण्णिलापुत्ते ॥६॥ सो वाणरजूहवती कंतारे सुविहियाणुकंपाए। भासुखरबोंदिधरो देवो बेमाणिओ जाओ॥७॥ अग्भुट्ठाणे विणए परकमे साहुसेवणाए य। सम्मईसणलंभो विरयाविरईइ विरईए॥८॥ सम्मत्तस्स सुयस्सय छावट्टी सागरोवमाई ठिई। सेसाण पुत्रकोडी देसृणा होइ उकोसा ॥९॥ सम्मत्तदेसविरया पलियस्स असंखभागमेत्ता उ। सेढीअसंखभागो सुए सहस्सम्गसो विरई ॥ ८५०॥ सम्मत्तदेसविरया पडिवन्ना संपई असंखेजा। संखेना य चरिते तीसुवि पडिया अणंतगुणा ॥१॥ सुयपडिवण्णा संपइ पयरस्स असंखभागमेत्ता उ। सेसा संसारत्था सुयपरिवडिया हु ते सवे ॥२॥ कालमणंतं च सुए अदापरियट्टओ उ देसूणो। आसायणबहुलाणं उकोस अंतरं होइ ॥३॥ सम्मसुयअगारीणं आवलियअसंखभागमेत्ता उ। अट्ठ समया चरिते सब्बेसु जहन्न दो समया ॥४॥ सुयसम्म सत्तयं खलु विरयाविरईय होइ वारसगं। विरईए पन्नरसगं विरहियकालो अहोरत्ता ॥५॥ सम्मत्तदेसविरया पलियस्स असंखभागमेत्ताओ। अट्ठ भवा उ चरित्ते अणंतकालं च सुयसमए ॥ ६॥ तिण्ह सहस्सपुहुत्तं सयपुहुतं च होह बिरईए। एगभवे आगरिसा एवतिया होति नायव्वा ॥७॥ तिण्ड सहस्समसंखा सहसप। | हिया सब लोग फुसे णिरवसेस । सत्त य चोहसभागे पंच य सुयदेसविरईए॥९॥ सम्बन्जीवहिं सूर्य सम्मचरित्ताई सबसिदेटिं। भागेहिं असंखेजेहिं फासिया देसविरईओ॥ सम्मादिट्टि अमोहो सोही सम्भाव देसणं चोही। अविवजओ सुदिहित्ति एवमाई निरुत्ताई ॥१॥ अक्खर सन्नी संमं सादीयं खल सपजवसियं च। गमियं अंगपबिई सत्तवि एए सपडिवक्खा ॥२॥ विरयाविरई संवुडमसंखुडे बालपंडिए चेव। देसेकदेसविरई अणुधम्मोऽगारधम्मो य ॥३॥ सामाइयं समइयं सम्मावाओ समास संखेवो। अणवजं च परिण्णा पच्च क्खाणे य ते अट्ठ॥४॥ दमदंते मेयजे कालयपुच्छा चिलाय अत्तेया धम्मरुइ इला तेयलि सामइए अठ्ठदाहरणा ॥५॥ निक्खंतो हस्थिसीसा दमदंतो कामभोगमवहाय। णवि रजइ श्रीरत्तेसुंदुद्वेसुण दोसमावजे ॥१५१॥ भा०ा वंदिजमाणान समुक्कसंति, हीलिजमाणान समुजलंति। दंतेण चित्तेण चरंति धीरा, मुणी समुग्धाइयरागदोसा ॥६॥ तो समणो जइ सुमणो भावेण य जइ ण होइ पावमणो। सयणे य जणे य समो समोय माणावमाणेसुं॥७॥णस्थि य सि कोइ वेसो पिओ व सवेसु चेव जीवेसु । एएण होइ समणो एसो अण्णोवि पजाओ ॥८॥जो काँचगावराहे पाणिदया कोंचगं तु णाइक्खे। जीवियमणपेहतं मेयजरिसिंणमंसामि ॥९॥णिप्फेडियाणि दोण्णिवि सीसावेढेण जस्स अच्छीणि। ण य संजमाउ चलिओ मेयजो मंदरगिरिव ॥८७०॥ दत्तेण पुच्छिओ जो जण्णफलं कालओ तुरुमिणीए। समयाएँ आहिएणं संमं बुइयं भदंतेणं ॥१॥ जो तिहि पएहि सम्मं समभिगओ संजमं समारूदो। fe उवसमविवेयसंवर चिलायपुत्तं णमंसामि ॥२॥ अहिसरिया पाएहिं सोणियगंधेण जस्स कीडीओ। खायंति उत्तमंगं तं दुकरकारयं बंदे ॥३॥ धीरो चिलायपुत्तो मूयइंगलियाहि चा लिणिव कओ। सो तहवि खजमाणो पडिवण्णो उत्तमं अटुं ॥४॥ अड्ढाइजेहिं राइदिएहिं पत्तं चिलाइपुत्तेणं । देविंदामरभवणं अच्छरगणसंकुलं रम्मं ॥५॥ सयसाहस्सा गंथा सहस्स पंच य दिवड्डमेगं च। ठविया एगसिलोए संखेचो एस णायवो ॥६॥ सोऊण अणाउदि अणभीओ वजिऊण अणगं तु। अणवजय उवगओ धम्मरुई णाम अणगारो॥७॥ परिजा११९५ आवश्यकं सनियु-मूक्तिक मूलसूत्र, rajkura मुनि दीपरत्नसागर Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णिऊण जीवे अजीवे जाणणापरिणाए। सावजजोगकरणं परिजाणइ सो इलापुत्तो ॥ ८॥ पञ्चक्खे इव दठूण जीवाजीवे य पुण्णपावं च। पचक्खाया जोगा सावजा तेतलिसुएण ॥९॥ उपोद्घातनियुक्तिः । अप्पग्गंथमहत्थं बत्तीसादीसविरहियं जं च । लक्खणजुत्तं सुत्तं अट्टहि य गुणेहि उपवेयं ।। ८८० ॥ अलियमुबघायजणयं निरस्थयमवस्थयं उलं दुहिलं । निम्सारमधियमूर्ण पुणरुत्तं वाहयमजुत्तं ॥१॥ कमभिण्णवयणभिणं विभत्तिभिन्नं च लिंगभिन्नं च । अणभिहियमपयमेव य सभावहीणं दबहियं च ॥२॥ कालजतिच्छवि. दोसा समयविरुदं च वयणमित्तं च। अस्थावत्तीदोसो य होइ असमासदोसो य ॥३॥ उवमारूवगदोसोऽनिदेसऽपदत्यऽसंधिदोसो य। एए उ सुत्तदोसा बत्तीसं होति णायवा॥४॥ WM निहोस सावन्तं च, हेउजत्तमलंकियं । उवणीयं सोचयारं च, मियं महरमेव य ॥५॥ अप्पक्खरमसंदिवं. सारवं पिस्सओमहं। अत्थोभमणवर्ज च. मनं साणभासियं ॥६॥ | उप्पत्ती निक्सेको पयं पयत्यो परूवणा वत्थं । अक्खेव पसिद्धि कमो पओयण फलं नमोकारो ॥ ७॥ उप्पनाऽणुप्पन्नो इत्थ नयाऽऽइनि( या ने )गमस्सऽणुप्पन्नो। उप्पन्नो जइ कत्तो ? तिविहसामित्ता ॥८॥ सामुट्ठाणा बायण लदिओं पढमे नयत्तिए तिविहं । उजुसुय पढमवज सेसनया लदिमिच्छन्ति ॥९॥ निनाइ दश भावोष उत्त जं कुज सम्मदिट्ठी उ। नेवाइयं पयं दवभावसंकोअण पयत्यो ॥८९०॥ दुविहा परूवणा छप्पया अ नवहा अ उप्पया इणमो। किं कस्स केण व कहिं कियचिरं कइविहो व भवे ॥१॥ किं? जीवो तप्परिणओ पुवपडियन्नओ उ जीवाणं । जीवस्स व जीवाण व पहुंच पडिवजमाणं तु ॥२॥ नाणावरणिजस्स य दंसणमोहस्स तह खओवसमे। जीवमजीचे अट्ठसु भंगेसु अ होइ सवत्थ ॥३॥ उवओग पच्चंतोमुहुत्त लबीइ होइ उ जहनो। उक्कोसटिइ छावट्ठि सागर अरिहाई पंचविहो ॥४॥ संतपयपरूवणया दवपमाणं च खित्त फुसणा या कालो य अंतरं भाग भाव अप्पाचहुंचेव ॥५॥ संतपयं पडियने पडिवते य मम्गणं गइसु । इंदिअ काए वेए जोए य कसाय लेसासु ॥६॥ सम्मत्त नाण सण संजय उवओ. ॐ गओ अ आहारे। भासग परित्त पजत मुहमे सनी अभय चरमे ॥७॥ पलिआसंखिजइमे पडिवनो हुज खित्तलोगस्सा सत्तसु चउदसभागेसु हुज्ज फुसणावि एमेव ॥८॥ एग पहुंच हिट्ठा तहेव नाणाजिआण सम्बद्धा। अंतर पडुच एगं जहन्नमंतोमुहुत्तं तु ॥९॥ उक्कोसेणं चेयं अद्धापरियडओ उ देसूणो । णाणाजीवे णस्थि उ भवे य भावे खओवसमे ॥९००॥ जी. वाणऽणंतभागो पडिवण्णो सेसगा अणंतगुणा। वत्थु तऽरिहंताई पश भवे तेसिमो हेऊ ॥१॥ आरोवणा अ भयणा पुच्छा तह दायणा अ निजवणा। नमुकारऽनमुकारे नोआइजुए व नवहा वा ॥२॥ मग्गे अविप्पणासो आयारे विणयया सहायत्तं । पंचविहनमुकारं करेमि एएहिं हेऊहिं ॥३॥ अडवीड देसिअत्तं तहेच निजामया समुहम्मि। छकायरक्खणट्ठा महगो | वा तेण बुधति ॥४॥ अडवि सपचवायं वोलित्ता देसिओवएसेणं । पावंति जहिट्ठपुरं भवाडविपी तहा जीवा ॥५॥ पार्वति निबुइपुरं जिणोवइट्टेण चेव मग्गेणं । अडवीइ देसिअल एवं | नेअं जिणिंदाणं ॥६॥ जह तमिह सत्यवाहं नमइ जणो तं पुरं तु गंतुमणो। परमुवगारित्तणओ निष्विग्यस्थं च भत्तीए ॥७॥ अरिहो उ नमुक्कारस्स भावओ खीणरागमयमोहो। 7 मुक्खत्थीर्णपि जिणो तहेब जम्हा अओ अरिहा ॥८॥ संसाराअडवीए मिच्छत्तऽन्माणमोहिअपहाए। जेहिं कय देसिअत्तं ते अरिहंते पणिवयामि ॥९॥ सम्मदसणदिट्ठो नाणेण य मुठ्ठ तेहिं उवलद्धो। चरणकरणेण(हि) पहओ निवाणपहो जिणिदेहिं ॥९१०॥ सिद्धिं वसहिमुबगया निवाणसुहं च ते अणुप्पत्ता।सासमवाबाहं पत्ता अयरामरं ठाणं ॥१॥ पाविति जहा पारं सम्मं निजामया समुहस्स। भवजलहिस्स जिणिंदा तहेव जम्हा अओ अरिहा ॥२॥ मिच्छत्तकालियावायविरहिए सम्मत्तगजभपवाए । एगसमएण पत्ता सिदिवसहिपट्टणं पोया ॥३॥ निजामगरयणाणं अमूडनाणभइकण्णधाराणं। वदामि विणयपणओ तिविहेण निदंडविरयाणं ॥४॥ पालंति जहा गावो गोवा अहिसावयाइदुग्गेहिं । पउरतणपाणिआणि अवणाणि पार्वति तह चेव ॥५॥ जीवनिकाया गावो ते पालंति ते महागोवा। मरणाइभयाउ(हि) जिणा निशाणवणं च पार्वति ॥६॥ तो उवगारितणओं नमोऽरिहा भविअजीवलोगस्स। सबस्सेह जिणिंदा लोगुत्तमभावओ तह य ॥७॥ रागदोसकसाए, इंदिआणि अ पंचवि। परीसहे उपसम्गे, नामयंता नमोऽरिहा ॥८॥ इंदियविसयकसाए परी. सहे वेयणा उक्स्सग्गे। एए अरिणो हंता अरिहंता तेण चंति ॥९॥ अढविहंपिय कम्मं अरिभूअं होइ सबजीवाणं । तं कम्ममरि हंता अरिहंता तेण वुचन्ति ॥९२०॥ अरिहंति वंदणनमंसणाई अरिहंति पूअसकारं। सिदिगमणं च अरिहा अरहंता तेण बुचन्ति ॥१॥ देवासुरमणुएसुं अरिहापूआ सुरुत्तमा जम्हा । अरिणो हंता स्यं हंता अरिहंता तेण बुचन्ति ॥२॥ अरहंतनमुकारो जीवं मोएइ भवसहस्साओ। भावेण कीरमाणो होइ पुणो बोहिलाभाए ॥३॥ अरिहंतनमुकारो धनाण भवक्खयं कुर्णताणं। हिअयं अणुम्मुअंतो विसुनियावारओ होइ॥४॥ अरहंतनमुकारो एवं खलु वण्णिओ महत्थुत्ति। जो मरणम्मि उवग्गे अभिक्खणं कीरए बहुसो ॥५॥ अरिहंतनमुकारो, सबपावष्पणासणो। मंगलाणं च सवेसिं, पढम हव(वह)द मंगलं ॥६॥ कम्मे सिप्पे अ बिजाय, मते जोगे अ आगमे । अस्थ जत्ता अभिप्पाए, तवे कम्मक्खए इय ॥ ७॥ कम्म जमणायरिओवएसयं सिप्पमनहाऽभिहि। किसि. वाणिजाईयं घडलोहाराइभेनं च ॥८॥जो सबकम्मकुसलो जो चा जत्थ सुपरिनिडिओ होइ।सज्झगिरिसिद्धओविय कम्मसिद्धत्ति विन्नेओ ॥९॥ जो सबसिप्पकुसलो जो वा जत्थ (२९९) * ११९६ आवश्यकं सनियु- सूक्तिक मूलसूत्र, forgiary मुनि दीपरत्नसागर || Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुपरिनिट्टिओ होइ। कोकासवढईविव साइसओ सिप्पसिद्धो सो॥९३०॥ इत्थी विजाऽभिहिया पुरिसो मंतुत्ति तब्विसेसोऽयं । विजा ससाहणा वा साहणरहिओ अ मंतुति ॥१॥ विजाण चक्कवट्टी विजासिद्धो स जस्स वेगापि। सिज्झिज महाविजा विजासिदजखउडुन ॥२॥ साहीणसवमंतो बहुमंतो वा पहाणमंतो वा । नेओ स मंतसिद्धो यभागरिसुव । साइसओ ॥३॥ सवेवि दवजोगा परमच्छेयरफलाऽहवेगोऽपि । जस्सह हुज सिद्धो स जोगसिद्धो जहा समिओ॥४॥ आगमसिद्धो सवंगपारओ गोमुख गुणरासी। पउरस्थो अस्थ. परो व मम्मणो अत्यसिद्धति ॥५॥ जो निचसिद्धजत्तो लद्धवरो जो व तुंडियाइन। सो किर जत्तासिद्धोऽभिप्पाओ बुद्धिपजाओ ॥६॥ विउला विमला मुहमा जम्स मई जो चरविहाए वा। बुद्धीए संपन्नो स बुद्धिसिद्धो इमा सा य ॥७॥ उत्पत्तिा वेणइआ, कम्मिया पारिणामिआ। बुद्धी चउब्विहा बुत्ता, पंचमा नोबलभए॥८॥ पुवमदिटुं अस्मुअमवे - इअ तक्खणविसुद्धगहि अत्था। अब्बाहयफलजोगिणि (गा) बुद्धी उप्पत्तिआ नाम ॥९॥भरहसिल पणिज रुक्खे खुइङग पड सरड काग उचारे। गय घयण गोल खंभे खुइटग मग्गित्यि पर पुत्ते ॥९४०॥ भरहसिल मिंढ कुकुड तिल वालुअ हस्थि अगड वणसंडे । पायस अइआ पत्ते खाडहिला पंच पिअरो अ॥१॥ महुसिथ मुदि अंके अ नाणए भिक्खु चेडग निहाणे। सिक्खा य अत्थसत्थे इच्छा य महं सयसहस्से ॥२॥ भरनित्थरणसमत्था सिवग्गसुत्तत्थगहिअपेआला। उभओलोगफलबई विणयसमुत्था हबइ बुद्धी॥३॥ निमित्ने अत्थसत्थे अलेहे गणिए अ कूब अस्से अ। गदह लक्खण गंठी अगए गणिआ य रहि ओ अ॥४॥सी साडी दीहं च तर्ण अवसव्वयं च कुंचस्स। निव्वोदए अ गोणे घोडग पडणं च रुक्खाओ ॥५॥ उवओगदिट्ठसारा कम्मपसंगपरिघोलणविसाला । साहुकारफलवई कम्मसमुत्था हवइ बुद्धी ॥६॥ हरचिए करिसए कोलिअ डोवे य मुत्ति घय पवए। तुभाग वढद पूडए अघड चित्तकारे अ॥७॥ अणुमाणहेउदिटुंतसाहिया वयविवागपरिणामा। हिअनिस्सेअसफलवई बुद्धी परिणामिआ नाम ॥८॥ अभए सिढि कुमारे देवी उदिओदए हवइ राया। साहू अनंदिसेणे धणदत्ते सावग अमचे ॥९॥ खवगे अमञ्चपुत्ते चाणक्के चेव थूलभद्दे अ। नासिकसुंदरि नंदे वहरे परिणामिआ बुद्धी ॥९५०॥ चलणाह्य आमंडे मणी अ सप्पे अ खम्गि थूभिदे । परिणामिअबुद्धीए एवमाई उदाहरणा॥१॥ न किलम्मइ जो तवसा सो तवसिद्धो दढप्पहारिव। सो कम्मक्खयसिद्धो जो सबक्खीणकम्मंसो॥२॥ दीहकालरयं जंतुकम्मं से सिअमट्टहा। सिअंधंतंति सिद्धस्स, सिद्धत्तमुवजायइ ॥३॥ नाऊण वेअणिजं अइबहुअं आउयं च थोवागं। गंतूण समुग्घायं खर्वति कम्मं निरवसेसं ॥ ४॥ दंड कवाडे मंथंतरे असाहरणया सरीरत्थे। भासाजोगनिरोहे सेलेसी सिज्झणा चेव ॥५॥जह उल्ला साडीया आसु मुक्कद विरलिया संती। तह कम्मलहुअसमए वचंति जिणा समुग्घायं ॥६॥ लाउय एरंडफले अग्गी धूमे उसू धणुविमुक्के । गइपुत्रपओगेणं एवं सिद्धाणवि गईओ ॥७॥ कहिं पडिहया सिद्धा, कहिं सिद्धा पइट्ठिया । कहिं बोंदि चइत्ताणं, कत्थ गंतृण सिज्झई ? ॥८॥ अलोए पडिहया सिद्धा, लोगयो य पइट्टिया। इहं बॉर्दि चइत्ताणं, तत्थ गंतृण सिज्झई ॥९॥ ईसीपब्भाराए सीयाए जोयणमि लोगंतो। वारसहि जोयणेहि सिद्धी सबट्टसि. दाओ ॥९६० ॥ निम्मलदगरयवण्णा तुसारगोखीरहारसरिवना। उत्ताणयछत्तयसंठिया य भणिया जिणवरेहिं ॥१॥एगा जोयणकोडी वायालीसं च सयसहस्साई। तीसं चेव सहस्सा दो चेव सया अउणवन्नाः ॥२॥ बहुमज्मदेसभागे अट्टेव य जोअणाणि बाहर्छ। चरमंतेसु अ तणुई अंगुलऽसंखिजईभागं ॥३॥ गंतूण जोअणं जोयणं तु परिहाइ अंगुलपृहुत्तं। तीसेविअ पेरंता मच्छिअपत्ताउ तणुयअरा ॥४॥ ईसीपब्भाराए उवार खलु जोअणमि जो कोसो। कोसस्स य छम्भाए सिद्धाणोगाहणा भणिा ॥५॥ तिमि सया तित्तीसा धणुत्ति ।।ज परमागाहाऽय तात कासरस छम्भाए॥६॥ उत्ताणउब पासिलउच्च अहवा निसन्नओं चंव । जो जह करेड काल सा तह उववजए सिद्धा॥ ७॥ इहभवभिनागारो कम्मवसाओ भवंतरे होइ।नयतं सिद्धस्स जओ तम्मिवि तो सो तयागारो॥८॥ तस्स ॥९॥ दीहं वा हस्सं वाजं चरमभवे हविज संठाणं। तत्तो तिभागहीणा सिद्धाणोगाणा भणिया ॥९७०॥ तिनि सया तित्तीसा घणुत्तिभागो य होइ बोद्धवो। एसा खलु सिद्धाणं उकोसोगाहणा भणिया ॥१॥ चत्तारि य रयणीओ रयणितिभागूणिया य बोदया। एसा खल सिद्धाणं मज्झिमओगाहणा भणिया ॥२॥ एगा य होइ रयणी अट्टेव य अंगुलाई साहीआ। एसा खलु सिद्धार्ण जहन्नओगाहणा भणिया ॥३॥ ओगाहणाइ सिद्धा भवत्तिभागेण हुंति परिहीणा। संठाणमणित्यत्वं जरामरणविप्पमुकाणं ॥४॥ जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का। अन्नुभसमोगाढा पुट्ठा सो य लोगते ॥५॥ फुसइ अणंते सिद्धे सवपएसेहिं नियमसो सिद्धो। तेऽवि असंखिजगुणा देसपएसेहिं जे पुट्ठा ॥६॥ असरीरा जी. वघणा उवउत्ता सणे अ नाणे य। सागारमणागारं लक्खणमेयं तु सिद्धाणं ॥७॥ केवलनाणुवउत्ता जाणंती सवभावगुणभावे। पासंति सबओ खलु केवलदिट्ठीहिणताहि ॥८॥ नाणमि दंसणमि य इत्तो एगयरयमि उवउत्ता। सब्वस्स केवलिस्सा जुगवं दो नस्थि उवओगा ॥९॥ नवि अस्थि माणुसाणं तं सुक्खं नेव (नविय) सव्वदेवाणं । जं सिद्धार्ण सुक्खं | ११९७ आवश्यक सनियु- मुक्तिकं मूलसूत्र निcिre मुनि दीपरत्नसागर Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 अववाहं उवगयाणं ॥ ९८० ॥ सुरगणसुहं समत्तं सव्वद्वापिंडियं अनंतगुणं न य पावइ मुत्तिमुहं णंताहित्रि वग्गवम्गूहिं ॥ १ ॥ सिद्धस्स सुहो रासी सङ्घदापिंडिओ जइ हविना सो नवग्गभइओ सव्यागासे न माइजा ॥ २ ॥ जह नाम कोइ मिच्छो नगरगुणे बहुविहे विआणतो न चएइ परिकहेउं उवमाइ नहिं असंतीए ॥ ३ ॥ इअ सिद्धाणं सुक्खं अणोवमं नन्थि तस्स ओवम्मं किंचि विसेसेणिनो सारिक्खमिणं सुणह वृच्छं ॥ ४ ॥ जह सव्वकामगुणिअं पुरिसो मोनून भोअणं कोई तव्हाछुहाविमुको अच्छिन जहा अभिजननो ॥ ५ ॥ इअ सव्वकालतित्ता अडलं निव्वाणमुवगया सिद्धा । सासयमव्याबाहं चिति सुही सुहं पत्ता ॥ ६ ॥ सिद्धति अ बुद्धत्ति अ पारगयत्ति य परंपरगयत्ति । उम्मुककम्मकवया अजरा अमरा असंगाय ॥ ७ ॥ निच्छिन्नसय्यदुक्खा जाइजरामरणबंधणविमुक्का अव्वाबाहं सुक्खं अणुती सासयं सिद्धा ॥ ८ ॥ सिद्धाण नमुकारो जीव मोएइ भवसहम्सा भावेण कीरमाणो होई पुण बोहिलाभाए ॥ ९ ॥ सिद्धाण नमक्कारो धन्नाण भवक्खयं कुणंताणं हिअयं अणुम्मुतो विमुनिआवारओ होइ ॥ ९९० ॥ सिद्धाण नमक्कारी एवं खलु वण्णिओ महन्थुति । जो मरणमि उगे अभिक्खणं कीरए बहुसो ॥ १ ॥ सिद्धाण नमकारो, सङ्घपावप्पणासणी मंगलाणं च सचेसिं. विइअं हवद मंगलं ॥ २ ॥ नामं लवणा दविए भावमि चउडिहो उ आयरिओ। दर्शमि एगभविआइ लोइए सिप्पसत्थाई ॥ ३ ॥ पंचविहं आयारं आयरमाणा तहा पभासंता आयारं दसता आयरिया तेण वञ्चति ॥ ४ ॥ आयारो नाणाई तम्सायरणा भासणाओ वा जे ने भावायरिया भावायारोवउत्ता य ॥ ५ ॥ आयरियनमोकारो जीवं मोएइ भवसहस्साओ। भावेण कीरमाणो होई पुण बोहिलाभाए ॥ ६ ॥ आयरियनमोकारो धन्ना भवक्यं कुर्णताणं । हिअयं अणुम्मुतो विद्युत्तिआवारओ होइ ॥ ७॥ आयरियनमोकारो एवं खलु बचिओ महत्योत्ति जो मरणम्मि उवग्गे अभिक्खणं कीरई बहुसो ॥ ८ ॥ आयरिनमोकारो, सवपावप्पणासणी मंगलाणं च सव्वेसिं, तइयं हवइ मंगलं ॥ ९ ॥ नामं ठवणा दविए भावंमि चउब्विहो उवज्झाओ दबे लोइअ सिप्पाइ निण्हगा वा इमे भावे ॥ १००० ॥ बारसंगो जिणक्खाओ सज्झाओ देसि (कहि) ओ बुहेहिं तं उवहसंति जम्हा उज्झाया तेण बुचति ॥ १॥ उत्ति उवओगकरणे ज्झत्ति अ झाणस्स होइ निदेसे। एएण हुनि उज्झा एसो अनोवि पजाओ ॥ २ ॥ उनि उवओगकरणे वत्ति अ पावपरिवजणे होइ झति अ झाणस्स कए उत्ति अ ओसकणा कम्मे ॥३॥ उ ( ब ) ज्झायनमोकारो जीवं मोएड भव. सहस्साओ। भावेण कीरमाणो होई पुण बोहिलाभाए ॥ ४॥ उ ( ब ) ज्झायनमोकारो घण्णाण भवक्खयं कुणं ( करं) ताणं हिअयं अणुम्मुअतो विसुत्तिआवारओ होइ ॥ ५ ॥ उवज्झायनमोकारो एवं खलु पनिओ महत्थोत्ति जो मरणम्मि उवग्गे अभिक्खणं कीरई बहुसो ॥ ६ ॥ उवज्झायनमोकारो, सव्वपावप्पणासणो मंगलाणं च सचेसिं चडत्यं हवइ मंगलं ॥ ७ ॥ नामंठवणासाह] दशसाहू य भावसाह य दवमि लोइआई भावंमि य संजओ साहू ॥ ८ ॥ घटपटरहमाईणि उ साहंता हुति दवसाहुति अवावि भूते ती (नायत्रा) दव साहति ॥ ९ ॥ निवाणसाहए जोए. जम्हा साहंति साहुणो समाय सङ्घभूएसुं तम्हा ते भावसागुणो ॥ १०१०॥ किं पिच्छसि साहूणं तवं व नियमं व संजमगुणं वा तो बंदसि साहूणं? एवं मे पुच्छिओ साह ॥ १ ॥ विसयसुहनिअत्ताणं विसुद्धचारित्तनिअमजुत्ताणं तमगुणसाह्याणं सदायकिचुजयाण नमो ॥ २ ॥ असहाइ सहायनं करंति मे संजम करितस्स । एएण कारणेणं नमामिऽहं सङ्घसाहूणं ॥ ३ ॥ साहूण नमोकारो जीवं मोएइ भवसहस्साओ। भावेण कीरमाणो होई पुण बोहिला भाए ॥ ४ ॥ साहूण नमोकारो चचाण भवक्त्रयं कुर्णताणं । हिययं अणुम्मुतो विमुत्तिआवारओ होइ ॥ ५ ॥ साहूण नमोकारो एवं खलु वचिओ महत्थोति । जो मरणम्मि उवग्गे अभिक्खणं कीरई बहुसो ॥ ६ ॥ साहूण नमोकारो, सहपावप्पणासणो । मंगलाणं च सवेसिं, पंचमं हवइ मंगलं ॥ ७ ॥ नवि संखेवो न बित्थरों संखेवो दुविह सिद्धसाहूणं विस्थाओंऽणेगविहो पंचविहो न जुजई तम्हा ॥ ८ ॥ अरहंताई नियमा साहू साहू व तेसु भइया । तम्हा पंचविहो खलु हेउनिमित्तं हवइ सिद्धो ॥ ९ ॥ पुत्राणुपुब्वि न कमो नेव य पच्छाणुपुच्वि एस भवे सिद्धाईओ पढमो बीआए सादृणी आई || १०२० ॥ अरहंतुवएसेणं सिद्धा नजति तेण अरिहाई न य कोइवि परिसाए पणमित्ता पणमई रण्णो ॥ १ ॥ इत्थ य पओअणमिणं कम्मखओ मंगलागमो चैव । इहलोअपारलोइअ दुहि फलं तत्थ दिता ॥ २ ॥ इहलोइ अत्थकामा आरुगं अभिरई य निष्फक्त्ती सिद्धी य सग्गसुकुलप्पचायाई य परलोए ॥ ३ ॥ इहलोगंमि निदंडी सादिव्वं माउलिंगवणमेव । परलोग चंडपिंगल इंडिअजक्खो य दिहंता ॥४॥ नमुकारनिज्जुत्ती समत्ता नंदिअणुओगदारं विविदुवग्याइयं च नाऊणं काऊण पंचमंगल आरंभो होइ सुनस्स ॥ ५ ॥ कयपंचनमुकारो करेइ सामाइयंति सोऽभिहिओ सामाइअंगमेव य जं सो सेसं तओ वुच्छं ॥ ६ ॥ सुतं करेमिं भंते! सामाइयं, सवं सावळं जोगं पथक्खामि जावजीवाए तिविहंतिविहेणं, मणेणं वायाए कारणं न करेमि न कारवेमि करंतंपि अन्नं न समणुजाणामि, तस्स भन्ते! पटिकमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि सू० १। 'अक्खलिजसंहिआई वक्खाणचउकए दरिसिअंमि सुत्तफासिजनिजुत्तिवित्यरत्थो इमो होइ ॥ ७ ॥ करणे भए य अंते सामाइय सङ्घए अवजे य जोगे पञ्चक्खाणे जावजीवाइ तिविहेणं ११९८ आवश्यकं सनिर्यु- सूक्तिकं मूलसूत्र, निधिng अन्याय- १ 1 1 मुनि दीपरत्नसागर PERSPERIMPORDIKARPESADESTAND Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥८नामं ठवणा दविए खिने कान्ले तहेव भावे याएसो खलु करणम्स उ निक्लेवो उनिहो होइ॥१५२॥ भाप्यं । जाणगभविभइरितं समानोसमओ भवे करणं। सभा कडकरणाई नोसन्ना वीससपओगे ॥३॥ वीससकरणमणाई धम्माईण परपचया जोगा। साई चक्सुण्फासिअमम्भाइमचक्सुमणुमाई ॥४॥ संघायभेजतदुभयकरणं इंदाउहाइ पचक्वं । दुअअणुमाईणं पुण उउमत्थाईणऽपचक्खं ॥५॥ जीवमजीवे पाओगिअंच चरमं कुसुंभरागाई। जीवप्पओगकरणं मूले नह उत्तरगुणे य॥६॥ जं जं निजीवाणं कीरइ जीवप्पओगओनं नं। वनाइ. रूवकम्माह वावि अजीवकरणं तु ॥७॥ जीवप्पओगकरणं दविहं मलप्पओगकरणं च। उत्तरपओगकरणं पंच सरीराड पदमंसि ॥८॥ ओरालियाइआई ओहेणि अरं पओगओ जमिहं। निष्फण्णा निष्फजर आडाडाणं च तं तिण्हं ॥९॥ सीस मुरोअरपिट्ठी दो वाहू ऊमा य अढुंगा। अंगुलिमाड उवंगा अंगोचंगाणि सेसाणि ॥१६० ॥ केसाई उवरयणं ओरालविउवि उत्तर करणं । ओरालिए विसेसो कमाइविणदुसंठवणं ॥१॥ आइहाणं निहं संघाओ साणं नभयं च । नेआकम्मे संघायसाडणं साडणं वावि ॥२॥ संघायमेगसमयं नहेब परिसारण उरालंमि। संघायणपरिसाडण सुड्डागभवं तिसमऊणं ॥३॥ एवं जहन्नमुकोसयं तु पलिअनितु (ति)समऊणं । विरहो अंतरकालो ओराले नस्सिमो होइ॥४॥ निसमयहीणं सुइर्ड होद भवं सवबंधसाहाणं। उक्कोस पुचकोडी समओ उअही य निनीसं ॥५॥ अंतरमेगं समयं जहनमोरालगहणसाइम्स । सतिसमया उक्कोसं तिनीसं सागरा हुंनि ॥ ६॥ वेउशिअसं. पात्रो जहनु समओ उ दुसमउकोसो। साडो पुण समयं चित्र विउच्चणाए विणिडिट्टो ॥ ७॥ संघायणपरिसाडो जहन्नओ एगसमइओ होड। उकोसं नित्तीसं सायरणामाई समऊणा ॥८॥ सबग्गहोभयाणं साडस्स य अंतरं विउविस्स। समओ अंनमुहुनं उक्कोसं मक्खकालीअं ॥९॥ आहारे संघाओ परिसाडो य समयं समं होइ। उभयं जहन्नमुक्कोसयं च अंतोमुडुत्तं तु ॥१७॥ बंधणसाढुभयाणं जहन्नमंनोमुहनमंतरणं । उक्कोसेण अवइदं पुग्गलपरिप्रदेमूणं ॥ १ ॥ नेत्राकम्माणं पुण संनाणाऽणाइओन संघाओ।भव्वाण हुज साडो सेले. सीचरमसमयंमि ॥२॥ उभयं अणाइनिहणं संनं भवाण हुन केसिंचि। अंतरमणाइभावा अनऽविओगओ नेसि ॥ ३॥ अहवा संघाओ साडणं च उभयं नहोभयनिसेहो। पड़सखसगडधूणा जीवपओगे जहासंखं ॥१७॥भाखिनम्स नन्धि करणं आगासं जं अकिनिमो भावो। वंजणपरिआवलं नहावि पुण उपकरणाई ॥९॥ कालेवि नत्यि करणं नहावि पुण वंजणप्पमाणेणं। बवचालवाइकरणेहि गहा होइ ववहारो॥१०३०॥ जीवमजीवे भावे अजीवकरणं नु नन्य वन्नाई । जीवकरणं तु दुविहं सुअकरणं नो य मुअकरणं ॥१॥ पदमपद तु सुअं बड़े दुवालसंग निहिटुं। तत्रिवरीअमषद निसीहमनिसीह बदं तु॥२॥ भूए परिणयविगए सहकरणं नहेव ननिसीह। पच्छन्नं तु निसीहं निसीहनामं जहऽज्नयर्ण ॥३॥ अग्गेणीअमि जहा दीवायणु जन्य एग तन्ध सयं । जन्ध सयं तन्थेगो हम्मड वा भुंजए वावि ॥४॥ एवं बदमबदं आएसाणं हवंनि पंच सया। जह एगा मरुदेवी अपचनं थावरा सिद्धा ॥५॥ नोमुअकरणं दुविहं गुणकरणं नह य जुजणाकरणं । गुणकरणं पुण दुविहं नवकरणे संजमे य नहा ॥ ६॥ जुजणकरणं निविहं मण वय काए य मणसि सच्चाई । सट्टाणि नेसि भेओ चउ चउहा सनहा चेव ॥आ भावमुअसरकरणे अहिगारो इत्थ होड नायचो।नोसुअकरणे गुणझुंजणे य जहसंभव होड ॥८॥ कयाकयं केण कयं केमु य दवेस की वादि। जी नयआ करण कडविह (च) कहः॥१०३९॥ उप्पन्नाणुप्पन्न कयाकय इत्य जहनमुकारशकणनि अन्धआनाजणाहमुनगणहरोह॥१७५॥भाभत कसुकारह तत्थ नेगमो भणइ इट्टदत्रेसु । सेसाण सबदव्वेसु पजवेसुं न सब्वे ॥६॥ काह? उरिट्टे नेगम उचट्ठिए संगहो य ववहारो। उनुमुओं अकर्मने सददुसमनंमि उपउनो ॥७॥ आनोत्रणा य कविणए सिन दिसाऽभिग्गहे य काले, य। रिक्स गुणसंपयाऽविय अभिवाहारे य अमए ॥८॥ पबजाए जा ॥९॥ आलोइए विणीअम्स दिजए तं पसत्यखिनमि। अभिगिन दो दिसाओ चरनि अंवा जहाकमसो ॥१८०॥ पडिकुदिणे बजिय रिक्खेसु य मिसिराइ भणिएमुं। पियधम्माई गुणसंपयासुतं होइ दायव्वं ॥१॥ अभिवाहारो कालि असुअंमि सुनन्धतभएणनि। दवगुणपजबेहि य दिट्टीवायंमि बोदवो॥२॥ उस समुरेसे वायणमणुजाणणं च आयरिए। सीस. म्मि उदिसिजंतमाइएअंतुज कइहा ॥१८३॥ भागकह सामाइअलंभो ? नम्सब्वविघाइदेसवाघाई। देसविपाईफइगणनदीविमुदम्स ॥१०४०॥ एवं ककारलंभो सेसाणवि एवमेव कमलंभो। एयं तु भारकरणं करणे य भए यजं भणिय ॥१॥ होड भयंतो भयनगो य स्यणा भयम्स एम्भेया। सर्वमि बनिएऽणकमेण अंतेवि उम्भेश्रा॥१८४ाभाळाएवं समिऽपि बनियंमि इत्यं तु होइ अहिगारो। सनभयविप्पमुक नहा भवंते भयंने य ॥५॥ भासामं समं च सम्मंऽडगमिनि सामाइयम्स एगट्ठा। नाम ठवणा दविए भावंमि य नम्स (तेसि) निकखेको ॥२॥ महुरपरिणामि सामं समं तुला सम्म खीरखंडजुई। दोर हारम्स चिईडगमेयाई तु दशमि ॥३॥ आयोचमाएं परदुस्वमकरण रागदोसमन्मत्यं । नाणाइनिगं नम्मा पोयणं । भावसामाई॥४॥ समया सम्मत्त पसत्य संनि सिव हिय सुहं अनिदं च । अदुगुछियमगरहियं अणवत्रमिमेऽपि एगट्टा ॥५॥को कारो? करतो कि कम्म? जंतु कीगई तेण । कि .११९९आवश्यक सनियु- सूक्तिक मूलसूत्र forgiसा मुनि दीपरत्नसागर Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कारयकरणाण य अन्नमणन्नंच अक्लेवो ॥६॥ आया हु कारओ मे सामाइय कम्म करणमाया य। परिणामे सइ आया सामाइयमेव उ पसिद्धी ॥ ७॥ एगत्ते जह मुर्व्हि करेइ अत्यंतरे पडाईणि। दव्यत्यतरभावे गुणस्स कि केण संबद्ध ? ॥८॥ नाम ठपणा दविए आएसे निरवसेसए वा तह सवयत्तसम्यं च भावसव्वं च सत्तमयं ॥९॥ दविए चउरी भंगा सवमसब्वे य दव्वदेसे याआएससव्वगामीनीसेसे सबर्ग दुविद ॥१८६॥ भाग अणिमिसिणो सव्वसुरा सव्वापरिसेससवर्ग एकातदेसापरिसेसं सन्ने काला जहा असुरा ॥ ७॥ सा हवाह सव्वधना दुपडोआरा जिआ य अजिआ य । दव्वे सव्वघडाई सव्वधत्ता पुणो कसिणं ॥८॥ भावे सबोदइओदयलक्खणओ जहेव तह सेसा। इत्थ उ खओवसमिए अहिगारोऽसेससव्वे य॥१८९॥ भागकम्ममवज जंगरहि ति कोहाइणो व चत्तारि।सह तेण जो उ जोगो पञ्चक्खाणं हवइ तस्स ॥१०५०॥ दब्वे मणवइकाए जोगा दव्या दुहा उ भावंमि।जोगो सम्मत्ताई पसस्थ इअरो उ विवरीओ ॥ १॥ दव्बंमि निहगाई निम्चिसयाई य होइ सितंमि । भिक्खाईणमदाणे अइच्छ भावे पुणो दुविहं ॥२॥ सुअणोसुअ सुअ दुविहं पुवमपुत्र तु होई नायव्वं । नोसुअपचक्खाणं मूले तह उत्तरगुणे य॥३॥ जावदवधारणमि जीवणमवि पाणधारणे भणियं । आ पाणधारणाओ पावनिवित्ती रहं अत्थो ॥४॥ नाम ठवणा दविए ओहेल भव नम्भवे य भोगे य। संजम जस कित्तीजीवियं च तं भण्णई दसहा ॥५॥ दव्ये सचित्ताई आउअसहब्बया भवे ओहे । नेरहयाईण भवे तम्भव तत्थेव उप्पत्ती ॥१९०॥ भाय। भो. गंमि पकिमाई संजमजीयं तु संजयजणस्स । जसकिनी य भगवओ संजमनरजीवअहिगारो॥१॥ भाष्य। सीआलं भंगसयं तिविहं तिविहेण समिइगुत्तीहिं। मुत्तफासिअनिजुनिवित्थरत्यो गओ एवं ॥६॥ सामाइअं करेमी पञ्चक्खामी पडिकमामित्ति। पच्चुप्पन्नमणागयअईअकालाण गहणं तु ॥७॥ तिविहेणंति न जुनं पडिवयविहिणा समाहि जेण । अत्थविगप्पणयाए गुणभावणयत्ति को दोसो ? ॥८॥ दवम्मि निष्हगाई कुलालमिच्छंति तत्थुदाहरण। भावंमि तदुवउत्तो मिआवई तत्थुदाहरणं ॥९॥ सचरित्तपच्छयावो निंदा तीए चउकनिक्खेवो । दवे चित्तयरसुआ भावेसुबहू उदाहरणा॥१०६०॥ गरहावि तहाजाइअमेव नवरं परप्पगासणया। दामि मरुअनायं भावेसु बहू उदाहरणा ॥१॥दवविउस्सग्गे खलु पसमचंदो भवे उदाहरणं । पडिआगयसंवेगो भावंमिविहोइ सो चेव ॥२॥ सावजजोगविरजो तिविहंतिविहेण बोसिरिय पावै । सामाइअमाईए एसोऽणुगमो परिसमत्तो ॥३॥ विजा. चरणनएस सेससमोआरणं तु काय । सामाइअनिजुत्ती सुभासिअत्था परिसमत्ता ॥४॥ नायंमि गिहियो अगिहिम्मि चेव अस्थंमि। जइअवमेव इय जो उवएसो सो नओ नाम ॥५॥ सव्वेसिपि नयाणं बहुविहवत्तब्वयं निसामित्ता। तं सव्वनयविसुद्धं जं चरणगुणहिओ साहू॥६॥ सामाइयनिजुत्ती समत्ता । चउवीसगत्ययस्स उ णिक्खेबो होइ णामणिप्फ. पणो । चउवीसगस्स छको थयस्स उ चउधिहो होइ ॥ ७॥ नाम ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य । चउवीसगस्स एसो निक्खेवो छब्विहो होइ ।। १९२॥ भाप्यं । नाम ठवणा दविए भावे य थयस्स होइ निक्खेवो। दव्वथओ पुष्फाई संतगुणुक्त्तिणा भावे॥३॥ दव्वथओ भावथओ दवयओ बहुगुणत्ति बुद्धि सिआ। अनिउणमइवयणमिणं छज्जीवहिलं जिणा चिंति ॥ ४ ॥ छजीवकायसंजमु दब्बयए सो विरुज्झई कसिणो । तो कसिणसंजमविऊ पुष्फाईज न इच्छंति ॥ ५॥ अकसिणपवत्तगाणं विरयाविरयाण एस खलु जुत्तो। संसारपयणुकरणो दव्वथए कृवदिटुंतो॥१९६॥ भाप्यं । लोगस्सुजोयगरे, धम्मतित्ययरे जिणे। अरिहंते कित्तइस्सं, चाउचीसपि केवली ।। सूत्रगाथा १॥णामं ठवणा दविए खिने काले 2 भवे य भावे य। पजवलोगे य तहा अट्ठविहो लोगणिक्खेवो ॥१०६८ ॥ जीवमजीवे रूवमरूवी सपएसमप्पएसे य। जाणाहि दव्वलोगं णिच्चमणिचं च जं दव्वं ॥ ७॥ भाप्यं । गइ सिद्धा भविआया अभविज पुग्गल अणागयडा य । तीजद्ध तिथि काया जीवाजीवडिई चउहा ॥८॥ आगासस्स पएसा उड्दं च अहे य तिरियलोए य । जाणाहि खित्तलोग अणंतजिणदेसि सम्मं ॥९॥ समयाऽऽचलिअमुहुत्ता दिवसमहोरत्त पक्ख मासा य । संवच्छरजुगपलिआ सागरओसप्पिपरिअट्टा ॥२००॥ रहअदेवमणुआ तिरिक्वजोणीगया य जे सत्ता। तमि भवे वटुंता भवलोगं तं विआणाहि ॥१॥ ओदइए उपसमिए खइए य तहा खओवसमिए य। परिणामि सन्निवाए य छबिहो भावलोगो उ ॥२॥ तिको रागो य दोसो य, उइन्ना जस्स जंतुणो। जाणाहि भावलोयं तं, अणंतजिणदेसियं सम्मं ॥३॥ दव्वगुणखित्तपजवभवाणुभावे य भावपरिणामे। जाण चाउविहमेयं पजवलोगं समासेणं ॥४॥ वन्नरसगंधसंठाणफासठाणगइवन्नभेए या परिणामे यबहुविहे पजवलोग विआणाहि॥२०५शामा०।आलुक्कड य पलक्कड लुकाइसंलुकईयएगट्ठा। लोगो अट्ठविहोखलु तेणेसो वुबई लोगो ॥९॥ दुविहो खलु उजोओ नायब्बो दवभावसंजुत्तो। अग्गी दजुजोओ चंदो सूरो मणी विजू ॥१०७०॥ नाणं भावुजोओ जह भणियं सबभावदसीहिं। तस्स उवओगकरणे भावुजोयं वियाणाहि ॥ १॥ लोगस्सुजोयगरा दाजोएण न हु जिणा हुँति। भावुज्जोअगरा पुण हुँति जिणवरा चउवीसं ॥२॥ दखुजोउज्जोओ पगासई परिमियम्मि खित्तंमि। भावुजोउजोओ लोगालोग पगासेइ ॥३॥ दुह दवभावधम्मो दवे दश्वस्स दव्यमेवऽहवा। तित्ताइसभावो वा गम्माइत्थी कुलिंगो वा ॥४॥ दुह होइ भावधम्मो सुय चरणे वा सुयंमि सज्झाओ। चरणमि समणधम्मो खेतीमाई भये दसहा ॥५॥ नाम ठवणातित्थं दव्वतित्थं च भावतित्यं च। एकेकंपिय इत्तोऽणेगविहं होइ णायव्वं ॥६॥ दाहोवसमं तण्हा- (३००) १२०० आवश्यकं सनियु- सूक्तिक मूलसूत्रं निnि +Jhatrani-t. नदीपरवसागर Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इच्छेयणं मलपवाहणं घेव। तिहिं अत्येहि निउत्तं नम्हा तं दव्यो तित्यं ॥ ७॥ कोहंमि उ निग्गहिए दाहस्सोवसमणं हवह तित्थं । लोहंमि उ निग्गहिए तण्हावुच्छेअणं होइ॥८॥ अट्ठविहं कम्मरयं बहुएहिं भवेहिं संचि जम्हा । नवसंजमेण धुबह तम्हा तं भावओ तित्थं ॥९॥दसणनाणचरितेसु निउत्तं जिणवरेहि सोहिं । एएण होइ तित्वं एसो अन्नोऽवि | पजाओ॥१०८० ॥णामकरो ठवणकरो दब्यकरी खित्तकाल भावकरो। एसो खलु करगस्स उणिक्खेवो छव्यिहो होइ॥१॥ गोमहिसुदिपसूर्ण छगलीणंपिय करा मुणेयव्वा । तत्तो य नणपन्लाले मुसकटुंगारपलले य (करमेव)॥२॥ सीउंचरजंघाए बलिवहकरे घए य चम्मे य । चुल्लुगकरे य मणिए अट्ठारसमा(ss)करुप्पत्ती ॥३॥ खितमि जंमि खित्ते काले जो जंमि होइ कालंमि। दुविहो य होइ भावे पसत्थु नह अप्पसत्यो य॥४॥ कलहकरो डमरकरो असमाहिकरो अनि इकरो य। एसो उ अप्पसत्यो एवमाई मुणेयव्यो ॥५॥ अस्थकरोय | हिअकरो किनिकरो गुणकरो जसकरो या अभयंकर निव्वुदकरो कुलगर तित्थंकरंऽतकरो ॥६॥ जियकोहमाणमाया जियलोहा तेण ते जिणा हुँति। अरिणो हंता स्यं हंता अरिहंता नेण वुचंति ॥७॥ कित्तेमि किनणिजे सदेवमणुआमुरस्स लोगस्स । दसणनाणचरिते तबविणओ दंसिओ जेहिं ॥८॥ चउवासंति य संखा उसभाईआ उ भण्णमाणा उ। अविसहमाहणा पुण एरवयमहाविदेहेसु ॥९॥ कसिणं केवलकप्पं लोगं जाणंति तहय पासंति। केवलचरित्तनाणी तम्हा ते केवली हुंति ॥१०९०॥ उसममजिअं च वंदे संभवमभिणंदणं च सुमई च। पउमप्पहं सुपासं जिणं च चंदप्पहं वंदे। सूत्रगाथा २॥ मुविहिं च पुष्पदंतं सीअल सिजंस वासुपूजं च। विमलमणतं च जिणं धम्म संति च वंदामि ॥३॥ सूत्रगाथा ३॥ कुंथु अरं च मल्लिं वंदे मुणिमुवयं नमिजिणं च । वदामि रिट्टनेमि पासं तह बदमाणं च ॥४॥ सूत्रगाथा ४॥ उरूसु उसमलंकण उसमं सुमिणमि तेण उसमजिणो । अक्सेसु जेण अजिआ जणणी अजिओ जिणो तम्हा ॥१॥ अभिसंभूआ सासत्ति संभवो तेण वुच्चई भयवं । अभिणंदई अभिक्खं सको अभिणंदणो तेण ॥२॥ जगणी सवत्थ विणिच्छएसु मुमइति तेण | सुमइजिणो। पउमसयणमि जणणीइ डोहलो तेण पउमाभो ॥३॥ गम्भगए जंजणणी जाय सुपासा तओ सुपासजिणो। जणणीएं चंदपियणमि डोहलो तेण चंदाभो ॥४॥ सवविहीस य कुसला गम्भगए तेण होइ सुविहिजिणो। पिउणो दाहोवसमो गम्भगए सीयलो तेणं ॥५॥ महरिहसिजारहणमि डोहलो नेण होइ सिजंसो। पूएइ वासवो जं अभिक्खणं तेण वासुपूजो ॥६॥ विमलतणुबुद्धि जणणी गभगए तेण होइ विमलजिणो। रयणविचित्तमणतं दामं सुमिणे तओऽणतो ॥ ७॥ गम्भगए जं जणणी जाय सुधम्मत्ति नेण धम्मजिणो। जाओ असियोक्समो गम्भगए तेण संतिजिणो ॥८॥ थूह रयणविचित्तं कुंथु सुमिणमि तेण कुंथुजिणो। सुमिणे अरं महरिहं पासइ जणणी अरो तम्हा ॥९॥ परमरहिमातसयणमि डोहलो तेण होइ मलिजिणो। जाया जणणी जं मुब्वयनि मुणिमुखओ तम्हा ॥११००॥ पणया पचंतनिवा दंसियमिते जिणंमि तेण नमी। रिदुरयणं च नेमि उप्णयमाणं तओ नेमी॥१॥ सप्पं सपणे जणणी जं पासइ तमसि तेण पासजिणो। बढइ नायकुलंतिय तेण जिणो बदमाणुनि ॥२॥ एवंमए अभिथुआ विद्यस्यमला पहीणजरमरणा। चउवीसंपि जिणवरा तित्थयरा मे पसीयंतु ॥५॥ सूत्रगाथा ५॥ कित्तिय वंदिय महिआ जेए लोगस्स उत्तमा सिद्धा। आरुग्गबोहिल्लभं समाहिवरमुत्तमं दितु॥६॥ सूत्रगाथा ६॥ थुनिथुणणवंदणनमं. सणाणि एमद्विआणि एवाणि कित्तण पसंसणाविय विणय पणामे य एगट्ठा ॥३॥मिच्छत्तमोहणिजा नाणावरणा चरित्नमोहाओ।तिविहतमा उम्मुका नम्हा ने उनमा ९नि॥ आरोगबोहिला समाहिवरमुत्तमं च मे दितु। किन हुनिआणमेअंति? विभासा इत्य कायवा ॥५॥ भासा असचमोसा नवरं भत्तीहभासिआएसा नहसीणपि च बोहिं च ॥६॥ ज तेहिं दायर तं दिनं जिणवरेहिं सवेहिं । दसणनाणचरित्तस्स एस तिविहस्प उवएसो॥७॥ भत्तीइ जिणवराणं खिजनी पुत्रसंचिआ कम्मा। आयरिअनमुक्कारेण विजा मंता य सिज्नति ॥८॥ भत्तीइ जिणवराणं परमाए खीणपिजदोसाणं । आरुम्गचोहिलाभं समाहिमरणं च पाचंति ॥९॥ लडिडिअंच चोहिं अकरितोऽणागयं च पत्थंनो। द. च्छिसि जह तं विम्भल ! इमं च अन्नं च चुकिहिसि ॥१११०॥ लद्धितिअंच बोहिं अकरितोऽणागयं च पत्थंतो। अन्नं दाई बोहिं लम्भिसि कयरेण मुडेणं? ॥१॥ चेइयकुलगणसंघे आयरिआणं च पश्यण सुए यासमुवि तेण कयं तवसंजममुजमंतेणं ॥२॥ चंदेसु निम्मलयरा आइन्चेसु अहियं पयासयरा। सागरवरगंभीरा सिद्धा सिदि मम दिसंतु मूत्रगाथा॥ चंदाइचगहाणं पहा पयासेइ परिमिअं खितं । केबलिअनाणलंभो लोगालोग पगासेइ ॥३॥ चतुर्विशत्यध्ययनं २॥ वंदण चिइ किइकम्मं पूयाकम्मं च विणयकम्मं चा कायचं कस्स व केण वापि काहे पकइसुत्तो? ॥४॥ कइओणयं कइसिरं कहि य आवस्सएहिं परिसुद्धं। कहदोसविष्पमुकं किडकम्मं कीस कीरइ वा ? ॥५॥ सीयले खुइडए कण्हे, सेवए पालए तहा। पंचेते दिईता, किइकम्मे होंति णायवा ॥६॥ असंजयं न वंदिजा, मायरं पियरं गुरुं। सेणावई पसस्थारं, रायाणं देवयाणि य॥७॥ समणं बंदिज मेहावी, संजयं सुसमाहियं। पंचसमियं तिगुतं, असंजमछर्ग ॥८॥ पंचण्हं किहकर्म मालामरूएण होइ दिवतो। वेरुलिय नाणदसण णीयाचासे य जे दोसा ॥९॥ पासत्यो ओसनो होड कसीलो तहेव संसत्तो। १२०१ आवश्यक सनिर्यु- सूक्तिकै मूलसूत्र nिylon+aaravi मुनि दीपरत्नसागर Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अहछंदोऽविय एए अवदणिजा जिणमयंमि॥२०॥पासत्थाई वंदमाणस्स नेव कित्ती न निजरा होइ। कायकिलेसं एमेव कुणई तह कम्मबंधं च ॥११२०॥जे बंभचेरभट्ठा पाए उड्डंति बंभयारीण। ने हॉनि कु(द)टमुंटा बोही य सुदुल्लहा तेसिं॥१॥ सुटुतरं नासंती अप्पाणं जे चरित्तपम्भट्ठा । गुरुजण वदाविति सुसमण जहुत्तकारिं च ॥२॥ असुइट्टाणे पडिया चंपग. माला न कीरई सीसे। पासस्थाईठाणेसु वहमाणा तह अपुजा ॥३॥ पकणकुले वसंतो सउणीपारोऽवि गरहिओ होइ । इय गरहिया सुविहिया मज्झि वसंता कुसीलाणं ॥४॥ सुचिरंपि अच्छमाणो वेलिओ कायमणीय उम्मीसो। नोवेइ कायभावं पाहण्णगुणेण नियएणं ॥ ५॥ भावुगअभावुगाणि य लोए दुविहाणि हॉति दवाणि। वेरुलिओ तत्थ मणी अभावुगो अन्नदोहि ॥६॥ जीवो अणाइनिहणो तम्भावणभाविओ य संसारे। खिप्पं सो भाविजइ मेलणदोसाणुभावेणं ॥७॥ अंबस्स य निंबस्स य दुष्हपि समागयाई मूलाई । संसग्गी वि. णट्ठो अंबो निबत्तर्ण पत्तो॥८॥ सुचिरंपि अच्छमाणो नलथंभो उच्छवाडममंमि। कीस न जायइ महुरो जइ संसम्गी पमाणं ते? ॥९॥ ऊणगसयभागेणं किंवाई परिणमंति तब्भावं। लवणागराइसु जहा वजह कुसीलसंसम्गि ॥११३०॥ जह नाम महुरसलिलं सायरसलिलं कमेण संपत्तं। पावेइ गणपरिहाणि मेलणदोसाणभावेणं ॥२॥खणमविन खमं काउं अणाययणसेवणं सुविहियाणं । हंदि समद्दमइगयं उदयं लवणतणमवेड॥३॥ सबिहियद-17. विहियं वा नाहं जाणामि हं खु छउमत्थो। लिंगं तु पूययामी तिगरणसुद्धेण भावेणं ॥ ४॥ जइ ते लिंग पमाणं वंदाही निण्हवे तुमे सके। एए अवंदमाणस्स लिंगमवि अप्पमाणं ते ॥५॥ जइ लिंगमप्पमाणं न नजई निच्छएण को भावो ?। दठूण समणलिंग किं काय तु समणेणं ? ॥ ६॥ अप्पुष्ठं वळूणं अम्भुट्ठाणं तु होइ कायनं । साहुम्मि दिट्टपुधे जहारिहं जस्स जं जोरगं ॥७॥ मुकधुरासंपागडसेवी चरणकरणपभडे । लिंगावसेस मित्ते जं कीरइ तं पुणो वोच्छं ॥८॥ वायाइ नमोकारो हत्थुस्सेहो य सीसनमणं च। संपुच्छणं छोभवंदणं चावि॥९॥ परियाय परिस पुरिसे खितं कालं च आगमं नच्चा। कारणजाए जाए जहारिहं जस्स जं जुग ॥११४०॥ परियाय बंभचेरं परिस विणीया सि पुरिस णचा वा। कुलकजादायत्ता आघवओं गुणागमसुयं वा॥२०६॥भाष्य। एताई अकुवंतो जहारिहं अरिहदेसिए मग्गे।न भवइ पवयणभत्ती अभत्तिमंतादओ दोसा ॥१॥तित्थयरगुणा पडिमासु नत्थि निस्संसर्य बियाणंतो। तित्थयरेति नमंतो सो पावइ निजरं विउलं ॥२॥लिज जिणपण्णत्तं एव नर्मतस्स निजरा विउला। जइवि गुणविप्पहीणं बंद अज्झप्पसोहीए॥३॥ संता तित्थयरगुणा तित्थयरे तेसिमं तु अज्झप्पं । न य सावजा किरिया इयरेसु धुवा समणुण्णा ॥४॥ जह सावजा किरिया नत्थि य पडिमासु एवमियरावि। तयभावे नस्थि फलं अह होइ अहेउगं होइ ॥५॥ कामं उभयाभावो तहवि फलं अस्थि मणविसुद्धीए। तीए पुण विसुद्धीइ कारण होति पडिमाउ ॥६॥ जइविय पडिमाउ जहा मुणिगुणसंकप्पकारणं लिंग। उभयमवि अस्थि लिंगे | न य पडिमासूभयं अस्थि ॥७॥ नियमा जिणेसु उ गुणा पडिमाओ दिस्स जे मणे कुणइ। अगुणे उ वियाणंतो के नमउ मणे गुणं काउं? ॥८॥जह वेलिंबगलिंगं जाणंतस्सनमओ | हवइ दोसो। निबंधसमिय नाऊण वंदमाणे धुवो दोसो ॥९॥ रुप्पं टंक विसमाहयक्खरं नविय रूवओ छेओ। दोण्हपि समाओगे रूबो छेयत्नणमुवेइ ॥११५०॥ कप्पं पत्तेयबुद्धा टंक जे लिंगधारिणो समणा। दव्वस्स य भावस्स य छेओ समणो समाओगे ॥१॥ कामं चरणं भावो तं पुण णाणसहिओ समाणेई । न य नाणं तु न भावो नेण र णाणिं पणिवयामो ॥२॥ तम्हा ण बझकरण मज्झ पमाण न याविचारित्त। नाण मज्झ पमाण नाण य ठिअंजओ तित्थं ॥३॥ नाऊण यसब्भावं अहिंगमसंमंपि होइ जीवस्सा जाईसरणनिसग्गग्गयावि न निरागमा दिट्ठी ॥४॥ नाणं सविसयनिययं न नाणमित्तेण कजनिष्फत्ती। मगण्णू दिलुतो होइ सचिट्ठो अचिट्ठो य ॥५॥ आउज्जनकुसलावि नटिया तं जणं न तोसेइ । जोग अजुंजमाणी निदं खिंसं च सा लहइ ॥६॥ इय लिंगनाणसहिओ काइयजोगं न जुंजई जो उ । न लहइ स मुक्खसुक्खं लहइ य निंदं सपक्खाओ॥७॥ जाणतोऽविय तरिउं काइ. यजोगं न जुंजइ नईए। सो बुज्झइ सोएणं एवं नाणी चरणहीणो ॥८॥ गुणअहिएवंदणयं छउमस्थ गुणागुणे अयाणंतो। बंदिजा गुणहीणं गुणाहियं वावि वंदावे ॥९॥ आलएणं विहारेणं, ठाणाचंकमणेण य। सको सुविहिओ नाउं, भासावेणइएण य॥११६०॥ आलएणं विहारेणं ठाणाचंकमणेण या न सको सुविहिओ नाउं भासावेणइएण य॥१॥ भरहो पसन्नचंदो सम्भितरवाहिरं उदाहरणं । दोसुप्पत्तिगणकरं न तेसि बज्ज्ञ भये करणं ॥२॥ पत्तेयबद्धकरणे चरणं नासंति जिणवरिंदाण। आहबभावकहणे पंचहिं ठाणेहिं पासत्या ॥३॥ उम्मम्गदेसणाए चरणं नासिति जिणवरिंदाणं । वावण्णदसणा खलु न हुलम्मा तारिसा दट्टुं ॥४॥ जह णाणेणं न विणा चरणं नादसणिस्स इय नाणं। न य दंसणं न भावो तेन र दिढि पणिवयामो ॥५॥जुगर्वपि समुप्पन सम्मत्तं अहिगम विसोहेइ । जह कयगमंजणाई जलदिट्ठीओ विसोहति ॥६॥जह २ सुज्झइ सलिलं तह २ रुवाई पासई दिट्ठी। इय जह जह तत्तसई तह तह तत्तागमो होइ ॥७॥ कारणकजविभागो दीवपगासाण जुगवजम्मेवि। जुगवुप्पन्नपि तहा हेऊ नाणस्स सम्मत्तं ॥८॥ नाणस्स जइवि हेऊ सविसयनिययं तहावि १२०२ आवश्यक सनियु- सूक्तिक मूलसूत्र, निcिri मुनि दीपरत्नसागर Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सम्मन्न । नम्हा फलसंपत्ती न जुई नाणपक्लेविष०२१॥जह तिक्साईविनरो गंतु देसतरं नयविहूणो। पायेइ न त देसं नयजुत्तो चेव पाउणइ ॥१०२२॥ इय नाणचरणहीणो सम्महि. ट्ठीवि मुक्खदेसं तु। पाउणइ नेय नाणाइसंजुओ चेव पाउणइ ॥१०२३शाधम्मनियत्तमईया परलोगपरम्मुहा विसयगिदा।चरणकरणे असत्ता सेणियरायं बवाइसंति॥९॥ण सेणिओ आसि नया परम्मत्रो. न यावि पात्तिधरो न पायगो। सो आगमिस्साइ जिणो भविस्सई, समिक्ख पनाह वर सदसणं ॥११७०॥ भट्टेण परित्ताओ सटठयरं दसणं गहेया। सिजति चरणरहिया सणरहिया न सिमंति॥१॥ दसारसीहस्सय सेणियस्सा, पेढालपुत्तस्स य सञ्चइस्स। अणुत्तरा दसणसंपया तया, विणा चरितेणहरं गई गया ॥२॥ समाओवि गईओ अविरहिया नाणदसणधरेहि। ता मा कासि पमार्य नाणेण चरित्तरहिएणं ॥३॥ सम्मतं अचरित्तस्स हुज भयणाइ नियमसो नत्थि। जो पुण चरितजुत्तो तस्स उ नियमेण सम्मत्तं ॥४॥ जिणवयणबाहिरा भावणाहिं उग्रहणं अयाणंता। नेहयतिरियएगिदिएहिं जह(नहु)सिज्झाई जीवो॥५॥ सुविसम्मदिट्ठीन सिजाई चरणकरणपरिहीणो। जंचेव सिद्धिमूलं मूढो तं चेव नासेइ ॥६॥दसणपक्खो सावय चरितभडे य मंदधम्मे या दंसणचरित्तपक्खो समणे परलोगकंखिम्मि ॥७॥ पारंपरप्पसिद्धी दसणनाणेहि होइ चरणस्स। पारंपरप्पसिद्धी जह होइ नहऽषपाणाणं ॥८॥ जम्हा सणनाणा संपुण्णफलं न दिति पत्तेयं । चारित्तजुया दिति उ चिसिस्सए तेण चारितं ॥९॥ उजममाणस्स गुणा जह हुंति ससत्तिओ नवसुएसुं । एमेव जहासत्ती संजममाणे कहं न गुणा १ ॥११८०॥ अणिगृहंतो विरियं न विराहेह चरणं तवसुएसुं। जइ संजमेऽपि विरियं न निगूहिजा न हाविजा ॥१॥ संजमजोएसु सया जे पुण संतविरियावि सीयंति। कह ने विसुदचरणा बाहिरकरणालसा हुँति ? ॥२॥ आलंबणेण केणइ जे मन्ने संजमं पमायंति। न हुतं होइ पमाणं भूयस्थगवेसणं कुजा ॥३॥ सालंबणो पडतो अप्पाणं दुग्गमेऽवि धारेइ । इय सालंबणसेवा धारेइ जई असदभावं ॥४॥ आलंबणहीणो पुण निवडइ खलिओ अहे दुरुत्तारे। इय निकारणसेवी पडइ भबोहे अगाहमि ॥५॥जे जत्य जया भग्गा ओगासं ते परं अविंदंता। गंतुं तत्यऽचर्यता इमं पहाणंति घोसति ॥६॥ नीयावासविहारं चेइयभत्ति च अजियालाभं। विगईसु य पडिबंध निदोसं चोइया विति ॥७॥ जाहेविय परितंता गामागरनगरपट्टणमड़ता। तो कहनीयवासी मंगमधेरं बवासंति ॥८॥ संगमधेरायरिओ सठ तबस्सी तहेच गीयस्थो। पेहिता गुणदोसं नीयावासं पवनो उ॥९॥ओमे सीसपवासं अप्पडिबंध अजंगमत्तं चान गर्णति एखित गणंति वासं निययवासी ॥११९०॥ चेदयकुलगणसंघे अन्न वा किंचि काउ निस्साणं । अहवावि अजवयर तो सेवंती अकरणिज ॥१॥ चेइयपूया किं वयरसामिणा मुणियपुखसारेणं । न कया पुरियाइ ? तओ मुक्संग सावि साहूर्ण ॥२॥ ओहावणं परेसिं सतित्वउम्भावणं च वच्छल । न गणति गणेमाणा पुबुश्चियपुष्फमहिमं च ॥३॥ अजियलाभे गिद्धा सएण लाभेण जे असंतुट्ठा। भिक्खायरियाभग्गा अन्नियपुत्तं ववइसंति ॥४॥ अन्नियपुत्तायरिओ भत्तं पाणं च पुष्फलाए। उवणीयं भुंजतो तेणेव भवेण अंतगडो॥५॥ गयसीसगण, ओमे भिक्खायरियाअपचलं येरं। न गणति सहावि सढा अजियलाहं गवेसंता॥६॥ भत्तं वा पाणं वा भुतृणं लावलवियमविमुई। तो वजपडिच्छन्ना उदायणरिसिं ववइसति ॥७॥ सीयललक्खाणुचियं वएस विगईगयेण जावितं । हट्टावि भणति सदा किं आसि उदायणो न मुणी? ॥८॥ सुत्तत्ववालवुड्ढे य असहू दवाइआवईओ य। निस्साणपर्य काउं संघरमाणावि सीयंति ॥९॥ आलंबणाण लोगो भरिओ जीवस्स अजउकामस्स । जं जं पिच्छइ लोए तं तं आलंबणं कुणइ ॥१२००॥ जे जत्थ जया जइया बहुस्सुया चरणकरणपभट्ठा। जं ने समायरंती आलंवण मंदसड्ढाणं ॥१॥ जे जत्थ जया जइया बहुस्सुया चरणकरणसंपना। जं ते समा. यरंती आलंपण तिवसड्ढाणं ॥२॥ दंसणनाणचरित्ते तवविणये निच्चकालपासत्था। एए अवदणिजा जे जसघाई पवयणस्स ॥३॥ किइकम्मं च पसंसा सुहसीलजणम्मि कम्मबंधाय। जे जे पमायठाणा ते ते उववृहिया हुंति ॥४॥ दसणनाणचरिते तवविणये निचकालमुजुत्ता। एए उ वंदणिज्जा जे जसकारी पक्यणस्स ॥५॥ किइकम्मं च पसंसा संविग्गजणमि निजरवाए । जे जे विरईठाणा ते ते उपवूहिया हुंति ॥६॥ आयरिय उवज्झाए पवत्ति थेरे तहेव रायणिए। एएसिं किइकम्मं कायनं निजरवाए ॥७॥ मायरं पियरं वावि, जिट्ठगं वावि भायर। किनकम्मं न कारिजा, सधे राइणिए तहा ॥८॥ पंचमहन्वयजुत्तो अणलस माणपरिवज्जियमईओ। संविग्गनिजरट्ठी किइकम्मकरो हबइ साहू॥९॥ वक्खित्तपराहुते य पमत्ते मा कयाइ बंदिज्जा। आहारं च करिते नीहारं वा जइ करेइ ॥१२१०॥ पसंते आसणत्थे य, उवसंते उवहिए। अणुनवित्तु मेहावी, किईकम्मं पउंजए ॥१॥ पडिकमणे सझाए काउस्सग्गावराहपाहुणए। आलोयणसंचरणे उत्तमढे य बंदणयं ॥२॥ चत्तारि पडिकमणे किइकम्मा तिमि इंति सज्झाए। पत्रण्हे अपरण्हे किडकम्मा पाउदस हवंति ॥३॥ ओणयं अहाजायं, किइकम्म बारसावयं । चउस्सिरं तिगुत्तं च, दुपवेसं एगनिक्खमणं ॥४॥ अवणामा दुलहाजायं, आवत्ता बारसेव उ। सीसा चत्तारि गुत्तीओ, तिनि दो य पवेसणा ॥५॥ एगनिक्समणं चेव, पणवीस वियाहिया। आवस्सगेहिं परिसुद्धं, किइकम्मं जेहिं कीरई ॥६॥ किइकम्मपि करितो न होइ किइकम्मनिजराभागी। पणवीसामनयरं साह ठाणं विराहतो १२०३ आवश्यकं सनियु- सूक्तिकं मूलसूत्र, forjilert मुनि दीपरत्नसागर Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥७॥ पणवीसा परिसुद्ध किनकम्मं जो पउंजइ गुरुणं । सो पावइ निवाणं अचिरेण विमाणवासं वा ॥८॥ अणाढियं च थदं च, पविद्धं परिपिडियं । टोलगई अंकुसं चेव, तहा कच्छ-18 भरिंगियं ॥९॥ मच्छुननं मणसा पउ8 नह य वेइयाबद। भयसा चेव भयंतं, मित्ती गारवकारणा ॥१२२०॥ तेणियं पडिणियं चेव, रुटुं तजियमेव य। सदं च हीलियं चेव, तहा विपलिउंचियं ॥१॥ दिट्ठमदिटुं च नहा, र्सिगं च करमोअणं । आलिट्ठमणालिटुं. ऊणं उत्तरचूलियं ॥२॥ मूयं च ढढ्ढरं चेब, चूडलिं च अपच्छिमं । बत्तीसदोसपरिसुद्धं, किइकम्मं पउंजई ॥३॥ कितिकम्मपि करितो न होइ किइकम्मनिजराभागी। चत्नीसामनयरंसाहू ठाणं विराहिंतो॥श बत्तीसदोसपरिसुदं किइकम्मं जो पउंजइ गरुणं।सो पावह निव्वाणं अचिरेण विमाणवास वा ॥५॥ आवस्सएसु जह जह कुणइ पयत्तं अहीणमहरितं । तिविहकरणोवउत्तो तह तह से निजरा होइ ॥६॥ विणओक्यार माणस्स भंजणा पूयणा गुरुजणस्स। तित्थयराण य आणा सुअधम्माराहणाऽकिरिया ॥ ७॥ विणओ सासणे मूलं, विणीओ संजओ भवे। विणयाओ विप्पमुक्कस्स, कओ धम्मो कम्मो नवो ? ॥८॥ जम्हा विणयइ कम्मं अट्ठविहं चाउरंतमुक्खाए। तम्हा उ वयंति विऊ विणउत्ति विलीणसंसारा ॥१॥ इच्छामि खमासमणो ! वंदिउंजावणिजाए निसीहियाए अणुजाणह मे मिउम्गहं निसीहि, अहो.कायं. काय.संफासं खमणिजो भे किलामो अप्पकिलंताणंबहुसुभेण भे दिवसो वडकतो? जत्ता भे? जवणिज्जं च भे.? खामेमि खमासमणो ! देवसियं वइक्कम, आवस्सियाए पडिकमामि खमासमणाणं देवसि. आए आसायणाए तित्तीसऽण्णयराए जंकिंचिमिच्छाए मणदुक्कडाए वयदुकड़ाए कायदुकडाए कोहाएमाणाए मायाए लोभाए सबकालियाए सबमिच्छोवयाराए सबधम्माइक्कमणाए कओ तस्स खमासमणो ! पडिकमामि निन्दामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि सूत्रम् | इच्छा य अणुनवणा अबाबाहं च जत्त जवणा या अवराहखामणावि य छट्ठाणा इंति वंदणए ॥१२३०॥ नाम ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो खल इच्छाए णिक्खेवो छविहो होइ॥१॥ नाम ठवणा दचिए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो उ अणुण्णाए णिक्खेवो छविहो होइ ॥२॥णाम ठवणा दविए खित्ते काले नहेव भावे य। एसो उ उग्गहस्सा णिक्खेवो छविहो होइ ॥३॥ बाहिरखि मि ठिओ अणुन्नवित्ता मिउग्गहं फासे। उम्गहखेत्तं पविसे जाव सिरेणं फुसइ पाए॥४॥ अबाचाहं दुविहं दवे भावे य जत्त जवणा य। अवराहखामणाविय सविस्थरस्थं विभासिजा ॥ ५॥ छंदे. णऽणुजाणामि तहत्ति तुझपि बहई एवं। अहमवि खामेमि तुमे वयणाई वंदणरिहस्स ॥ ६॥ तेणवि पडिच्छियवं गारवरहिएण सुदहियएण। किइकम्मकारगस्सा संवेग संजणतेणं 10 आवत्ताइसु जुगर्व इह भणिओ कायवायवावारो। दुहेगया व(न) किरिया जओ निसिद्धो अउ अजुतो ॥८॥ भिन्नविसयं निसिद्ध किरियाद्गमेगया ण एगंमि । जोगनिगस्सवि भंगियसुत्ते किरिया जओ भणिया ॥९॥ सीसो पढमपवेसे वंदिउमावस्सिआए पडिकमिउं । बितियपवेसंमि पुणो वंदद किं? चालणा अहवा ॥१२४०॥ जह दूओ रायाणं णमिउं कजं निवेइउं पच्छा । यीसजिओवि वंदिय गच्छइ साहुवि एमेव ॥१॥ एवं किइकम्मविहिं जुंजंता चरणकरणमुव(मा)उत्ता। साह खवंनि कम्म अणेगभवसंचियमणतं ॥२॥ वंदAणनिजुत्ती। पडिकमर्ण पडिकमओ पडिकमिययं च आणुपवीए।तीए पचप्पन्ने अणागए चेव कालंमि ॥३॥ जीवो उ पडिकमओ असहाणं पावकम्मजोगाणं । जे ते ण पडिकमे साहू ॥४॥ पढिकमणं पडियरणा परिहरणा वारणा नियत्ती य। निंदा गरिहा सोही पडिकमणं अट्ठा होइ ॥५॥णामं ठपणा दविए खिने काले तहेव भावे य। एसो पडिकमणस्सा णिक्खेवो छविहो होइ ॥ ६॥ णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो पडियरणाए णिक्खेवो छविहो होइ॥७॥णामं ठवणा दविए परिरय परिहार वजणाए य। अणुगह भावे य तहा अट्ठविहा होइ परिहरणा ॥८॥णामं ठवणा दविए खिने काले तहेव भावे य। एसो उ वारणाए णिक्खेवो छविहो होइ ॥ ९॥णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो उ नियत्तीए णिक्खेवो छविहो होइ ॥१२५०॥णामं ठवणा दविए खित्ते काले नहेव भावे य। एसो खल निंदाए णिक्खेयो छविहो होइ॥१॥नामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो खलु गरिहाए णिक्खेवो छत्रिहो होइ ॥२॥ नामं ठवणा दविए खिने काले नहेब भावे य। एसो खल मुदीए निक्खेयो छविहो होइ ॥३॥ अदाणे पासाए दुद्धकाय विसभोयण तलाए। दो कमाओ पइमारिया य वत्थे य अगए य॥४॥ जइ फुडा कणियारया चूयय ! अहिमासयंमि पुटुंमि । तुह न खमं फुले जइ पचंता करिति हमराई ॥५॥ तरियवा य पइण्णा मरियत्वं वा समरि समत्थेणं। असरिसजण उडावा नहु सहियचा कुलप्पसएणं ॥ ६॥ आलोयणमालंचण वियडीकरणं च भाव. सोही या आलोइयंमि आराहणा अणालोइए भयणा ॥७॥ सपडिकमणो धम्मो पुरिमस्स य पच्छिमस्स य जिणस्स। मज्झिमयाण जिणाणं कारणजाए पडिकमणं ॥८॥ जो जाहे आवन्नी (जइ) साहू अन्नयरयमि ठाणमि । सो ताहे पडिकमई मज्झिमयाणं जिणवराणं ॥९॥ बावीसं तित्थयरा सामाइयसंजमं उवइसंति । छेउवठावणयं पुण वयन्ति उसभो य वीरो य॥१२६० ॥ पडिकमणं देसिय राइयं च इत्तरियमावकहियं च। पक्खिय चाउम्मासिय संवच्छर उत्तिमढे य॥१॥ पंच य महत्वयाई राईछट्ठाई चाउजामो य। भत्तपरिण्णा य तहा दुण्डंपिय आवकहियाई ॥२॥ उच्चारे पासवणे खेले सिंघाणए पडिकमणं । आभोगमणाभोगे सहसकारे पडिकमणं ॥३॥ मिच्छत्नपडिक्कमणं तहेव अस्संजमे य पडिकमणं । (३०१) १२०४ आवश्यक सनियु-सूक्तिकं मूलसूत्र, नियुति+ rtreer- ३ .......... मुनि दीपरनसागर Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कसायाण पडिकमणं जोगाण व अप्पसन्धाणं ॥४॥ संसारपडिक्कमणं चउविहं होड आणुपुत्रीए । भावपडिकमणं पुण तिविहंतिविहेण नेयत्रं ॥५॥ गन्धवनागदत्नो इच्छइ सप्पेहिं खिडिउं दहयं । सो जइ कहिंचिखजइ इत्य ह दोसो न दायो॥६॥ नरुणदिवायरणयणो विजुलयाचंचलग्गजीहालो। घोरमहाविसदाढो उक्का इव पजलिय रोसो ॥ ७॥ डक्को जेण मणूसो कयमकयं न याणई मुबहयपि। अरिम्समाणमछु कह पिच्छसि नं महानागं? ॥८॥ मेरुगिरितुंगसरिसो अट्टफणो जमलजुगलजीहालो। दाहिणपासंमि ठिओ माणेण विवहई नागो ॥९॥डक्को जेण मणूसो पदोन गणेइ देवरायमवि।नं मेकपञ्चयनिभं कह घिच्छसि नै महानागं? ॥१२७०॥ सललियवितहलगई सथिअलंगणफणंकिअपडागा। मायामइआ नागी नियडिकवडवंचणाकुसला ॥१॥ नंच सि वालग्गाही अणोसहिवलो य अपरिहत्थो य। सा य चिरसंचियविसा गहणंमि पणे वसइ नागी ॥२॥ होही ने विणिवाओ नीसे दादन उवगयम्स । अप्पासहिमतवालो न अप्पाणं चिमिच्छिहिसि ॥३॥ उत्थरमाणो सर्व महालयो पुत्रमेहनिग्घोसो । उत्तरपासंमि ठिओ लोहेण विवट्टई नागो॥४॥डको | जेण मणुसो होइ महासागरुन दुष्परो। साविससमुदयं कह पिछसित महानागं? ॥५॥ एएते पावाही चत्तारिवि कोहमाणमयलोभा। जेहि सया संतनं जरियमिव जयं कल 10 कलेह ॥ ६॥ एएहिं जो खज्जइ चाउहिवि आसीविसेहिं पावेहि। अवसम्स नस्यपडणं णस्थि सि आलंवणं किंचि ॥ एएहिं अहं सदओ चउहिवि आसीबिसेहिं पाये(घोरे)हिं । विसनिग्घायणहेउं चरामि विविहं नबोकम्मं ॥८॥ सेवामि सेलकाणणमुसाणमुन्नघरमक्खमूलाई। पावाहीणं नेसि खणमवि न उवेमि वीसंभं ॥९॥ अचाहारो न सहइ अइनिदेण विसया उइनंति। जायामायाहारो नंपि पकामं न इच्छामि ॥१२८०॥ ओसन्नऽकयाहारो अह्वा विगई विवजियाहारो। जंकिंचिकयाहारो अवउझियथोवमाहारो॥१॥ धोवाहारो थोवभणिओ य जो होइ थोवनिहो या थोवोवहिउवगरणो नम्स हु देवावि पणमंनि ॥२॥ सिदे नमंसिऊणं संसारन्था य जे महाविजा । वोच्छामि दंडकिरियं सवचिसनिवारिणि विजं ॥३॥ सव्वं पाणवायं पचवाई मि अलियवयणं च। सव्वमदनादाणं अचंभ परिग्गहं स्वाहा ॥१२८शानमा अरिहंताण नमो सिद्धाणं नमो आयरियाणं नमो उवज्झायाणं नमो लोए सबसाहूणं, एसो पंचनमुक्कारो, सबपावप्पणासणो। मंगलाणं च सब्वेसिं, पदम हवइ मंगधाकरेमि भंते ०. चनारि मंगलं-अरिहंता मंगलं सिद्धा मंगलं साहू मंगलं केवलिपण्णनो A धम्मो मंगलं । सू०३। चनारि लोगुनमा-अरिहंता लोगुनमा सिदा लोगुनमा साहू लोगुत्तमा केवलिपण्णनो धम्मो लोगुत्तमो । सूक्षचत्तारि सरणं पवजामि-अरिहंने सरणं पवजामि सिद्धे सरणं पवजामि साहू सरणं पवजामि केवलिपण्णनं धम्म सरणं पवजामि । मू०५। इच्छामि पडिकमिउं जो मे देवसिओ अइयारो कओ, काइओ वाइओ माणसिओ, उस्सुनो उम्मग्गो अकप्पो अकरणिनो दुज्झाओ विचितिओ अणायारो अणिच्छियो असमणपाउम्गो नाणे दंसणे चरिते मुए सामाइए तिण्हं गुत्तीर्ण चउण्हं कसायाणं पंचण्हं महबयाणं छहं जीवणिकायाणं सत्तण्हं पिडेसणाणं अट्ठण्हं पवयणमाऊणं नवण्हं वंभचेरगुत्तीर्ण दसबिहे समणधम्मे समणाणं जोगाणं जं खंडिअंजं विराहियं नम्स मिच्छामि दुकडं सूत्र ६) 'पडिसिद्धार्ण करणे किच्चाणमकरणे य पडिकमणं। असदहणे यतहा विवरीयपरूवणाए य॥१२८५॥ इच्छामि पडिकमिउंईरियावहियाए चिराहणाए गमणागमणे पाणकमणे बीयक्रमणे हरियकमणे ओसाउत्तिंगपणगदगमहिमकडासंताणासंकमणे जे मे जीवा विराहिया, एगिदिया बेइंदिया तेइंदिया चाउरिदिया पंचिंदिया, अभिहया वत्तिा लेसिया ॥ ठाणाओ ठाणं संकामिा जीविआओ ववरोविया तस्स मिच्छामि दुकहुं । सूत्रं |इच्छामि पडिकमिउं पगामसिजाए निगामसिजाए संधाराउबट्टणाए परियट्टणाए आउंटणपसारणाए छप्पइसंघट्टणाए कुइए ककराइए छिइए जंभाइए आमोसे ससरक्खामोसे आउलमाउल्लाए सोअणवत्तिआए इत्थीविप्परिआसियाए दिट्टीविप्परिआसिआए मणविप्परिआसिआए पाणभोयणविप्परिआसिआए जो मे देवसिओ अइयारोकओतस्स मिच्छामि दुकडं।सू०८ापडिकमामि गोयरचरियाए भिक्खायरियाए उग्घाडकवाडउग्घाडणाए साणावच्छादारासंघट्टणाए मंडीपाहुडिआए बलिपाहुडिआए ठवणापाहुडिआए संकिए सहसागारिए अणेसणाए पाणभोयणाए बीयभीयणाए हरियभोयणाए पच्छेकम्मियाए पुरेकम्मियाए अदिट्टहडाए दगसंसद्हडाए स्यसंसट्टहडाए पारिसाडणियाए पारिठावणियाए ओहासणभिक्खाए जं उम्गमेणं उष्पायणेसणाए अपरिसुद्धं परिगहियं परिभुत्तं वा जं न परिद्ववियं तस्स मिच्छामि दुकर्ड । सू०९। पडिकमामि चाउक्कालं सज्झायस्स अकरणयाए उभओकालं भंडोवगरणस्स अप्पडिलेहणयाए दुप्पडिलेहणयाए अपमजणाए दुप्पमजणाए अइक्कमे वइक्कमे अइयारे अणायारे जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं। मू०१०। पडिक्कमामि एगविहे असं. जमे. पडिक्कमामि दोहि बन्धणेहि-रागबन्धणेणं दोसबंधणेणं. पडि तिहिं दण्डहिं-मणदण्डेणं वयदण्डेणं कायदण्टेणं पडि तिहिं गुत्तीहि-मणगुत्तीए बयगुत्तीए कायगुत्तीए सूब ११ पडिकमामि तिहिं सडेहि-मायासाहेणं नियाणसानेणं मिच्छादसणसाडेणं पडि तिहिं गारवेहि-इइडीगारवेणं रसगारवेणं सायागारवेणं पडितिहिं विराहणाहि-णाणविराहणाए १२०५आवश्यक सनियु- मूक्तिक मूलसूत्र, aria अन्सम- मुनि दीपरनसागर Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KAI दसणविराहणाए चरित्तविराहणाए, पडि० चउहिं कसाएहि-कोहकसाएणं माणकसाएणं मायाकसाएणं लोहकसाएणं, पडि० चउहिं सपणाहिं-आहारसण्णाए भयसष्णाए मेहुणस प्रणाए परिग्गहसण्णाए, पडि० चउहिं विकहाहि-इत्थीकहाए भत्तकहाए देसकहाए रायकहाए, पडि० चउहिं झाणेहिं अट्टेणं झाणेणं कदेणं झाणेणं धम्मेणं झाणेणं सुकेणं झाणेणं (सू०१२ पडिकमामि पंचहि किरियाहि-काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए पारितावणियाए पाणाइवायकिरियाए ।सू०१३। पडिकमामि पंचहि काममुणेहि-सद्देणं रूवेणं रसेणं गंधेणं फासेणं, पडिकमामि पंचहिं महबएहि-पाणाइवायाओ बेरमणं मुसावायाओ वेरमणं अदिण्णादाणाओ वेरमण मेहुणाओ बेरमणं परिग्गहाओ वेरमणं, पडिकमामि पंचहिं समिईहिं-ईरियासमिईए भासासमिईए एसणासमिईए आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिईए उच्चारपासवणखेलजलसिंघाणपारिद्वावणियासमिईएम०१४। पारिद्वावणियविहिं बो. च्छामि धीरपुरिसपण्णत्तं। जं णाऊण सुविहिया पवयणसारं उवलहंति ॥ ६॥ एगिदियनोएगिदियपारिट्ठावणिआ समासओ दुविहा। एएसिं तु पयाणं पत्तेय परुवणं वोच्छं॥७॥ पढवी आउकाए तेऊ वाऊ वणस्सई चेव। एगिदिय पंचविहा तजाया तह य अतजाया ॥८॥ दुविहं तु होइ गर्ण आयसमुत्थं च परसमुत्थं च । एकेकपिय दुविहं आभोगे तह अणाभागे॥९॥ तजायपरिट्ठवणा आगरमाईसु होई बोडबा । अतजायपरिट्ठवणा कप्परमाईसु बोद्धब्बा ॥२०७॥ भाष्यं । णोएगिदिएहिं जा सा सा दुविहा होइ आणुपुवीए। तसपाणेहिं सुविहिया ! नायवा नोतसेहिं च ॥१२९०॥ तसपाणेहिं जा सा सा दुविहा होइ आणुपुवीए। विगलिंदियतसेहिं जाणे पंचिदिएहिं च ॥१॥विगलिंदिएहिं जा सा सा तिविहा होइ आणुपुवीए। वियतियचउरो यावि य तज्जाया तहा अतजाया ॥२॥ पंचिंदिएहिं जा सा सा दुविहा होइ आणुपुबीए। मणुएहिं च सुविहिया ! नायचा नोयमणुएहिं ॥३॥ मणुएहिं खलु ए। संजयमणएहिं तहा नायबाऽसंजएहिं च ॥४॥ संजयमणुएहि जा सा सा दुविहा होइ आणुपुत्रीए। सांचीह सुविहिया! चित्ताहच नायरा l ॥५॥अणभोग कारणेण व नपुंसमाईसु होइ सचित्ता। वोसिरणं तु नपुंसे सेसे कालं पडिक्खिज्जा ॥६॥ असिवे ओमोयरिए रायढुढे भए व आगाढे। गेलन्न उत्तिमढे नाणे तवर्दसणचरिते ॥७॥ कडिपट्टए य छिहली कत्तरिया भंड लोय पाढे य । धम्मकह सन्नि राउल ववहार विकिंचर्ण कुजा ॥८॥ अज्झाविओ मि एतेहिं चेव पडिसेहो किंचहीतं ते? छ. लियकहादी कड्दति कत्थ जती कत्थ छलिताई? ॥९॥ पुत्वावरसंजुत्तं वेरग्गकरं सततमविरुदं । पोराणमहमागहमासाणियतं हवइ सुत्तं ॥१३००॥ जे सुत्तगुणाभिहिता तचिवरीयाई गाहिओ पुष्टिं। निच्छि(त्थि)ण्णकारणाणं सा चेव विगिंचणे जयणा ॥१॥ कावालिए सरक्खे तवणियवसहलिंगरूवेणं। वेडंबगपञ्चइए कायव्य विहीए वोसिरणं ॥२॥ निववल्लभवहुपक्संमि बावि तरुणवसहा मिणं बेति। भिन्नकहाओ भट्ठा! ण घडइ इह वच्च परतित्थी ॥३॥ तुमए समर्ग आमंति निग्गओ भिक्खमाइलक्खेणं। नासइ भिक्खुगमाइसु छोटूण तओवि य पलाइ ॥४॥तिविहो य होइ जड्डो भासा सरीरे य करणजड्डो य। भासाजड्डो तिविहो जल मम्मण एलमूओ य॥५॥दसणणाणचरिते तवे य समिईसु करणजोए य। उवइदपि न गेण्हइ जलमूओ एलमूओ य॥६॥णाणायट्ठा दिक्खा भासाजड्डो अपचलो तस्स। सो य बहिरो य नियमा गाहण उ भिक्खे य होइ वंदणए। एएहिं कारणेहिं जड्डस्स न कप्पई दिक्खा ॥८॥ अद्धाणे पलिमंथो भिक्खायरियाए अपरिहत्यो य । दोसा सरीरजइडे गच्छे पुण सो अणण्णाओ॥९॥ उड्ढस्सासो अपरक्कमो य गेलनअग्गिअहिउदये। जड्डस्स य आगाढे गेलण्ण असमाहिमरणं च ॥१३१०॥ सेएण कक्खमाई कुत्था धुवणुप्पिलावणे पाणा। नत्थि गलओ य चोरो निदियमुंडाइ (4) वाए य॥१॥इरियासमिई भासेसणाय आयाणसमिइगुत्तीसु । नवि ठाइ चरणकरणे कम्मुदएणं करणजड्डो॥२॥ एसोचिन दिक्खिज्जइ उस्सग्गेणमह दिक्खिओ हाजा। कारणगएण कणइ तत्य विहि उवार वाच्छामि ॥३॥ मात्तु गिलाणकज दुम्मह पडियरइजाव छम्मासा। एकक छम्मासा जस्सबदह्रबिगिचणया॥४॥जो पण करणे सिं तस्स हाँति छम्मासा। कुलगणसंघनिवयण एवं तु विहिताह कुजा ॥५॥ आसुक्कारगिलाणे पचक्खाए व आणपत्रीए। अचित्तसंजयाणं वोच्छामि विहीडयोसिरणं ॥६॥ एव य कालगयंमी मुणिणा सुत्तत्थगहियसारेणं । नहु काय विसाओ काय विहीइ वोसिरणं ॥७॥ पडिलेहणा दिसा णतए य काले दिया य राओ या कुसपडिमा पाणग नियत्तणे य तण सीस उवगरणे ॥८॥ उट्ठाण णामगहणे पयाहिणे काउसग्गकरणे याखमणे अ असज्झाए तत्तो अवलोयणे चेव ॥९॥ जहियं तु मासकप्पं वासावासं च संवसे साहू। गीयत्था पढम चिय तत्थ महायंडिलं पेहे ॥प०२४॥ अवरदक्खिणा दक्खिणा य अवरा य दक्षिणापुजा । अवरुत्तरा अ पुवा उत्तरपुबुत्तरा चेव ॥१३२०॥ पउरमपाण पढमा बीयाए भत्तपाण ण लहंति। तस्याएं उपहिमाई नत्यि चउत्थीएँ समाओ॥१॥ पंचमियाएँ असंखडि छट्ठीए गणविभेवणं जाण। सत्तमिए मेलमं मरणं पण अहमी चिति ॥२॥ पुर्व दशालोयण पुषिं गहणं च णंतकट्ठस्स। गच्छमि एस कप्पो अनिमित्ते होउवक्कमणं ॥३॥ सहसा कालगयंमी मुणिणा सुत्तस्थगहियसारेणं। न विसाओ कायचो काया विहीइ वोसिरणं १२०६ आवश्यकं सनियु- सूक्तिक मूलसूत्र, निint of-४ मुनि दीपरत्नसागर Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाक ॥४॥ वेलं कालगओ निक्कारण कारणे मवि निरोहो । छेयण बंधण जग्गण काइयमत्ते य हत्यउडे ॥५॥ अनाविट्ट सरीरे पंता वा देवया उ उद्वेजा । काइयं हब्बहत्येण मा उहे तुज्या गुज्नया ! ॥६॥ विनासेज हसेज व मीम वा अट्टहास मुंचेजा। अभीएणं तत्थ उ काय विहीह वोसिरणं ॥७॥दोलि य दिवइदखेले दम्भमया पुत्तला उ काया।समसेरामि उ एक्को अवड्ढऽभीए ण कायो॥८॥ तिष्णेव उत्तराई पुणासू रोहिणी विसाहा या एए छन्त्रक्खत्ता पणयालमुहुत्तसंजोगा ॥९॥ अस्सिणि कत्तिय मियसिर पुस्सो मह फग्गु इत्य चिता या अणुराह मूल साढा सवण धणिट्ठा य भइवया ॥१३३०॥ तह रेवइत्ति एए पारस हवंति तीसइमुहुत्ता। नक्खत्ता नायबा परिट्टवणविहीय कुसलेणं॥१॥ सयभिसया भरणीओ | अरा अम्सेस साइ जेट्टा य। एए उसक्खत्ता पनरसमुहत्तसंजोगा ॥२॥ सत्तस्थतदभयविऊ परओ घेत्तण पाणय। २॥ सुत्तत्थतदुभयविऊ पुरओ घेत्तण पाणय कसे या गच्छड य जड उडडाहो (सागरियं) परिवेऊण आयमण ॥३॥ पंडिलवाघाएणं अहवावि अणिच्छिए अणाभोगा। भमिऊण उवागच्छे तेणेव पहेण न नियत्ते ॥४॥ कुसमुट्टी एगाए अशोच्छिण्णाइ एत्य धाराए । संथारं संथरेजा सत्य समो उ कायठो ॥५॥ विसमा जइ होज तणा उवरि मझे व हेट्टओ वावि। मरणं गेलण्णं वा तिण्हंपि उ निहिसे तत्थ ॥६॥ उवरि आयरियाणं मझे वसहाण हेट्टि भिक्खूणं । तिण्हंपि रक्खणट्ठा सबत्य समा उ काया ॥७॥ जत्य वनस्थि तणाई चुण्णेहिं तत्थ केसरहिं वा। कायद्योऽत्य ककारी हेड तकारं च बंधेजा ॥८॥ जाए दिसाएँ गामो तत्तो सीसं तु होइ काययं । उर्दुतरखणत्या एस विही से समासेणं ॥९॥ चिण्हट्ठा उवगरणं दोसा उ भवे अचिंधकरणमि। मिच्छत्त सो व राया व कुणह गामाण वहकरणं ॥१३४०॥ चसहि निवेसण साही गाममज्झे य गामदारे य। अंतर उजाणंतर निसीहिया उहिए वोच्छ ॥ १॥ वसहि निवेसण साही गामद्धं चेय गाम मोत्तव्यो। मंडलकंडसे निसीहिया चेव रज तु ॥२॥ वचंते जो उ कमो कलेवर पवेसणंमि वोचत्यो। णवरं पुण णाणत्तं गामदारंमि बोद्धर्व ॥२०८॥ भाष्यं । असिवाइकारणेहिं तत्थ वसंताण जस्स जो उ तवो। अभिगहियाणभिगहिओ सा तम्स उजोगपरिखुड्ढी ॥३॥ गिण्हइ णामं एगस्स दोण्हमहवावि होज सव्वसि। खिप्पं तु लोयकरणं परिषणगणभेयचारसगं ॥ ४॥जो जहियं सो तत्तो नियत्तइ पयाहिणं न कायश्वं । उट्टाणाई दोसा विराहणा वालबुदाणं ॥५॥ उढाणाई दोसा उ हाँति तत्थेव काउसगंमि । आगम्मुवस्सयं गुरुसगासे विहीए य उस्सम्गो ॥ ६॥ खमणे य असज्झाए राइणिय महाणिणाय नियगा वा। सेसेसु नस्थि खमण नेव असज्झाइयं होई ॥७॥ अवरजयस्स तत्तो मुत्तत्थविसारएहिं थिरएहिं । अवलोयण कायध्या सुहासुहगहनिमित्तट्ठा ॥८॥जं दिसि विकड्ढियं खल सरीरयं अक्सुयं तु संचिक्खे। तं दिसि सिर्व वयंती सुत्तत्थविसारया धीरा ॥९॥ एत्थ य-थलकरणे वेमाणिओं जोइसिओ वाणमंतर समंमि। ग(ख)ड्डाएं भवणवासी एस गई से समासेणं ॥१३५०॥ एसो उ विही सब्यो कायब्बों सिमि जो जहि वसइ । असिवे खमण विवढ्ढी काउस्सरगं च वज्जेज्जा ॥१॥ एसो दिसाविभागो नायब्बो दुविहदब्वहरणं च। बो सिरणं अवलोयण सुहासुहगईविसेसोय ॥२॥ अस्संजयमणएहिं जा सा दुविहा य आणपब्वीए। सचित्तेहिं सविडिय! अचित्तेहिं च नायव्वा ॥३॥ कप्पगरुवस्स उ बोसिरणं संजयाण वसहीए । उदयपह बहुसमागम विपज्जहाऽऽलोयणं कुज्जा ॥४॥ पडिणीयसरीरहणे वणीमगाईसु होइ अचित्तो। तो येक्स घोलकरणं विष्पजह विगिंधणं कुजा ॥५॥ गोमणुएहिं जा सा तिरिएहिं सा य होइ दुविहा उ । सचित्तेहिं सुविहिया ! अञ्चित्तेहिं च नायचा ॥६॥ चाउलोयगमाइंहिं जलचरमाईण होइ सचित्ता। जलथलखह कालगए अञ्चित्त विर्गिचणं कुजा ॥७॥ नोतसपाणेहिं जा सा सा दुविहा होइ आणुपुत्रीए। आहारंमि सुविहिया! नायचा नोयआहारे ॥८॥ आहारंमि उजा सा सा दुविहा होइ आणुपुत्रीए। जाया चेव सुविहिया ! नायचा तह अजाया अ॥९॥ आहाकम्मे अ तहा लोहविसे आभिओगिए गहिए। एएण होइ जाया वोच्छ से विहीएँ कोसिरपा ॥१३६०॥ एतमणांचाए अञ्चिते यंडिले गुरुवइटे। छारेण अकमित्ता तिढाणं सावणं कुज्जा ॥१॥ आयरिए य गिलाणे पाहुणए दुलहे सहसलाहे। एसा खलु अज्जाया वोच्छ से बिहीएं वोसिरणं ॥२॥ एगंतमणावाए अचित्ते पंडिले गुरुबइठे। आलोएं तिन्नि पुंजा तिट्ठाणं सावणं कुज्जा ॥३॥ नोआहारंमी जा सा सा दुविहा होइ आणुपुत्रीए । उपकरणमि सुविहिया! नायव्वा नोयउवगरणे ॥४॥ उबगरणंमि उ जा सा सा दुविहा होइ आणुपुषीए। जाया चेव सुविहिया! नायबा तह अजाया य॥५॥ जाया य वत्थपाए यंका पाए य चीवरं कुज्जा । अजायबत्यपाए वोच्चन्थे तुच्छपाए य॥०२५॥ दुविहा जायमजाया अभिओग विसे य सुद्धऽसुद्धा या एगं च दोण्णि तिणि य मुलुत्तरसुद्धजाणट्ठा (णाहि)॥६॥ नोउवगरणे जा सा चउबिहा होड आणुपुचीए। उच्चारे पासवणे खेले सिंघाणए चेव ।।७॥ उच्चारं कुब्वंतो छार्य तसपाणरक्खणवाए।कायद्यदिसाभिग्गहे य दो चेचऽभिगिण्हे॥८॥ पुढवितसपाणसमुट्ठिएहिं एत्थं तु होइ चउभंगो। पढम पयं पसत्यं सेसाणि उ अप्पसत्याणि ॥९॥ गुरुमूलेवि वसंता अणुकूला जे न होंति उ गुरुणं। एएसिं तु पयाणं दूरंदरेण ते होंति॥१३७०॥ पारिट्ठावणिया। पडिक्कमामि छहिं जीवनिकाएहिं-पुढवीकारणं आउकाएणं तेउकाएणं वाउकाएणं वणस्सइकाएणं तसकाएणं, पडि० छहि लेसाहि-किण्हलेसाए नीललेसाए काउलेसाए तेउलेसाए पम्हले१२०७ आवश्यक सनियु- मूक्तिक मूलमूत्र Aryird मुनि दीपरत्नसागर Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साए मुकलेसाए। पडिकमामि सत्तहिं भयठाणेहिं । अहहिं मयठाणेहिं । नवहिं बंभचेरगुत्तीहिं। दसविहे समणधम्मे। एकारसहिं उवासगपडिमाहि । वारसहि भिक्खुपडिमाहि । तेरसहि किरिया ठाणेहि सू०१५ इहपरलोयाऽऽदाणं अकम्ह आजीव मरणमसिलोए। जाई कुल बल रूवे तव ईसरिए सुए लाहे ॥१॥(संगहणी) वसहि कह निसिजिदिय कुडतर पुष्वकीलिए पणीए। आइमायाहार विभूसणा य नव बंभगुत्तीओ॥२॥ खंती य महवनय मुत्ती तव संजमे य बोद्ध । सच्चं सोयं आकिंचणं च बभं च जइधम्मो ॥३॥ दसण वय सामाइय पोसह पडिमा अबम सचित्ते। आरंभपेसउहिट्ठबचए समणभूए य॥४॥ मासाई सर्तता पढमावियतइय सत्तराइदिणा। अहराई एगराई भिक्खुपडिमाण बारसगं ॥ ५ ॥ अट्ठाणट्ठा हिंसाऽकम्हा विट्ठीय मोसऽदिपणे या अम्भस्थ माण मेतेमाया लोहे रियावहिया ॥६॥(संग०) चउदसहिं भूयगामेहिं पचरसहिं परमाहम्मिएहिं सोलसहिं गाहासोलसएहि सत्तरसविहे असंजमे अट्ठारसविहे अचंभे एगणवीसाए णायजनयणेहि वीसाए असमाहिठाणेहिं (सू०१६) एगिदियसुहुमियरा सणियर पणिंदिया य सवीतिचउ । पजत्तापजत्ताभेएणं चोइस ग्गामा ॥७॥ (संग०) मिच्छरिट्ठी सासायणे य तह सम्ममिच्छदिट्ठी या अचिरतसम्मबिट्ठी विरयाविरए पमत्तेय ॥८॥ तत्तो य अप्पमत्तो नियहिअनियट्टिबायरे सुहमे। उवसंत खीणमोहे होइ सजोगी अजोगी य॥९॥ अंबे अंबरिसी चेच, सामे अ सबले इय। रहोबरुद काले य, महाकालेति आवरे ॥१०॥ असिपले धणु कुंभे, वालू वेयरणी इय। खरस्सरे महाघोसे, एए पारसाहिया ॥११॥ समयो वेयालीयं उबसम्मपरिण्ण थीपरिण्णा या निरयविभत्ती वीरत्यओ य कुसीलाण परिहासा ॥२॥ वीरिय धम्म समाही मग्ग समोसरण अह्तहं गंथो। जमईयं तह गाहा सोलसमं होइ अजमायणं ॥३॥ पुढविद्गअगणिमारुयवणस्सइबितिचउपणिंदिअज्जीवा । पेहुप्पेहपमजणपरिट्ठवणमणोवईकाए॥४॥अउरालियं च दिव्वं मणवहकाएण करणजोएणं । अणुमोयणकारवणे करणे अट्ठारसायंभं ॥५॥ उक्खित्तणाए संघाडे, अंडे कुम्मे य सेलए। तुंचे य रोहिणी मल्ली, मागंदी चंदिमा इय ॥६॥ दावहवे उदगणाए, मंडुक्के तेयली इयानदिफले अवरकका, माया सुसु पुडरिया ॥७॥ दवदवचारऽपमज्जिय दुपमज्जियऽहारत्तासज्जआसाण भिक्खऽमिक्खमोहारी। अहिकरणकरोईरण अकालसझायकारी य ॥९॥ ससरक्खपाणिपाए सहकरो कलहझंझकारी य। सूरप्पमाणमोती वीसइमे एसणाऽसमिए ॥२०॥ (संग०) एगवीसाए सबलेहि बावीसाए परीसहेहिं तेवीसाए सूयगढज्झयणेहिं चउबीसाए देवेहिं पंच(पण)वीसाए भावणाहिं छब्बीसाए दसाकप्पववहाराण उडेसणकालेहिं सत्तवीसविहे अणगारगुणे अट्ठावीसइविहे आयारप्पकप्पे एगूणतीसाए पावसुयपसंगेहिं तीसाए मोहणियठाणेहिं एगतींसाए सिद्धाइगुणेहिं वत्तीसाए जोगसंगहेहिं । सू०१७॥ तं जह उ हत्यकम्म कुाते मेहुणं च सेवंते। राई च मुंजमाणे आहाकम्मं च मुंजते ॥२१॥(संग०) तत्तो य रायपिंडं कीर्य पामिच्च अभिहर्डऽछेज्ज । मुंजतं सबले ऊ पच्चक्खियऽभिक्ख भुंजइ यन्तेि)॥२॥ छम्मासमंतरओ गणा गर्ण संकर्म करते य। मासऽभंतर तिणि य दगलेवा ऊ करेमाणो ॥३॥ मासऽभंतरओ वा माईठाणाई तिनि कुणमाणो । पाणाइवाय उहि कुत मुर्स वर्यते य॥४॥ गिण्हते य अदिषणं आउहि तह अणंतरहियाए। पुढवीय ठाणसेज निसीहियं वावि चेतेइ ॥५॥ एवं ससिणिहाए ससरक्खा चित्तमंतसिलले पइहा कोलघुणा तेसि आवासो॥६॥ संडसपाणसचीए जाव उ संताणए भवे तहियं । ठाणाइ चेयमाणो सबले आउहिआए य॥७॥ आउट्टि मूल कंदे पुप्फे य फले य बीय हरिए य। भुजंते सवलेए तहेव संवच्छरस्संतो॥८॥ दस दगलेवे कुवं तह माइट्ठाण दस य परिसन्तो। आउट्टिय सीओदग बग्घारिय हत्थमत्ते य॥९॥ दवीए भायणेण व दिर्जतं भत्तपाण घे. तुणं । भुंजइ सबलो एसो इगवीसो होइ नायबो॥३०॥(व्याख्यान्तर) वरिसंतो दसमासस्स तिनि दगलेव माइठाणाई। आउट्टिया करतो वहालियादिण्णमेहुण्णे कीयमाई अभिक्ससंबरिए। कंदाई भुंजते दउालहत्याइगहणं च ॥२॥ सचित्तसिलाकोले अइरावणिठाई ससिणिद्ध ससरक्ले।छम्मासंतो गणसंकर्म च करकम्ममिइ सबले ॥३॥ बुहा पिवासा सीउण्हं दंसाचेलारइथिओ। चरिया निसीहिया सेज्जा अकोस वह जायणा ॥४॥ अलाभ रोग तणफासा मल सकारपरीसहा। पण्णा अण्णाण सम्मन इइबाचीस परीसहा ॥५॥ हारपरिणऽपचखाणकिरिया य। अणगार अदनालंद सोलसाई च तेवीसं ॥ ६॥ भवणवणजोइवेमाणिया य दसअट्ठपंचएगविहा । इह(इ) चउवीसं देवा केई पण ति अरिहंता ॥७॥इरियासमिए सया जए. उवेह भंजेज व पाणभोयणे। आयाणनिक्खेवद् हलोहे भयमेव कजए। स दीहरायं समुपहिया सिया. मुणी हु मोसं परिवजए सया ॥९॥ सयमेव उ उग्गहजायणे घडे, मइमं निसम्म सइ भिक्खु उग्गहं । अणुण्णविय भुंजिय पाणभोयणं, जाइत्ता साहम्मियाण उम्गहं ॥४०॥ आहारगुत्ते अविभूसियापा, न इस्थि निज्झाइ न संथकेजा। बुद्धो मुणी खुड्डकह न कुजा, धम्माणुपेही संधए बंभचेरं ॥१॥ जे सहरूवरसगंधमागए, फासे य संपप्प मणुण्णपावए। गिही पदोसं न करेज पंडिए, स होइ दंते विरए अकिंचणे॥२॥ दस उद्देसणकाला दसाण कप्पस्स होति छच्चेच । दस चेव य वव. हारस्स हाँति सधेवि छवीस ॥३॥ वयछक्कामदियाणं च निम्गहो भावकरणसर्च च। खमया विरागयाविय मणमाईणं निरोहो अ॥४॥ कायाण छक्क जोगाण(गंमि) जुत्तया (३०२) १२०८ आवश्यक सनियु- सूक्तिकं मूलसूत्र ifguri+Hireci- .. मुनि दीपरत्नसागर Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4%A4 E0 वेयणाऽहियासणया। तह मारणतियऽहियासणा य एएऽणगारगुणा ॥५॥ सत्यपरिण्णा लोगो विजओ अ सीओसणिज सम्मत्तं। आवंति व विमोहो उवहाणसुयं महपरिण्णा ॥६॥ |पिंडेसण सिनिरिया भासजाया अपत्यपाएसा। उग्गहपडिमासत्तेकसत्तयं भावण विमुत्ती ॥७॥ उग्यायमणुग्घायं आस्वणा तिविहमो णिसीह तुइय अट्ठावीसविहो आयारपकप्पणामोऽयं (उ) 10 अट्ठनिमित्तंगाई दिनुपायंतलिक्स भोमं च। अंग सर लक्खण बंजणं च तिविहं पुणोके ॥९॥ सुत्तं चित्ती वह पत्तियं च पाचसुय अउणतीसविहं । गंधवनवत्थु आउँधणुषेयर्सजुतं ॥५०॥ वारिमोऽवगाहित्ता, तसे पाणे विहिंसई । छाएउ मुहं हत्येवं, अंतोनायं गलेश्वं ॥१॥ सीसावेदेण बेद्वित्ता, संकिलेसेण मारए। सीसंमि जे य आहेतु, दुहमारेण हिंसा ॥२॥बहुजणस्स नेयारं, दीयं ताणं च पाणिणं । साहारणे गिलाणमि, पहू किचन कुबई ॥३॥ साहू अक्षम्म धम्माओ जे भंसेइ उवहिए । णेयाउयस्स मम्गस्स, अवगारंमि बट्टा ॥४॥ जिणाणं णतणाणीणं, अपणं जो उ भासइ । आयरियउवझाए, खिसई मंदबुद्धीए ॥ ५॥ तेसिमेव य णाणीण, सम्मं नो पडितप्पा । पुणो पुणो अहिगरणं, उपाए तिस्थभेयए ॥ ६॥ जाणं आहम्मिए जोए, पउंजइ पुणो पुणो । कामे वमित्ता पत्येइ, इहऽसमविए इय ॥ ७॥ भिक्खूर्ण बहुसुएऽहंति, जो भासइऽबहुस्सुए। तहा य जो तवस्सित्तिऽहं बए॥८॥ जायतेएण बहुजणं, अंतोषमेण हिंसइ। अकिबमप्पणा काउं, कयमेएण भासह ॥९॥ नियहिपणिहीए पलिउंचे साइजोगजुत्ते या बेई | सव्वं मुसं पयसि, अक्खीणझंझए सया ॥६०॥ अदाणमि पवेसित्ता, जो वर्ण हरइ पाणिणं। बीसभित्ता उवाएणं, दारे तस्सेव लुम्भई ॥१॥ अभिक्खमकुमारे उ. कुमारेऽइंति भासइ। एवं अबंभयारीवि, भयारित्तिऽहं वए ॥२॥ जेणेविस्सरियं णीए, वित्ते तस्सेव लुम्भई। वप्पभावुट्ठिए वापि, अंतरार्य करेइ से ॥३॥ सेणावई पसत्यारं, भत्तारं वावि हिंसइ । रहस्स वावि निगमस्स, नायर्ग सेट्टिमेव वा ॥४॥अपस्समाणो पस्सामि, अहं देवेत्ति वा वए । अवण्णेणं च देवाणं, महामोहं पकुब्बइ ॥ ५॥ पडिसेहण संठाणे वण गंध रस फास वेए अ। पणपणदुपणट्ठतिहाइगतीसमकायसंगरहा ॥६॥ अहवा कम्मे नव दरिसणमि चत्तारि आउए पंच । आइमंते सेसे दो दो खीणभिलावेण इगतीसं ॥६७॥ (संग०) आलोयणा निरवलावे, PA आवइसु य ददधम्मया । अणिस्सिओबहाणे अ, सिक्खा णिप्पडिकम्मया ॥१३७१॥ अण्णायया अलोहे अ, तितिक्खा अज्जवे सुई । सम्मदिट्ठी समाही अ, आयारे विणओवए ॥२॥धिई मई असंवेगे, पणिही सुविही संवरे। अत्तदोसोवसंहारो, सबकामविरत्तया ॥३॥पचक्खाणा विउस्सम्गे, अप्पमाए लवालवे। झाण संवर जोगे अ, उदए मारणंतिए।४॥संगाणं च परिण्णाए, पचिछत्तकरणे इय। आराहणा य मरणंते, बत्तीस जोगसंगहा ॥५॥ उजेणि अट्टणे खलु साहगिरि सोपारए अ पुहइबई। मच्छियमहडे दुराडकूविए फलिहमले अ॥६॥ दंतपुर दन्तचके | सञ्चवदी दोहले अवणयरए। धणमित्त धणसिरी अपउमसिरी चेव दढमित्ते ॥७॥ उजेणीए धणवसु अणगारे धम्मघोस चंपाए। अडपीए सत्य विभम बोसिरणं सिझणा चेव ॥८॥ महुराएँ जउणराया जउणावंके य दंडमणगारे। वहणं च कालकरणं सकागमणं च पव्वजा ॥९॥ पाटलिपुत्त महागिरि अजसुहत्थी य सेहि वसुभूती। बइदिसि उज्जेणीए जियपडिमा -एलकच्छं च ॥१३८०॥ खिति चण उसभ कुसगं रायगिहं चंप पाडलीपुत्त। नंदे सगडाले थूलभद सिरिए वररई य॥१॥ पइठाणे नागवसू नागसिरी नागदत्त पञ्चज्जा। एगविहारट्ठाणे 16 देवय साहू य मिडगिरे ॥२॥ कोसंवि अजियसेणे धम्मवसू धम्मघोस धम्मजसे। विगयभया विणयबई इड्ढि विभूसा य परिकम्मे ॥३॥ उजेणिऽवंतिवद्धण पालगसुय रहवदणे येव। स धारि(णि) अवंतिसेणे मणिप्पभो बच्छगातीरे ॥४॥ साएए पुंडरिए कंडरीए चेव देवि जसभदा। सावत्थि अजियसेणे कित्तिमई सुइडगकुमारो ॥५॥ जसभद्दे सिरिकता जयसंधी चेव कण्णपाले य। नट्टविही परिओसे दाणं पुच्छा य पवजा ॥६॥ सुठ्ठ वाइयं सुदलु गाइयं सुठु नश्चियं साम सुंदरि!। अणुपालिय दीहराइओ सुमिणते मा पमायए ॥७॥ इंदपुर इंददत्ते बावीस सुया सुरिंददत्ते य। महुराए जियसत्तू सयंवरो निव्वुईए उ ॥८॥ अग्गियए पव्वयए बहुली तह सागरे य बोद्धव्वे। एगदिवसेण जाया तत्व सुरिददत्ते य ॥९॥ चंपाएँ कोसियजो अंगरिसी रूहए य आणते। पंथग जोइजसाविय जम्भकरटाणे य(ण) संबोही ॥१३९०॥ सोरिअ सुरंपरेऽविय सिट्ठीय धणंजए सुभदा या वीरे य धम्मघोसे धम्मजसेऽसो. गपुच्छा य॥१॥ सोरिय समुहविजए जसजसे व जनदत्ते य। सोमित्ता सोमजसा उंछविही नारदुष्पत्ती ॥२॥ अणुकम्पा वेयड्ढे मणिकंचण वासुदेव पुच्छा या सीमंधर जुगवाहू जुगंधरे चेव महबाहू ॥३॥ साएयम्मि महाबल विमलपहे चेव चित्तकम्मे य (परिकम्मे)। निष्फत्ति छद्रुमासे भूमीकम्मस्स करणं च॥४॥ जयरं सुदसणपुरं सुमणाए मुजस सुपए वेव। परज सिक्खमादी एगविहारे य फासणया ॥५॥ पाइलिपुत्त हुयासण जलणसिहा चेव जलणडहणे या सोहम्म पलियपणए आमलकप्पाइ णविही ॥६॥ उजेणी अंपरिसी मालग तह निबए य पवजा। संक्रमणं च परगणे अविणय विणए य पडिवत्ती ॥७॥ नगरी य पंडुमहुरा पंडववंसे मई य सुमई या वारीवसभाहणे उप्पाइय सुद्वियविभासा ॥८॥ चंपाए मित्तपम धणमित्ते धणसिरी सुजाते य । पियंगुय धम्मघोसे अरक्सुरे चेव चंदसए॥९॥ चंदजसा रायगिहे वारत्तपुरे अभयसेण वारते। सुसुमार धुंधुमारे अंगारवई य पजोए 7 १२०९ आवश्यक सनियु- मूक्तिक मूलसूत्र, Forgiar मुनि दीपरनसागर %Akshay Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥। १४०० ॥ मरुयच्छे जिणदेवो मयंतमित्ते कुणालमिक्स् य पठाण सालवाहण गुग्गुलभगवं च जहवा (वाह) णो ॥ १ ॥ वारवई बेयरणी धन्वंतरि भविय अभविए विजे। कहणा य पुच्छि यमिय गइनिडेसे व संबोही ॥ २ ॥ सो वानरजूहवई कंतारे सुविहियाणुकंपाए। भासुरवरबोंदिधरो देवो वेमाणिओ जाओ ॥ ३ ॥ वाराणसीय कोट्ठे पासे गोवाल भदसेणे व नंदसिरी पउमसिरी रायगिहे सेणिए वीरो ॥ ४ ॥ बारवह अरहमित्ते अणुदरी चैव तहय जिणदेवो रोगस्स य उप्पत्ती पडिसेहो अत्तसंहारो ॥५॥ उज्जेणि देवलासुय अणुरता लोयणा य पउमरहो। संगय ओम ऽणुमइया असियगिरी अद्धसंकासा ॥ ६ ॥ कोडीवरिस चिलाए जिणदेवो रयणपुच्छ कहणा य साएए सनुंजे वीरकहणा य संगोही ॥ ७ ॥ वाणारसी य जयरी अणगारे धम्मघोस धम्मजसे । मासस्स व पारणए गोउल गंगा व अणुकंपा ॥। १४०८ ॥ करकंडु कलिंगेसुं. पंचालेसु य दुम्मुहो। नमी राया विदेहेसु. गंधारेसु य णगती ॥ २०९॥ भा० । वसभे य इंदकेऊ बलए अंबे य पुष्फिए बोही। करकंडु दुम्मुहस्सा नमिस्स गंधाररो य ॥२१०॥ भा० । सेयं सुजायं सुविभत्तसिंगं, जो पासिया वसभं गोडुमज्झे। रिद्धि अरिद्धिं समुपेहियाणं, कलिंगरायाचि समिक्ख धम्मं ॥ १ ॥ गोगणस्स मज्झे टेक्कियसद्देण जस्स भजंति। दित्तावि दरियवसहा सुतिक्ख सिंगा समत्यादि ॥ २॥ पोराणय गयदप्पो गलंतनयणो चलंत बस (ककु) भोडो। सो चेव इमो वसो पढ्यपरिघट्टणं सहइ ॥ ३ ॥ जो इंदकेउं समलंकियं तु दद्धं पडतं पविलुप्पमाणं रिद्धिं अरिद्धिं समुपेहियाणं, पंचालरायावि समिक्ख धम्मं ॥ ४ ॥ बहुवाणं सदयं सोचा, एगस्स य असद्दयं वलयाणं नमी राया, निक्खतो मिहिलाहिवो ॥ ५ ॥ जो व्यरुक्खं तु मणाहिरामं समंजरि पल्लवपुष्फचित्तं रिद्धि अरिद्धिं समुपेहियाणं, गंधाररायावि समिक्ख धम्मं ॥ २१६ ॥ भा० । जहा जलंबाई कट्ठाई, उवेहाइ चिरं जले। घट्टिया घट्टिया झत्ति, तम्हा सहसु घट्टणं ॥ १४०९ ॥ सुचिरंपि कुडाई होहित अणुपमजमाणाई करमहिदारुयाई गयंकुसागारमेंटाई ॥१४१०॥ रायगिह् मगहसुंदरि मगसिरी पउमसत्थपक्खेवो। परिहरिय अप्पमत्ता नहं गीयं नविय चुका ॥१॥ पत्ते वसंतमासे आमोअ पमोअए पचत्तंमि । मुत्तूण कण्णिआरए भमरा सेवंति चूअकुसुमाई ॥ २॥ मरुयच्छंमि य विजए नडपिडए वासवास नागघरे ठवणा आयरियस्सा सामायारीपउंजणया ॥३॥ नगरं च सिंगवण मुंडि (अ) त्रय अजपूसभूई य। आयावण पूसमित्ते सुद्दमे झाणे विवादो य ॥४॥ रोहीडगं च नयरं ललियागुडी य रोहिणी गणिया धम्मरुइ कटुअदुद्धियदाणाइयणे य कम्मुदए ||५|| नगरी य चंपनामा जिणदेवो सत्यवाह अहिछत्ता अडवी य तेण अगणी सावय संगाण वोसिरणा ॥ ६ ॥ पायच्छित्तपरूवण आहरणं तत्थ होइ घणगुप्ता आराहणाऍ मरुदेवा ओसप्पिणीए पढमसिद्धो ॥ १४१ ॥ । जोगसंगहा। तेत्तीसाए आसायणाहिं सू०१८) पुरओ पक्खाऽऽसने गंता चिटुण निसीयणाऽऽयमणे । आलोयण पडिसुणणा पुालवणे य आलोए ॥६८॥ ( संग०) तह उपदंस निमंतण खढाइयणे तह य अपडिमुणणे । खद्धति य तत्थ गए कि तुम तजाइ जो सुमणे ॥९॥ णो सरसि कहं छेत्ता परिसं भित्ता अणुट्टियाइ कहे। संथारपायघट्टण चिट्ठे उच्चासणाईस (च्चसमासणे यावि) ॥७०॥ अहवा अरिहंताणं आसायणादि सज्झाएँ किंचि नाहीये जा कंठसमुद्दिद्वा तेत्तीस सायणाए या (हाँति ) ॥ ७१ ॥ (संग०) पडिकमणसंग्रहणी ॥ अरिहंताणं आसायणाए सि वाणं आसायणाए आयरियाणं आसायणाए उवज्झायाणं आसायणाए साहूणं आसायणाए साहुजीणं आसायणाए साबयाणं आसायणाए सावियाणं आसायणाए देवाणं आसायणाए देवीणं आसायणाए इहलोगस्स आसायणाए परलोगस्स आसायणाए केवलिपन्नत्तस्स धम्मस्स आसायणाए सदेवमणुयासुरस्त लोगस्स आसायणाए सवपाणभूयजीवसत्ताणं आसायगाए कालस्स आसायणाए सुबस्स आसायणाए सुयदेवयाए आसायणाए वायणायरियस्स आसायणाए [सू० १९ । जं वाइदं वच्चामेलियं हीणक्खरं अचक्खरं पयहीणं (चिणयहीणं घोसहीणं जोगीणं) सुरु दिनं दुद पडिच्छियं अकाले कओ सज्झाओ काले न कओ सज्झाओ असज्झाइए सज्झाइयं सज्झाए न सज्झाइयं तस्स मिच्छामि दुकडं [सू० २० | देवादीयं लोयं विवरीयं भणइ सत्त दीवुदही तह कइ पयावईणं पयईपुरिसाण जोगो वा ॥ २१७ ॥ भाष्यं उत्तरं सत्तसु परिमिय सत्ता मोक्खो सुण्णत्तणं पयावइ य केण कउत्तगवत्था पयडीए कहूं पवित्तित्ति ? ॥८॥ जमचेयणत्ति पुरिसत्थनिमित्तं किल पवत्तत्ती सा य तीसे चिय अपविती परोति स चिय विरुद्धं ॥ २१९ ॥ भा० । असज्झाइयनिज्जुत्ति वृच्छामी धीरपुरिसपण्णत्तं । जं नाऊण सुविहिया पवयणसारं उवलहंति ॥ १४१८॥ अस्सज्झायं तु दुविहं आयसमुत्थं च परसमुत्वं च जं तत्य परसमुत्यं तं पंचविहं तु नायहं ॥ ९ ॥ संजमघाउप्पा(वधा) ए सादिशे वुग्गहे य सारीरे घोसणय मिच्छरण्णो कोई छलिओ पमाएणं ॥ १४२० ॥ मिच्छभय घोसण निवे हियसेसा ले उ दंडिया रण्णा एवं दुहओ दंडो सुर पच्छित्ते इह परे अ ॥ १ ॥ राया इह तित्थयरो जाणवया साहु घोसणं सुत्तं । मेच्छो अ असज्झाओ रयणधणाई व नाणाई ॥ २ ॥ थोवावसेसपोरिसिमज्झयणं वावि जो कुणइ सो उ णाणाइसारसहियस्स तस्स छलणाउ संसारो ॥ ३ ॥ महिया अभिनवाले सच्चित्तरए अ संजमे तिविहं। दवे खित्ते काले जहियं वा जचिरं सवं ॥ ४ ॥ दुग्गाइतोसियनिवो पंचन्हं देइ इच्छियपयारं । गहिए अ देइ मुर्ख जणस्स आहारवत्थाई ॥ ५ ॥ इक्केण तोसियतरो गिमगिहे तस्स सहहिं वियरे। रत्थाईसु चउन्हं एवं पढमं तु सवत्थ ॥ ६ ॥ महिया उ गन्धमासे सच्चितरओ अ १२१० आवश्यक सनिर्यु- सूक्तिकं मूलसूत्रं न, अन्ययो-४ मुनि दीपरत्नसागर क Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - सिआर्यचो। वासे तिचि पयारा बमजतबज फसिए अ॥२२०॥दसतं पिय व खिसे जहियं त जचिरं काले। ठाणा भास भावे मन उस्सास उम्मेसे ॥१॥ भाष्यं । वासत्ताणाबरिया निकारण ठंति कणि जयणाए। हत्थत्यंगुलिसमा पुत्तावरिया व भासंति ॥ ७॥ पंसू य मंसरुहिरे केससिलावुट्टि तह रउग्घाए। मंसरहिरे अहोरत्त अबसेसे जचिरं मुत्तं ॥८॥ पंसू अचित्तरओ स्सस्ससओ दिसा रउग्धाओ। तस्य सवाए निधायए य मुक्तं परिहरंति ॥९॥ साभाविय तिचि दिणा सुगिम्हए निक्खिवंनि जड जोगं । तो तंमि पडतंमी करति संबच्छरझायं ॥१४३० ॥ गंधपदिसापिनुकगजिएजूअजक्खालिने। इफिक पोरिसी गजियं तु दो पोरिसी हणइ॥१॥ दिसिदाह छिपमूलो उक सरेहा पगासजुना वा। संझाछेयावरणो उ जुवओ सुकि दिण तिमि ॥२॥केसिंचि हुँतिऽमोहा उ जुनओ ता य इति आइन्ना। जेसिं तु अणाइमा तेसि किर पोरिसी तिनि॥३॥ चंदिमसमवरागे निग्घाए गुजिए चउ पाडिवया जं जहिं सुमिम्हए नियमा॥४॥ आसाढी रंदमहो कत्तिय सुगिम्हए य बोदके। एए महामहा खल एएसिं चेव पाडिवया ॥५॥ काम सुओवओगो नवोवहाणं अणुनरं भणियं । पडिसेहियंमि काले तहावि खलु कम्मबंधाय ॥६॥ छलया व सेसएणं पाडिवएसु छणाऽणुसजंति। महयाउलनणेणं असारिआणं च सम्माणो ॥ ७॥ अन्नयरपमायजुर्य उलिज अप्पिढिओ न उण जुत्त। अद्धोदहिट्टिई पुण छलिज जयणोवउत्तंपि॥८॥ उक्कोसेण दुवालस चंदु ज ण पोरिसी अट्ठ। सूरो जहन बारस पोरिसी उकोस दो अट्ठ॥९॥ सरगह निबुइड एवं सूराई जेण हुतिहारत्ता। आइषं दिणमुके सुञ्चिय दिवसो अराई य॥१४४०॥ बुग्गह दंडियमादी सखोह दंडिए य कालगए। अणरायए य सभए जचिर निदोषऽहोरतं ॥१॥ सणाहिबईभोइयमयहरपुंसिस्थिमजुद्धे या लोट्टाइभंडणे वा गुज्झग उड्डाहमचियत्तं ॥शातदिवसभोइआई अंतो सतह जाय समाओ। अणहस्स य हत्यसयं दिदि विवित्तमि मुदं तु ॥३॥ मयहर पगए बहुपक्खिए य सत्तघरजंतरमए वा (यमि)। निदुक्खनि य गरिहा न पढ़ति सणीयगं बावि ॥ ४॥ सागारियाइकहणं अणिच्छ रति वसहा विगिचंति। विक्खित्ते व समंता जं दिट्ठ सयरे सुदा ॥५॥ सारीरपि य दुविहं माणुस तेरिच्छियं समासेण । तेरिच्छे तत्थ तिहा जलथलखहजं चउदा उ॥६॥ पंचिदियाण दरे खेत्ते सट्ठिहस्थ पुग्गलाइ । ति कुरत्थ महंतेगा नगरे बाहिं तु गामस्स ॥ ७॥ काले तिपोरसिऽट्ट व भावे सुत्तं तु नंदिमाईय। सोणिय मंस चम्मं अट्ठीविय हुँति चत्तारि ॥८॥ अंतो पहिच धो सहित्थाउ पोरिसी तिमि । महकाएं अहोरत्तं रखे बूढे असुदं तु ॥९॥ बहियोयरद्वपके अंतो धोए उ अवयवा हुंति। महकाय बिरालाई अविभिन्न केइ इच्छंति ॥१४५०॥ मूसाइ महाकायं मजाराईहयाघयण केई। अविभिन्ने गिण्हेउं पढ़ति एगे जइऽपलोओ (इपलाइ)॥२२२शामा। अंतो बहिं च भिन्नं अंडगबिंदू तहा विआया आरायपह बूट र मुद्दे परवयणे साणमादीणं ॥१॥अंडगमुजिमय कप्पेनय भूमि खणंविइहरहा तिन्नि असज्झायपमाण मच्छियपाओ जहिं (न) बरडे॥२२३भाका अजराउ तिनि पोरिसि जराउआणं जरे पडे तिनि । रायपह बिंदु पडिए कप्पइ बूढे पुणऽनत्य ॥४॥ जइ फुसइ तहिं तुंई अहबा लिच्छारिएण संचिस्खे। इहरा न होइ चोयग! वन वा परिणय जम्हा ॥२२५।। माणुसर्य चउदा अढि मुत्तूण सयमहोरत्तं । परिआवन्नविवन्ने सेसे तिय सत्त अट्टेव ॥१४५२॥ स्तुकडा उ इत्थी अट्ठ दिणा तेण सत्त सुकहिए। तिन्नि दिणाण परणं अणोउगंतम्मऽहोरत्तं ॥३॥ दंते दिहि बिगिचण सेसट्ठी बारसेव वासाई। झामिय बूढे सीआण पाणरूदे य माइहरे ॥४॥सीयाणे जं दिट्ट(दइड) तं तं मुत्तूणऽनाहनियाणि । आडंबरे य रूहे माइसु हिट्टिया चार ॥५॥ आवासियं च बूढं सेसे दिट्ठमि मग्गण विवेगो। सारीर गाम वाडग साहीइ न नीणियं जाव ॥६॥ असिवोमाघायणेसुं बारस अविसोहियमि न करंति। झामिय बूढे कीरइ आवासिय सोहिए चेव ॥२२६|भा०ाडहरगवाममए वा न करेंती जा णनीणिय होइ।पुर गामेव महंते वाडगसाही परिहती।२२७॥ भा०ा निजतं मुसूर्ण परवयणे पुष्फमाइपडिसेहो। जम्हा चउप्पगारं सारीरमओ न वजंति ॥७॥ एसो उ असज्झाओ ताजिउज्झाउ तन्थिमा मेरा । कालपडिलेहणाए गंडगमएहिं दिटुंतो ॥८॥ पंचविहअसज्झायस्स जाणणट्ठाय पेहए कालं। चरिमा चउभागवसेसिसाइ भूमि तओ पेहे ॥९॥ अहियासियाई अंतो आसन्ने चेव मज्झि दूरे या तिमेव अणहियासी अंतो उच्छच्च वाहिरओ॥१४६०॥ एमेव य पासवणे वारस चउवीसति तु पेहेत्ता। कालस्स य तिन्नि भवे अह सूरो अत्यमुवयाई ॥१॥ अह (जइ) पुण निघाघाओ आवासं तो करंति सवेऽवि। सड्ढाइकहणवाघाययाइ पच्छा गुरू ठंति॥२॥ सेसा उ जहासतिं आपुच्छित्ताण ठति सहाणे। सुत्तत्वहरणहेउं आयरिएँ ठियंमि देवसियं ॥३॥जो हुज उ असमत्यो बालो बुड्ढो गिलाण परितं(सं)नो । सो विकहाइविरहिओ अच्छिजा निजरापेही॥४॥ आवासगं तु काउंजिणोबइई गुरूवएसेणं । तिणि थुई पडिलेहा कालस्स इमो विही तत्थ ॥५॥ दुविहो उहोइ कालो वाघाइम एतरो य नायत्रो। वाघातो घंघसा| लाएँ घट्टणं सड्ढकहणं वा ॥६॥ वाघाए तहओ सिं दिजइ तस्सेव ते निवेएंति। इयरा पुच्छति दुवे जोगं कालस्स घेच्छामो ॥७॥ आपुच्छण किहकम्मे आवासिय पडियरिय (ललिय पडिय) वाघाते। इंदिय दिसा अ तारा वासमसज्झाइयं चेच ॥८॥ जइ पुण गच्छंतार्ण छीयं जोई न(च)तो नियत्तेति। निशाधाए दोषिण उ अच्छंति दिसा निरिक्खंता ॥९॥ १२११आवश्यकं सनियु- सूक्तिक मूलसूत्रं, निति , मुनि दीपरत्नसागर 18 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झायमचिंतता कणगं बट्टण पडिनियत्तंति। पले अ दंडधारी मा बोलं गंडए उवमा ॥१४७०॥ आघोसिए बहहिं सुयंमि सेसेसु निवडए दंडो। अह तं बहुहिं न सुयं दंडिज्जइ । गंडओ ताहे ॥१॥ पियधम्मो ददधम्मो संविग्गो चेव बजभीरू अ। खेयण्णो अ अभीरू कालं पडिलेहए साह ॥२॥ कालो संझा य नहा दोवि समापंति जह समं चेवा नहतं तुलेति कालं चरिमं च दिसं असम्झाए ॥३॥ आउत्तपुब्वभणियं अणपुच्छा खलियपडियवाघाओ। भासत मूढ संकिय इंदियविसए तु अमणुण्णे ॥ ४॥ निसीहिया नमुकारे काउस्सग्गे अ पंचमंगलए। किइकम्मं च करिन्ती बीओ कालं तु पडियरइ ॥ ५॥ योवावसेसियाए संझाए ठानि उत्तराहुनो। चउदीसगदुमपुफियपुश्वगमेकेकिय दिसाए॥६॥ बिंदू छीए परिणय सगणे वा संकिए भवे निण्हं। भासंत मूढ संकिय इंदियविसए अ अमणुपणे ॥७॥ मूढो व दिसिऽज्झयणे भासतो यावि गिण्हनि न सुज्झे । अन्नं च दिसऽज्झयणे संकेतोऽनिविसए वा ॥८॥ जो गच्छतंमि विहीं आगच्छंतमि होइ सो चेवाजं एत्थं णाणत्तं नमहं बोच्छं समासेणं ॥ ५॥ निसीहिआय आसज अकरणे खलिय पडिय वाघाए। अपमजिय भीए वा छीए छिमेव कालवहो ॥२६॥प्रसिद्धसेना गोणाइ कालभूमीइ हुन संसप्पगा व उद्विजा । कविहसिय विज्जयंमी गजिय उक्काइ कालवहो ॥२७॥ इरियावहिया हत्यंतरेऽवि मंगल निवेयणा दारे।सोहिवि पट्टविए पच्छा करणं अकरणं वा॥१४८०॥ सनिहियाण वडारो पट्टविय पमादि णो दए कालं। बाहि ठिए पडियरए पविसइ ताएऽवि दंडधरो॥१शा पट्टविय बंदिए वा (य)तहिं पुच्छति केण किं सुर्य? भने । नेवि य कहेंनि सवं जं जेण मुयं व दिटुं वा ॥२॥ इक्कम्स व दोण्ह व संकियंमि कीरइ न कीरती तिण्हं । सगणमि संकिए परगणं तु गंतुं न पुच्छति ॥३॥ कालच उक्के णाणत्तगं तु पाओसियंमि सबेवि । समयं पट्टवयंती सेसेसु समं व विसमं वा ॥४॥ इंदियमाउत्ताणं हणंनि कणगा उ तिन्नि उकोसं । बासासु य निनि दिसा उउबदे नास्गा निधि ॥५॥ कणगा हर्णति कालं ति पंच सत्तेव गिम्हि सिसिर वासे। उक्का उ सरेहागा रेहारहितो भवे कणगो॥६॥ वासासु य तिनि दिसा हवंनि पाभाइयंमि कालंमि। सेसेसुतीसु चउरो उडुमि चउरो चउदिसिपि ॥ ७॥ तिसु तिनि तारगाओ उडुमि पाभातिए अदिट्टेऽवि। वासामु तारगाओ चउरो छन्ने निविट्ठोऽवि ॥८॥ठाणा(गा)सइ बिंदुसु अगिण्हे बिट्टोवि पच्छिमं कालं। पडियरइ बहिं एक्को एक्को अंतडिओ गिण्हे ॥९॥ पाओसिअड्ढरले उत्तरदिसि पुत्र पेहए कालं। वेरत्तियंमि भयणा पुत्रदिसा पच्छिमे काले ॥१४९०॥ कालचउकं उक्कोसएण जहन्न तियं तु बोद्धई। बीयपएणं तु दुगं मायामयविप्पमुक्काणं ॥१॥ फिडियंमि अड्ढरने काले चिनुं सुवंति जागरिया। ताहे गुरू गुणंती चउस्थि सो गुरू सुबइ ॥२॥ गहियंमि अड्ढरते वेरनिय अगहिए भवइ तिनि। बेरलियअड्ढरते अइउवओगा भवे दुषिण ॥३॥ पडिजग्गियंमि पढमे बीयविवजा हवंति निन्नेव । पाओसिय वेरनिय अइउवओगा उ प्रणेव)॥४॥ पाभाइयकालंमि उसंचिक्खे तिनि छीयरुन्नाणि। परवयणे खरमाई पाचासुय एवमाईणि ॥५॥ नवकालवेल सेसे उवग्गहिय अट्ठ या पडिकमइन पडिकमइ बेगो नववारहए धुवमसज्झाओ ॥२२८॥ भा०ाइकिक तिन्नि वारे छीयाइहयंमि गिण्हए कालं। चोएइ खरोबारस अणिट्ठविसए अकालवहो ॥९॥ चोअग! माणुसऽणिट्टे कालवहो,सेस. गाण उ पहारो। पावासुआइ पुर्वि पनवणमणिच्छि उग्घाडे ॥२३०॥ वीसरसह अंते अबत्तगडिभगंमि मा गिण्हे । गोसे दरपट्टविए छीए छीए तियं पेहे ॥२३१॥ भा० आइन्न पिसिय महिया पेहिता तिन्नि तिन्नि ठाणाई। नववारहए काले हउत्ति पढमाइ न पढ़ति ॥ ६॥ पटुचियमि सिलोगे छीए पडिलेह तिन्नि अन्नत्य। सोणियमुनपुरीसे घाणालोअं परिहरिजा ॥७॥ आलोअंमि चिलमिणी गंधे अन्नस्थ गंतु पकरंति। वाघाइयकालमी गंडगमरुआ नवरि नस्थि ॥८॥ एएसामन्नवरेऽसज्झाए जो करेइ सज्झायं। सो आणा अणवत्थं मिच्छन विराहणं पावे ॥९॥ आयसमुत्थमसज्झाइयं तु एगविध होइ दुविह वा। एगविहं समणाणं दुविहं पुण होइ समणीणं ॥१५००॥ धोयंमि उ निप्पगले बंधा तिन्नेय ९ति उक्कोस । परिगलमाणे जयणा दुविहमि य होइ कायना ॥१॥समणो उ वणिव (णीव) भगंदरिव (रीव) बंध करिनु वाएइ। तहवि गलंते छारं दाउं दो तिन्नि बंधा उ॥२॥ एमेव य समणीर्ण वर्णमि इयरंमि सत्त बंधा उ। वहविय अठायमाणे धोएउं अहब अन्नस्थ ॥३॥ एएसामन्नयरेऽसज्झाए अप्पणो उ सज्झाय। जो कुणइ अजयणाए सो पाया आणमाईणि ॥४॥ मुअनाथमि अ लोअविरुद पमत्तछलणा य। विजासाहणवइगुन्नधम्मया एच मा कुणसु ॥५॥ काम देहावयवा देताई अवजुआ तहवि बजा। अणवज्जुआ न वजालोए तह उनरे चेव भ॥६॥ अमितरमललित्तोवि कुणइ देवाण अञ्चणं लोए। बाहिरमललित्तो पुण न कुणइ अवणेइ य तओ णं ॥७॥ आउट्टियाऽवराहं संनिहिया न खमए जहा पडिमा। इह परलोए दंडो पमत्तछलणा इह सिया उ॥८॥ रागेण व दोसेण वऽसज्झाए जो करेड सज्झायं। आसायणा व का से? को बा भणिओ अणायारो? ॥९॥ गणिसहमाइमहिओ रागे दोसंमिन सहए (दहे)सई । सबमसज्झायमर्य एमाई हुँति मोहाओ॥१५१०॥ उम्मायं वलभेजा रोगायक व पाउणे दीहं । तित्थयरभासियाओ भस्सइ सो संजमाओ वा ॥१॥ इहलोए फलमेयं | परलोएं फलं न दिति विजाओ। आसायणा सुयस्स उ कुबइ दीहं च संसारं ॥२॥ असज्झाइयनिजुत्ती कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ना। संजमतवड्ढगाणं निग्गंथाणं महरिसीणं ॥३॥ असझाइयनिजुति जुजता चरणकरणमाउत्ता। साहू खवेंति कम्म अणेगभवसंचियमणतं ॥४॥ असज्झायनिजुत्ती॥ नमो चउवीसाए तित्थगराणं उसमादिमहावीरपज्जवसाणाणं। 8 १२१२ आवश्यक सनियु- सूक्तिक मूलसूत्र, Torg/lem + kta मुनि दीपरनसागर Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सू०२१ इणमेव निग्गंर्थ पावयणं सचं अणुत्तरं केवलियं पडिपुण्णं नेआउयं संसुदं सलगत्तणं सिद्धिमग मुत्तिमग्गं निजाणमग्गं निशाणमगं अवितहमविसंधि सञ्चदुक्खप्पहीणमम्गं इत्थं ठिया जीवा सिझति बुज्झति मुचंति परिनिवायति सजदुक्खाणमंत करेंति सू०२रात धम्म सहहामि पत्तियामि रोएमि फासेमि (पालेमि)अणुपालेमि तं धम्म सदहतो पत्तिअंतो रोयंनो फासंनो (पात्रो) अणुपान्तो नस्स धम्मस्स (केवलिपन्नत्तस्स) अन्भुडिओ मि आराहणाए विरओ मि विराहणाए असंजमं परिआणामि संजमं उपसंपज्जामि अचंभ परिक्षा. णामि बर्भ उवसंपजामि अकप्पं परियाणामि कप्यं उवसंपजामि अण्णाणं परिआणामि नाणं उवसंपजामि अकिरियं परियाणामि किरियं उपसंपज्जामि मिच्छत्तं परियाणामि सम्मत्तं उपसंपजामि अबोहि परिआणामि बोहिं उपसंपजामि अमग परियाणामि मग उवसंपज्जामि । ०२३१ ज संभरामि जं च न संभरामि जं पटिकमामि जंचन पडिकमामि तस्स सबस्स देवसियस्स अइयारस्स पडिकमामि समणोऽहं संजयविरयपडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे अनियाणो दिद्विसंपण्णो मायामोसविवजिओ । मु.२४) अढाइजेसु दीवसमुहेसु पारसमु कम्मभूमीसु जावंत केई साहु स्यहरणगुच्छपडिग्गहधारा पंचमहत्वयधारा अट्ठारससहस्ससीलंगधारा अक्खयायारचरित्ता ते सो सिरसा मणसा मत्थएण बंदामि । सू० २५॥ 'खामेमि सबजीवे, सोजीचा खमंतु मे।मेती मे सबभूएसु, वरं ममं न केणइ ॥८॥ सूत्रगा|एवमहं आलोइय निन्दिय गरहिय दगंछियं सम्मतिविहेण पडिकतो वदामि जिणे चउवीस । सूत्रगा०९॥पडिक्कमणझयणं ४॥आलोयण पडिकमणे मीस विवेगे तहा विउस्सग्गे । तब छेय मूल अणवट्ठया य पारंचिए चेष॥१५१५॥ दुविहोकायंमि वणो तदुम्भवागंतुओ यणायो। आगंतुकस्स कीरइ साइबरणं न इयरस्स ॥६॥ तणुओ अतिक्खतुंडो असोणिओ केवलं तए(या)लग्गो। उदरिउँ अवउज्म(णिज)ति सलोन मलिजावणो उ ॥ ७॥ लग्गुद्धियंमि बीए मलिजद परमअदूरगे साते। उदरणमलणपूरण दूरवरगए तइयगंमि ॥८॥ मा वेअणा उ तो उद्धरितु गालंति सोणिय चउत्थे। जाइ लहुंति चिट्ठा वारिजह पंचमे पणिणो ॥९॥ रोहेइ वणं उद्धे हियमियभोई य मुंजमाणो वा। तित्तिअमित्तं छिजद सत्तमए पूइमसाइ ॥१५२०॥ तहविय अठायमाणो गोणसखइआइ रुप्फए पावि। किरह तवंगच्छेओ सअडिओ सेसरक्खट्ठा ॥१॥ मूलत्तरगुणरुवस्स ताइणो परमचरणपुरिसस्स। अबराहसलपभवो भाववणो होइ नायत्रो ॥ प्र०२८॥ भिक्खायरियाइ सुज्झाइ अइयारो कोइ वियडणाए उ। पीओ असमिओमित्ति कीस सहसा अगुत्तो वा ? ॥२॥ सदाइएसु रार्ग दोसं च मणा गओ तइयगंमि। नाउँ अणेसणिजं भत्ताइविगिचण चउत्थे ॥३॥ उस्सरोणपि सुसाइ अइयारो कोइ कोइ उ तवेणं । तेणवि असुजामाणं डेयविसेसा विसोहिति ॥४॥ निक्खेवेगविहाणमम्गणाकालभेयपरिमाणे । असढसढे विहिदोसा कस्सत्ति फलं च दाराई ॥५॥ काए उस्सगंमि दुनि उविगप्पा। एएस दुण्हपी पत्तय परुवर्ण बुच्छ ॥२३२शाभानकायस्स उ निक्खेवोबारसओ छकओ य उस्सगे। एएसित पयाण पत्तेय परुवर्ण वच्छ॥६॥ नाम । 2ठवण सरीरे गई निकायस्थिकाय दविए ये। माउय संगह पजय भारे तह भावकाए य ॥७॥ काओ कस्सह नाम कीरह देहोवि बुच्चई काओ। कायमणिओवि बुबह पदमवि निका- यमाहंसु ॥८॥ अक्खे बराडए वा कडे पुत्थे य चित्तकम्मे य। सम्भावमसम्भावे ठवणाकार्य वियाणाहि ॥९॥ लिप्पगहत्थी हस्थित्ति एस सम्भाविया भवे ठवणा। होइ असम्भावे पुण |हत्यित्ति निरागिई अक्खो ॥१५३०॥ओरालियवेउवियआहारगतेयकम्मए चेव। एसो पंचविहो खलु सरीरकाओ मुणेयको ॥१॥ चउसुवि गईसु देहो नेहयाईण जो स गहकाओ। | एसो सरीरकाओ विसेसणा होइ गइकाओ०२९॥ जेणुवगहिओवचइ भवंतरं जञ्चिरेण कालेण। एसो खलु गइकाओ सतेयगं कम्मगसरीरं ॥२॥ निययमहिओ व काओ जीवनिकाओ निकायकाओ य। अस्थिति बहुपएसा तेणं पंचस्थिकाया उ ॥३॥ जंतु पुरक्खडभावं दवियं पच्छाकडं व भावाओ। त होइ दबदवियं जह भविओ दवदेवाई ॥२३३॥ भा०। जह अस्थिकायभावो अप(इय)एसो हुज अस्थिकायाण । पच्छाकडुन तोते हविज दवस्थिकाया व ॥२३४|| भा०। तीयमणागयभावं जमस्थिकायाण नस्थि अस्थित्तं । तेन र केवलएK नत्थी दवस्थिकायत्तं ॥४॥ कामं भवियसुराइसु भावो सो चेव जत्थ वद्देति। एस्सो न ताव जायइ तेन र ते दवदेवृत्ति ॥५॥ दुहओऽणंतररहिया जइ एवं तो भवा अणनगुणा। एगस्स एग| काले भवा न जुजति उ अणेगा ॥६॥ दुहओऽर्णतरभवियं जह चिट्ठाइ आउअं तुजं बद्धं । हुजियरेसुवि जइ तं दवभवा हुज तो तेऽवि ॥ ७॥ संझासु दोसु सूरो अदिस्समाणोऽवि पप्प समईयं। जह ओभासइ खित्तं तहेब एयंपि नायत्रं ॥८॥ माउयपयंति नेमं नवरं अन्नोवि जो पयसमूहो। सो पयकाओ भन्नइ जे एगपए बहू अत्था ॥२३५॥ भाग संगहकाओ णेगाऽवि जत्थ एगवयणेण पिप्पंति। जह सालिगामसेणा जाओ वसही (ति) निविद्रुत्ति॥९॥पज्जवकाओ पुण हुंति पजवा जत्थ पिंडिया बहवे। परमाणुमिविकमिवि जह वन्नाई अर्णतगुणा ॥१५४०॥ एको काओ दुहा जाओ एगो चिट्ठइ एगों मारिओ। जीवंतो मएण मारिओ तं लव माणब ! केण हेउणा?॥१॥ दुग तिग चाउरो पंचव भावा बहुआ व जत्य बटुंति। सो होइ भावकाओ जीवमजीवे विभासा उ ॥२॥ काये सरीर देहे बुंदी यचय उवचए य संघाए। उस्सय समुस्सए वा कलेवरे भत्थ तणु पाणू ॥३॥ नामं ठवणा दपिए खित्ते श१२१३ आवश्यकं सनियु- सूक्तिकै मूलसूत्रं, yिari+ 2017 मुनि दीपरत्नसागर Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काले तहेव भावे य। एसो उस्सग्गस्स उ निक्खेवो छपिहो होइ॥४॥ दब्बुज्झणा उजं जेण जत्य अवकिरह दवभूओ वा। जं जत्थ वावि खित्ते जं जचिर जंमि वा काले ॥५॥ भावे पसत्यमियरं जेण व भावेण अवकिरइ जंतु। अस्संजमं पसत्ये अपसत्ये संजमं चयइ ॥६॥ खरफरुसाई चेयणमचेयणं दुरभिगंधविरसाई। दवियमवि चयइ दोसेण जेण भावुज्झणा सा उ॥७॥ उस्सम्म विउस्सरणुज्झणा य अवगिरण छड्डण विवेगो । वजण चयणुम्मुअणा परिसाडण साडणा चेव ।।८।। उस्सग्गे निक्खेवो चउकओ छकाओ अ कायो । निक्खे काऊणं परूवणा तस्स कायवा ॥ ३० ॥ सो उस्सग्गो दुविहो चिट्ठाए अभिभवे य नायशो। भिक्खायरियाइ पढमो उक्सग्गभिजुंजणे विइओ ॥ ९॥ इयरहविता न जुज्जइ अभिओगो किं पुणाइ उस्सग्गे?। नणु गवेण परपुरं अभिरुज्झइ एवमेयंति(पि) ॥१५५०॥ मोहपयडी भयं अभिभवित्तु जो कुणइ काउसम्गं तु। भयकारणे य तिविहे णाभिभवो नेव पडिसेहो ॥१॥ आगारेऊण परं रणिव जह सो करिज उस्सगं। ज़ुजिज्ज अभिभवो ता तदभावे अमिभवो कस्स? ॥२॥ अविपि य कम्मं अरिभूयं तेण तज्जयट्ठाए। अन्भुढ़िया उ तवसंजमंमि कुवंति निम्गंधा ॥३॥ तस्स कसाया चत्तारि नायगा कम्मसत्तुसिनस्स। काउस्सग्गमभगं करंति तो तजयट्ठाए॥४॥ संवच्छरमुक्कोसं अंतमुहुत्तं च अभिभवुस्सग्गे। चिट्ठाउस्सग्गस्स उ कालपमाणं उवरि वुच्छं ॥ ५॥ उसिउस्सिओ अ तह उस्सिओ अ उस्सियनिसमओ चेव । निसनुस्सिओं निसन्नओ चेव निसन्नगनिसन्नओ चेव ॥६॥ निवणुस्सिओ निवन्नो निवन्ननिवन्नगो अनायो। एएसिं तु पयार्ण पत्तेय परूवर्ण बुच्छ॥७॥ उस्सिअ निसन्नग निवन्नगे य इकिकगंमि उ पयंमि। दवेण य भावेण अ चउकभयणा उ कायदा ॥८॥ देहमहजडसुदी सहदुक्खतितिक्खया अणुप्पेहा। सायद य सुहं झार्ण एगग्गो काउसग्गंमि ॥९॥ अंतोमुत्तकालं चित्तस्सेगग्गया हबइमाणं। तं पुण अहूं रुई धम्मं सुकं चं नाय ॥१५६०॥ तत्थ य दो आइल्ला झाणा संसारखढणा भणिया। दुन्नि य विमुक्खहेऊ वेसिऽहिगारोन इयरेसिं॥१॥ संवरियासवदारा अवाबाहे अर्कटए देसे। काऊण थिरंथ ठाणं ठिओ निसन्नो निवन्नो वा ॥२॥ चेयणमचेयणं वा वत्यु अवलंबिउं घणं मणसा । झायइ सुअमत्थं वा दवियं तप्पजए वावि ॥३॥ तत्थ उ भणिज्ज कोई झाणं जो माणसो परीणामो। तं न हवद जिणदिट्ट झाणं तिविहेवि जोगंमि ॥४॥ वायाईधाऊणं जो जाहे होइ उकडो धाऊ । कुविओत्ति सो पवुचइ न य इयरे तत्थ दो नस्थि ॥५॥ एमेव य जोगार्ण तिण्हवि जो जाहि उकडो जोगो (होइ)। तस्स तहिं निदेसो इयरे तत्थिक दोव नवा ॥६॥ काएविय अज्झप्पं वायाइ मणस्स चेव जह होइ । कायवयमणोजुत्तं तिविहं अज्झप्पमाहंसु S॥७॥ जइ एगग्गं चित्तं धारयओ वा निरंभओ वावि। साणं होइ नणु तहा इअरेसुवि दोसु एमेव ॥८॥ देसियदंसियमग्मो वचंतो नरखई लहे सह। रायत्ति एस बच्चइ सेसा अणुगा मिणो तस्स ॥९॥ पढमिळूयस्स उदए कोहस्सिअरेवि तिमि तत्थत्तिान य ते ण संति तहियं न य पाहन्नं तहेयंमि ॥१५७०॥मा मे एजउ काउत्ति अचलओ काइज हवद झाणं। एमेव य माणसियं निरुतमणसो हवद साणं ॥१॥ जह कायमणनिरोहे साणं वायाइ जुज्जइन एवं। तम्हा बई उ झाणं न होइ को या विसेसुत्थ? ॥२॥ मा मे चलउत्ति तणू जहतं झार्ण निरेइणो होइ । अजयाभासविवजस्स वाइअं झाणमेवं तु ॥३॥ एवंविहा गिरा मे वत्तव्वा एरिसा न वत्तव्वा । इय वेयालियवकस्स भासओ वाइयं झाणं ॥४॥मणसा वावारंतो कार्य वायं च तप्परीणामो। भंगिअसुअं गुणतो वहइ तिविहेवि झाणमि ॥५॥ धम्मं सुकं च दुवे झायइ झाणाई जो ठिओ संतो। एसो काउस्सग्गो उसिउसिओ होइ नायवो॥६॥धम्मं सुकं च दुवे नवि झायइ नवि य अहरुदाई। एसो काउस्सग्गो बुसिओ होइ नायबो॥७॥ पयलायंत सुसुत्तो नेव सुहं झाइ झाणमसुहं बा। अशावारियचित्तो जागरमाणोवि एमेव ॥८॥ अचिरोववन्नगाणं मुच्छियअवत्तमत्तसुत्ताणं । ओहाडियमव्वत्तं च होइ पाएण चित्तंति ॥९॥ गाढालंबणलगं चित्तं बुत्तं निरयणं झाणं। सेसं न होइ झाणं मउअमवत्तं भमंतं वा ॥१५८०॥ उम्हासेसोवि सिही होउं लबिंधणो पुणो जलइ। इय अवत्तं चित्तं होउं वत्तं पुणो होइ॥१॥ पुर्वचनं तदुत्तं चित्तस्सेगग्गया हवइ झार्ण। आवन्नमणेगमगं चित्तं चिय तं न तं झाणं ॥२॥ मणसहिएण उ काएण कुणइ वायाइ भासई जं च। एयं च भावकरणं मणरहियं दबकरणं च ॥३॥ जइ ते चित्तं साणं एवं प्राणमवि चित्तमावन्नं । तेन र चित्तं झाणं अह ने झाणमन्नं ते ॥४॥ नियमा चित्त झाणं झाणं चित्तं न यावि भइयर्थ। जह खइरो होइ दुमो दुमो य खहरो अखयरो वा ॥५॥ अहूं कई च दुवे झायइ झाणाई जो RI ठिओ संतो। एसो काउस्सग्गो दसिओ भावउ निसन्नो ॥६॥ धम्म सुकं च दवे झायड झाणाई जो निसलो असो काउस्सग्गो निसन्नसिओ होड दुवे नवि झायइ नवि य अट्टरुदाई । एसो काउस्सग्गो निसण्णओ होइ नायबो॥ ८॥ अहं रुदं च दुवे झायइ झाणाइं जो निसनो य । एसो काउस्सग्गो निसन्नगनिसन्नओ नाम ॥९॥धम्मं सुकं च दुवे झायइ झाणाइं जो निवन्नो उ। एसो काउस्सग्गो निवनुसिओ होइ णायवो ॥१५९०॥ धम्म सुक्कं च दुवे नवि झायइ नविय अहरुदाई। एसो काउस्सग्गो निवण्णओ होइ नायबो॥१॥ अहूं रुई च दुवे झायइमाणाइं जो निवन्नो उ। एसो काउस्सग्गो निवन्नगनिवन्नओ नाम ॥२॥ अतरंतो उ निसन्नो करिज तहवि यऽसहू निवन्नो |१२१४.आवश्यक सनियु-सूक्तिक मूलसूत्र, निgion मुनि दीपरत्नसागर Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उसंबाहुवस्सए वा कारणिय सहूविय निसन्नो॥१५९३॥ करेमि भंते ०. इच्छामि ठाइउँ काउस्सगं जो मे देवसिओ सू० २६) तस्स उत्तरीकरणेणं पायच्छित्तकरणेणं विसोहीकरणेण विसालीकरणेणं पावाणं कम्माणं निग्घायणट्टाए ठामि काउस्सगं ॥ अन्नत्य ऊससिएणं नीससिएणं खासिएणं छीएणं जंभाइएणं उड्डएणं वायनिसग्गेणं भमलिए पित्तमुच्छाए सुह. मेहिं अंगसंचालहिं सुहुमेहि खेलसंचाहिं सुहुमेहिं दिद्विसंचाहिं एवमाइएहिं आगारेहिं अभग्गो अविराहिओ हुज मे काउस्सग्गो जाव अरिहंताणं भगवंताण नमुक्कारेण न पारेमि ताच कायं ठाणेणं मोणेणं माणेणं अपाणं वोसिरामि । सू०२७। 'काउस्सग्गमि ठिओ निरेयकाओ निरुद्धवइपसरो। जाणइ सुहमेगमणो मुणि देवसियाइअइयारे ॥३०३१॥ परिजाणिऊण य जओ संमं गुरुजणपगासणेणं तु। सोहेइ अप्पगं सो जम्हा य जिणेहिं सो भणिओ॥५०३२॥ काउस्सगं मुक्खपहदेसियं जाणिऊण तो धीरा। दिवसाइयारजाणणठयाइ ठायंनि उस्सग ॥१५९४॥ सयणाऽऽसणऽण्णपाणे चेइय जइ सेज काय उच्चारे। समिती भावण गुत्ती वितहायरणमि अइयारो॥५॥ गोसमुहर्णतगाई आलोए देसिए य अइयारे। सवे समाणइत्ता हियए दोसे ठविजाहि ॥६॥ काउंहियए दोसे जहकमं जानताव पारेइ। नाव सुहुमाणुपाणू धम्म सुकं च झाइजा ॥७॥ देसिय राइय पक्खिय चाउम्मासे तहेब चरिसे य। इकिके तिन्नि गमा नायचा पंचसेएसु ॥८॥ आइमकाउस्सम्गे पढिकमणे ताच काउ सामइयं । तो किं करेह वीयं तइयं च पुणोऽवि उस्सगे? ॥९॥ समभावमि ठियप्पा उस्सगं करिय तो पडिकमइ। एमेव य समभावे ठियस्स तइयं तु उस्सग्गे ॥१६००॥सज्झायझाणतवओसहेसु उवएसधुइपयाणेसु । संतगुणकित्तणेसु अन हुँति पुणरुत्तदोसा उ॥१॥ मिनि मिउमहवने छत्ति अ दोसाण छायणे होइ । मित्ति य मेराइ ठिओ दुत्ति दुगुंछामि अप्पाणं ॥२॥ कत्ति कई मे पावं डत्ति य डेवेमि तं उबसमेणं । एसो मिच्छादुक्कड़पयक्खरत्यो 21 समासेणं ॥३॥ संडियविराहियाणं मलगणाणं सउत्तरगणाणं । उत्तरकरण कीरइजह सगडरहंगगेहाणं ॥४॥ पावं दिइ जम्हा पायच्छित्तं तु भन्नईतणं (सम्हा)।पाएण वावि चिन छनं ॥५॥ दवे भावे य दहा सोही सद्धं च इकमिकं तु । सई पावं कम्मं भामिजइ जेण संसारे ॥६॥ उम्सासं न निभह आभिग्गहिओवि किमअ चिट्टाए। सबमरणं निरोहे सुहमुस्सासं तु जयणाए ॥७॥ काससुअजंभिए मा हु सत्यमणिलोऽनिलस्स तित्रुबहा । असमाही य निरोहे मा मसगाई अ तो हत्यो ॥८॥ वायनिसम्गुड्ढोए जयणासहस्स नेव य निरोहो। उड्डोए वा हत्थो भमलीमुच्छासु अ निचेसो॥९॥ वीरियसजोगयाए संचारा सुहुमवायरा देहे। बाहिं रोमंचाई अंतो खेलाणिलाईया ॥१६१०॥ PI आलोअचलं चक्खू मणुष्व तं दुकर थिरं काउं। रुवेहिं तयं खिप्पइ सभावओ वा सयं चलइ ॥१॥ न कुणइ निमेसजुत्तं तस्थुवओगे ण झाण झाइजा। एगनिसिं तु पवनो झायइ साहू अणिमिसच्छो(वि)॥२॥ अगणीओ छिदिज व बोहियखोभाइ दीहडको वा। आगारेहिं अभग्गो उस्सग्गो एवमाईहिं ॥३॥ ते पुण ससूरिए चिय पासवणुचारकालभूमीओ। पे. हित्ता अस्थमिए ठंतुस्सग्गं सए ठाणे ॥४॥ जइ पुण निवाघाओ आवासं तो करिति सोवि। सड्ढाइकहणवाघाययाइ पच्छा गुरू ठति ॥५॥ सेसा उ जहासत्ति आपुग्छिनाण ठंति बसियं ॥ ६॥ जो हुजउ असमत्था वालो बुड्ढी गिलाण परिततो। सो विकहाइविरहिओ झाइजा जा गुरू ठनि॥ ७॥ जा देवसिअं. दुगुणं चितइ गुरू अहिंडओऽचिट्ठ। बहुवावारा इअरे एगगुणं ताव चितंति ॥८॥ पवइयाण व चिट्ठ नाऊण गुरू बहुं बहुविहीअं। कालेण नदुचिएणं पारेई थोवचिट्टोऽवि ।।१०३३॥ नमोकार चउबीसग किइकम्मालोअणं पडिकमण। किइकम्म दुरालोइअदुप्पडिकते य उस्सग्गो ॥९॥एस चरितुस्सग्गो दंसणमुद्दीइ तइयओ होइ। सुयनाणस्स चउत्था सिद्धाण थुई अकिइकम्मं ॥१६२०॥ सञ्चलोए अरिहंतचेइयाणं करेमि काउस्सगं बंदणवत्तियाए पूअणवत्तियाए सक्कारवत्तियाए सम्माणवत्तियाए पोहिल्लाभवत्तियाए निरुवसग्गवत्तियाए सदाए मेहाए धिईए धारणाए अणुप्पेहाए षड्ढमाणीए ठामि काउस्सगं । सू०२८ पुक्खरवरदीवड्ढे धायइसंडे य जंचुदीवे या भरहेखयविदेहे धम्माइगरे नमसामि। सूत्रगा०१०॥तम&ा तिमिरपडलविदसणस्स सुरगणनारदमहिअस्स । सीमाधरस्स बंदे पप्फोडियमोहजालस्स रिंदगणचिअस्स, धम्मस्स सारमुबलभ करे पमाय ? ॥१२॥ सिद्धे भो! पयओ णमो जिणमए नंदी सया संजमे, देवनागसुवण्णकिण्णरगणस्सब्भूअभावच्चिए। लोगो जत्थ पइदिओ जगमिणं तेलुकमचासुरं, धम्मो वढ्ढउ सासओ विजयओ धम्मुत्तर वड्ढउ ॥१३॥ सुअस्स भगवओ करेमि काउस्सम्ग बंदण अन्नत्य स०२९) सिद्धाणं सुद्धाणं पारगयाणं परंपरगयाणं। लोअम्गमुवगयाणं नमो सया सबसिद्धाणं ॥१४॥ जो देवाणवि देवो जं देवा पंजली नमसंति। तं देवदेवमहियं सिरसा वंदे महावीरं ॥१५॥ इकोऽवि नमुकारो जिणवरबसहस्स बदमाणस्स। संसारसागराओ तारेइ नरं व नारिं वा ॥१६॥ उजिंतसेलसिहरे दिक्खा नाणं निसीहिआ जस्स । तं धम्मचकवहिं अरिहनेमिं नमसामि ॥१७॥ चत्तारि अट्ट दस दो य बंदिआ जिणवरा चउग्रीसं। परमट्ठनिविअट्ठा सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु॥ सूत्रगा०१८॥सू०३० सुकयं आणतिपिव लोगे काऊण सुकयकिइकम्मा। बढ्दतिया थुईओ गुरुथुइगणे १२१५ आवश्यक सनियु- सूक्तिकै मूलसूत्र निlent अल-4 मुनि दीपरत्नसागर Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ T कए निन्नि ॥१॥ निहामनो न सरह अइयारं मा य घट्टणंऽण्णोऽन्न । किइअकरणदोसा वा गोसाई तिन्नि उस्सग्गा ॥२॥ एत्थ पढमो चरित्ते दसणसुद्धीएं बीयओ होइ । सुयनाणस्स य नतिओ नवरं चितंति तत्थ इमं ॥३॥ नइए निसाइयारं चितइ चरमंमि किं तवं काहं ?। छम्मासा एगदिणाइहाणि जा पोरिसि नमो वा ॥४॥ अहमवि खामेमित्तिय नुम्भेहि समं अहपि वदामि। आयरियसंनियं नित्थारगा उ गुरुणो य वयणाई ॥१६२५॥ इच्छामि खमासमणो! उवडिओमि अभितरपक्खियं खामेडं, इच्छं, खामेमि अम्भितरपक्खियं पन्नरसह दिवसाणं पन्नरसण्हं राईणं जंकिंचि अपत्तियं परपत्तियं भत्ते पाणे विणए वेयावचे आलावे संलावे उचासणे समासणे अंतरभासाए उवरिभासाए जंकिंचि मज्झ विणयपरिहीणं सुहुर्म वा बायरं वा तुम्भे जाणह अहं न याणामि तस्स मिच्छामि दुकडं । सू०३१ इच्छामि खमासमणो !, पिअं च मे जं भे हटाणं तुट्ठाणं अप्पायंकाणं अभग्गजोगाणं सुसीलाण मुषयाणं सायरियउवमायाणं नाणेणं दसणेणं चरित्तेणं तवसा अप्पाणं भावमाणाणं बहुसुभेण भे दिवसो पोसहो पक्खो वइकतो अम्रो य भे करडाणेणं पज्जुबट्टिओ, सिरसा मणसा मथएणवंदामि ॥ तुम्भेहि समं । सू०३२। इच्छामि खमासमणो !, पुर्वि चेइआई बंदित्ता नमंसित्ता तुम्भण्हं पायमूले विहरमाणेणं जे केई बहुदेवसिया साहुणो दिट्ठा समाणा वा वसमाणा वा गामाणुगाम दुइजमाणा वा राइणिया संपुच्छंति ओमराइणिया वंदति अज्जया वंदति अजियाओ वंदति सावया वंदति सावियाओ वंदंति अहंपि निस्साडो निक्कसाओत्तिकदु 01 सिरसा मणसा मत्थएणवंदामि ॥ अहमबि बंदावेमि चेइआई । स०३३। इच्छामि खमासमणो!, उबडिओ मि तुम्भण्हं संतिजं अहा कप्पं वा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पाय- 6 हेउ वा पसिर्ण वा वागरणं वा तुम्भेहिं सम्मं चिअत्तेण दिन्नं मए अविणएण पडिच्छिदं तस्स 2 भ मिच्छामि तुक्कई । आयरियसंतिअं। सू०३४॥ इच्छामि खमासमणो !, अहमपुवाई कयाई च मे किइकम्माइं आयारमंतरे विणयमंतरे सेहिओ सेहाविओ संगहिओ उवग्गहिओ सारिओ वारिओ चोइओ पडिचोइओ चिअत्ता मे पडिचोयणा उबडिओऽहं (अब्भुट्टिओऽहं) तुभहं तवतेयसिरीए इमाओ चाउरंतसंसारकताराओ साह नित्यरिस्सामिनिकटु सिरसा मणसा मत्थएणवदामि ॥ नित्थारगपारगा होह । सू०३५/ चाउम्मासिय वरिसे आलोअण नियमसो हुदायवा। गणं अभिग्गहाण य पुवगहिए निवेएउ॥२३६॥ भा०। चाउम्मासियवरिसे 8 उस्सग्गो खिनदेवयाए या पक्खिय सिनसुरीए करिति चउमासिए वेगे॥२३७आभा०देसिय राइय पक्खिय चउम्मासे य तहेव वरिसे या एएसु हुंति नियया उस्सग्गा अनिअया सेसा १६२६॥ साय सयं गोसऽद्धं तिमेव सया वंति पक्खंमि।पंच य चाउम्मासे अट्ठसहस्संचवारिसए॥७॥ चत्तारि दो दुवालस वीसं चत्ता य हुँति उज्जोआ। देसिअराइय पक्खिअ चाउम्मासे Nय वरिसे य॥८॥ पणवीसमद्धतेरस सिलोग पन्नत्तरि च बोचा। सयमेगं पणवीसं ये बावन्ना य वारिसिए॥९॥ गमणागमण विहारे सुत्ते वा सुमिणदसणे राओ । नावानइसंतारे इरियावहियापडिकमणं ॥१६३०॥ भत्ते पाणे सयणासणे य अरिहन्तसमणसिज्जासु। उबारे पासवणे पणवीसं हुंति उस्सासा ॥२३८॥ भा०। नियालयाओ गमणं अन्नस्थ उ सुत्नः | पोरिसिनिमित्तं। होइ विहारो एथवि पणवीस हुंति ऊसासा ॥ प्र०३४ ॥ उद्देससमुइसे सत्तावीसं अणुन्नवणियाए। अट्टेव य ऊसासा पटुवणपडिकमणमाई ॥१॥ जुज्जइ अकालपढियाइएसु दुठ्ठअपडिच्छियाईसु। समणुन्नसमुहेसे काउस्सग्गस्स करणं तु ॥२॥ जं पुण उहिसमाणा अणइक्कंता कुणह उस्सगं। एस अकओवि दोसो परिधिप्पइ किं मुहा? भंते ! ॥३॥ पावुग्घाई कीरइ उस्सग्गो मंगलंति उद्देसे। अणुबहियमंगलाणं मा हुज कहिंचि णे विच॥४॥ पाणवहमुसावाए अदनमेहुणपरिग्गहे चेच । सयमेगं तु अणूर्ण ऊसासाणं हवि जाहि ॥५॥ नावा(ए) उत्तरिउ वहमाई तह नई च एमेव । संतारेण चलेण व गंतुं पणवीस ऊसासा ॥५०३५॥ पायसमा ऊसासा कालपमाणेण हुन्ति: | उस्सग्गेणं तु नायकं ॥६॥ जो खलु तीसइबरिसो सत्तरिवरिसेण पारणाइ समो। बिसमे व कूडबाही निविनाणे हु से जड्डे ॥२३९॥ भाग समभूमेवि अइभरो उजाणे किमुअ कूडवाहिस्स?। अइभारेणं मजइ तुत्तयघाएहि अमरालो॥२४०॥ भा०ाएमेव बलसमग्गो न कुणइ मायाइ सम्ममुस्सम्गं । मायावडियं कम्मं पावड उस्सम्गकेसं च ॥ ०३६।। मायाए उस्सग्गं सेसं च तवं अकुवओ सहुणो। को अन्नो अणुहोही सकम्मसेसं अणिजरियं? ॥७॥ निक्कूडं सविसेसं वयाणुरुवं बलाणुरुवं च। खाणुष्व उद्धदेहो काउस्सग्गं तु ठाइजा ॥८॥ तरुणो बलवं तरुणो य दुबलो धेरओ बलसमिद्धो। थेरो अबलो चउसुबि मंगेसु जहावलं ठाई ॥९॥ पयलायइ पडिपुच्छद्द कंटयवीयारपासवणधम्मे। नियडी गेलन्नं वा करेइ कूड हबइ एयं ॥१६४०॥ पुर्व ठंति य गुरुणो गुरुणा उस्सारियमि पारेति। ठायति य सविसेसं तरुणा उ अनूणविरियागा ॥१॥ चउरंगुल मुहपत्ती उज्जुए डब्बहत्थ स्यहरणं । बोसट्टचत्तदेहो काउस्सग करिजाहि ॥२॥ घोडग लयाइ खंभे कुड्ढे माले य सपरिवहु नियले। लंबुत्तर थण उद्धी संजय खलि(णे य)वायस कविट्टे ॥३॥ सीसुकंपिय मूई अंगुलि भमुहा य वारुणी पेहा। नाही. करयलकुप्पर उस्सारिय पारियमि थुई ॥४॥ वासीचंदणकप्पो जो मरणे जीविए य समसण्णो (दरिसी)। देहे य अपडिबद्धो काउस्सम्गो हबइ तस्स ॥५॥ तिविहाणुवसग्गाणं दिवाणं माणुसाण तिरियाणं । सम्ममहियासणाए काउस्सग्गो हवइ सुद्धो ॥६॥ इहलोगमि सुभद्दा राया उइओद सिट्ठिभजाय। सोदाससग्गिथंभण सिद्धी सम्गो य परलोए ॥१॥ (30५) १२१६ आवश्यक सनिर्य- सक्तिक मुलसूत्रं. fastim+ अस40-4 मुनि दीपरत्नसागर Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जह करगओ निर्मित दारुं इंतो पुणोवि वच्चतो इअ कंर्तति सुविहिआ काउस्सग्गेण कम्माई ॥ २४१॥ भा० । काउस्सग्गे जह सुट्टियस्स भजंति अंगमंगाई। इय भिदंति सुविहिया अडविहं कम्मसंघायं ॥ ८ ॥ अनं इमं सरीरं अन्नो जीवृत्ति एवं कयबुद्धी। दुक्खपरिकिलेसकरं छिंद ममत्तं सरीराओ ॥ ९ ॥ जावइया किर दुक्खा संसारे जे मया समणुभूया इत्तो दुत्रिसहतरा नरएसु अणोवमा दुक्खा ॥ १६५० ॥ तम्हा उ निम्ममेणं मुणिणा उवलदसुत्तसारेणं । काउस्सग्गो उग्गो कम्मखयट्टाय कायच्वो ॥१॥ काउस्सग्गज्झयणं ५ ॥ पचखाणं पञ्चखाओ पचक्वेयं च आणुपुत्रीए । परिसा कहणविही या फलं च आईइ छन्भेया ॥ २ ॥ नामं ठवणा दविए अइच्छ पडिसेहमेव भावे य एए खलु छन्भेया पञ्चक्खामि नायवा ॥ २४२ ॥ भा० । दवनिमित्तं ददवभूओ व तत्थ रायसुआ अइछापचक्खाणं बंभणसमणा न ( अ ) इच्छन्ति ॥ ३ ॥ अमुगं दिजउ मज्झं नत्थि मम तं तु होइ पडिसेहो। सेसपयाण य गाहा पच्चक्खाणस्स भावमि ॥ ४ ॥ तं दुविहं सुजनोसुअ सुयं दुहा पुत्रमेव नोपुवं । पुत्रस्य नवमपुषं नोपुवसुर्य इमं चैव ॥ ५ ॥ नोसुअपच्चक्खाणं मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य। मूले सङ्घं देतं इत्तरियं आवकहियं च ॥ ६ ॥ भा० मुलगुणावि य दुबिहा समणाणं चैव सावयाणं च ते पुणे विभजमाणा पंचविहा हुंति नायडा ॥ प्र० ३७॥ पाणिवह मुसावाए अदन मेहुण परिग्गहे चेव । समणाणं मूलगुणा तिविहंतिविहेण नायवा ॥ २४७ ॥ भा० ॥ सावयधम्मस्स विहिं वृच्छामी धीरपुरिसपन्नत्तं जं चरिऊण सुविहिया गिहिणोवि सुहाई पार्वति ॥ ३ ॥ साभिगाय निरभिग्गा य आहेण सावया दुविहा ते पुणे विभज्जमाणा अडविहा हुंति नायव्वा ॥ ४ ॥ दुविहतिविहेण पढमो दुविहंदुविण चीयओ होइ। दुविहंएगविहेणं एगविहं चैव तिथि ॥ ५ ॥ एगविहं दुविहेणं इक्किक्कविहेण छट्टओ होइ। उत्तरगुण सत्तमओ अविरयओ चेव अट्टमओ ॥ ६ ॥ पणय चउक्कं च तिगं दुगं च एगं च गिव्हइ वयाई। अहवाऽवि उत्तरगुणे अहवाऽवि न गिव्हए किंची ॥ ७ ॥ निस्संकिय निक्कंखिय निष्वितिमिच्छा अमूढदिट्ठी य वीरवयणमि एए बत्तीसं सावया भणिया । १६५८॥ पंचमणुवयाणं इकगदुगतिगचउक्कपणएहिं पंचगदसदसपणइक्कगे य संजोग कायव्वा ॥ प्र०३८ ॥ वयगिक्कगसंजोगाण हुंति पंचन्ह तीसई भंगा। दुगसंजोगाण दसह तिन्नि सट्टा सया हुंति ॥ ९ ॥ तिगसंजोगाण दसह भंगसया इक्कवीसई सट्टा चउसंजोगाण पुणो चउसडिसयाणिऽसीयाणि ॥ ४० ॥ सतुत्तरं सपाई उसत्तराई च पंच संजोए उत्तरगुण अविश्य मेलियाण जा हि सगं ॥१॥ सोलस चेव सहस्सा अट्ठ सया चेव होंति अट्ठहिया। एसो उवासगाणं वयगहणविही समासेणं ॥ प्र०४२ ॥ तत्थ समणोवासओ पुवामेत्र मिच्छत्ताओ पडिकमइ सम्मत्तं उवसंपजड़, नो से कप्पड़ अजप्पभिई अन्नउत्थि अदेवयाणि वा अन्नउत्थियपरिग्गहियाणि अरिहंतचेइयाणि वा वंदित्तए वा नमसित्तए वा पृष्ठिं अणालनएणं आलवित्तए वा तेसिं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दाउँ वा अणुप्पयाउं वा, नन्नत्थ रायाभिओगेणं गणाभिओगेणं बलाभिओगेणं देवाभिओगेणं गुरुनिग्गहेणं वित्तीकंतारेणं, से य सम्मत्ते पसत्यसमत्तमोहणीयकम्माणुवेयणोवसमवयसमुत्थे पसमसंत्रेगाइलिंगे सुहे आयपरिणामे पन्नत्ते, सम्मत्तस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियच्चा न समायरिया, तंजासंका कंखा वितिमिच्छा परपासंडपसंसा परपासंडसंथवे । सू० ३६ । थूलगपाणाइवायं समणोवासओ पचक्लाइ, से पाणाइवाए दुविहे पन्नत्ते तंजहा संकल्पओ अ आरंभओ अ, तत्थ समणोवासओ संकल्पओ जावजीवाए पचक्खाइ, नो आरंभओ, थूलगपाणाइवायवेरमणस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा० तंजहा बंधे बहे छविच्छेए अइभारे भत्त पाणवुच्छेए | सू० ३७। धूलगमुसावायं समणोवासओ पञ्चकखाइ, से य मुसाबाए पंचविहे पं० तं० कन्नालीए गवालीए भोमालीए नासावहारे कूडसक्खिज्जे, धूलमुसावायवेरमणस्स समणोवासएणं इमे पंच० तंजहा सहसऽम्भक्खाणे रहस्सम्भक्खाणे सदारमंतभेए मोसुवएसे कूडलेहकरणे २। ३८। अदत्तादाणं समणो० से अदिन्नादाणे दुविहे पन्नत्ते तंजा.स. चित्तादत्तादाणे य अचित्तादत्तादाणे अ, धूलादत्तादाणवेरमणस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियवा० तंजहा तेनाहडे तकरपओगे विरुद्धरज्जाइकमणे कूडलकूडमाणे तप्पडिरुवगववहारे । ३९। परदारगमणं समणोवासओ पञ्चक्खाति सदारसंतोसं वा पडिवज्जइ, से य परदारगमणे दुबिहे पन्नत्ते तंजहा- ओरालियपरदारगमणे य वेडवियपरदारगमणे य, सदारसंतोसस्स समणोवा • इमे पंच० तंजहा अपरिग्गहियागमणे इत्तरियपरिग्गहियागमणे अणंगकीडा परविवाहकरणे कामभोगतिवाभिलासे । ४०] अपरिमियपरिग्गहं समणो इच्छाप रिमाण उवसंपजह से परिग्गहे दुविहे पं० तंजहा सचित्तपरिग्गहे य अचित्तपरिग्गहे य, इच्छापरिमाणस्स समणो इमे पंच० धणधन्नपमाणाइकमे खित्तवत्थुपमाणाइकमे हिरण्णसुवण्णपमाणाइकमे दुपयचउप्पयपमाणाइकमे कुवियपमाणाइक्कमे । ४१ । दिसिवाए तिविहे पण्णत्ते तंजहा उढदिसिवाए अहोदिसिवए तिरियदिसिवाए, दिसिवयस्स समणो० इमे पंच० तंजहा उढदिसिपमाणाइक्कमे अहोदिसिपमाणाइक्कमे तिरियदिसिपमाणाइक्कमे खित्तवुढी सइअंतरद्धा । ४२ । उपभोगपरिभोगवए दुविहे पण्णत्ते तंजहा भोअणओ कम्मओ अ, भोजणओ समणोवा० इमे पंच० सचित्ताहारे सचित्तपडिवदाहारे अप्पउलिओसहि भक्खणया दुप्पउलिओसहिभक्खणया तुच्छोसहिभ० । ४३ । कम्मओ णं समणोवा ० १२१७ आवश्यक सनिर्यु- सूक्तिकं मूलसूत्रं निमित + अज्सथाणे-६ ७ मुनि दीपरत्नसागर क Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इमाई पन्नरस कम्मादाणाई जा० तंजहा इंगालकम्मे वणकम्मे साडीकम्मे भाडीकम्मे फोडीकम्मे दंतवाणिजे लक्खवाणिजे रसवाणिजे केसवाणिजे विसवाणिजे जंतपीलणकम्मे जा निाउणकम्मे दवम्गिदावणया सरदहतलायसोसणया असईपोसणया ।४४ अणत्यदंडे चाउविहे पन्नत्ते तंजहा-अवज्झाणायरिए पमत्तायरिए हिंसप्पयाणं पावकम्मोवएसे, अणत्यदंडवेरमणम्स समणोचा इमे पातंजहा कंदप्पे कुकुइए मोहरिए संजुत्ताहिगरणे उपभोगपरिभोगाइरेगे।४५/सामाइयं नाम साक्जजोगपरिवजणं निरवजजोगपडि(रि)सेवणं च, सिक्खा दुविहा गाहा उपवाय ठिइ गई कसाया या पंधता यंता पडिवजाइकमे पंच ॥१९॥ सूत्रगान सामाइअंमि उकए समणो इव सावओ हवइ जम्हा। एएण कारणेणं बहुसो सामाइयं कुजा ॥२०॥ सम्बंनि भाणिऊणं विरई खलु जस्स सखिया नस्थि। सो सब्वविरहवाई चुक्कड़ देसं च सर्व च ॥२१॥ सामाइयस्स समणो० इमे पातंजहा-मणदुप्पणिहाणे वइदुप्पणिहाणे कायदुप्पणिहाणे सामाइयम्स सइप्रकरणया सामाइयस्स अणवडियस्स करणया ।४६। दिसिवयगहियस्स दिसापरिमाणस्स पइदिणं परिमाणकरणं देसावगासियं नाम, देसावगा. सियम्स समणो इमे पन नंजहा- आणवणप्पओगे पेसवणप्पओगे सहाणुवाए रूवाणुबाए चहिया पुग्गलपक्खेवे ।४७) पोसहोववासे चउबिहे पन्नत्ते तंजहा- आहारपोसहे सरीरसकारपोसहे चंभचेरपोसहे अव्वाचारपोसहे. पोसहोववासम्स समणो० इमे पश० तंजहा- अप्पडिलेहियदुष्पडिलेहियसिज्जासंथारए अपमजियदुष्पमजियसेज्जासंथारए अपडिलेहियदुप्पडिलेहियउबारपासत्रणभूमी अप्पमजियदुष्पमजियउचारपासवणभूमी पोसहोववासस्स सम्म अणणुपालणया ।४८। अतिहिसंविभागो नाम नायागयाणं कप्पणिजाणं अन्नपाणा ईणं दयार्ण देसकालसदासक्कारकमजुअं पराए भनीए आयाणुग्गहचुदीए संजयाणं दाणं, अतिहिसंविभागस्स समणो० इमे पत्र तंजहा-सचित्तनिक्खेवणया सचित्तपिहणया कालाइक्कमे परववएसे मच्छरिया य । ४९। इत्थं पुण समणोवासगधम्मे पंचाणुव्वयाई तिष्णि गुणव्वयाई आवकहियाई चत्तारि सिक्खावयाणि इत्तरियाई. एयस्स समणोवासगधम्मम्स मूलवन्धुं सम्मनं तंजहा-तं निसग्गेण वा अभिगमेण वा पंचअइयारविसुदं. अणुव्वयगुणव्वयाई अभिग्गहा अन्नेऽवि(य) अणेगा पडिमादओ विसेसकरणजोगा, अपच्छिमा मारणंनिया संरोहणानुसणाराहणया, इमीए समणोवासएणं इमे पक्ष जहा- इहलोगासंसप्पओगे परलोगासंसप्पओगे जीवियासंसप्पओगे मरणासंसप्पओगे कामभोगासंसप्पओगे 1५०ासू०। 'पचक्खाणं उत्तरगुणेमु खमणाइयं अणेगविहं। तेण य इहयं पग तंपिय इणमो दसविहं तु ॥९॥ अणागयमइकन कोडियसहिअंनिअंटिअंचेव। सागारमणागारं परिमाणकर्ड निरवसेसं ॥१६६० ॥ संकेयं चेव अदाए, पचक्खाणं तु दसविहं । सयमेवऽणुपारणियं. दाणुवएसे जह समाही ॥१॥ होही पजोसवणा मम य नया अंतराइयं हुजा । गुरुवेयावचेणं तवस्सि गेलनयाए वा ॥२॥ सो दाइ तपोकम्मं पडिबजे तं अणागए काले। एवं पञ्चक्खाणं अणागय होइ नायचं ॥३॥ पजोसवणाइ तवं जो खलु न करेइ कारणज्जाए। गुरुवेयावचेणं तबस्सि गेलनयाए वा ॥४॥ सो दाइ नबोकम्म पडिवजइ ने अइच्छिए काले। एवं पचखाणं अइकत होइ नायचं ॥५॥ पट्टवणओ य दिवसो पचक्खाणस्स निढवणओ य। जहियं समिनि दुन्निवि नं भन्नइ कोडीसहियं तु ॥६॥ मासे मासे य नवो अमुगो अमुगे दिणमि एवइओ। हद्वेण गिलाणेण व कायको जाव ऊसासो॥ एवं पञ्चक्खाणं नियंटियं धीरपुरिसपन्ननं। जं गिण्हनऽणगारा अणिस्सिअप्पा अपडिवदा ॥८॥ चउदसपुची जिणकप्पिएसु पढमंमि चेव संघयणे। एवं विच्छिन्नं खलु थेरावि नया करेसीय ॥९॥ मयहरमागारेहि अन्नत्थवि कारणमि जायंमि। जो भत्तपरिचायं करेइ सागारकडमेयं ॥१६७०॥ निजाय कारणमी मयहरगा नो करंति आगारं। कंतारविनिम्भिक्खयाइ एवं निरागारं ॥१॥ सवं असणं सर्व पाणगं सबखजभुजविहिं। वोसिरद सवभावेण एवं भणियं निरवसेसं ॥२॥ दत्तीहि उ कवलेहि व घरेहि भिक्खाहिं अहव दव्वेहिं। जो भत्तपरिचायं करेइ परिमाणकडमेयं ॥३॥ अंगहमट्टिगंठीघरसेउस्सासथिगजोहरसे । भणियं सकेयमेयं धीरेहि अणननाणीहिं ॥४॥ अदापचक्खाणं जं नं कालपमाणछेएण। पुरिमइढपोरिसीए मुहुनमासदमासेहि ॥५॥ भणियं दसविहमेयं पञ्चक्खाणं गुरूपएसेणं । कयपचक्वाणविहिं इत्लो चुच्छ समासेणं ॥६॥ आह जह जीवघाए पञ्चक्खाए न कारए अन्नं। भंगभयाऽसणदाणे धुप कारवणे यनणु दोसे ॥ ॥ तो (नो)कयपचक्खाणो आयरियाईण दिन (ज) असणाई।नय विरइपालणाओवेयावचं पहाणयरं ॥८॥नो निविहं तिविहेणं पचवह अभदाणकारवणं । सुद्धम्स नओ मुणिणो न होइ तभंगहेउत्ति ॥९॥ सयमेवऽणुपालणियं दाणुचएसो य नेह पडिसिदो। ना दिज उपइसिज व जहासमाहीइ अमेसि ॥१६८०॥कयपचक्वाणोऽविय आयरियगिलाणचालनुदाणं । दिजासणाइ संते लाभे कयबीरियायारो॥१॥ संविग्गअण्णसंभोइयाण देसेज सड्ढगकुन्लाई। अतरंतो वा संभोइयाण देजा जहसमाही॥२४८|भागसोही पचक्खाणस्स बिहा समणसमयकेऊहिं । पनत्ता तित्ययरेहि तमहं बुलं समासेणं ॥९॥भाकासा पुण सरहणा जाणणाय विणयाणुभासणा पत्र। अणुपालणाचिसोही भावचिसोही भवे उहा॥२॥ पचक्खाणं सव्वदेसियं जं जहिं जया काले। तं जो सहहइ नरोतं जाणमु सहहणमुदं ॥२५०॥भा०पच्चक्खाणं जाणइ कप्पे जं जंमि होड कायव्वं । मूलगुणे उत्तरगुणेनं १२१८ आवश्यक सनिर्यु- सूक्तिक मूलसूत्र, निgliri+Disawari- ..... मुनि दीपरनसागर Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाणमु जाणणासुदं ॥२५१॥ किनकम्मस्स विसोही पउंजई जो अहीणमहरितं । मणवयणकायगुत्तो तं जाणसु विणयओ सुद्धं ॥२॥ अणुभासह गुरुवयणं अक्खरपयर्वजणेहि परिमुद्धं। पंजलिउडो अभिमुहो तं जाणऽणुभासणासुदं ॥३॥ कंतारे दुम्भिक्खे आयके वा महई समुप्पने। जं पालियं न भग्गं तं जाणऽणुपालणासुद्धं ॥४॥ रागेण व दोसेण व परिणामेण व न दृसियं जं तुतिं खलु पञ्चक्खाणं भावविसुदं मुणेय ॥५॥ एएहिं छहि ठाणेहिं पञ्चक्खाणं न दृसियं जं तु। तं सुदं नायव्वं तप्पडिवकरखे असुदं तु ॥६॥ यंभा कोहा अ. हा विउ पमाणं ॥२५७॥ भाष्यं । सरे उग्गए णमोकारसहितं पच्चक्खाति चाउविहंपि आहारं असणं पाणं खाइम हसाकारेणं वोसिरामि ५१ असणं पाणगं चेव, खाइम साइमं तहा। एसो आहारविही, चाउविहो होइनायव्यो॥१६८३॥ आसं म्युहं समेई असणं पाणाणुवग्गहे पाणं। खे माइ खाइमंति य साएइ गुणे तओ साई ॥४॥ सबोऽविय आहारो असणं सबोऽवि बुच्चई पाणं। सोऽवि खाइमंतिय समोऽविय साइम होइ॥५॥ जइ असणमेव सर्च पाणग अविवजणंमि सेसाणं । हवइ ण सेसविवेगो तेण विहत्ताणि चउरोऽचि॥६॥ असणं पाणगं चेव, खाइमं साइमं तहा। एवं परूवियंमी, सहहिउँ जे मुहं होइ ॥७॥ अन्नत्थ निवडिय बंजणमि जो खलु मणोगओ भावो। तं खलु पञ्चक्खाणं न पमाणं बंजण छलणा ॥८॥ फासियं पालियं चेव, सोहियं तीरियं तहा। किट्टिअमाराहि चेब, एरिसयंमी पयइयत्वं ॥ ९॥ पञ्चक्खाणंमि कए आसवदाराई हुंति पिहियाई। आसवबुच्छेएणं तण्हावुच्छेअणं होई ॥१६९०॥ तोहाबोच्छेदेण य अउलोवसमो भवे मणुस्साणं । अउ. लोवसमेण पुणो पञ्चक्खाणं हवद सुद्धं ॥ १॥ तत्तो चरित्तधम्मो कम्मविवेगो तओ अपुर्व तु। तत्तो केवलनाणं तओ अ मुक्खो सयासुक्खो ॥२॥ नमुकारपोरिसीए पुरिमड्ढेगासणेगठाणे य। आयंबिल अभत्तट्टे चरमे य अभिमाहे विगई ॥३॥ दो उब सत्त अट्ठ यसत्तऽट्टयपंच छच पाणंमि। चउ पंच अट्ट नवय पत्तेयं पिंडए नवए॥४॥ दोचव नमुकारे आगारा छच्च पोरिसीए उ। सत्तेव य पुरिमड्ढे एगासणगंमि अट्टेव ॥ ५॥ सत्तेगट्ठाणस्स उ अद्वैवायंविलंमि आगारा। पंचेव अभत्तढे छप्पाणे चरिमि चत्तारि॥६॥ पंच चउरो अभिग्गहि निधीए अट्ट नव य आगारा। अप्पाउराण पंच उर्वति सेसेसु चत्तारि ॥१६९७॥ पोरुसि पचक्खाति उग्गते सूरे चउविहंपि आहारं असणं० अण्णत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साधुवयणेणं सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ ५२एकासणमित्यादि, अण्णस्य अणाभोगेणं सहसागारेणं सागारियागारेणं आउंटणपसारणेणं गुरुअन्भुट्टाणेणं पारिद्वाव. णियागारेणं महत्तरागारेणं सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरति ।५३३'नवणीओगाहिमए अहवदवपिसियघयगले चेव । नव आगारा तेसि सेसदवाणं च अट्टेव ॥१६९८॥ णिपियनियं पचक्खातीत्यादि, अनत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं गिहत्यसंसट्टेणं उक्खित्तविवेगेर्ण पडुचमक्खिएणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सबसमाहिवत्तियागारणं बोसिरति 1५४॥ 'गोनं नाम तिविहं ओअण कुम्मास सत्तुआ चेव। इकिकंपिय तिविहं जहन्नयं मज्झिमुक्कोसं ॥९॥ दवे रसे गुणे वा जहन्नयं मज्झिमंच उकोसं । तस्सेव य पाउम्गं छन्रणा पंचेच य कुडंगा ॥१७००॥ लोए येए समए अनाणे खलु तहेव गेलचे। एए पंच कुडंगा नायबा अंबिलंमि भवे ॥१॥ पंचेव य खीराई चत्तारि दहीणि सपि नवणीता। चत्तारि य निहाई दो वियढे फाणिए दुनि॥२॥ महुपुग्गलाई तिनि उ चलचलओगाहिमं तुजं पफै। एएसिं संसर्ल्ड वुच्छामि अहाणुपुधीए॥३॥ खीरदहीवियढाणं चत्तारि उ अंगुलाई संसहूं। फाणियतिलघयाणं अंगुलमेगं तु संसहूँ ॥४॥ महुपुग्गलरसयाणं अबंगुलयं तु होइ संसट्ठ । गुलपुग्गलनवणीए अदामलयं तु संसर्दु ॥५॥ आयंबिलमणयंबिल चउद्धा बालबुड्ढसहुअसहू। अणहिंडियहिंडियए पाहुणयनिमंतणाऽऽवलिया ॥६॥ विहिगहियं विहिभुत्तं उपरियं जं भवे असणमाई। तं गुरुणाऽणुनायं कप्पइ आयंबिलाईणं ॥७॥ (विहिगहिअं विहिभुत्त) नह गुरुहिं (जं भवे) अणुमायं । ताहे बंदणपुवं भुंजइ से संदिसावेउं (पाठान्तरम् ॥१॥)। चाउरो य हुंति भंगा पढमे भंगमि होइ आवलिया। इत्तो यतइयभंगो आवलिया होइ नायव्वा ॥८॥ पञ्चक्खाणेण कया पञ्चक्खावितएवि सूयाए (उ)। उभयमवि जाणगेअर चउभंगो गोणिदिद्रुतो ॥९॥ मूलगुणउत्तरगुणे सब्वे देसे य तहय सुदीए। पचक्खाणविहि पञ्चक्खाया गुरु होई ॥१७१०॥ किइकम्माइविहिचू उवओगपरो य असदभावो य। संविग्गयिरपइनो पचक्खाविंतओ भणिओ ॥१॥ इत्थं पुण चउभंगी जाणगइअरंमि गोणिनाएणं। सुद्धासुद्धा पढमंतिमा उ सेसेसु अ विभासा ॥२॥ दव्वे भावे य दुहा पचक्खायव्वयं हवइ दुविहं । दब्बंमि य असणाई अन्नाणाई य भावंमि ॥३॥ सोउं उचट्ठियाए विणीयऽवक्खित्ततदुवउत्ताए। एवंविहपरिसाए पचाखाणं कहेयव्वं ॥४॥ आणागिझो अत्थो आणाए चेव सो कहेयव्यो। दिटुंतिउ दिटुंता कहणविहिविराहणा इअरा ॥५॥ पञ्चकखाणस्स फलं इह परलोए ज होइ दुविह तु। इहलोइ धम्मलाई दामन्नगमाइ परलोए ॥६॥ पचखाणमिणं सेविऊण भावेण जिणवरुदिहूँ। पत्ता अणंतजीवा सासयसुक्खं लहुं मुक्खं ॥७॥ नायंमि गिहिपो अगिहियामि चेव अत्यंमि। जइयब्वमेव इइ जो उवएसो सो नओ नाम ॥८॥ सम्बेसिपि नयाणं बहुविहवत्तवयं निसामित्ता। तं सवनयविसुदं जं चरणगुणडिओ साहू १२१९ आवश्यक सनियु- सूक्तिक मूलसूत्र, नित + अhirvis मुनि दीपरत्नसागर Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लि॥१७१९॥इति पचकखाणऽजायणनिजुत्तीसमत्ता 6 // भाय २५७सूत्राणि५४ासूत्रगाचाः३१पक्षिप्ताः ४२।संग्रहण्यः 71 // श्रीभगवाहुस्वामिविरचितं श्रीमदावश्यकं मलसूत्र 1 // नमो अरहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सबसाहूणं एसो पंचनमुक्कारो, सबपावप्पणासणो / मंगलाणं च सवेसि, भाषामा श्रीओघनियुक्तिः-नम पढम हबइ मंगलं // 1 // (दुविहोबक्कमकालो सामायारी अहाउयं चेव / सामायारी तिविहा ओहे दसहा पयविभागे॥१॥ नवमयपच्चक्खाणाभिहाणपुरस्स तइयवत्थुओ। वीसइमपाहुडाओ तओ इहानीणिया जइया // 2 // सो उ उवकमकालो तयत्यनिविग्यसिक्खणत्यं च / आईय कयं चिय पुणो मंगलमारंभये तं च ॥३॥प्र०) अरहते वंदित्ता चउदसपुची तहेव दसपुत्री। एकारसंगसुत्तत्यधारए सव्वसाहू य॥१॥ आहेण उ निजुर्ति वुच्छं चरणकरणाणुओगाओ। अप्पक्सरं महत्वं अणुग्गहत्थं सुविहियाणं // 2 // जुम्म। ओहे पिंड समासे संखेवे चेव होति एगट्ठा। निजुत्तत्ति य अस्था जं बद्धा तेण निजुत्ती॥१ भाष्यं / वय समणधम्म संजम वेयावर्च च बंभगुत्तीओ। नाणाइतियं तब कोहनिम्गहाई चरणमेयं // 2 // पिंडविसोही समिई भावण पडिमा य इंदियनिरोहो। पडिलेहण गुत्तीओ अभिग्गहा चेव करणं तु // 3 // चोदगवयणं छट्ठी संबंधे कीस न हबइ विभत्ती / तो पंचमी उ भणिया किमत्यि अनेऽवि अणुओगा? // 4 // चत्तारि उ अणुओगा चरणे धम्म गणियाणुओगे य। दवियाणुजोगे य तहा अहकम ते महिड्ढीया // 5 // सबिसयबलवत्तं - पुण जुजइ तहवित्र महिड्ढि चरण। चारित्तरक्खणट्ठा जेणिअरे तिन्नि अणुओगा॥६॥ चरणपडिवत्तिहेउं धम्मकहाकालदिक्खमाईआ। दबिए सणसुद्धी दसणसुद्धस्स चरणं तु ॥७॥जह रपणो विसएसुं वयरे कणगे अस्यय लोहे अ। चत्सारि आगरा खलु चउण्ह पुत्ताण ते दिन्ना // 8 // चिंता लोहागरिए पडिसेहं सो उ कुणइ लोहस्स / वयराईहि अगहर्ण करिति लोहस्स तिन्नियरे // 9 // एवं चरणमि ठिओ करेद गहणं विहीइ इयरेसिं। एएण कारणेणं हबइ उ चरणं महड्डीअं // 10 // अप्पक्खरं महत्थं महक्खरऽप्पत्य दोसुऽवि महत्थं। दोसुऽवि अप्पं च तहा भणि सत्यं चउविरप्पं // 1 // सामायारी आहे नायज्झयणा य दिहिवाओ य। लोइअकप्पासाई अणुक्कमा कारगा चउरो // 2 // बालाईणऽणुकंपा संखडिकर - गंमि होअगारीणं। ओमे य बीयभतरणा दिनं जणवयस्स॥३॥ भा०एवं बेरोहिं इमा अपावमाणाण पयविभागं तु ।साहुणऽणुकंपट्ठा उबइहा ओहनिज्जुत्ती॥४|| भाष्यं॥पडिलेहणं च पिंडं उवहिपमाणं अणाययणवज। पडिसेवणमालोअण जह य विसोही सुविहियाणं // 3 // आभोग मग्गण गवेसणा य ईहा अपोह पडिलेहा। पेक्खण निरिक्खणाविय आलोय पलोयणेगट्टा // 4 // पडिलेहओ य पडिलेहणा य पडिलेहियच्वयं चेव। कुंभाइसु जह तितयं परुवणा एवामिहयंपि // 5 // एगो व अणेगो वा दुविहा पडिलेहगा समासेणं / ते दुविहा नायवा निक्कारणिआ य कारणिआ॥६॥ असिवाई कारणिआ निक्कारणिआ य चक्कथूभाई। तत्थेगं कारणिों चोच्छ ठप्पा उ तिन्नियरे // 7 // असिवे ओमोयरिए रायभए खुहिअ उत्तमट्टे अ। फिडिअ गिलाणाइसए (पणे असेस) देवया चेव आयरिए // 8 // संवच्छरवारसएण होही असिवंति ते तओ णिति / सुत्तत्थं कुवंता अइसयमाईहि नाऊण // 15 // भा०। अइसेस देवया वा निमित्तगहणं सर्य व सीसो वा। परिहाणि जाव पत्तं निग्गमणि गिलाणपडिबंधो // 6 // संजयगिहितदुभयभदिआ य तह तदुभयस्सवि अ पंता। चउवज्जण वीसुं उवस्सए य तिपरंपराभत्तं // 7 // असिवे सदसं वत्थं लोहं लोणं च तहय विगईओ। एयाई वजिज्जा च उवजणयंति जं भणिअं॥८॥ उव्वत्तण निल्लेवण बीहंते अणभिओगऽभीरू य। अगहिअकुलेसु भत्तं गहिए दिढि परिहरिजा // 9 // पुब्बाभिग्गहवुड्ढी विवेग संभोइएसु निक्खिवणं / तेऽविय पडिबंधठिा इयरेसु बला सगारदुर्ग // 20 // कृयंते अम्भस्थण समत्थभिक्खुस्स णिच्छ तदिवस। जइ विदघाइभेओ ति दुवेगो जाव लाउवमा // 1 // संगारो रायणिए आलोयण पुष्व पत्त पच्छा वा। सोममुहिकालरत्तच्छऽणंतरे एको दो विसए // 2 // एमेव य ओमम्मिवि भेओ उ अलंभि गोणिदिद्वैतो। रायभयं च चउद्धा चरिमदुगे होइ गणभेओ // 3 // निव्विसऊत्तिय पढमो बिइओ मा देह भत्तपाणं तु (प्र० से)। तइओ उवगरणहरो जीवचरित्तस्स वा भेओ // 4 // अहिमर अणि? दरिसणवुम्गाहणया तहा अणायारे। अवहरण दिक्खणाए व आणालोवेव कुपिज्जा // 5 // अंतेउरप्पवेसो वायणिमित्तं व सो पउस्सेजा। खुभिए मालज्जेणी पलायर्ण जो जओ तुरियं // 6 // तस्स पंडियमाणिस्स, बुद्धिस्स दुरप्पणो। मई पाएण अकम्म, बाई वाउरिवागओ॥७॥ निजवग एगाणिओ व गच्छिजा। सुत्तत्यपुच्छगो वा गच्छे अहवाऽवि पडिअरिउं // 8 // फिडिओ व परिरएणं मंदगई वावि जाव न मिलिजा। सोऊणं व गिलाणं ओसहकज्जे असई एगो॥९॥ अइसेसिओ व सेहं असई एगाणियं पठावेजा (प० पयट्टेजा)। देवय कलिंग रुवणा पारणए खीर रुहिरं च // 30 // चरिमाए संदिट्ठोओगाहेऊण मत्तए गंठी। इहरा कयउस्सग्गो परिच्छ आमंतिआ सगणं // 1 // गच्छेज को णु? सवेऽवऽणुग्गहो कारणाणि दीबिंता। अमुओ एत्य समत्थो अणुग्गहो उभय किइकम्मं // 32 // भाष्यं / पोरिसिकरणं अहवावि अकरणं दोच्च पुच्छणे दोसा / सरण सुय साहु सन्ती अंतो बहि अन्नभावेणं // 9 // वोहण अप्पडिबुद्धे गुरुवंदण घट्टणा अपडिबुद्धे / निच्चलणिसण्णझाई बढुं चिढ़े चलं पुच्छे // 10 // (305) R1220 ओपनिर्यतिः . - मुनि दीपरनसागर A7