Book Title: Aagam Manjusha 40 Mulsuttam Mool 01 Aavassay Nijjuttisah
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 7
________________ A] गसमत्यं नाउं वरकर्म तस्स कासि देविंदो। दुहं वरमहिलाणं बहुकम्मं कासि देवीओ॥५॥छप्पुषसयसहस्सा पुषि जायस्स जिणवरिवस्स। तो भरहवंभिसुंदरिखाहुबली चेव जायाई | ॥६॥ देवीसुमंगलाए भरहो बंभी य मिहुणयं जायं। देवीइ सुनंदाए बाहुबली सुंदरी चेव ॥ ४॥ मूल भाष्यं । अउणापण्णं जुअले पुत्ताण सुमंगला पुणो पसवे । नीईणमइक्कमणे | निवेअणं उसमसामिस्स ॥७॥राया करेइ दंड सिढे ते चिंति अम्हवि स होउ। मम्गह य कुलगरं सो अबेइ उसभो य मे राया ॥८॥ आभोएउं सको उवागओ तस्स कुणइ अभिसेज। मउडाइअलंकारं नरिंदजोगं च से कुणइ ॥९॥ भिसिणीपत्तेहिअरे उदयं पित्तुं छुहंति पाएसु। साहु विणीआ पुरिसा विणीअनपरी अह निविट्ठा ॥२००॥ आसा हत्थी गावो गहियाई रजसंगहनिमित्तं। चित्तूण एवमाई चउविहं संगहं कुणइ ॥१॥ उग्गा भोगा रायण्ण खत्तिा संगहो भवे चउहा। आरक्खि गुरु वयंसा सेसा जे खत्तिा ते उ॥२॥ आहारे सिप्प कम्मे अ, मामणा अविभूसणा। लेहे गणिए अरुवे अ, लक्खणे माण पोअए ॥३॥ ववहारे नीइ जुद्धे अ, ईसत्ये अउवासणा। तिगिच्छा अस्थसत्ये अ, बंधे पाए अमारणा ॥४॥ जण्णसब समवाए, मंगले कोउगे इअ। वत्थे गंधे अ मळे अ, अलंकारे तहेव य॥५॥ चोलोवणय विवाहे अ, दत्तिया मडयपूयणा। झावणा थूम सद्दे य, छेलावणय पुच्छणा ॥६॥ आसी अ कंदहारा मूलाहारा य पत्तहारा य। पुष्फफलभोइणोऽविअ जइआ किर कुलगरो उसभो॥५॥ मू। आसी अ इक्खुभोई इक्खागा तेण खत्तिआ हुंति । सणसत्तरसं धणं आमं ओमं च भुंजीआ॥६॥ मू० ओमंडपाहारंता अजीरमाणमि ते जिणमुर्विति । हत्थेहिं घंसिऊणं आहारेहत्ति ते भणिआ ॥७॥ मू०। आसी अ पाणिघंसी तिम्मिअतंदुलपवालपुडभोई। हत्यतलपुडाहारा जइआ किर कुलकरो उसहो ॥८॥मूघसेऊणं तिम्मण घंसणतिम्मणपवालपुडभोई । घंसणतिम्मपवाले हत्थउडे कक्खसेए य ॥९॥मू। अगणिस्स य उहाणं दुमघंसा बठ्ठ भीअ परिकहणं । पासेसुं परिछिंदह गिण्हह पागं च तो कुणह ॥१०॥ मू। पक्खेव डहणमोसहि कहणं निग्गमण हस्थिसीसंमि। पयणारंभपचित्ती ताहे कासी अ ते मणुआ ॥११॥मून पंचेव य सिप्पाई घड लोहे चित्त गंत कासवए। इकिकस्स य इत्तो वीसं वीसं भवे भेया ॥७॥ कम्मं किसिवाणिजाइ मामणा जा परिम्गहे ममया । पुष्विं देवेहि कया विभूसणा मंडणा गुरुणो ॥१२॥ भाष्यं । लेहं लिवीविहाणं जिणेण बंभीइ दाहिणकरेणं । गणिों संखाणं सुंदरीइ वामेण उवइ8 ॥ ३॥ भरहस्स रूवकम्म नराइलक्सणमहोइयं बलिणो। माणुम्माणऽवमाणप्पमाणगणिमाइ वत्थूर्ण ॥४॥ मणिआई दोराइसु पोआ तह सागरंमि वहणाई। ववहारो लेहवर्ण कजपरिच्छेदणत्थं वा ॥५॥णीई हकाराई सत्तविहा अहव सामभेआई। जुदाई बाहुजुधाइआई वट्टाइआणं वा ॥६॥ ईसत्यं धणुवेओ उवासणा मंसुकम्ममाईआ। गुरुरायाईणं वा उवासणा पजुवासणया ॥७॥ रोगहरणं ति. गिच्छा अत्यागमसत्यमत्थसत्यंति। निअलाइजमो बंधो घाओ दंडाइताडणया ॥८॥ मारणया जीववहो जण्णा नागाइआण पूआओ। इंदाइ महा पायं पइनिअया ऊसवा हुंति ॥९॥ समवाओ गोट्ठीणं गामाईणं च संपसारो वा। तह मंगलाई सत्थियसुवण्णसिद्धत्थयाईणि ॥२०॥ पुष्विं कयाई पहुणा सुरेहिं रक्खाई कोउगाई च। तह वत्थगन्धमाछालंकारा केसभूसाई (य)॥१॥ तं दठूण पवत्तोऽलंकारेउं जणोऽवि सेसोऽवि । विहिणा चूलाकम्मं चालाणं चोलयं नाम ॥२॥ उवणयणं तु कलाणं गुरुमूले साहुणो तओ धम्मं । पितुं हवंति सड्ढा केई दिक्खं पवजति ॥३॥ द? कयं विवाहं जिणस्स लोगोऽवि काउमारदो। गुरुदत्तिआ य कण्णा परिणिते तओ पायं ॥४॥ दत्ती व दाणमुसभं दितं वटुंजणमिवि पवत्त। जिणभिक्खादाणंपिय द? भिक्खा पवत्ताओ॥५॥ मडयं मयस्स देहो तं मरुदेवीह पढमसिद्धत्ति। देवेहिं पुरा महिअं झावणया अग्गिसकारो॥६॥ सो जिणदेहाईणं देवेहिं कओ चिआसु थूभाई। सहो अरुण्णसदो लोगोऽवितओ तहा पगओ॥७॥छेलावणमुक्किट्ठाइ बालकीलावर्ण च सेंटाई। इंखिणिआ(मा)इ स्यं चा पुच्छा पुण किं कह कर्ज? ॥८॥ अहव निमित्ताईणं सुहसइआइ सुह(इसु)दुक्खपुच्छा वा। इचेवमाइ पाएणु(पुष्विं उ)प्पचं उसमकालंमि ॥९॥ किंचिच्च(त्थ) भरहकाले कुलगरकालेऽवि किंचि उप्पटं। पहुणा य देसिआई सपकला. सिप्पकम्माई ॥३०॥(भाष्य) उसमचरिआहिगारे सधेसि जिणवराण सामण्णं । संवोहणाइ बुत्तुं बुच्छं पत्तेअमुसमस्स ॥८॥ संबोहण परिचाए, पत्तेयं उबहिमि य। अनलिंगे कुलिंगे य, गामायार परीसहे ॥९॥ जीवोवलंभ सुयलंभे, पचक्खाणे य संजमे। छउमत्थ तवोकर्म, उप्पाया नाण संगहे ॥२१॥ तित्थं गणो गणहरा, धम्मोवायस्स देसगा। परिआअ अंतकिरिया, कस्स केण तवेण वा ॥१॥ सवेऽवि सयंबुद्धा लोगन्तिअमोहिआ य जीएण(न्ति)। सन्वेसिं परिचाओ संवच्छरियं महादाणं ॥२॥ रज्जाइचाओऽविय पत्तेअं को व कत्तिसमग्गो। को कस्सुवही? को वाऽणुण्णाओ केण सीसाणं? ॥३॥ सारस्सयमाइचा बण्ही वरुणा य गहतोया य। तुसिआ अव्याबाहा अम्गिचा चेव रिट्ठा य ॥४॥ एए देवनिकाया भयवं बोहिंति जिणवरिंदं तु । सव्वजगजीवहिअं भयवं ! तित्थं पवत्तेहि ॥५॥ संवच्छरेण होही अभिणिक्खमणं तु जिणवरिंदाणं। तो अस्थसंपयाणं पबत्तए पुष्वसूरंमि ॥६॥एगा हिरण्णकोडी अद्वैव अणूणगा सयसहस्सा। सूरोदयमाईअं दिजद्द जा पायरासीओ ॥७॥ सिंघाडगतिगचउकचचरचउमुहमहापहपहेसुं । दारेसु पुरवराणं रत्थामुहमज्झयारेसु ॥८॥ वरवरिआ घोसिज्जइ किमिच्छिों दिजए बहुविही। सुरअसुरदेवदाणवनरिंदमहिआण निक्खमणे ॥९॥ तिष्णेव य कोडिसया अट्ठासीई च हुंति कोडीओ। असिई च (२९५) ११८० आवश्यक सनियु- सूक्तिक मूलसूत्रे Trian मुनि दीपरत्नसागर

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