Book Title: Aagam Manjusha 40 Mulsuttam Mool 01 Aavassay Nijjuttisah
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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(मूलदारगाहा) पुणरवि य समोसरणे पुच्छीय जिणं तु चक्किणो भरहे। अप्पुट्ठो य दसारे तित्थयरो को इहं भरहे ? ॥ ७ ॥ जिणचकिदसाराणं वण्ण पमाणाई नामगोताई। आऊ पुर माइपियरो परियाय गहं च साहीय ॥ ८॥ जारिसया लोयगुरू भरहे वासंमि केवली तुभे। एरिसया कइ अने ताया हो हिंति नित्थयरा ? ॥३८॥ भा० अह भगइ जिणवरिंदो भरहे वास मि जारिसो अह एसिया तेवीसं अण्णे होहिंनि तित्थयरा ॥ ९ ॥ होही अजिओ संभव अभिनंदण सुमइ सुप्पभ सुपासो। सति पुष्पदंन सीअल सिजो बापूजी य ॥ ३७६ ॥ विमलमनइ धम्मो संती कुंथू अरो य माडी य मुनिसुइय नमि नेमी पासो तह वहमाणो य ॥ १ ॥ अह भणइ नरवरिंदो भरहे वासंमि जारिसी उ अहं नारिसया कइ अण्णे ताया! होहिंति रायाणो ? ॥ २ ॥ अह भणइ जिनवरिंदो जारिसओ नं नरिदसलो एरिसया एकारस अण्णे होहिनि रायाणो ॥ ३ ॥ होही सगरो मघवं सर्णकुमारो य रायसल संती कुंथू य अरो होइ भूभो य कोरो ॥ ४ ॥ णवमो य महापउमो हरिसेणो चेव रायसद्द्द्लो। जयनामो य नरवई वारसमो भदत्तो य ॥ ५॥ होहिति वासुदेवा नव अण्णे नीलपी अकोसिजा । हलमुसलच कजोही सतालगरुडज्झया दो दो ॥ ३९॥ भा० तिविट्ट् य दिवि सयंभु पुरिमुत्तमे पुरिससीहै। तह पुरिसपुंडरीए दने नारायणे कण्हे ॥ ४० ॥ अयले विजए भद्दे. सुप्पभे य सुदंसणे आणंदे णंदणे पउमे रामे आवि अपच्छिमे ॥ १॥ आसग्गीवे तारय मेरय महुकेढवे निशुंभे य बलि पहराए तह रावणे य नवमे जरासिंधू ॥ २ ॥ एए खलु पडिसन् कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं स य चक्कजोही सवे य ह्या सचकेहिं ॥ ४३ ॥ भा० । पउमाभवासुपूजा रत्ता ससिपुष्पदंत ससिगोरा सुइयनेमी काला पासो मही पियंगाभा ॥ ६ ॥ वरकणगतचित्रगोरा सोलस नित्यंकरा मुणेयवा। एसो बण्णविभागो चडवीसाए जिणवराणं ॥ ७॥ पंचे अद्धपंचम बनारऽदुङ तह निगं चैव । अढाइला दृष्णि य दिवढमेगं धणुसयं च ॥ ८ ॥ नउई असीइ सत्तरि सट्ठी पण्णास होइ नायवा पणयाल चत्त पणतीस तीसा पणवीस वीसा य ॥ ९५ ॥ पण्णरस दस घणूणि य नव पासो सत्तरयणिओ वीरो नामा पुवृत्ता खलु निन्थ यराणं मुणेया ॥ ३८० ॥ मुणिसुखओ य अरिहा अरिनेमी य गोअमसगुत्ता। सेसा तित्थयरा खलु कासवगुत्ता मुणेया ॥ १॥ इक्स्वागभूमि उज्झा सावत्थी विणिअ कोसलपुरं च । कोसंबी वाणारसि चंद्राणण तहय काकं (ई) दी ॥ २ ॥ भद्दिलपुर सीहपुरं चंपा कंपिल उज्झ रयणपुरं तिष्णेव गयपुरंमी मिहिला तह चेव रायगिहं ॥ ३ ॥ मिहिला सोरिअनयरं वाणारसि नह य होइ कुंडपुरं । उसभाईण जिणाणं जम्मणभूमी जहासंखं ॥ ४ ॥ मरुदेवि विजय सेणा सिद्धस्था मंगला मुसीमा य पुहवी लक्खण सामा नंदा विण्डु जया रामा ॥ ५ ॥ सुजसा मुश्य अइरा, सिरी देवी पभावई पउमावई य बप्पा य, सिव बम्मा तिसला इअ ॥ ६ ॥ नाभी जिअसत्तू या. जियारी संवरे इअ मेहे घरे पड्डे य, महसेणे य खत्तिए ॥ ७ ॥ सुग्गी दढरहे विह. वपूजे य खनिए कयवम्मा सीहसेणे य, भाणू विससेणे इअ ॥ ८॥ सूरे सुदंसणे कुंभे सुमित विजए समुदविजए य राया य अम्ससेणे सिद्धत्थेऽविय खनिए ॥ ९ ॥ सोऽचि गया मुक्खं जाइजरामरणबंधणविमुक्का । तित्थयरा भगवंतो सासयसुक्खं निराबाहं ॥ ३९० ॥ सवेऽवि एगवण्णा निम्मलकणगप्पभा मुणेयवा । छक्खंडभरहसामी तेसि पमाणं अओ बुच्छं ॥ १ ॥ पंचसय अपंचम बायालीसा य अणुअं च इगयाल धणुस्सदं च चउत्थे पंचमे चत्ता ॥ २ ॥ पणतीसा तीसा पुण अट्ठावीसा य बीस घणूणि । पण्णरस बारसेव य अपच्छिमो सत्त य घणूणि ॥ ३ ॥ कासवगुत्ता सत्रे चउदसरयणाहिया समक्खाया। देविंदबंदिएहिं जिणेहिं जिअरागदोसेहिं ॥ ४ ॥ चउरासीई बावतरी अ पुत्राण सयसहस्साई पंच य तिष्णि अ एगं च सयसहस्सा उ वासाणं ॥ ५ ॥ पंचाणउड सहस्सा चउरासीई अ अद्धतेसट्टी तीसा व दस य निष्णि अ अपच्छिमे सन वाससया ॥ ६ ॥ जम्मण विणीअ उज्झा सावत्थी पंच हत्थिणपुरंमि वाणारसि कंपिल्ले रायगिहे व कंपि ॥ ७॥ सुमंगला जसवई मदा सहदेवि अडर सिरि देवी तारा जाला मेरा य वप्पमा तह य चुलणी अ॥ ८ ॥ उसमे सुमित्तविज समुद्रविजए अ अस्ससेणे अ तह बीससेण सूरे सुदंसणे कन्नविरिए अ ॥ ९ ॥ पउमुत्तरे महाहरि विजए राया तब बंभे य। ओसप्पिणी इमीसे पियनामा चक्कवट्टीणं ॥ ४०० ॥ अहेब गया मोक्खं सुभुमो वंभो य सत्तमि पुढविं । मघवं सर्णकुमारो सर्णकुमारं गया कप्पं ॥ १ ॥ दण्णेण वासुदेवा सबै नीला बलाय मुक्लिया एएसिं देहमाणं वृच्छामि अहाणुपुच्चीए ॥ २ ॥ पढमो घणूणऽसीई सत्तरि सही अ पण्ण पणयाला अउणत्तीसं च धणू छब्बीसा सोलस दसेव ||३|| बलदेववासुदेवा अद्वेव हवंति गोयमसगुत्ता। नारायणपमा पुर्ण कासवगुत्ता मुणेयता ॥ ४ ॥ चउरासीइ बिसन्तरि सट्ठी तीसा य दस य लक्खाई। पण्णट्टि सहस्साई छप्पण्णा बारलेगं च ॥ ५ ॥ पंचासीई पण्णत्तरीय पण्णडि पंचवाय सत्तरस सयसहस्सा पंचमए आउयं होइ ॥ ६ ॥ पंचासीइ सहस्सा पण्णड़ी तह य चैव पण्णरस वारस सयाई आउं बलदेवाणं जहासंखं ॥ ७॥ पोयण बारवद्दत्तिग अस्सपुरं तह य होइ चकपुरं । वाणारसि रायगिहं अपच्छिमो जाउ महुराए ॥ ८ ॥ मिगावई उमा चेव पुहवी सीआय अम्मया लच्छीवई सेसमई गई देवई इय ॥ ९ ॥ मंद सुभदा सुप्पभ सुदंसणा विजय वैजयंती य तह य जयंती अपराजिया य तह रोहिणी चेव ॥ ४१० ॥ हवइ पयावर बंभो रुदो सोमो सिवो महसिवो य अग्मिसिहे य दसरहे नवमे भणिएव वसुदेवे ॥ १ ॥ परियाओ पहजाऽभावाओ नत्थि वासुदेवाणं होइ बलाणं सो पुण पढमऽणुओगाउ गायत्री ॥ २ ॥ एगो य सत्तमीए पंच य छट्टीए पंचमी एगो एगो य चउत्थीए (२९६) १९८४ आवश्यक सनिर्यु- मूक्तिकं मूलसूत्र, नि
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मुनि दीपरत्नसागर
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