Book Title: Aagam 39 MAHA NISHITH Moolam ev
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(३९)
“महानिशीथ" - छेदसूत्र-६ (मूल) अध्ययन [२], ----------- उद्देशक [3], ---------- मूलं [२०] +गाथा:||१५६|| ------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३९], छेदसूत्र - [६] "महानिशीथ" मूलं
बरे पुरिसस्त जी सचिन मालभित्थी । २६बदलणदास्तमिले का मासदले जाव से माताभित्यीय भएण वामभागालनिहीं
प्रत
TITION
[२०]
गाथा ||१५६||
नेए भाव में कम्मद्विार्य समजेना, गवरं पुरिसरमण संचितवनगे बच्चाहोपरितलपक्सएम लिंगे य जहियवरं रागमुपजे. एवं एते व परिसविभागे । २० कासिचाहत्वीण गोयमा भातं सम्मलादप अंगी. काऊणं जाव सप्तमे पुरिसविमागे तापण वितणिजे, नो सोसिमित्वीणं ।२१। एवं तु गोयमा ! जीए इत्थीए विकालं पुरिससंजोगसंपत्तीण संजाया अहा णं पुरिससंजोगसंपत्तीएनि साहीणाए जाच गं तेरसमे बोरसमे पचरसमेच समए गं पुरिसेणं सविण संजुत्ता गो चियमसमापरिय सेणं जहा पणकहतणदारसमि केड गामेह बा नगरेर वा रोड वा संपलिते चंडानिलसेक्सिए पयलिताण २ मिडसिय २चिरेणं उपसमेज्जा एवं तु में गोयमा से इत्यीकामम्मी संपलिता समाणी णिजिमय र समयचाउके उक्समेज्जा, एवं इगलीसहमे बानीसदमे जाप सत्ततीसाइमे समए, जहा पदीबसिहा वावमा पुपरवि सर्व मानहाविदेणं चुन्नजोगेण वा पयलेग्जा एवं सा इत्थी पुरिसवंसज वा पुरिसालावगकरिसमेण वा पदेन कंवपेच कामगीए पुणरवि उपयलेजा ।२२॥ एत्वं च गोयमा ! जमित्वीय भएणवा सजाए वा कुरकुसेण वा जाच गं धम्मसहाए पानं वेयर्ग अहियासेज्जा नोपं वियमंसे समापरिम्ना सेन धन्ना से गं पुन्ना से यचं बंदा से गं पुज्जा से बहना से गं सालक्समा से सबकताणकारया से णं सध्युत्तममंगलनिही से गं सुपदेवया से णं सरस्सती से अपहुंटी से णं अचुया से
वाणी से णं परमपविनुनमा सिदी मुत्ती सासया सिनगइति ।२३। जमिस्थित वेषणं नो अहिवासेना चियर्मसं समायरेजा से गं अपना से गं अपुण्मा सेणं अवंदा से गं अपुजा से गं अदमासे अलक्षणा से गं भग्पालखणा से ण सामंगलमकाहाणमायणा से महसीना से महाबारा से गं परिभवचारित्ता से णं निदणीया से गं खिसणिजा से गं कुश्चणिज्जा सेणं पाबा से गं पाक्पामा सेर्ण महापाचपाचा से णं अपविनत्ति, एवं तु गीयमा बहुलत्ताए भीरत्ताए कायरत्साए लोलत्ताए उम्मायजोबा कंदपत्रोमा दपजोबा अणप्पसओवा आउहियाए वा जमित्थिर्य संजमाओ परिभस्सियं दुरदाणे वा गामे वा नगरे वा रायहागीए वा बेसम्गहनं अच्छडिय पुरिसेण सदि चियमसमायोज्जा मुजो २ पुरिस कामेज्ज वा रमेज्जा अहाणं तमेव दोषविय कम्जमिह पक्रिसप्पेत्ताणं तमाईचेजात पेराईचमाणी पस्सिया गं उम्पायजी वा पोवा कंदपओचा अणण्यवसओ वा आउहियाए या के आयरिएका सामन्नसंजएइ वा रायसलिएइ वा बायलबिजुत्तेइ वा निन्नाणलविजुत्तेइ वा जुगपहाणेह वा पदयणप्यमानमेइ वा नमिस्थिय अन्न वा रमेज्ज वा कामेज्ज बा अमिलसेन्जबा भुजेज वा परिभुजेज्जमा जाप चियमंसमायरेक्जा से तुरंततलक्लगे अहन्ने अरे अरे अपस्थिए अपत्ये अपसत्ये अकाठाणे अमंगाते निरगिज्जे गरहगिज्जे खिसणिज्ने कुच्छनिम्जे सेणं पाये सेणं पाचपावे सेणं महापाये से गं महापावपावे से गं भइसीले से गं भट्ठायारे से गं निम्भहचारिते महापावकम्मकारी, जया में पायचित्तमभुद्विजातओ णं मंदतरंगेर्ण बहरेणं उत्तमेण संघपणं उत्तमेणं पोरसेणं उत्तमेणं सरोग उत्तमेणं तत्तपरिजनणेणं उत्तमेणं पीरियसामत्येणं उसमेण संवेगेणं उत्तमाए धम्मसदाए उत्तमेन आरक्सएन पायच्छित्तमनुपरेना, तेणं तु गोयमा! साहुर्ण महागुभागार्ग अहारमपरिहारहाणाई णव भचेरगुतीओ बागरिजति ।२४ा से भययं ! कि पच्छित्तेणं सुजमेना, गोपमा अत्येने जे गं सुनना, अत्यगे जेणं नो सुशेजा, भय ! केणं अन एवं बुबह-जहाज गोयमा! अत्येगे जे सुज्ोजा अत्यगे जे गं नो सुजिमजा, गोयमा अत्येगे नियडीपहाणे सढसीले कसमायारे से णं ससा आलोइताणं ससते चेच पायच्छित्तमणुपरेना, सेनं अविमुदसकलुसासए को मुज्जा , अत्येगे जे उजुपरवसरलसहावे जहावतंजीमहई नीस सुपरिट आलोहतार्ण जहोपाई चेष पायशिमहिमा से निम्मलनिकसविसुबासए विसुजोजा, एतेनं अहणं एवं पुचा जहाज गोयमा! अत्थेगे जे गं नो सुकोमा अस्गे जे सुज्ोना । २५। नहा णं गोयमा! इत्थी य गाम पुरिमाणमहामार्ग सापाय
कम्माण वसहारा तमरपकरसाणी सोम्यहमम्मास्स णं अम्गला नरयावयारस्स समायरमवती अभुमर्थ विसकंदलि अग्गिय पनि अमोवर्ण विखइय अगामियं वाहि अचेयर्ण मुच्छ अपोचसम्मिमारि अणिपनि गुनि परलज्जए पासे अहेउए माय गोयमा! इस्थिसंभोगे पुरिसाचं मनसावि अथितिणि अमज्जायसणिज्जे अपत्यणिज्जे अणीहणिज्जे अविषप्पणिज्जे असंकप्पणिज्जे अणमिलमणिपजे असंभरणिपजे निविहंतिक्हिणनि,
जत्रो में इत्थी नाम पुस्सिस्स गोयमा! सबप्पगारेहिपि दुस्साहिय विपित्र दोसुपायणं सरेमसंजणपिव अपुढचम्म खलियचारित्नपिच अणालोय अनिदियं अगरहिवं अकयपायचित्तज्ज्ञवसायं पर अर्णतसंसारपारियपूर्ण स्वसंदोह करपायच्छित्तविलोहियपिच पुणो असंजमायरणं महंतपाक्कम्मसंचयं हिंसपिय सवलतेलोकनिदिय जविपरसोगपचवायं घोरंथयारणस्यवासो इच मिरवराणेगबुक्सनिहित्ति, 'अंगपचंगसंतागं, चालावियपेहिये। इत्वीण तं न निझाए, कामरागविवदर्ण । १५६॥ तहाय इत्पीओ नाम मोयमा ! पळयकारयणीमित्र साकाल तमोचलित्ताउ मयंति विज्नु इन खणदिइनपेम्माओ भविसरमागयचायगो इव एकजमियाओ नावणपसूयजीवतमुबनियसिसुमक्खीओ इस महापाचकम्माओ भवंति खरपवणुचालिबलवणीवहीवेलाइव पहुविहक्किापकायोलमालाहिं समपि एमत्य असंठियमाणसानो मति सर्यमुस्मनोदहीमिव दुस्वमाहकइतवाओ भवंति पत्रको इस पडलमहाबाओ भनि जम्मी व सबभपसीओ पाऊब साफरिसाओ तकरो इस परत्यलोसओ साणो इव दाणमेचमिचीजो मण्डी इचहापरिचत्तनेहाओ एक्माइजणेगदोसलक्सपटिपुषणसगावंगसम्भतरचाहिराण महापावकम्माण अपिणयपिसमंजरीणं तत्पुष्पन्नजणत्वममापसूईन इत्वीचं अणवस्यनिजातिगंधासहविलीणकुच्छमिलनिवाणिजसिसणिजसवंगोपंगाणं सम्भतरवाहिराणं परमत्याओ महासत्ताणं निविणकामभोमार्ग गोयमा ! सम्वृत्तमुत्तमपुरिसा के नाम सपने सुविधायधम्माइम्मे खणमपि अभिलास गचिाना?।२६। जासि च अभिलसिउकामे पुरिसे तजोनिसमुच्छिमपंचेदियार्ण एकपसगेण चेच गवई सयसहस्साणं णियमा उपरको भवेजा, देव अर्थतमुहमत्ताउ मंसचक्सुणो ण पासिया २७ एएणं आहेण एवं बुचईजहा गोषमा! जो इत्यीय आलबेजा नो सलवेजा नो मावेजा नो इत्तीर्ण अंगोचंगाई संणिरिक्खेजा जापणं नो इवीए सबि एगे पंभयारी अदाणं पटिनेजा।२८ा से भय | किमित्वीए सलामुलायगोवंगनिरिक्ल कमेज्जा उबार मेहुर्ण ?, गोचमा ! उमयमवि, से भयवं! किमिस्थिसंजोगसमाचरणे मेडणे परिवज्जिया उपाहूर्ण बहुविहेमु सचित्ताचित्तवत्युक्लिाएम ११२३महानिशीषच्छेदमूर्य.aman-2
मुनि दीपरनसागर
दीप अनुक्रम [३८७]
~12~
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