Book Title: Aagam 39 MAHA NISHITH Moolam ev
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(३९)
“महानिशीथ” - छेदसूत्र-६ (मूल) अध्ययन [७/चूलिका-१], --------- उद्देशक -1, ------- मूलं [२०] +गाथा:||२६|| ------
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३९], छेदसूत्र - [६] "महानिशीथ" मूलं
प्रत
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सत्राक
[२०]
94.
*
दिए कि उनका पदिता
गाथा ||२६||
पए अणेगहानि चउधा जोइन्जंति, तत्थ नाव समासेग णामालोयर्ण नाममेरोणं, ठवणालोयर्ण पोत्थयाइसुमालिहिय, दवालोयणं नाम जे आलोएनाणे असदभावनाए जहोबाई पायण्डिनं नाणुविहे. एने तमोऽधिपए एगतेणं गोयमा ! अपसन्थे, जे गं से चउत्थं भाचालोयणं नाम ते गं तु गोयमा ! जालोएताणं निदिनार्ण गरहिनाणं पायच्छित्तमणुचरितार्ग जावणं आयहियहाए उपसंपजितागं समजुत्तममई आराहेजा, से भय ! कयरे से चउत्ये पए, गोयमा! भावालोयणं, से भय ! किंतं भावालोय?, गोयमा जे गंभिक्यू एरिसे संवेगवेरणगए सीलतवदाणभाषणचाउरपंचसुसमणचम्ममाराहणेकंवरसिए मयनयगारवादीहि अर्थतविप्पमुक्छे सधभाषभावसरेहि गं नीसाने आलोइताणं विसोहिपयं पटिगाहिताणं तहनि समणुदठीया सनम संजमकिरिव समणुपालिजा ।२०। जहा कयाई पाचाई साहि, जे हिअट्ठी गराए। तेसि नित्यक्सयहि.सुदी अम्हाण कीरत्रो॥६॥ परिचिचार्ण तयं कम्म, चोरसंसारदुक्सद। मणोनयकायकिरियाहि.सीलभारं घरेमिऽहं ॥७॥जह जाणइ सान, केपली तित्थंकरे। आयरिए पारिनड्डे, उपरायसुसाहुणो ॥८॥ जह पंच लोयपाले ब, सना धम्म य जाणते। नहालोएमिहं सत्र, तिलमिलपि न निण्हयं ॥ ९॥ तस्येव जं पायपिन, गिरिवरगुरुयपि आवए। तमगुबरेमि दे सुदि, जह पाये अनि विलिगाए ॥३०॥ मरिऊर्ण नस्यतिरिएस. कभीपाएस करवाई। कथा करवत्तजले हिकत्या मिनो उ मूलिए ॥१॥ चसणे पोलणं कहिमि, कन्या ठेवणभेषण पंधर्ण लंघर्ग। कहिँमि. कन्थाइ दमणमंकणं ॥२॥ पन्धणं बाहर्ण कहिमि, कत्थाइ बहणतालण। गुरुभारकमणं कहिं चि, कत्थइ जमलारपिंधर्ण ॥३॥ उत्पद्विअविकडिभंगं, परवसो नरहं छह । संताबुशेगदारिद, विसहीहामि पुणोयिह ॥४॥ता रहाई व सपि, नियरियं जहदिठयं । आलोइता निदिना गरहिता, पायश्चित्तं चरितुणं ॥ ५॥ निहामि पावयं कम्म, सति | संसारदुक्खय। अन्भुदिठना नवं घोरं, पीवीरपरकर्म ॥ ६॥ अर्चनकटवर्ड कलं. दुकरं दुरणुचरं। उनगुग्गयरं जिगाभिहिब, सबलकाताणकारणं ॥७॥ पायच्छित्सनिमिनेणं, पारसधारकारय। आयरेणं नवं परिमा, जेणुभ सोक्सई नj ॥८॥ कसाए पिहलीकटटुं, इंदिए पंच निग्गहं । मनोवईकायदंदाणं, निम्यहं धणियमारभे ॥९॥ आसपदारे निम्मेत्ता, चत्तमयमच्छरसमरिसो । गवरागदोसमोहोई. नीसंगो निष्परिगहो॥४०॥ निम्ममो निरहंकारो.सरीजचंतनिपिहो । महायाई पालेमि. निसयाराई निमिडओ॥१॥हबी धी हा अहोऽहं. पाची पायमती अह। पापिठो पाचकम्मोऽहं पापाहमाहमयरोऽहं ॥२॥ कुसीलो भट्ठयारिनी, भिसूगोषमा अहं। चिलातो निकियो पापी, फरकम्मीह निग्विणो| ॥३॥णमो दाह समिर, सामन्नं नाणदसणं । चारितं वा विराहेता. अणालोइयनिदियागरहियायपच्छित्तो, बावजंतो जई आई ॥ ४॥ ना निच्छयं अणुतरे, घोरे संसारसागरे। निबुतो भयकोडीहि, समुनरंतो ग वा पुणो ॥५॥ना जा जराण पीडेड, बाही जाव न केई में। जापिदिया न हायति, नाय पम्मे परेडं ॥ ६॥ निरहमारेण पापाई, निदि 15 गरहि चिरं । पापभित्तं परिवाण, निकलको भवामिऽहै ॥ ७॥ निकलुसनिकलंकाणं, मुदभाचाम गोयमा ! | नमो नई जयं महियं, सुदूरमबि परियलिनुर्ण ॥८॥ एवमालोयण बाउं. पायच्छिन चरिनुण । कलसकम्ममलमुर्क, जाणो सिजिाज नम्वगं ॥९॥ता पए देवलोगमि, निचूजोए सर्यपहे। देवदुइंहिनिग्योसे, अच्रासयसंकुले ॥५०॥ तओ चुया इहागंतु. सुकुम्पत्ति लभेतुणं । निविनकामभोगा य. तवं काउंमया पुमो॥१॥ अणुत्तरविमागे, निवासिऊहमागया। हवंति धम्मलित्ययरा, सयानेलोकबंधया ॥२॥ एस गोयम! विद्यये, सुपसात्ये उत्थे पए। भाषालोयणं नाम, अक्सयसियसोमवदायगो ॥३॥नि बेमि, से भय ! एरिसं पप्प, विसोहि उत्तम परं । जे पमाया पुणी असई, कत्यह चुके सचिज वा॥४॥ लस्स कि मवे सोहिपर्य, मुविसुई चेत्र लक्सिए। उयाहुणो समलिसे?, संसयमेयं वियागरे॥५॥ गोयमा निदिउँ गरहिउँसुहरं, पायचिउत्तं चरितुणं । निक्खारियवस्थमिवाएण संपर्ण जो न रस्सए ॥ ६॥ सो सुरहिगंम्भिाणगंधोदयविमलनिम्मलपविते । मजिजखीरसमुदे, असुईगददाए जा पटर ॥ ७॥ एता पुण तस्स सामग्गी, (सबकम्मक्लवकरा)। अह होज देवजोग्गा, असुईगंध सुदुदरिस ॥ ८॥ एवं कयपच्छिन्ने, जे ण उजीवकायवयनियमं । बसणनाणचरितं, सौलंगे वा भपंगे वा ॥९॥ कोहेण व माणेग व, मायाोने कसायदोसणं । रामेण पोसण प. (अभाण) मोहमिछत्तहासेणं (वाचि) ॥ ६॥ (भएणं कंदपवण) एएहि य अन्नेहि य गारखमालवणेहि जो खंडे। सो सबहुवि माणे, पसे अनागग निरए ॥१॥(खिसे भय ! कि आया संरक्वेयो उयाह जीवनिकायमाइसंजमे संरक्खेयको ?,गोयमा ! जेणं छकायसंजर्म स्ले सेगं अगंततुक्सपपायगाठ दोग्गइगमणाउ अत्ता संसखे, तम्हा उकापाइसंजममेव ससेय होह। २१ से भय! केवतिए असंजमहागे पाने, गोयमा! अणेगे असंजमदाणे पाते, जाव ण कायासं.
जमहाणा, से भय ! कयरे णं से कायासंजमहाणे, गोयमा ! कावासजमहाणे अगेगहा पाला, संजहा-पुढविदगागणिवाऊवणय तह तसाण विविहान । हत्येणवि करितणया | बजेजा जावजीबपि ॥२॥ सीउहलारखते अम्गीलोस अंबिले हे। पुढवादीण परोप्पर खर्यकरे बजासत्येए॥३॥ हाणुग्मदणसोमणहत्थंगुलिनस्विसोयकरणेणं। आबीयते | १९६५ महानिशीपच्छेदसूत्र,
मुनि दीपरमागर
दीप अनुक्रम [१४०२]
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