Book Title: Aagam 39 MAHA NISHITH Moolam ev
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 12
________________ आगम (३९) “महानिशीथ" - छेदसूत्र-६ (मूल) अध्ययन [२], ------------- उद्देशक [३], ---------- मूलं [७] +गाथा:||१५५...|| ------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३९], छेदसूत्र - [६] "महानिशीथ" मूलं गाथा ||१५५|| रक्षा परिणमेजा तणू जहा से मणगं पयलंति धातूमो, जावण मणर्ग पयलंति धातूमो ताप असत्यं वाहिजति पोग्गलनियमोबाइलयाओ, जापणे अमत्र्य माहिना नियंव नाव गं कलेणं घरेजा मनयहि जाच कसे घरेणा गत्तयट्टिताप ग से गोयलकपेज्जा अनीय सरीरावय, जाच णं गोचरकसंजा अत्तीयं सरीराबन्ध तावणं दुवालसेहिं समरहिं दरनिविठे भवे चोंडी, जावपण दुवालसहि दरनिचिट्ठे बॉदिमकेनातापर्ण पडिखलेना से ऊसासनीसासे, जाच गं पडिखलेना उस्सासनीसासे ताव मंद मंद ससेजा मंद मंद नीससेजा,जावणं एयाई इनियाई भावंतरजयत्यतराई बिहारेजा तावर्ग जहा गहग्यत्वे केहपुरिसइवाइस्थिएडवा विसंतुलाए पिसाबाए भारतीए असंबध संलवियं विसंतृत अतं आविजा एवं सिया णं इत्पीय, विसमाचत्तमोहणमम्मणालानेणं पुरिम विद्वपुडपा अविड वावरुवेदवाअवरुवेइ वागयजोषणेइ वा पडुप्पमजोरहवा महामसेहवा होणसनेइ वा सणुरिसह वा जाप णं अनयरे वा का निविवाहमहीपनाइए या अज्मण ससजससेणं आमंतेमाणी उलावेजा, जालनसंखेननेदभिनेणं सरागेणं सोनं विट्ठीए वा पुरिसे उहाजा निभाएगा नापजनं अखेजाई अवस-1 ग्विणीउस्सप्पिणीकोडिटरसाई दोस नस्यतिरिष्ठाय गती उकोसद्विवीय कम्मं जासंकलियं आसि ते निचिन्जानो पदपुर करेना.सेऽवि समयं पुरिसस्ससरीरामपपरिसणाभिमुह मजा पोर्ण फरिखजा समय अपने कम्मनिरपुई करेजा, मोसे परहनिकायंति। अएमावसरश्मि उगायमा संजोगेणं संजुजेगा, सेऽपिणं संजोए पुरिसायने, पुरिसेऽपिजे पंग संजुजे से चन्ने जेणं संजुजेसे अधणे टासे भय के अणं एवं बुबह जहा पुरिसेविण जेन संजुने से चन्ने जे संतुने से अचन्ने?. मोयमा जेणं से नीए इत्थीए पानाए बबट्टकम्महिई चिहा से गं पुरिससंगणं निफाइना नेणं न पदनिकाहएणं कम्मेणं सा बराई ने नारिस अज्यवसाय पदमा एगिदियनाए पुढवादीम गया समाणी अर्गतकालपरियणावि गं पोपावेनाईदियनर्ण, एवं कहकहवि बहुकेसेण अर्णतकालाजी एगिवियनणं खनिय बेईदियन तेइंदिवर्ण परिदियत्नमावि केसेण यदना पंदियनणं आगया समागी एनगिस्थिर्य पंडरिच्छ पेयमाणी हाहाभूक्क हसरणा सिविवि अदिइसोक्ता नियं संतायुवेनिया सहिसपणचवचिनिया आजम्म कुण्डमिर्ज गरहगिज निदणिज सिसनिज बहुकम्मलेहि अगेगपाडूसएहि नबोदरभरणा सानोगपरिभूया चउगईए संसरजा, अन्नं चणं गोयमा ! जावदयं तीए पापहवीए पदपद्धनिकाइयं कम्मदिवयं समजियं नावइयं इन्षिय अमिलसिउकामे परिसे उकिट्ठविद्वय अर्णतं कमहिहं बदपुट्टनिकाइयं समनिणिजा. एतेणं हेणं गोयमा' एवं पुबइ जहा गं पुरिसेऽविजेणं नो संजुजे सेणं चन्ने जेणं संजुजे से अचन्ने।भव :(केस) परिसेस पुण्ठा जाय गं क्यासी', गोचमा उबिहे परिसे नेये, | जहा-हमाहमे अहमे विमग्निामे उनमे उत्तमुनमे सनमे । १तत्य णं जे सधुनमे पुरिसे से जपचंगुभाजोपणसतमरुपलावण्णकतिकलियाएपि इत्थीए नियंवारदो वाससपि चेहिजा णो गं मणलाविनं इस्थिर्य र अभिलसेजा । ११ से उनमुनमे से गं जाकहषि नुदिनिहाएगं मनसा समयमेक अमिलो तहापि पीयसमए मर्ण संनिमिय अत्तार्ण निवेजा गरहेजान पुणो पीएणं नजमे इन्धीयं ममसावि अभिलसेना, जेणे २८ से उनमे पुरिसे सेणं जाकहवि वर्ण मुलं या इत्पिर्य कामिनमाणि पेक्सिजानओ मनसा अमिरमेजा जाच गं जामवा अदजार्म या गो इस्थीए समं विकर्म समायरेजा।१२। जर्ण बनयारी कयामवाणामिगहे, जहाणं नो भयारी नो कयपचफ्लाणामिगहे नो णं नियकटने भयणा, ण उणे निषेसु कामे अभिलासी मविजा, तस्स एयस्तण गोयमा अस्थि चे, किंतु अर्णनसंसास्थिनणं नो निर्वधिना ।१३। जेसे विमझिमे - से नियकरण सदि चिय इर्म समावरेजा, णो णं परकरनेणं, एसे यगं जा पछा उमाभयारी नो मवेजा नोगं अज्झपसायविसेसन तारिखमंगीकाउणं अर्णतसंसारियनले भयमा, जो कई अभिगयजीवाइपयन्ये भासते आगमाणुसारेणं मुखाहणं धम्मोपद्रुभवामाई दाणसीलतवभाषणामाए चाउनिह पम्मसंधे समगुडेजा से जाकहवि नियमवयभंग न करेजा नओणं सायपरंपरएणं सुमाणुसनसुदेवताए जाय अपरिवटियसम्मने निलम्गेण वा अभिगमेण पा जाप अवारससीलिंगसहस्सधारी भवित्ताणं निरुवासवबारे पियस्यमले पावर्य कम्म सवेत्ताणं सिज्जिा । १४ाजे वर्ष से अहम से णं सपरदारासतमाणसे अणुसमर्थ रावसायवायसियाचिनेहि सारंमपरिग्महाउस अभिरए भरेग्जा, तहाणं जे य से अहमाहमे सेण महापावकम्मे सबाओ इत्थीजो पाया मणसा यमुना तिविहतिविहेणं अणुसमयमभिरसेम्जा तहा अर्थतज्ज्ञवसायमसिएहि चिहिसारंपरिगहासने काल गमेजा. एएसि दोहंपिणं गोयमा ! अर्णतसंसारिवत्तणं यं ।१५/ भय से अहमे जेऽपिणं से जहमाहमे पुरिसे तेसिं च दोन्हपि अर्णतसंसारिवनणं समक्खायं नो णं एगे अहमे एगे अहमाहमे एतेसि दोहंपि पुरिसावस्था के पारिसेसे. गोषमा जेणं से अहमपुरिसे से गंजाबि उसपरवारासनमाणसे कूरवायसायझबसिएहि चित्तेहिं सारनपरिषदासनचिने नहावि दिक्सियाहिंसाणीहिं असमरासं(हियसीलसरपसणपोसहोवासनिस्वाहिरसियाहि गारस्थीहि वा सद्धि आचरियपिलियामंतिएपि समागे णी य चियमंसमायरेना. जे यणं से जहमाहमे पुरिसे से गं निवजणगिपनिई जायणं दिक्खियाहि साहुणीहिपिसम चियमंस समायरिजा. तेणं घेय से महापानकम्मे सत्राहमाहमे समक्लाए. से गं गोयमा पारिसेसे. नहा यजे गं से अहमपुरिसे से णे अगतेणं कालेणं बोहिं पावेजा,जे य उण से अहमाहमे महापावकारी दिक्खियाहिपि सारणीहिपि समं वियमस समाचरिना सेणं अतहलोविजर्णनसंसारमाहिरिलपि मोहिनी पावेजा. एस र्ण गोयमा : पितिए परविसेसे।१५।तत्व गंजे से सनमे से मंउडमत्ववीधरागे णेये, जे तु से उत्तमुत्तमे से अभिविपत्नपमितीए जावण उपसमगे वा खपए पानावगं निओयणीए, जेणंचसे उनमे से गं अपमनसंजए गए, एकमेएसि निरूपणा कुजा।अजे उण मिच्छविट्ठी भविऊर्ण उग्गाभवारी मनेजा हिसारंभपरिगहाईणं चिरए से मिच्दरिडी चेन, गो सम्मरिडी, नेसिपणे अवेयजीवाइपयस्थसम्भावागं गोषमा : नोगं उसमने अभिनंदणिने पससणिजे वा भवा, जो गं अगंतरभाचिए दिखोरालिए विसए परवेजा, असंच कयादी तिदिविस्थियादओ संचिक्सिया नोकभनयाओ परिमंसिना, मियाणकटेवा हवेग्जा १८ाजेपण से निमज्झिमे से ण तारिसमापसायमंगीकिवाणं विस्थाविरए बने। १९॥ तहापंजे से अहमे नहा जे णं से अहमाहमे तेसिन एगनेणं जहा इत्थी नहाणं १९३२ महानिशीथाछेदसूर्य...700-२ मुनि दीपालसागर न दीप अनुक्रम [३८७] ~ 11~

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