Book Title: Aagam 39 MAHA NISHITH Moolam ev
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 35
________________ आगम (३९) “महानिशीथ" - छेदसूत्र-६ (मूल) अध्ययन [५], -------------- उद्देशक [-], ---------- मूलं [२३] +गाथा:||१२६|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३९], छेदसूत्र - [६] "महानिशीथ" मूल प्रत 894ky [२३] गाथा ||१२६|| समभुषामिय रसलोलताए बिसयलोलताए दुईतिदियोसेणं जणुवियह जहद्वियं मग्गं निद्ववंति उम्मन्गं च उस्सप्पयंति, ते य सचे तेण कालेणं इस परमगुरुमापि अलंपणिज पनयर्ण जाधणं आसायंति ।२३। से भयवं ! कयरेऽणतेणं कालेणं दस अच्छेरगे भषिसु?, गोयमा ! णं इमे तेणे कालेणं ते अणं दस अच्छेरगे भवति, तंजहा-तिस्थयराणे उचसम्गे सम्भसंकामणे वामातिस्थयरे तिथवरस्स देसणाए अमनसमुदाएर्ण परिसाधे सचिमाणाण चंदाइचाणं तित्वायरसमवसरणे आगमगे वासुदेवानं संलझुणीए अनयरेण पा रायक उहेगं परोपरमेलावगे इहईतभारहे सेत्ते हरिवंसकुलप्पत्तीए चमरूपाए एमसमएणं अट्ठसयसिद्धिगमणं जसं जयाणं पूयाकारगेनि । २४० से भय ! जेणं कई कहिंचि कयाई पमायदोसओ पपयनमासाएमा से में किं आयस्विपयं पावेजा, गोयमा ! जे णं कई कहिंधि कयाई पमापदोसओ असई कोहेण वा माणेण वा मायाए पा लोभेण या रागेण या - दोसण या भएण वा हासेण वा मोहेण वा अनाणदोसेण वा पचयणस्स णं अनयरहाणे बदमिनेणवि अणायारं असमाचारि परूबेमाणे वा अणुमसेमाणे या पबवणमासाएजा से गं बोहिंषि णो पावे. किमंग जापरियपयलंभं?.से भयर ! किं जम मिच्छाविट्ठी आयरिए भवेजा, मोयमा! भयेम्जा, एवं चणं इंगालमदगाईनाए. से भय ! कि मिच्याविट्ठी निक्समेजा, गोयमा! निस्समेजा, से भयर्व! कयरेणं लिंगेर्ण से णं बियाणेजा जहा ण युवमेस मिच्छादिही, गोयमा! जेणं कयसामाइए सबसंगविमुत्ते भवित्ताण अफासुपाण परिभुजेजा जेणं अगगारचम्म पटिवजित्ताणमसई सोइरिथ वा तेउकार्य सेवेजवा सेवाविजया सेविजमाणे अने समणुजाणेज मा तहानव बमचेरगुती जे केई साहुबा साहुणी वा एकामवि वंडिज वा पिराहेज वा खंडिजमाणं वा विराहिज्जमाण बाभचेरगुती परेसिं समणुजाज्जा वा मणेण वा बायाए वा काएक वा से गं मिष्ठादिट्टी, न केवल मिच्छा-16 दिही अभिगहियमिच्छादिदी बियाणेजा।२५ा से भय जेणं केई आयरिएर वा मयहएड वा असई कहिंदि कयाई नहानिह संचिहाणगमासज इणमो निर्गध पचयणमबहार पनवेजा से णं किं पायेजा, गोयमा! जं सावजाचरिएणं पापियं. से भय ! कयरेणं से सावजायरिए। किं वा नेणं पापियंति, मोयमा! णे इबो य उसमादिनित्यकरचउवीसिगाए अणतेणं कालेणं जा अतीता अक्षा पउवीसिगा तीए जास्तिो अहयं नास्तिो चेव सत्तरवणी पमाणेणं जगच्छेस्यभूओ देविंदविदवंदिओ पवरवरचम्मसिरिनाम चरमधम्मतित्थंकरो अहेसि, तत्व य तित्वे सत्त अचडेरमे भूए, अहऽनया परिनियुडल्स पं नित्यकरस्त कालकमेणं असंजयाणं सकारकारवणे णामऽच्छेरगे बहिउमारदे, तत्वणं योगाणुपत्नीए मिघातोवहयं असंजयपुयाणुरवं बहुजणसमूहतिवियाणिऊण नेणं कालेणं तेणं समएणं अमुणियसमयसम्भावहिं तिगारवमइसमोहिएहिं णाममेत्तआयरियमयहरेहि सहढाईणं सयासाओ दविणजाय पटिम्गहिवरखंभसहस्मृसिए सकसके ममलिए चेइयालगे काराविऊन ते चेच तुरंतपतलकुलगाहमाह आसईएहि ते चेय चेहपालगे नीसीय गोविऊणं च बलबीरियपुरिकारपरकमे संत बले संते पीरिए संते पुरिसकारपरकमे पाऊणं उग्गाभिग्गहे अणिययविहारं णीयावासमासइलाणं सिदिलीहाऊणं संजमाइसु ठिए, पच्छा परिचिचार्ग लोगपरलोगावार्य अंगीकाऊय य मुदीई संसार तेसु चेव मढदेवउलेसु अचत्वं गघिरे मुन्छिरे ममीकारहंकारेहि गं अमिभूए सयमेच विचित्तमदामाईहिंगं देवचणं काउमभुजए. जं पुण समयसारं परं हम सामयण ने दूरसुदूरवरेणं उज्झिायनितंजहा-सो जीवा सके पाणा सो भूया सो सत्ताण ताण अजायेयवाण परियावेयाण परिपेनवाणविराहयवाण| किलामेयवा ण उहवेयवाजे केई सुहमा जे केई बायरा जे केई तसा जे केई पाचरा जे केई पजत्ता जे केई अपजत्ता जे केई एगिदिया जे केई में दिया जे के दिया जे कई बड़रिदिया ने कई पंचिंदिया तिविहनिविहेणं मगेर्ण वायाए काएणं जंगुण गोयमा ! मेहर्णन एगते ३ मिडयो ३ बादंइतहा आउनेउसमारंमंच साहा सापयारेहि सर्व विषमेजा मुगीति एस धम्मे धुने सासर पिइए समिब लोग सेयन्नहि पाएत्ति । २६॥ से भय! जेणे कई लाहू या साहुणी या निर्णये अणगारे वहस्थ कुजा सेर्ग किमारपेजा,गोयमा! जेणे कई साह पा साहुणी वा निम्नथे अणगारे दास्थय कुजा से गं अजयएइ वा असंजएइ पादेवमोइएइ वा देवबगेन वा जावन उम्मगपाहिएत या वृक्षमियसीलेह बा कुलीलेव वा सन् दयारिएड या आलबेज्जा।२७ एन गोयमा! तेसि जणायारपबित्तार्ण बहूर्ण आयरियमयहरादीगंएगे मरगयच्छवी कुवलयमहानिहाणे णाम अणगारे महानवस्सी अहेसि, कस्स गं महामहते जीवाइपपत्थे सुतत्यपरिन्नाणे मुमहंत चेव संसारसागरे तानु तामुं जोणीसुसंसरणमयं समहा सवपयारेहि गं अर्थतं आसायणामीकयत्नणं, नकालं तारिसेऽपी अ. संजमे अणायारे बसाहम्मियपत्तिए नहाची सो नित्थयराणमाणं गाइकमेड, अहऽन्नया सो अणिगृहियचलनीरियपूरिसकारपरकमे मुसीसगणपरिवरिओ सानुपणीयागमन । स्थोभयानुसारेणं वगयरामदोसमोहमिच्छत्तममकाराहंकारो सात्व अपडिबडो, कि बहुगा, सगुनमगाहिद्वियसरीरी अणेगगामागरनगरसेवकम्बहमहंबदोणमुहाइसग्निसधिः मेसेर्मु अगंगे भासत्ताणं संसारचारगविमोक्वणि सद्धम्मकहं परिकहेंतो विहरिसु, एवं च वर्षति दियहा. अन्नया में सो महागुभागो विहरमाणो आगमओ गोषमा! नेसि णीयविहारी. 1 ११४५ महानिशीपच्छेदसूत्र, अमा मुनिपरनसागर दीप अनुक्रम [८३४] 4 Atter ~34~

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