Book Title: Aagam 39 MAHA NISHITH Moolam ev
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 23
________________ आगम (३९) “महानिशीथ” - छेदसूत्र-६ (मूल) अध्ययन [३], ------------- उद्देशक [-], ---------- मूलं [३८] +गाथा:||१२१|| ------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३९], छेदसूत्र - [६] "महानिशीथ" मूलं प्रत [३८] गाथा ||१२१|| लहणपुप्फोमालणसासमारणसोवाहणविषगइमगिरहसिर उपविटुट्टियसनिवनक्लियविभूतावनिसचिगारणीयंसणुनरीयपाउरणदंडगमहगमाई सरीरविभूसाकमीले गए.एनेय पतषण उडाहपरे दुरंतपंतासमवणे अदये महापायकम्मकारी विभूमाकुमीले भनि, गए सणसीले । ३८ा नहा पारिनकुमीले अगहा मूलगुणउत्तरगणेमु, सत्य मूलगुणा पंच महापाणि राइनोपणछागि ने जे पमले भनेजा, तन्य पाणाइवायं पुढचीदगागणिमास्यवस्सइवितिय उपचिदियाईण संघहणपरियायणकिलामणोडवणे, मुसाबार्य यह या बरंच. ताय गुडुमें पयागाहा मरुए एक्मादी बादरी कमालीगादि, अदिखादाणं मुहम बावरं च तस्य सुहम तणडगलयानरमाइगादीर्ण गहणे, वायर हिरणसुवणादीण, मेहुणं दिघोरालियं मनोवयकायकरणकारायणाणुमइभेदेन अहारसहा, नहा करकम्मादी सचित्ताचितभेदेणे, गवगुलीविराहणेण वा. विभूसावनिएण वा. परिमई गुहुम बायाँ च. तन्य गहुम कापहमरक्षणममनो बादर हिरणमादीण गहणे धारणे पा, राईभोवणं दियागहियं दियाभुनं एवमादि, उत्सरगुणा 'पिंडस जा विसोही समिनीओ भावणा नबो इविहो । पडिया अभिमाहाविय उत्तरगुलमो वियागाहि ॥ १२१तन्य पिंडविताही-सोनस उम्ममदोसा सोलस उपायणाय दोसा उदस एसणाय दोसा सजोषणमा बनेन ॥ २॥ तब उगम दोसा-आहाकम्मुडेमिय पूईकम्मे व मीसजाये या टनणा पाहुटियाए पाओयर कीय पामि ॥ ३ परियहिए अमिह उम्भिन्ने मालोहडे इय। अग्नेि अणिसट्टे असोयरए य सोलसमे ॥४॥ इमे उपायणादोसा-धाई दुई निमिनेजाजीप वीमगे तिगिच्छाए। कोहे मागे माया नोभे यति बस एए॥५॥ पुषिच्छासंचन विजा मते य चुण्णजोगे य उपायणाय दोसा सोलमसमें मूलकम्मे य॥ ६॥ एसणादोसा सकियमक्सियनिक्सिनापिहियसाहरियदायमम्मीसे। अपरिणयलिसाहित्य एलणदोसा इस इति ॥ तस्युमामोसे मिहत्यसमुत्थे उपायणादोंसे साहुसमुन्ये एसणादसे उभवसमुन्थे, संजोयणा पमाणे इंगाल धूम कारणे पंचमंडलीय दीसे भवनि, नन्य संजोयला उमगरणभनयागसम्भनरबहिभएण, पमाणं बनीसं किर कबले आहारों कृच्छिपूरओ भगिओ। रागेण सइंगा दोसेण सधूमगंति नाय कारणं 'वेयण पेयायो इरियडाए य संजमहाए। नह पाणवनियाए छह पुण धम्मचिनाए ॥९॥नस्थि छहार सरिसिया विषणा भुजिज नमसमणडा। छाजो बेयावर्षण नर कार्ड प्रो मुंजे ॥१३॥ इरियपि न हिम्स पेहाईयं च संजम का। यामो वा परिहायह गुणणाप्पेहाय व जसना ॥१॥ विचिसोही गया, याणि समितीश पंचजहा-ईरियासमिई भासासमि एसणासमिई आवाणरमननिस्सेवणासमि उचारपासवणवेनसिपापजापारिद्वावणियासमिनहा गुती निषि-मणगुली वयानी फायगुनी, तहा भावणाओ वालस जहा अणिवलमारणा प्रसरणभाषणा एमनभावणा न्ननभावणा अमुवभावणा विचित्तसंसारमापणा कम्पासपमावणा संचरभावणा चिनिज़रभावणा लोगविश्थरभावणा धम्म सुपपवार्य सुपणनं निश्चयरेहिति तनचिताभावना बोही 5सातमा जम्मतरकोडीहिपिनि भागणा, एवमादियालरेम जे पमा कुजा से ण चारितकुसीने गए।३९/ नहा नपकसीले दुविहे गेए बनानवसीले अभिलपकुलीले यतन्य बजे केई विचित्ताणसणऊणोदरियाविनीसंवेषणसपरिचायकायकिनासंदीपयत्ति उहाणे न उनमेजा सेणं घग्झनवासीन्डे, नहाजे के विचिनपच्छिन्नविनयवेवावचसमायझाण उसागमि भए छहासुन उनमेजा सेणं अविभतरनबकुसीले ।४ातहा पदिमाओ पारस जहा मासादी सनंता एगगनिगसनराइदिण लिग्निा हरानी एगराती भिक्खूपडिमाण बारसगं ॥२॥ तहा अभिग्गाहा- दानो सेनो कालओ भावओ, तत्य दो कुम्मासाइया गया, खेनओ गामे बहि पा गामस कालो पदमपोरिसीमाईसुभाषत्रो कोहमाइसंपोज देहिडन गहिस्सामि, एवं उत्तरगुणा संखेचत्रो समत्ता, समसो पसंखेषेणं परिनाचारो, नवाचारोऽपि संवेणेहतरगत्री.नहा बीरिवाचारो एएस वेव जा अहानी, एएमुं पंचसु आयाराड्यारेसुज आउहियाए णो पमाया कप्पेण वा अजयगाए बा जयगाए वा पडिसेवियन नहेवायोइनाणं जमम्मपिऊ गुरू उपसंनितं नहा पायच्छिन नाणुमरेह, एवं अट्ठारसह सोलंगसहम्सागं जं जन्य पए वमने भवेजा से ण नेग नेणं पमापदोसणं कुसीले गए।११तहा ओसनेम जाणे. गिरथ लिहिणा, पासत्ये जाणमादीणं सच्छेद उस्मनमागामी सबके मेन्यं लिहिजनि. गंयनियरमयाओ. भगवया उण एवं पत्याचे कुसीलारी महापर्वधर्ण पनविए. एन्य यजा जा कस्बई अण्णण्णमायणा सा सुभुमियसमयसारेहिलो पउँस(जे)या, जो मूलारिसे पेव मदुर्ग, विपणहूँ नहि जत्थ २धानमा संवा तत्व नथ पाएहि सपहरेहि समितिक संगोवंगदुमालसंगाओ सुयसमाओ अन्नममगउगमवासंघअजायणहेसगाणं समुचिनिऊण किंचि किंथि संवत्झमाणे एवं लिहियंति, म उण सका कयंनि।४२। पंचए मुमहापाचे,जे ण बजेज गोयमः। संसावादीहि कुसीलादी, भमिही सो समनी जहा । १३३ ॥ भक्कायटिनिए संसारे, पोरबुक्ससमोत्यओ। अलईनो दसबिहे धम्मे, पोहिमहिसाइलक्स ॥४॥ एवं तु किर रिडत. संसगी गुणरासी। रिसिभिवासमवासणं, विकर्ण गोयमा सणे ॥५॥ नमहा कुसीलससम्बी, सबोचाएहि गोचमा पनियाऽऽयहियाली,जाजनिजामने ११॥ महानिशीथमछेदसूत्र, अww-३ मुनि दीपपनसागर दीप अनुक्रम [६२७] 144PNE ~ 22~

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