Book Title: kavidarpan
Author(s): H D Velankar
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishtan

View full book text
Previous | Next

Page 160
________________ App.1-गाथालक्षणम् वइसी जहा वरकरिवर-वरहयवर-वररहवर-विलयनिवहसुहसुहयं । भोत्तुं राया रज्जं पच्छा दिक्खं गहिस्सामो ॥ ३६ ॥ सुद्दी जहा विमलजसकिरणधवलियमहियल सुरनिवहनमियकमजुयलं । तिहुयणसिरिवरकुलहर मणहरगुणनिलय जिण जयहि ॥३७ ।। महजहणसयलचवला पच्छा विउला य विप्पिखत्तिणिया। वइसी सुद्दी मीसा दस गाहा हुंति छदंमि ॥३८॥ मीसोदाहरणं जहा ठाणच्चुयाण सुंदरि मंडलरहियाण विहवचत्ताण । थणयाण सुपुरिसाण य को हत्थं देइ पडियाण ॥ ३९ ॥ अहवा छव्वीसं भेया गाहाणं जहा कमला ललिया लीला जुण्हा रंभा य मागही लच्छी। विज्जू माला हंसी ससिलेहा जण्हवी सुद्दा ॥४०॥ काली कुमरी मेहा सिद्धी रिद्धी य कुमइणी धरणी। जक्खिणि वीणा बंभी गंधन्वी मंजरी गोरी ॥४१॥ कमला तिहि लहुएहिं ललिया पंचेहिं एवमाईओ। बिहि बिहि वड्ढतेहिं कमेण सेसाओं जायंति ॥ ४२ ॥ इक्विक्कक्खरवुड्ढी छंदा छब्वीसयं मुणेयव्वा । गाहाणं तीसाए पणवन्ना वििड्ढया जाव ॥ ४३ ॥ तीसा जा पणवन्ना वढंतेगक्खरेहिं जा गाहा । झिज्जइ गुरुयं इक्कं दो दो वड्ढंति लहुयाइं ॥ ४४ ॥ तीसाए जं अहियं दुगुणं काऊण तिन्नि दिज्जासु । जित्तियमेत्तो पिंडो तित्तियमित्ताइं लहुयाइं ॥४५॥ मत्तापमाणमज्झा हरित्त सव्वक्खराइंगाहाणं । अवसेसं जं चिट्ठइ तित्तियमित्ताई गुरुयाई ॥ ४६ ॥ कः पुमान् हस्तं आधारं ददाति । अपि तु न कोपीत्यर्थः ॥ ३९ ॥ इदानीं त्रिभिर्गाथाभिः शाल्मलिप्रस्तारं कथयति-कम०॥ ४२-४४॥ ३६.२ नरविलयनिवहसुहयं D; नरविलयनिवहसुहसुहयं F; ३७.१ विमलजलकिरण D; २ कमजुअलं F; ३ तिहुअण F; ३८.१ जघण DF; ३ वयसी D; ३९ मिस्सोदाहरणं AB; ३९.१ ठाणचुयाणं D; ठाणच्चुआण F; २ बहव for विहव D; ४०.२ जोण्हा DF; ४ मुद्दा for सुद्दा D; ४१.१ कुमारि DFG; २ कुमुइणी E; धरिणी D; ३ रंभी for बंभी D; ४ गौरी for गोरी F; ४२.४ सेसाउ F; ४३.१ इक्कक्कक्खर AB; इक्केक्कक्खर E; एक्किकक्खर F; ४४.३ झिम्भइ D; गरुयं F; ४ लहुआई ABF; ४५.२ तिण्णि AB; ३ जित्तियमित्तो DG; जित्तियमित्तं F; ४ लहुआई F; ४६.४ गरुयाई G.

Loading...

Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230