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प्रार्थना.
पीठिका
भीष्यवहारसत्रस्य
॥ ६२॥
आ व्यवहार सूत्र छ छेदमांनु एक सूत्र छे. तेमा विषय पणो गंभीर छे तेथी तेनी पीठिकामां तेनु संक्षिप्त वर्णन कयु के, आ छेद सूत्र बांचनार भव्यात्मा चारित्रमा हढ निपुण बुद्धिवाळो पंदर वर्षना चारित्रपर्यायवाळो होवो जोइए, बीजां सूत्रोनुं ज्ञान मेळवेलु हशे, तेने आत्मार्थी गीतार्थ गुरुनी सहायताथी प्राये घणो भाग समजाय तेवू छे. कोई क्षुद्र बुद्धिनो अल्प पर्यायवाळो भाजुबाजुनो संबंध समग्या विना अनर्ध करी बेसे तेवा हेतुधी तेने प्रसिद्ध करवामां केटलोक भाग विरुद्ध पण छे. पण जो लही पाओनी लखेली प्रतो भूल परंपरावाळी नकलो लगभग चारसो रुपियाना खर्च भंडारोमा अथवा साधुओ पोताने माटे लखावी राखे छे, अने ते पण ब्राह्मण के जैन ग्रहस्थ विद्वान् पासे वाचवा छतां अनथ थती नथी, तो यथाशक्ति अनेक प्रतो मेळवी सुधारी योग्य पुरुषोने बांचवा माटे जो थोडी किंमतमा अपाय तो वधारे सारु.] | तेथी पालनपुरना सं. १६७८ मां प्रेसकोपी शरु थइ, अने सं. १९८२ मा पूर्ण थइ. मुनि माणेक.
ज्यारे सं. १६८० मा सुरतमां जैन साहित्य परिषद भराइ ते समये झवेरी मगनभाई नगीनभाईए प्रथम रुपिया ५००) पांचसो आपेला तेमां पीठिका छपावा सुरत | समाचार प्रेसमा अपाई, पण पूरता टाइप विगैरेना अभावे चार फरमाथी कार्य अटक्यु, तेथी पीठिका फरी भावनगरमा आनंद प्रेसमा छपाई के.
त्यारपछीना पहेला उद्देशाना बे विभाग पाण्या ये, जेमानो प्रथम एटले पीठीका पछीना बीजा भागमा सीरपुर-खानदेशना जैन श्वेतांबर संघ तरफथी रुपिया ५००) रोनी मदद मळी के एटले ते बदल ते पुण्यात्माअोनो ज्ञान-भक्ति प्रत्ये जे उत्साह के ते अनुमोदनीय छे. वीजो विभाग तुर्त छपाबानो छे जेमा मददनी आवश्यक्ता होवाथी आबे विभागो भव्यात्माओना करकमळमां अर्पण कराय छे. परचुरण मदद माटे जुईं लीस्ट मां भावशे.
॥ ६२.
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