Book Title: Vyakhyan Sahitya Sangraha Part 02
Author(s): Vinayvijay
Publisher: Devchand Damji Sheth

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Page 606
________________ પ૭૪ . व्यायान साहित्यस -लागते. મુનિશ્રીએ અનેક ગ્રંથોનું અવલોકન કરી ગુર્જરગિરામાં અનુવાદ સાથે રચેલે છે. જુદા ગવેષકે તથા લેખકેાના ઉતારાથી આ ગ્રંથ ઘણો ઉપયોગી થાય છે. મુનિશ્રીએ અનેક ગ્રંથ વાંચી બીજાઓને વાંચનને લાભ આપવા કાળનો આવો સદુપયોગ કરે છે તે અન્ય મુનિશ્રીઓએ ધડો લેવા જેવું છે. આ ગ્રંથની અમો જિજ્ઞાસુઓને ભલામણ કરીએ છીએ કે આવાં શ્રેષ્ઠ સાધનો બતાવનારાં પુસ્તકોના રચનારને તન, મન અને ધનથી સહાય આપવી જોઈએ અને સહાય આપનાર મનુષ્યો લેકના ઉપકારક છે એમ કહી શકાય. પંન્યાસજી શ્રીકમળવિજયજી મહારાજના શિષ્ય, શ્રાવિનયવિજયજી મહારાજ, भारणी.. साहित्यसंग्रह नामका ग्रन्थ अवलोकन करके मुझसे कहे वगैर नहीं रहा जाता है कि वक्ताओंकी वक्तृताको भूषा बढ़ानेवाला आजतक ऐसा कोईभी ग्रन्थ प्रसिद्धिमें नहीं आया है. यूंतो संस्कृतमें व भाषामें गद्यपद्य मिन्न भिन्न बहुत ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं, परंतु इस ग्रन्थमें यह खूबी रही हुई है कि गद्यपद्यात्मकसंस्कृत व भाषाका संग्रह कीया गया है. जो संस्कृत श्लोक रखे गए हैं, उनके नीचे अर्थ और विवेचनमी कीया गया है. जिससे संस्कृत भाषासे अनभिज्ञभी इस ग्रन्थके मनन करनेसे अल्प समयमें वक्ता बनकर सभाको रञ्जित कर सकता है. यह ग्रन्थ खास किसी मतके साथ सम्बंध न रखनेसे सर्वोपयोगी है. इसमें विशेष करके गुजराती व संस्कृत साहित्यका अधिकतर संग्रह है. वक्ता जिस विषयमें वक्तृता देनी चाहता हो उनके शुभिताके लिये इस ग्रन्थके छै परिच्छेद बनाकर उनमें भिन्न भिन्न अधिकार रखे गए हैं. उपाध्यायजी श्रीवीरविजयजी महाराजके शिष्य श्रीविनयविजयजी महाराजके असीम प्रयत्नका यह शुभ फल है. वक्ता बननेकी इच्छावालोंको चाहिये कि साहित्यसंग्रहकी एक एक कॉपी मंगवाकर अपने पास रखे. विविध विषयोंसे भरपूर अतीव उपयोगी इस ग्रन्थका लाभ सुज्ञ महाशय अवश्य उठावेंगे. स्वर्गस्थ श्रीमद् श्रीविजयानंदसुरीश्वरजी, (श्रीआत्मारामजी) महाराजके शिष्य, स्वर्गस्थ श्री उद्योतविजयजी महाराजके शिष्य, श्रीकस्तुरविजयजी महाराज, वडोदरा

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